Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2020 · 2 min read

चेहरे

एक ही शख्स जीवन में कई चेहरे लिए जीता है पर हर चेहरे से दूसरों को लालायित करने की कोशिश में वो स्वयं को मिटा देता है।वास्तव में चेहरा कोई भी हो उसकी भव्यता सादगी व शालीनता हर तरफ नहीं दिख पाती हैं प्रेम कोई संचय की वस्तु नहीं जहां किसी में भलमानसी दिखाई पड़े उसी की ओर आतुर हो चले पर भलमानसता जीवन का एक प्रकार्य है जो अंग अंग में जान फूंक देता है सब स्वंय उस ओर आकृष्ट हो उठते हैं बिना किसी कारीगरी के
पर आजकल लोग डंक फंद व चातुर्यता या कुटिल कारीगरी से ऐसा आवरण ओढ़ लेते हैं और दूसरे को आत्मसात् कर लेने की अजब विद्या जानते हैं बेचारा सरल व्यक्तित्व इस कर्म के मर्म में लिपटा जाता है और
फिर आजीवन स्वयं की पहचान तलाश्ता रहता है मेरी दृष्टि में ये
औत्सुक्य जीवन भर का झमेला है किंतु अच्छाआचरण ऐसे प्रकरण से दूरी ही रखता है फिर चेहरा चाहे कोई हो कोई असर नहीं।व्यक्ति मन यायावर है उसे नित् नवीनता चाहिए कुछ अलग सा अपितु वो आज अनेक चेहरे ओढ़े जीता है ।
और सामने वाले को छल से दबा लेता है पर सरल जीव न मरता है न जीता है वस जीवन को नियति मान स्वयं की नैया ठेलता रहता है
कुत्सित व्यक्ति प्रेम के मायने क्या जाने
उसका प्रयोजन तो दूसरे को व्यथित करना है पल भर में ज़रा से
फायदे हेतु वो दुःख पहुंचाने में नही हिचकता पर वो तो इसी के आनंद में सराबोर रहता है।ऐसा आनंद जिससे किसी दूसरे को मानसिक क्षति हो
कोई फायदा नहीं छवि ऐसी हो कि मन बरबस श्रद्धेय के द्वार की ओर दौड़े।
मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 470 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ये  तेरी  बेवजह  की  बेरुखी  अच्छी  नहीं   लगती
ये तेरी बेवजह की बेरुखी अच्छी नहीं लगती
Dr fauzia Naseem shad
लिखो फिर मिटाओ,
लिखो फिर मिटाओ,
पूर्वार्थ देव
"विडम्बना"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम की प्रतिज्ञा
प्रेम की प्रतिज्ञा
रुचि शर्मा
कितने श्रेष्ठ हो तुम,
कितने श्रेष्ठ हो तुम,
Buddha Prakash
वो सांझ
वो सांझ
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सच्ची दोस्ती
सच्ची दोस्ती
Rambali Mishra
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बस
बस
विशाल शुक्ल
बेटियां
बेटियां
पूर्वार्थ
पथ प्रदर्शक पिता
पथ प्रदर्शक पिता
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ज़िन्दगी एक प्लेटफॉर्म
ज़िन्दगी एक प्लेटफॉर्म
Shailendra Aseem
..
..
*प्रणय प्रभात*
मेरे जीवन का सार हो तुम।
मेरे जीवन का सार हो तुम।
अश्विनी (विप्र)
गुलाबों का सौन्दर्य
गुलाबों का सौन्दर्य
Ritu Asooja
खण्डहर
खण्डहर
OM PRAKASH MEENA
4256.💐 *पूर्णिका* 💐
4256.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
Neelofar Khan
तेरी यादों की..
तेरी यादों की..
हिमांशु Kulshrestha
सब्जियाँ
सब्जियाँ
विजय कुमार नामदेव
*राधेश्याम कथावाचक की कृष्णायन (कुंडलिया)*
*राधेश्याम कथावाचक की कृष्णायन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
तंत्रयोग,अर्धनारीश्वर और ट्विन फ्लेमस की अवधारणा (Tantra Yoga, Ardhanarishvara and the Concept of Twin Flames)
तंत्रयोग,अर्धनारीश्वर और ट्विन फ्लेमस की अवधारणा (Tantra Yoga, Ardhanarishvara and the Concept of Twin Flames)
Acharya Shilak Ram
हम से भी ज्यादा हमारे है
हम से भी ज्यादा हमारे है
नूरफातिमा खातून नूरी
मेरे बिछड़े जीवन साथी ( एक फौजी की पत्नी के भाव )
मेरे बिछड़े जीवन साथी ( एक फौजी की पत्नी के भाव )
ओनिका सेतिया 'अनु '
किसी को भी दूसरे के श्रम पर मोटे होने का अधिकार नहीं है। उपज
किसी को भी दूसरे के श्रम पर मोटे होने का अधिकार नहीं है। उपज
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रिश्तों की बाजार में, अर्थ बना भगवान।
रिश्तों की बाजार में, अर्थ बना भगवान।
संजय निराला
.
.
Shweta Soni
ख्वाहिशों की ज़िंदगी है।
ख्वाहिशों की ज़िंदगी है।
Taj Mohammad
संघर्ष कर सफलता मिलाने तक
संघर्ष कर सफलता मिलाने तक
Saurabh Kumar
Loading...