DrRaghunath Mishr Language: Hindi 64 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid DrRaghunath Mishr 7 Feb 2018 · 1 min read ग़ज़ल पकड़ के रखना कस के यारो, आस और विश्वाश. कुछ भी कर देने से पहले, कर लो पूर्वाभ्यास. भ्रम मत पालो एक न होंगे,धरा-गगन सदियों तक, दशा बनालो खुद हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 530 Share DrRaghunath Mishr 1 Feb 2018 · 1 min read मुक्तक द्वय -कृत्रिम,नैसर्गिक कृत्रिम : 000 क्या रक्खा है, कृत्रिम जीवन जीने में. क्या मिलना है, खारा पानी पीने में. 'सहज' जियो तब, समझ सकोगे निश्चित ही, असर चुभन का, खुद ही अपने... Hindi · मुक्तक 354 Share DrRaghunath Mishr 1 Dec 2017 · 1 min read ग़ज़ल: जो बिखर गई थी टुकड़ों में, बोटी जनता की थी वह। छीना -झपटी से जो लूटा, रोटी जनता की थी वह। पानी के नल की तोड़ी जो,बस्ती सारी प्यासी है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 656 Share DrRaghunath Mishr 26 Oct 2017 · 1 min read डा . रघुनाथ मिश्र 'सहज' के चुनिंदा दोहे माँ तूने जब ओढ़ ली, बेटे की हर पीर. स्वर्णाक्षर से लिख गयी, तब उसकी तक़दीर.. माँ ने माफी मांग ली, गलती पर औलाद. खुद ही तपकर आग में, उसे... Hindi · दोहा 532 Share DrRaghunath Mishr 26 Oct 2017 · 1 min read ग़ज़व मोहब्बत का जादू, असरदार होता, अगर दिल तुम्हारा,ख़बरदार होता। ए दुनियां कसम से,बहुत ख़ूब होती, अगर दिल का कमरा,हवादार होता। ख़ूबसूरत ग़ज़ल, कह गए हैं चितेरे, मज़ा उसको आता,जो हक़दार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 352 Share DrRaghunath Mishr 26 Oct 2017 · 1 min read गीतिका *मापनी मुक्त गीतिका* *समान्त:डरना * *पदान्त:क्या * किया नहीं कुछ बुरा अगर,तो डरना क्या। मस्त जियो यूँ रोज-रोज, फिर मरना क्या। सुनता नहीं जनम से है, गूंगा- बहरा- बेदर्द, है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 402 Share DrRaghunath Mishr 19 Aug 2017 · 1 min read ग़ज़ल तेरी आँखों की गहराई,मुझे पागल बना देगी. तेरे चेहरे की सुन्दरता,मुझे घायल बना देगी. हमारे बीच की ए गुफ़्तगू,कुछ ख़ास लगती है. तेरी बातों की रुन्झुन ही,तेरा पायल बना देगी.... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 381 Share DrRaghunath Mishr 11 May 2017 · 1 min read 'सहज' के दो मुक्तक 1. मुक्तक : 000 कर्म में विस्वाश कर. तनिक दिल में धीर धर. राह कितनी भी कठिन, ध्यान केवल लक्ष्य पर. 000 2. कर्म बिना है, फल नहीं. सिर्फ 'आज'... Hindi · मुक्तक 591 Share DrRaghunath Mishr 11 May 2017 · 1 min read कालजयी बन जाओ कालजयी बन जाओ: एक यथार्थ परक मुक्त छन्द कविता-समीक्षार्थ: अभी -अभी स्वानुभव पर आधारित, विशिष्टतया नकारात्मक सोच वालों के नाम पाती. विमर्श के लिए" 000 प्रतिक्रिया से बचने का डर... Hindi · कविता 1 466 Share DrRaghunath Mishr 9 May 2017 · 1 min read ग़ज़ल जीभ से जो हुआ, जख़्म भरता नहीं। दिल हो जब उदास, धीर धरता नहीं। अवसान की बात,पकड़ो न अभी बस, सुनहरा अवसर,कभी ठहरता नहीं। कर्म भारी हमेशा,रहा शब्द से, शब्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 733 Share DrRaghunath Mishr 8 May 2017 · 1 min read मुक्त छन्द रचना -कालजयी बन जाएँ कालजयी बन जाओ: एक यथार्थ परक मुक्त छन्द कविता-समीक्षार्थ: अभी -अभी स्वानुभव पर आधारित, विशिष्टतया नकारात्मक सोच वालों के नाम पाती. विमर्श के लिए" 000 प्रतिक्रिया से बचने का डर... Hindi · कव्वाली 441 Share DrRaghunath Mishr 8 May 2017 · 1 min read डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज' के चुनिन्दा मुक्तक 1.रखना खुश दिल रहना हिल मिल तोड़ना आसान, जोड़ना मुश्किल. 000 मुश्किल से लड़ें . ह्रिदयों से जुड़ें. ज़मीन पर चलें, हवा में न उड़ें. 000 द्वेष बढ़ने न दें,... Hindi · मुक्तक 246 Share DrRaghunath Mishr 14 Mar 2017 · 1 min read गीतिका: बड़े - बड़ों को, आइना दिखा दिया हमने. हँसना - रोना, व गाना सिखा दिया हमने. कल तलक, जिन्हें मालूम नहीं थीं राहें, आज उनको भी, चला -हिला दिया हमने.... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 422 Share DrRaghunath Mishr 3 Feb 2017 · 1 min read कुण्डलिया छंद जागो प्रियवर मीत रे, कर लें रवि से प्रीत। क्या रक्खा उतपात में,छेड़ें म्रिदु संगीत। छेड़ें म्रिदु संगीत,रहें हर पल आनंदित। बहें हवा में नहीं,करें मत दुख आमंत्रित। कहें 'सहज'... Hindi · कुण्डलिया 477 Share DrRaghunath Mishr 2 Feb 2017 · 1 min read 'सहज' के दोहे -खामोशी खामोशी पसरी रही,लोग रहे भयभीत। दूर-दूर तक मौन थे,छन्द-ग़ज़ल औ गीत। हम जब तक खामोश थे,खूब चल गई पोल। ठान लिया अब बोलना,होगा डब्बा गोल। खामोशी से क्या मिला,समझे गए... Hindi · दोहा 509 Share DrRaghunath Mishr 27 Jan 2017 · 1 min read अन्दर कुछ गुल खिले ह्रदय से ह्रदय मिले. दीप से दीप जले. दूर या पास रहें, अन्दर कुछ गुल खिले. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता / साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित. Hindi · मुक्तक 323 Share DrRaghunath Mishr 27 Jan 2017 · 1 min read बेटी है श्रिष्टा का आधार बेटी है श्रिष्टि का आधार। बेटी स्वयम् है अथाह प्यार। बेटी का अनादर पाप। अनदेखी घोर अभिशाप। अभागे हैं वे यकीनन, जो मारते हैं चुपचाप। भ्रूण हत्या पशुवत व्यवहार। बेटी... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · गीत · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 624 Share DrRaghunath Mishr 27 Jan 2017 · 1 min read बेटी है श्रिष्टि का आधार बेटी है श्रिष्टि का आधार। बेटी स्वयम् है अथाह प्यार। बेटी का अनादर पाप। अनदेखी घोर अभिशाप। अभागे हैं वे यकीनन, जो मारते हैं चुपचाप। भ्रूण हत्या पशुवत व्यवहार। बेटी... Hindi · गीत 1 483 Share DrRaghunath Mishr 23 Jan 2017 · 1 min read यदि कोयल की कूक मयूर की थिरक रिमझिम सावन की खुशबू मधुबन की सच है बहुत प्यारी लगती हैं यदि पेट भरे हों तन ढके हों मौसम अनुकूल हों टूटता है... Hindi · कविता 285 Share DrRaghunath Mishr 17 Jan 2017 · 1 min read अक्षम्य है परिणाम गलती का गलत ही होगा अंततः जानकर की गई गलती अक्षम्य है विवेक है हममें ईश्वर प्रदत्त फिर भी गलती पर गलती सोचें किधर-क्यों चलते जा रहे हैं जान-बूझ... Hindi · कविता 332 Share DrRaghunath Mishr 16 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल जला है दिया, अब अंधेरा हटेगा. सुखों पर लगा है,वो पहरा हटेगा. शिकंजे में थीं चन्द, लोगों के खुशियाँ, आम लोगों से, ज़ुल्मों का डेरा हटेगा. है यह देश सबका,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 345 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 2 min read मुक्त छंद कविता हंस की अंतर्ध्वनि : 000 मैं खुश हूँ 000 जिन्दगी! शुक्रिया तेरा मुझे इंसान नहीं बनाया. मैं खुश हूँ इस रूप में परमात्मा का भी हार्दिक आभार हंस हूँ मैं... Hindi · कविता 2k Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल: चिराग लेके मैं खुद ही को, खोजता यारो । कर्ज़ के बोझ पे दिन-रात,सोचता यारो। ज़ुल्म की आंधियों के बीच है,हॅसना सीखा, सितम पे होके मैं बेखौफ,बोलता यारो। बन्द सदियों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 294 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read गीतिका जीना -जीकर मर जाना , भैया यह क्या बात हुई. कठिन समय में डर जाना,भैया यह क्या बात हुई. कोई मरे कुपोषण से, कोई अतिशय खा -पी कर, प्रश्न टाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 349 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read कुण्डलिया छंद डरता सत्य नहीं कभी, वह होता बेबाक. वह हरगिज़ झुकता नहीं,होती उसकी धाक. होती उसकी धाक, भले आयें तकलीफें सहनशील हो चले, सभी ग़म माथा घीसें. कहे 'सहज' कविराय,सत्य बस... Hindi · कुण्डलिया 1 1 566 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल 2122 2122 2122 212 मात्र भर 26 यति 14,12 क्या करूँ किससे कहूँ मैं, बात कोई ख़ास है. हर यहाँ मालिक कहे है,हर वही पर दास है. ख्वाब में कोठी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 354 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक क़ैदखाने में कहाँ है, शुद्ध जल- ताज़ी हवा. छिन गई मजलूम से है,रोटियाँ - मरहम- दवा. भूख का तांडव ग़ज़ब,पसरा हुआ कुछ इस तरह, लग रहा यूँ दिनों से ,... Hindi · मुक्तक 406 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read 'सहज' के दो मुक्तक: (एक) बंद आँखों से दिखेगा. कब उजाला. बंद होगा छीनना, कबसे निवाला. अब है पिटता दिख रहा, हमको लुटेरो, जल्द ही सारी उमर का, अब दिवाला. 000 (दो) ज्योति ज्ञान... Hindi · मुक्तक 272 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read बेटी-छंद मुक्त कविता घर परिवार माता-पिता दो-दो घरों की रौनक होती है बेटी. समाज की शान देश का उत्थान परिवार का अभिमान ख़ुद में खानदान धरती-आससमान कुटुंब की आन घर की पहिचान श्रृष्टि... Hindi · कविता 827 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक: वरिष्ट सिखाएं-नवोदित सीखें -मिशन है हमारा. सब ही एक दुसरे का-मिल जुल कर-बनें सहारा.' खुद करके खाना, बाँट के खाना,कोई न देगा, सीखें सबक हम -मुफ्त में लेना-नहीं है गवारा.... Hindi · मुक्तक 271 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक: तुझे जी-जान से चाहा. मान-सम्मान से चाहा. सजदा न किया-सच है ए, तुझे अभिमान से चाहा. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 308 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read दोहा मुक्तक आयी बाढ़ बहे सभी, सपने औ अरमान. छिना खेत-गिरवी हुआ, सर्व मान-सम्मान. बनिए ने है कर लिया, तिगुना क़र्ज़ वसूल, गया ब्याज ही ब्याज में, गेहूं-जौ-औ धान. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज... Hindi · मुक्तक 482 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल: किसने लगाई आग, और किस -किस का घर जला. मेरे शहर के अम्न पे , कैसा क़हर क़हर चला. क्या माज़रा है दोस्त, चलो हम पता करें, इस बेकसूर परिंदे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 271 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read .मुक्त छंद रचना: बेटी माँ - बाप की आँखों का नूर पिता का स्वाभिमान समाज का सम्मान कल-कारखानों में खेतों-खलिहानों में दफ्तरों-विभागों में कहाँ नहीं हैं बेटियाँ हमारी फिर क्यों आखिर क्यों जवाब दे... Hindi · कविता 551 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल: ग़ज़ल: ०००० शब्द मूल्यहीन हो गया. कथ्य शिल्पहीन हो गया. कल तलक जो था नया - नया, आज वो प्राचीन हो गया. क्या तरक्कियों का दौर है, आदमी मशीन हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 222 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read हरगीतिका- मात्रा भार 28 संसार के दुख-दर्द का है, अंत आखिर अब कहाँ। खुशियाँ बाँटें विश्व को, ऐसे हैं माहिर अब कहाँ। अवकाश लेकर बैठने में,फायदा क्या है भला, जो बात अंदर ही दबी... Hindi · कविता 376 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read तरही ग़ज़ल लगाये पंख सपनों के, गगन की हूर होती है. चले जब वक़्त का चाबुक, वही बेनूर होती है. सजाये उमर भर जिनको, निहारा नाज़ से पाला, नजर उसकी गजब हमसे,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 543 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read गीतिका: ख़ुशी देख मेरी, वे सब जल रहे हैं. फँसे जाल में वे ,हम यूँ खल रहे हैं. नहीं जानते वे,कि कल क्या है होना, इसी से बरफ में, वे खुद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 248 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read जनक छंद में तेवरी छंद विधान: मापनी: हर प्रथम पंक्ति में मात्राएँ 22 22 212 =13 हर दुसरी पंक्ति में 22 22 212, 22 22 212 अर्थात इस तरह 13,13 पर यति गंदे से... Hindi · तेवरी 394 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read चन्द अध्यात्मिक दोहे: प्रियतम मैं जाऊं कहाँ, दिशाहीन हूँ आज. है कोई मेरा नहीं, बस तू ही सरताज. पंथ निहारूं रात - दिन,खुद का अक्स निहार. खुद से ही तुझसे कहूँ, आ भव... Hindi · दोहा 291 Share DrRaghunath Mishr 31 Dec 2016 · 1 min read दोहा मुक्तक द्वय 1. जाड़े का आतंक है, सन सोलह का अंत. गरीब का जीवन कठिन,गम है घोर अनंत. ऐसे में मौसम बना,जब दुःख का पर्याय, स्वाभाविक ही है बहुत, सिहरन और गलंत.... Hindi · मुक्तक 478 Share DrRaghunath Mishr 31 Dec 2016 · 1 min read कुण्डलिया छंद ठण्ड बड़ी भारी हुई,कटत नहीं दिन रेन. कोहरा अपने चरम पर, कैसे पायें चैन. कैसे पायें चैन, फैसला कौन करे अब. जाड़े में बरसात , दिखाती हो आँखें जब. कहें... Hindi · कुण्डलिया 331 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 2 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' की कुछ रचनाएँ. कुण्डलिया 000 जागो प्रियवर मीत रे ,कहे सुनहरी भोर. चलना है गर आपको , सुखद लक्ष्य की ओर. सुखद लक्ष्य की ओर ,बढेगें अगर नही हम. विपदा होय अभेद्य ,न... Hindi · कविता 1 1 442 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read ग़ज़ल बिछडे, हुए, ,मिलेँ, तो, गज़ल, होती, है. खुशियोँ, के गुल खिलेँ, त गज़ल होती है. वर्शोँ से हैँ, आलस्य के, नशे मेँ हम सभी, पल, भर अगर हिलेँ तो गज़ल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 273 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक हों ऐसे हम खिले-खिले। हों न कभी हम हिले-हिले। नए वर्ष - अभिनन्दन में, ढहें द्वेष के सभी किले। @ डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता /साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 430 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक सच बात है जज़्बात है. हर दिन एक, शुरुवात है. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 497 Share DrRaghunath Mishr 29 Dec 2016 · 1 min read कुण्डलिया छंद राम नाम रटते रहो,नहीं बनेगा काम. कर्म बिना सब व्यर्थ है,इससे ही परिणाम. इससे ही परिणाम,विकल्प नहीं है दूजा. कर्म करे जा नित्य,वही है असली पूजा. कहे 'सहज' कविराय, सद्कर्म... Hindi · कुण्डलिया 527 Share DrRaghunath Mishr 29 Dec 2016 · 1 min read नववर्ष 2017 में भी -मुक्तक नए वर्ष 2017 में भी, हमारी मित्रता में मिठास रहे. आप सब मित्रों में विश्वाश रहे. तनाव -मलिनता से रहें दूर ही,' प्यार-मुहब्बत का आभास रहे. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार... Hindi · मुक्तक 256 Share DrRaghunath Mishr 28 Dec 2016 · 1 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' की कुण्डलिया 1.आशा 000 आशा यूँ मत छोड़ना, आशा ही संसार. इससे ही जीवन चले,है यह ही आधार. है यह ही आधार,याद रखना यह प्रियवर, इससे ही सम्मान, मिलेंगे अछे रहबर, कहे... Hindi · कुण्डलिया 542 Share DrRaghunath Mishr 28 Dec 2016 · 1 min read डॉ.रघुनाथ मिश्र के दो मुक्तक : मुक्तक द्वय 1. आगामी 000 आगामी वर्ष का, स्वागत करेंगे हम. करें कोशिश मिटे, संसार से हर गम. प्रलय से पूर्व गर, हो जायेगा प्रलय, होगा सौभाग्य, मिट जायेगा अहम.... Hindi · मुक्तक 266 Share Page 1 Next