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26 Oct 2017 · 1 min read

डा . रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ के चुनिंदा दोहे

माँ तूने जब ओढ़ ली, बेटे की हर पीर.
स्वर्णाक्षर से लिख गयी, तब उसकी तक़दीर..
माँ ने माफी मांग ली, गलती पर औलाद.
खुद ही तपकर आग में, उसे किया फौलाद..
खुद भूखी सो जाय है,खिला सभी को भात.
चेहरे पर मुस्कान है, ज़र्ज़र बेसक गात..
क़ाबा- काशी छोड़ के, माँ चरणों म़ें बैठ.
पाल- पोस चंगा किया, मत उस पर तू ऐंठ..
माँ धड़कन -माँ सांस है, माँ शरीर-माँ जान.
दर्द अगर उसको दिया, बरवादी तय मान..
-डा.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
( दोहा बानगी विशेषांक ‘शेषामृत’ अंक अप्रैल -जून 2013म़ें प्रकाशित 7 दोहों म़ें से)

Language: Hindi
468 Views
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