Ghanshyam Poddar Language: Hindi 92 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ghanshyam Poddar 18 Jun 2024 · 2 min read सुन मानसून ! सुन सुन ! सुन !! सुन!! रुक! रुक !! रुक!! ठहर! ठहर!! ठहर!!! हम तो इधर हैं जी तुम्हारा ध्यान किधर है मुझे देख - देखकर भी जाता है तू किधर.... Hindi · कविता 86 Share Ghanshyam Poddar 17 Jun 2024 · 1 min read सूरज! सूरज! तुम्हें क्या हो गया है बहुत आग बबूला हो इतना आग बबूला क्यों हो? इस धरती को तो तुमने ही जन्म दिया था न! परम -पिता परमेश्वर हो इसके... Hindi · कविता 81 Share Ghanshyam Poddar 26 May 2024 · 1 min read मई दिवस (१) उत्तरी -अक्षांश के बर्फीले देशों में मई दिवस हैं लोगो का, बासंती महीना दिन होता है जहां, मौज- मस्ती का शीतलता की जड़ता से विमुक्ति का जब देखते ही... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 89 Share Ghanshyam Poddar 23 May 2024 · 1 min read हे गुरुवर ! हे गुरुवर, हे पुज्यवर, मैं श्रद्धानत हूं, आपके चरणों पर उठाओ मुझे, हृदय से लगा लो, सदा रहूं आपके उर में। मन तेरा है, तन तेरा है, सब तेरा है,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 60 Share Ghanshyam Poddar 22 May 2024 · 1 min read मां ! कहां हो तुम? मां !कहां हो तुम? मेरे पास आओं, जहां हो भी तुम, मुझे प्यार करो। मां! कहां हो तुम? मेरे पास आओं, मैं बाथ रूम में हूं, मुझे साबुन से नहाओं।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 58 Share Ghanshyam Poddar 21 May 2024 · 1 min read मेरा शहर- मुंगेर चंदन है मुंगेर की माटी कण -कण इसका महान है है सर्व -धर्म समभाव की भूमि यहां उर्वर खेत- खलिहान है। यहां गंगा की कष्टहरणी है यहां वरदानों की मां... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 77 Share Ghanshyam Poddar 21 May 2024 · 1 min read धन्य बिहार ! देश हमारा भारत प्यारा अपना राज्य बिहार है। इसकी है गौरव- गाथा भविष्य उज्ज्वल आपार है। इसकी सीमाओं को छूता उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल है। उत्तर में इसे है छूता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 55 Share Ghanshyam Poddar 20 May 2024 · 2 min read बेटी की विदाई उम्र की शाम हो गई थी, बस रात ही बांकी थी इसी आशा में कि अब कम होगी महंगाई लेकिन कब , किसी ने भी इसकी हद नहीं बताई जाने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 62 Share Ghanshyam Poddar 19 May 2024 · 1 min read लड़की को लड़ना होगा लड़की को लड़ना होगा लड़कर आगे बढ़ना होगा आए 'कसम' लेने के दिन हर लड़की को कहना होगा। बीते दिन, जब रोती थी दूध - कटोरी पाने को जो मिला... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 98 Share Ghanshyam Poddar 19 May 2024 · 1 min read नारी देह नहीं, देश है नारी देह नहीं, देश है इनका सम्मान, देश का सम्मान है इनका अपमान, देश का अपमान है इनका पिछड़ना, राष्ट्र का पिछड़ना है इनपर आघात, देश पर आघात है इनकी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 87 Share Ghanshyam Poddar 18 May 2024 · 1 min read चाय वाले कप में पानी वह अक्सर आता है, पछताता ही आता है। वह कहता: पैसे दो पैसे की अब बात नहीं है, अब तो रूपिए मिलते हैं, रोटी भी अनगिन मिलते हैं भात भी... Poetry Writing Challenge-3 65 Share Ghanshyam Poddar 16 May 2024 · 1 min read किताब किताब सिखाती है; पढ़ना , लिखना, बोलना और जीना। किताब में है: ज्ञान, विज्ञान -कला, साहित्य -संस्कृति और असीमित गणित। किताब में मिलती है:: सत्यम, शिवम, सुंदरम और तीनों में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 46 Share Ghanshyam Poddar 16 May 2024 · 2 min read शहीद का गांव चलकर गया था जो शान से, अपने कर्मक्षेत्र को, ताबूत में होकर बंद तिरंगे के साथ कंधो पे आया है। संघर्ष में होकर शहीद सहर्ष मातृभूमि की बलवेदी पर अपनों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 64 Share Ghanshyam Poddar 14 May 2024 · 1 min read गंगा मां कहती है युगों -युगों से बह रही है युगों- युगों तक यह बहेगी 'मेरी शुचिता बनाकर रखो' युग -युग तक यही कहेगी। गंगा हम सबकी मां है निर्मल जल उसका तन है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 92 Share Ghanshyam Poddar 13 May 2024 · 1 min read जीवन में आगे बढ़ना है जीवन में आगे बढ़ना है, आगे -आगे ही रहना है , पढ़ना है जी, पढ़ना है, सर्वदा अब्बल रहना है। विद्यालय जाने में बिलंब न करना है, जल्दी - जल्दी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 57 Share Ghanshyam Poddar 12 May 2024 · 1 min read मां के रूप जननी, जन्म-भूमि, जगत - जननी, सभी कहलाती हैं हमारी - 'मां'। जनती है, परवरिश करती हैं, अच्छे संस्कार भरती हैं - 'मां ' माटी का चंदन लगा लो वसुंधरा है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 90 Share Ghanshyam Poddar 11 May 2024 · 1 min read हुस्न छलक जाता है ........ हुस्न छलक जाता है, जब तुम अंगराई लेती हो, मदहोश हो जाता हूं, जब तुम अंगराई लेती हो। हुस्न झलक जाता है, जब तुम नहाकर आती हो, मन -मुग्ध हो... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 46 Share Ghanshyam Poddar 10 May 2024 · 2 min read सुरक्षित सभी को चलने दो चलो सुरक्षित, सुरक्षित सभी को चलने दो, चलो सुरक्षित, सुरक्षित सभी को चलने दो। जीवन अनमोल है, किसी को अलविदा न कहने दो जां बचाने के लिए, खुद को किसी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 42 Share Ghanshyam Poddar 10 May 2024 · 1 min read खुदा ! (ईश्वर) खुदा ! तू है न, तो क्यों हैं, खौफ का मंजर, बंदों से कह दो कि फेंक दे दरिया में अपने खंजर। सन्नाटा है पसरा, कोई कुछ यहां बोलता नहीं,... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 49 Share Ghanshyam Poddar 9 May 2024 · 1 min read शहर और सहर देखा शहर तुम्हारा, सहर होते कभी नहीं देखा शाख - शाख पर उल्लू को बैठा उड़ता देखा। चांदनी चौक के चौराहे पर, सफेदपोशों को भी सूरज ढलते ही अंधेरी गलियों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 52 Share Ghanshyam Poddar 9 May 2024 · 1 min read स्वर्ग से उतरी बरखा रानी स्वर्ग से उतरी बरखा रानी झम झम झम झम करती चांदी की पैजनिया पहने छम छम छम छम करती। ढोल नगाड़े पीटों भैया भर गए सब ताल तलैया ताता ताता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 1 54 Share Ghanshyam Poddar 8 May 2024 · 1 min read गरिमामय है धरती अपनी गरिमामयी है धरती अपनी इसे वसुंधरा भी कहते है यह धरती है बलिदान की फांसी चढ़े कितने ही गीत गाते हुए। शाम को कह दो अब कल फिर सूरज आयेगा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 49 Share Ghanshyam Poddar 7 May 2024 · 1 min read मतदान जागरूकता डम ! डम ! डम ! डम ! डम ! डम ! डमरू बजा बजाकर मुनादी सुनाने आया हूं जागरूकता फैलाने आया हूं. डम ! डम ! डम ! डम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 79 Share Ghanshyam Poddar 6 May 2024 · 1 min read संविधान बचाना है हम स्वाधीन हुए, हमारा नया संविधान बना भारत देश हमारा सदियों बाद स्वतंत्र बना हम संप्रभु हुए, जन जन का लोकतंत्र बना आत्मर्पित -अंगीकार कर, सम्मान करते हैं। हमारा संविधान... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 62 Share Ghanshyam Poddar 6 May 2024 · 1 min read *मोबाइल* तुम भी चुप हो मैं भी चुप हूं, तुम गुम हो कहीं मैं भी गुम हूं। पहले तुम बोलो, पहले तुम मुंह खोलो, अपनापन का रिश्ता है बेगाना- सा लगता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 50 Share Ghanshyam Poddar 5 May 2024 · 1 min read नारी भारत की मैं नारी हूं मैं तो नहीं अनाड़ी हूं समझती हूं बाते सारी पहनती मैं साड़ी हूं। पापा की दुलारी हूं मैं मम्मी की गुड़िया हूं मैं भैया की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 1 44 Share Ghanshyam Poddar 4 May 2024 · 1 min read आठवीं वर्षगांठ *आओ मिलकर आज मनाएं 'साहित्य पीडिया' का जन्म दिन आठवीं बार आया है शुभ दिन शताब्दी वर्ष भी इसकी मनाएं। केक काटे, मोमबत्ती जलाएं खुश होकर ताली भी बजाएं अखंड... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 64 Share Ghanshyam Poddar 17 Apr 2024 · 1 min read *रामलला का सूर्य तिलक* आज सभी मिलकर गीत गाओ री। सूर्य वंश का नव सूर्य प्रकट भयो री। सोहर गाओ री कि बधावा गाओ री। सुखों के श्रीधाम इस धरा आयो री। सतयुग के... Hindi · कविता 1 1 101 Share Ghanshyam Poddar 2 Apr 2024 · 1 min read *सत्य : और प्रयोग* सत्य: हमेशा ही सत्य है असत्य इसे सत्य नहीं बना सकता है झूठ और मिथ्या का प्रयोग इसके रूप और रंग बदल सकते हैं। सियार कितना ही रंग बदल ले... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 86 Share Ghanshyam Poddar 2 Apr 2024 · 1 min read *लोकतंत्र जिंदाबाद* रामलीला मैदान में मंच विशाल बना है साज -सज्जा भी मन -भावन बना है आज यहां राजनीति का तना -बना है बांस- बल्ले के साथ लगा शामियाना है लोकतंत्र का... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 90 Share Ghanshyam Poddar 1 Apr 2024 · 1 min read जनता दरबार जनता दरबार लगने लगा है बंद दरवाजा खुलने लगा है ज्यों ही कोई दस्तक देता है दर पर कोई प्रार्थी नजर आता है हाथ जोड़े कोई उम्मीदवार नजर आता है।... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 74 Share Ghanshyam Poddar 31 Mar 2024 · 1 min read *आत्मा गवाही देती है* कहो न सच -सच जो लगे सच -सच न झूठ लगे, न मिथ्या लगे न अनर्गल लगे किसी को बोलो ऐसा सहज ही कि गले उतर जाए सभी को। सच... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 69 Share Ghanshyam Poddar 29 Mar 2024 · 2 min read *शंका समाधान चाहता है* एक कहावत सुनाता हूं पहले से भी सुन रखे होंगे: "अपने मन मियां मिट्ठू होना" दिल में कितना ही कालापन हो लेकिन ऐसे व्यक्ति अपनी बड़ाई कभी भी बंद ही... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता 3 89 Share Ghanshyam Poddar 23 Mar 2024 · 1 min read क्यों न आएं? चुप - चुप क्यों हो? छिपा- छिपी क्यों हैं? प्यार से दिल दो न! नफा -नुकसान क्यों है? आज न जाने तुम्हें क्या हो गया है? मोबाइल छोड़कर कहां छिप... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 51 Share Ghanshyam Poddar 21 Mar 2024 · 1 min read जब सच सामने आता है अफवाह फैलती है हवा के झोंके के साथ तेज और तेज आंधी की तरह जंगल में आग लगा देती है जन- जन के मंगल में अमंगल कर देती है ।... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 128 Share Ghanshyam Poddar 20 Mar 2024 · 1 min read सत्यमेव जयते सत्यमेव जयते। मिथ्या कदापि न जयते।। सत्य में दृढ़ता है सत्य में अक्षुणता है सत्य में शश्वता है सत्य में सुन्दरता है। सत्य, सर्वदा सत्य है वह धरा की गहराइयों... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 80 Share Ghanshyam Poddar 19 Mar 2024 · 1 min read सत्य की पूजा होती है असत्य सत्य का स्थान नहीं ले सकता असत्य सत्य पर भारी नहीं हो सकता यह मॉल में कभी भी नहीं मिल सकता क्यों कि यह प्रदर्शन की वस्तु नहीं है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 83 Share Ghanshyam Poddar 22 Feb 2024 · 1 min read स्वागत है रामलाला स्वागत है ! अभिनंदन है ! रामलला रघुनंदन हैं चंदन- सुमन से वंदन है खुलें हैं हमारे घर द्वार। समाप्त हुई प्रतीक्षा खत्म हुआ इंतजार आएं है कौशल्या नंदन आज... Hindi · कविता 2 82 Share Ghanshyam Poddar 21 Feb 2024 · 2 min read सूरज नहीं थकता है सूरज को चैन कहां, आराम कहां, अभिमान कहां? जहां भी रहता है, रैन कहां, रात कहां,अंधकार कहां? उसे पता है, आगे और जाना है अभी कहां- कहां? कभी उत्तरायण होता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 116 Share Ghanshyam Poddar 20 Feb 2024 · 1 min read होली के दिन जा रे पपीहा, जाओ उस देश, जहां पिया जी रहते हैं देना सही-सही वही संदेश, जो मैं तुम्हें बताऊंगी। आओ जल्दी से जल्दी, बिना देर, होली आनेवाली है आओगे जब,तब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 130 Share Ghanshyam Poddar 19 Feb 2024 · 1 min read कहो तो.......... न खिल पाएं, न खुल पाएं न दे पाएं तुम्हें एक भी फूल होठ बंद ही रहे हमारे हरदम पर रहे हर पल सदा अनुकूल। देखा था तो लगा पा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 102 Share Ghanshyam Poddar 19 Feb 2024 · 1 min read चाय ही पी लेते हैं कोई कहां किसी को हमेशा साथ देता है वो तोआप हैं जो बेहिचक पुकार लेते हैं। कोई कहां किसका इंतजार करता है वो तो आप हैं जो बाजार में मिल... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 1 93 Share Ghanshyam Poddar 18 Feb 2024 · 2 min read हे राम ! प्रार्थना सभा में गोलियों की आवाज सुनाई दी और बापू चुप हो गए! भजन- संध्या के गीत बंद हो गए उभरते स्वर और बोल बंद हो गए कुछ पल बाद... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 130 Share Ghanshyam Poddar 18 Feb 2024 · 1 min read टिक टिक टिक टिक ! टिक ! टिक! धिक! धिक ! धिक! ठीक ! ठीक ! ठीक! चलती जाएं घड़ी। जब तक सोया रात रही, जगा जब प्रात: हुई, अस्ताचल के बाद सुबह... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 130 Share Ghanshyam Poddar 17 Feb 2024 · 2 min read आबूधाबी में हिंदू मंदिर संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी में हिंदू मंदिर उद्घाटित हुआ है आनुधाबी मे नया नजीर निशानी है यह पूरी दुनिया में सांप्रदायिक -सांस्कृतिक -सद्भाव की दिशा में एक दूरदर्शी कदम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 159 Share Ghanshyam Poddar 16 Feb 2024 · 1 min read राहुल की अंतरात्मा पापा ! तथागत की संज्ञा से आप आज तक मुक्त न हो सके यही नहीं, संभवत: आनेवाली पीढ़ी भी , शायद आपको यही इसी नाम से जाने । पापा !... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 110 Share Ghanshyam Poddar 15 Feb 2024 · 1 min read नया सूरज पूरब की खिड़की खुली तिमिर -तिरिहित होने लगा चांद भी छिपने लगा अरुणारभ किरणें आने लगी रश्मि- रथ देखकर चिड़ियां/खग गण गाने लगे 'भोर हो गया' 'भोर हो गया.....' बच्चों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 102 Share Ghanshyam Poddar 15 Feb 2024 · 2 min read "ज्ञ " से ज्ञानी हम बन जाते हैं "ज्ञ " से ज्ञानी हम बन जाते हैं "अ " जब आरंभ करते हैं स्वर भी सीखते हैं व्यंजन भी सीखते हैं पंचमाक्षर पढ़ -पढ़कर ज्ञान -सरोवर में नहा- नहाकर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 160 Share Ghanshyam Poddar 13 Feb 2024 · 1 min read बदलता मौसम सर्दी गई गर्मी आई। रातें छोटी दिन बड़ी हुई। रिजाई बांधी पंखा चली। धूप कड़ी छांव भली । सुबह की अब स्कूल हुई । मलय पवन खूब चली । जरूरी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 132 Share Ghanshyam Poddar 12 Feb 2024 · 1 min read तुम आ न सके तुम आ न सके मैं जा न सकी तुमसे मिलने वहां जहां हमे मिलना था जाड़े गर्म धूप में हरी -मखमली दूब पर बैठकर तुमसे तुम्हारी बातें सुनने । पापा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 117 Share Page 1 Next