arti lohani 65 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid arti lohani 22 Mar 2018 · 1 min read क्यों क्यों ? जीवन के इन पथरीले रास्तों में। जब पलट कर देखती हूँ पीछे मुड़कर तुम्हें बदहवास सी बस ढूंढती ही रहती हूं क्यों? तुम मुझे मिल न पाए समाज... Hindi · कविता 3 1 626 Share arti lohani 18 Mar 2018 · 1 min read सहारा पा लिया हमने सहारा पा लिया हमने जो तेरी आरजू थी तो किनारा पा लिया हमने बिना मांगे ही जो तेरा सहारा पा लिया हमने मिरे गुरवर की ऐसी कृपा मिली ये जो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 358 Share arti lohani 26 Feb 2018 · 1 min read निशानियां रख जा जाते जाते निशानियां रख जा अपनी यादों की गर्मियां रख जा कितना तड़पा हूं मैं जो तेरे लिए मिलने की कुछ तो नर्मियाँ रख जा इक न इक दिन तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 333 Share arti lohani 18 Feb 2018 · 1 min read खुशनसीब हो जाता 2122 1212 22 कितना मैं खुशनसीब हो जाता गर तू मेरे करीब हो जाता जो परिंदा मिला है सनम से यूँ। काश मैं भी मुनीब हो जाता तुझमें बस मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 431 Share arti lohani 16 Feb 2018 · 1 min read मजहबी फासले मज़हबी फासले न भाते हैं। हम सभी को गले लगाते हैं।। दिल से उसने निकाल फेंका तो। ख़ुद को ख़ुद के करीब पाते हैं।। मुद्दतें बीती उन्हें मनाने में। आज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 379 Share arti lohani 11 Feb 2018 · 1 min read मजहबी कायदे मज़हबी फासले न भाते हैं। हम सभी को गले लगाते हैं।। दिल से उसने निकाल फेंका तो। ख़ुद को ख़ुद के करीब पाते हैं।। मुद्दतें बीती उन्हें मनाने में। आज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 535 Share arti lohani 11 Jan 2018 · 1 min read शहीद की अंतिम यात्रा सागर का पानी कम पड़ गया होगा, जब नयी नवेली दुल्हन ने मेहन्दी उतारी होगी. उस बहन के आँसू कैसे थमे होंगे, कलाई में कुछ दिन पहले राखी बाँधी थी.... Hindi · कविता 2 693 Share arti lohani 6 Jan 2018 · 1 min read प्यार वो छुपाते हैं 2122 1212 22 प्यार है तो क्यों वो छुपाते हैं। हर घड़ी वो तो आजमाते हैं आज तुम जो मिले नसीबों से। अपना अब तुम्हें हम बनाते हैं जो निगाहें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 336 Share arti lohani 30 Dec 2017 · 1 min read ये कैसी चली हवा है 122 122 122 122 वहम था जिसे बस यही वो खुदा है।वही आज तूफां में औंधा पड़ा है।। सने हाथ उसके पिता के लहू से। खुदा जाने कैसी चली ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 562 Share arti lohani 27 Dec 2017 · 1 min read न तक़रार कर 212 212 212 क्यों सरेआम तक़रार कर। फिर इसे तू न अखबार कर।। प्यार कर ले तू मुझे शौक से। अब कभी तू न तकरार कर सांस लूँ जब भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 508 Share arti lohani 27 Dec 2017 · 1 min read अपना हुआ है जहां देखतीं हूं वहां तुम ही तुम हो ! ये सच है या आँखों को धोखा हुआ है।। बुलंदी ने मगरूर इतना किया है अलग तो तभी खुद से साया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 530 Share arti lohani 22 Dec 2017 · 1 min read प्यार कर 212 212 212 क्यों सरेआम तक़रार कर। फिर इसे तू न अखबार कर।। प्यार कर ले तू मुझे शौक से। अब कभी तू न तकरार कर सांस लूँ जब भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 424 Share arti lohani 22 Dec 2017 · 1 min read रूठा तुझसे, तुझे ही मानता गीत रूठा हूँ तुझसे,तुझे ही मनाता हूं। बस इसी तरह जिंदगी बिताता हूँ।। मेरी शब का तू ही माहताब है। प्रीत की बगिया का महकता गुलाब है । हजार मुश्किलें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 485 Share arti lohani 27 Nov 2017 · 1 min read जीने का इरादा दुखों को छोड़ जीने का इरादा कर लिया मैंने कि परियों के शहर में अब ठिकाना कर लिया मैंने।। ग़मों ने आज ठानी जो हराने की मुझे तो क्या बिना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 269 Share arti lohani 23 Nov 2017 · 1 min read प्रीतम से मिलन बड़ा अजीब था वो तेरा पहली बार मिलना गुफ्तगू,इधर-उधर की बातें धीरे-धीरे मुलाकात बड़ी फिर एहसास बड़े अचानक एक दिन हाथ तेरा ले हाथों में उड़ चली मुक्त गगन में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 439 Share arti lohani 21 Nov 2017 · 1 min read नसीब नसीब ने कभी मुझे ख़ुशी का पल दिया नहीं। अमीर आज भी हूँ मैं कि मुझको कुछ गिला नहीं। कभी तो मुड़के आयेगा इसी उमीद पर ही तो। सुलग रहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 325 Share arti lohani 11 Nov 2017 · 1 min read आत्मग्लानि लघु कथा आत्मग्लानि "मां.. मां देखो एक ट्रक आकर रूका है अपनी खोली के बाहर.. जल्दी आओ।" छ: साल का भुवन हाईवे की तरफ से दौड़ता हुआ आया। "अरे तू... Hindi · लघु कथा 2 1 463 Share arti lohani 22 Oct 2017 · 1 min read गरीबों पे निशाने मुहब्बत में वो आजमाने लगे। कि पाने में जिनको ज़माने लगे।। कभी अजनबी बन सफर में मिले। कि देखो वही दिल पे छाने लगे।। खबर मौत की सबको शायद हुई।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 297 Share arti lohani 16 Oct 2017 · 1 min read सामंजस्य दिलदिमाग और जिस्म के बीच कैसे सामंजस्य बिठाती होगी दिल,दिमाग और जिस्म के बीच कैसी मज़बूरी होगी रोटी के निवालों और सांसों की डोरी के बीच कितना अजीब शब्द है ये धंधा दाल रोटी कपडा... Hindi · कविता 274 Share arti lohani 16 Oct 2017 · 1 min read सामंजस्य दिलदिमाग और जिस्म के बीच कैसे सामंजस्य बिठाती होगी दिल,दिमाग और जिस्म के बीच कैसी मज़बूरी होगी रोटी के निवालों और सांसों की डोरी के बीच कितना अजीब शब्द है ये धंधा दाल रोटी कपडा... Hindi · कविता 331 Share arti lohani 7 Oct 2017 · 1 min read माँ देती दुआएं हैं ग़ज़ल ---- सुहाना है ये मौसम हर तरफ फैली लताएं हैं। ये बेलें हैं,घनी जुल्फें या बस तेरी अदायें हैं। कभी आकर यूँ ही जो लिक्खे थे किस्से मुहब्बत के।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 530 Share arti lohani 6 Oct 2017 · 1 min read जिंदगी के मोड़ पर जिंदगी के मोड़ पर बालों में चांदी दांतों में सोना आ गया उम्र के इस पड़ाव में तू साया बन मिल गया शिकायत खुद से करूँ या करूँ रब से... Hindi · कविता 294 Share arti lohani 6 Oct 2017 · 1 min read गंगा बचानी है ग़ज़ल---- शिकायत कुछ नहीं तुमसे, मगर इतना बता दो तुम। जुदा हम क्यों हुए किस बात पर रुठे बताओ तुम।। गुजारे थे जो लम्हे प्यार में उन लम्हों की ख़ातिर।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 491 Share arti lohani 5 Oct 2017 · 1 min read मुहब्बत हुई श्याम से सब काम हुए आराम से । जब मुहब्बत हुई श्याम से ।। कैसे कहूँ मैं व्यथित बहुत हूँ । तुम बिन मैं विचलित भी बहुत हूँ। कब से पुकारूँ ओ... Hindi · कविता 266 Share arti lohani 3 Oct 2017 · 1 min read हुई मुहब्बत श्याम से सब काम हुए आराम से । जब मुहब्बत हुई श्याम से ।। कैसे कहूँ मैं व्यथित बहुत हूँ। तुम बिन मैं विचलित भी बहुत हूँ कब से पुकारूँ ओ मेरे... Hindi · कविता 1 323 Share arti lohani 2 Oct 2017 · 1 min read नारी नारी का तन । नहीं कोई वस्तु । पवित्र मन ।। माँ का प्यार । कम न होगा कभी । है बेशुमार ।। एक भारत । फिर जुदा क्यों है... Hindi · हाइकु 1 1 762 Share arti lohani 26 Sep 2017 · 1 min read एक किताब लिखूं सोचा एक किताब लिखूं। उसमें तेरा जिक्र लिखूं। सुबह से शाम हुई। सोचते हुए रात भी बीती । क्या लिखूं समझ न आया। तू तस्वीर है या मेरा साया। सांसों... Hindi · कविता 442 Share arti lohani 25 Sep 2017 · 1 min read बेटी का ससुराल पीहर आयी बेटी से पिता ने पूछा, उसकी उदासी का कारण माँ ने पूछा, परेशानी है या कोई दुख, चेहरा क्यों धूमिल पडा है, गम की परछाइयां साफ दिखती, हुआ... Hindi · कविता 1 833 Share arti lohani 22 Sep 2017 · 1 min read याद न होती इक बस तुमको पाया होता जहां क़दम में सारा होता यादें न होती नींद तो आती ख़्वाब कोई तो चमका होता हर मुश्किल आसां हो जाती तुमने हाथ जो पकड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 372 Share arti lohani 19 Sep 2017 · 1 min read ख़ामोशी बहुत ही तेज होती हैं ये ख़ामोशी की आवाजें। दिलों को चीर देती हैं ये ख़ामोशी की आवाजें। ये अब तू ही बता जाऊं कहाँ अब छोड़कर इनको। बहुत झकझोर... Hindi · मुक्तक 1 616 Share arti lohani 16 Sep 2017 · 1 min read बोल माँ कैसे तुझे पुकारूँ मॉ ( कविता) -- आरती लोहानी कैसे तुझे पुकारूँ हे मॉ ! बोल कोख में क्यों मारा ,मॉ ! कैसे आप बनी हत्यारिन । मातृत्व आपका हारा... Hindi · कविता 975 Share arti lohani 15 Sep 2017 · 1 min read अरमानों के कफ़न चहुँओर दनुजता क्रूर भाव ले टहली! मानवता की, दी कमर, तोङ दी पसली। कोंपले नयी खिलने से पहले मसलीं, पर बनी रही,बहरी दिल्ली न दहली।। खत्म हो रहे मात-पिता के... Hindi · कविता 292 Share arti lohani 14 Sep 2017 · 1 min read बोलो माँ कैसे तुझे पुकारूँ मॉ ( कविता) -- आरती लोहानी कैसे तुझे पुकारूँ हे मॉ ! बोल कोख में क्यों मारा ,मॉ ! कैसे आप बनी हत्यारिन । मातृत्व आपका हारा... Hindi · कविता 807 Share arti lohani 14 Sep 2017 · 1 min read हिंदी मेरी जान अंनन्त काल से अविरल बहते हुए, सदियों से यूँ ही निरंतर चलते हुए, भिन्न-भिन्न बोलियों की गंगोत्री तुम, अपनी विशाल संस्कृति संजोते हुए. मत करो चिन्तन अपने अस्तित्व के लिये,... Hindi · कविता 617 Share arti lohani 11 Sep 2017 · 1 min read मुझको बता दे मेरा दिल परेशां करूँ क्या बता दे। कहाँ जा के रोऊँ वहाँ का पता दे।। लिपटकर थी रोई जो इक दिन मैं तुझसे । इसी बात पर तू मुझको हंसा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 466 Share arti lohani 10 Sep 2017 · 1 min read किताब सोचा एक किताब लिखूं। उसमें तेरा जिक्र लिखूं। सुबह से शाम हुई। सोचते हुए रात भी बीती । क्या लिखूं समझ न आया। तू तस्वीर है या मेरा साया। सांसों... Hindi · कविता 1 648 Share arti lohani 5 Sep 2017 · 1 min read प्रकृति शिखरिणी छंद । सघन वन । खोते अस्तित्व । भीगे नयन ।। कैसे हो वर्षा । खत्म होते पेड़ । मन तरसा ।। हमें है लोभ । तभी तो काटे... Hindi · हाइकु 1 762 Share arti lohani 31 Aug 2017 · 1 min read धरती अम्बर धरती प्यासी है मिलन को अपने अम्बर से, अम्बर भी बेक़रार है प्रणय मिलन को प्रेयसी से, कैसी प्रीत है सदियों से यूँ ही , तरसते हैं,तड़पते हैं मिलने एक... Hindi · कविता 732 Share arti lohani 19 Aug 2017 · 1 min read प्रेम प्रेम क्या है? समर्पण मात्र या अर्पण। प्रेम भावों का तीव्र वेग है। आता है और कुछ पल ठहरता है । डूब गया जो इस ठहराव में। बह गया जो... Hindi · कविता 714 Share arti lohani 15 Aug 2017 · 1 min read प्रकृति शिखरिणी छंद । सघन वन । खोते अस्तित्व । भीगे नयन ।। कैसे हो वर्षा । खत्म होते पेड़ । मन तरसा ।। हमें है लोभ । तभी तो काटे... Hindi · हाइकु 669 Share arti lohani 13 Aug 2017 · 1 min read वो एक नदी हिमखंडों से पिघलकर, पर्वतों से उतरकर, खेत-खलिहानों को सींचती, कई शहरों से गुजरकर, अविरल बहती आगे बढ़ती, बस अपना गंतव्य तलाशती, मिल जाने, मिट जाने, खो देने खुद को आतुर,... Hindi · कविता 657 Share arti lohani 8 Aug 2017 · 1 min read ख्वाइशें ख्वाइशों का खिला आसमान है, दुआओं के उठे हजारों हाथ भी, एक भी ख्वाईश पूरी होती नही फिर भी। कमबख्त ये कैसी साजिश है । ख्वाब बनकर कोई आता है,... Hindi · कविता 278 Share arti lohani 8 Aug 2017 · 1 min read ख्वाहिशें ख्वाइशों का खिला आसमान है, दुआओं के उठे हजारों हाथ भी, एक भी ख्वाईश पूरी होती नही फिर भी। कमबख्त ये कैसी साजिश है । ख्वाब बनकर कोई आता है,... Hindi · कविता 1 510 Share arti lohani 4 Aug 2017 · 1 min read कुछ नही पहले सा इस शाख तो कभी उस शाख उड़ती थी पहले खत्म होती धरा में अब उदास सी टहले, गोरैया उड़-उड़ मुंडेर पर चहकती थी सुबह-शाम, अब बची कौन सी शाख जिस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 279 Share arti lohani 31 Jul 2017 · 1 min read रोटी की जद्दोजहद दो रोटी की जद्दोजहद में । सुबह से रात हुई ।तलाशने निकले घर से । जिंदगी बेहाल हुई ।। घर से दूर निकल आये । अपनों से बिछड़ गए ।... Hindi · कविता 1 378 Share arti lohani 18 Jul 2017 · 1 min read कागज की कश्ती किसी ने भेजकर कागज की कश्ती बुलाया है समन्दर पार मुझे. वो नादाँ है क्या जाने दुनिया लगी है डुबाने मुझे. डगमगाती कभी संभलती वो, लहरों से फ़िर भी लडती... Hindi · कविता 529 Share arti lohani 8 Jul 2017 · 1 min read मानसून आयी बरसा। उदास किसान का । मन हरषा ।। आग का गोला । देता है ये जीवन । दहके शोला ।। कुछ हो कम। सूरज की तपन । धरा हो... Hindi · हाइकु 1 528 Share arti lohani 6 Jul 2017 · 1 min read क्या उत्तर दोगे ज़माने को उदासी थी सिसक रही, मेरे ही लफ्जों में। जैसे की मैं दफ़्न हूँ ,अपने ही कब्रों में। कैसे जला दूँ ,तेरे लिखे खतों को । हिफाजत से रखे हैं संभाले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 301 Share arti lohani 4 Jul 2017 · 1 min read कहाँ आ गए हम ये कौन सी मंजिल,कहाँ आ गये हम. धरा है या क्षितिज,जिसे पा गये हम. ज़िंदगी के इस मोड़ पे मिले हो तुम, सारा जहाँ छोड़,तुम्हें भा गये हम. उतरते रहे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 477 Share arti lohani 3 Jul 2017 · 1 min read अंतर्मन की पीड़ा किसे और कैसे बतलाऊँ किसे और कैसे बतलाऊँ अन्तर्मन की पीडा को कौन यहॉ है,जो समझेगा सम्वेदन की पीडा को । कोई नहीं दुनिया में अपना सभी यहॉ बेगाने हैं... Hindi · गीत 1 1 750 Share Page 1 Next