Mahender Singh 817 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 12 Next Mahender Singh 29 Dec 2019 · 1 min read परिपक्वता पापा के दोस्त और बेटे के दोस्त, एक लघुकथा जो परिपक्वता पर आधारित, एक रात मैंने अपने बेटे गौरव को शिक्षार्थ नींद से जगाया, और एक समस्या का ब्यौरा दिया,... Hindi · लघु कथा 5 2 717 Share Mahender Singh 27 Dec 2019 · 1 min read प्रकृति राष्ट्रवाद से अनभिज्ञ लघुकथा :- ******* वह देश के साथ बिलकुल नहीं था, एक बार के विद्रोह ने ही पोल खोल दी वह तिलमिला गया, उसने अब जो भी प्रस्तुतियां दी थी, ये... Hindi · लघु कथा 3 1 459 Share Mahender Singh 21 Dec 2019 · 1 min read मेरा भारत महान धातु धातु होती है द्रव गैस गैस द्रव पानी पानी है सभी द्रव्य नीचे धरातल ऊपर आकाश, लहू लहूलुहान हुआ, बताओ अब इनकी जाति जाति है के जाती नहीं ये... Hindi · कविता 3 1 452 Share Mahender Singh 21 Dec 2019 · 1 min read कवाब पर हड्डी माना की बहरे हो पर अन्धे भी हो ये तुमने सिद्ध कर दिया, अब दिमाग कोई मायने नहीं रखता, जो मन आये वो करो ऐसा भी हरगिज़ नहीं होगा. आज... Hindi · कविता 4 1 466 Share Mahender Singh 18 Dec 2019 · 1 min read रहस्य बेनकाब मत दे *जवाब भले चुप रह, तेरा *आगाज़ तो बता दिखा, कैसे है तू सरताज़ बना हुआ, काबिल तू नहीं न ही काबिज, हरेक लेता तेरा नाम क्यों भला. डॉ.... Hindi · मुक्तक 4 1 505 Share Mahender Singh 17 Dec 2019 · 1 min read जरूरत @लघुकथा एक दिन रास्ते से गुजरते हुए बस यूं ही देखते हुए गुजर रहा था जिन लोगों ने कूड़ा समझकर डाल दिया था, कुछ लोग उसे इकट्ठा कर रहे थे, यही... Hindi · लघु कथा 3 513 Share Mahender Singh 17 Dec 2019 · 1 min read उतावला बहुमत सरकार के उतावलापन या पूर्ण बहुमत के फैसले ? ( उदाहरण नंबर 1 ) वैद्य जी बहुत बार मरीज आकर आपसे पूछते है. मुझे नहीं मालूम मुझे क्या हुआ है... Hindi · लेख 4 3 242 Share Mahender Singh 16 Dec 2019 · 1 min read नजरिये नजरअंदाज नहीं होते वो शासक ही क्या ? जिससे प्रजा नाराज न हो ? उठे विरोध और भी ज्यादा ? जो लगे काम हुये ! और भी ज्यादा ! जो माँगे रोटी दिखाकर... Hindi · कविता 4 2 280 Share Mahender Singh 14 Dec 2019 · 1 min read भारतीय लोकतंत्र प्रथम कुछ तो है मेरे देश समाज में, जो इतने हैं खफ़ा खफ़ा, सबकुछ एक है जैसा, फिर भी सबकुछ जुदा जुदा. गर अतीत में है जहर , क्या मिटाना असंभव... Hindi · कविता 4 4 593 Share Mahender Singh 14 Dec 2019 · 1 min read जाग रे जोगिया @गीत रंग रे जोगिया रंग ले तन नहीं मन नहीं रंग रे जोगिया हटे पसंद खुले नींद उठ जाग रे हटे रंग समझ बदरंग प्रेम संग पैदा हो प्रीत सेवा हो... Hindi · गीत 3 657 Share Mahender Singh 14 Dec 2019 · 1 min read भोग भी एक रोग भोग बना रोग नहीं ये संयोग, मर्ज खरा स्पष्ट, डरते रहे लोग. . अंधकार गहरे दिन नहीं स्पष्ट बाहर है तमस् शयन के उत्सुक . भूल गये भूख ये प्रकृति... Hindi · कविता 2 1 468 Share Mahender Singh 13 Dec 2019 · 1 min read खोई हुई संपदा @लघुकथा एक हास्यव्यंग सबने सुना होगा, हँसी किसी को नहीं आई, एक आदमी का एक सिक्का रेत मे गिर गया, अंधेरा था, बड़ी मुश्किल हो गई, वह छलनी लेकर आया, स्थान... Hindi · लघु कथा 2 642 Share Mahender Singh 13 Dec 2019 · 1 min read बिना नींव वा छत के स्मार्ट सिटी @लघुकथा कन्हैया ने पीएचडी. पास किया. वह दिशा निर्देशक बनना चाहता है, उससे पहले एक नारे ने उसे दिशा दे दी, सबकुछ जैसे उसकी इच्छा के खिलाफ हो, खैर कुछ नेता... Hindi · लघु कथा 3 2 409 Share Mahender Singh 12 Dec 2019 · 1 min read सफ़ेद बकरी वो भी तीन थन वाली @हास्यव्यंग व कहानी मेरी कहानी में पात्रा नहीं पात्र है नरेन्द्रा उसे एक तीन थन वाली सफ़ेद बकरी मिल गई. अब क्या था. उसने एक तडीपार को अपनी योजना समझाई, उसे कहानी समझ... Hindi · कविता 3 4 427 Share Mahender Singh 12 Dec 2019 · 1 min read जीवन ही है सृजन में मूल जीवन ही है सृजन में मूल खिलते है धरा पर इसके फूल, हर खूशबू तुझसे इत्र तो भौतिक आयोजन तू है तो जिंदा हंस मेरा नीर क्षीर मुश्किल नहीं. तू... Hindi · कविता 3 2 252 Share Mahender Singh 11 Dec 2019 · 1 min read जिसने कष्ट सहे केवल वे जन्मे जग बदला हाँ बदला नीर क्षीर बदला हाँ हो चुका गदला पहले हिचकी याद थी अब एक बीमारी ढ़कोसलों की सूची में एक कमला एक गमला क्या चित्रकारी है. कोई... Hindi · कविता 4 3 277 Share Mahender Singh 10 Dec 2019 · 1 min read दोहन करो मटक मटक के गया भटक रही न रतिभर चटक, रचे रचाये खूब संवाग, कौन सुध जब गया अटक. . कहते तेरा तुझको अर्पण मालूम नहीं विध समर्पण देख न पाये... Hindi · दोहा 3 3 442 Share Mahender Singh 9 Dec 2019 · 1 min read सिलसलेवार सिलसिले कुछ सिलसिले सिलसलेवार चले रुक न सके कम नहीं हुये खत्म होते भी तो कैसे हो गये हम इतने पढ़े लिखे. अनपढों ने खिंचा जिसे उस आस्था को तोड़ते कैसे... Hindi · कविता 3 2 271 Share Mahender Singh 9 Dec 2019 · 1 min read बेटियाँ और छद्म राष्ट्रवाद हिरण गाय शेर भगेरे चीते से भी कम आकी गई मेरी लाडो. ये छद्म राष्ट्रवाद है तू राष्ट्रवाद से बाहर है कहाँ छुपाते उन्हें कैसे लतियाते मिल बैठकर आज बतियाते... Hindi · कविता 3 1 514 Share Mahender Singh 8 Dec 2019 · 1 min read जिंदगी और पहल नृत्य प्रकृति करती है अस्तित्व मेरा द्रष्टा हर संयोग उससे जुड़े हुआ, कोई रोता है कोई हँसता, तरंगों का खेल है, सर्प नहीं देखता, चाँदनी रात में ज्वार भाठा बनता... Hindi · कविता 4 3 328 Share Mahender Singh 8 Dec 2019 · 1 min read हास्यव्यंग याद आती है वो मगर खुद आती नहीं हिचकी आती है भूल पड़ती नहीं नाम लेती है वो नाक बहती है याद उसकी छींकें बढ़ाती है कभी ठण्ड गर्मी कभी... Hindi · कविता 3 1 440 Share Mahender Singh 8 Dec 2019 · 1 min read अबला और शास्त्र हिरण गाय शेर भगेरे चीते से भी कम आकी गई मेरी लाडो. कहाँ छुपाते उन्हें कैसे लतियाते मिल बैठकर आज बतियाते सोमरस सुरापान पीकर चौतरफे पाकर समाजवाद राष्ट्रवाद निभाती सरकारें... Hindi · कविता 3 1 410 Share Mahender Singh 8 Dec 2019 · 1 min read धोखे और सलीके आज समाज आहत ! धोखे से नहीं ! सलीके से आहत है ! चिंता है राम घनश्याम री, ✍️ कथा गाथा पकडे माथा प्रकृति अनजान सी भेष कब से पहचान... Hindi · कविता 3 1 800 Share Mahender Singh 7 Dec 2019 · 1 min read जिंदगी और मैं #जिंदगी_और_मैं एक व्यवस्था है इशारे उसके चालें मेरी रंग उसके बदरंग नहीं, चाहत मेरी अपनी कुछ नहीं, दिये जो उसने, दिल से लगाया और गुनगुना दिये यही सौगात उसकी, हमने... Hindi · कविता 3 1 386 Share Mahender Singh 7 Dec 2019 · 1 min read बहरे लोग सोया समाज कौन किसकी सुनता कुछ बहरे हुये किसी को ख्याल न था कुछ सियाने कोई चोर शातिर गिरोह अपना तो सबकुछ गया कैसे कह देते बसा लो अपने सपनों का भारत... Hindi · कविता 3 1 567 Share Mahender Singh 6 Dec 2019 · 1 min read अतीत का पाखंड आज की परंपरा अंधाधुंध की कमाई मन में रही न समाई साख मिली सजी सजाई एकदिन होनी है राख तनिक बात समझ न आई कैसे बँट गई ये कोख परिधान पुराने शोख श्मशानघाट... Hindi · कविता 3 1 584 Share Mahender Singh 5 Dec 2019 · 1 min read परख लॉबिंग लिंचिंग अतिवृष्टि मैं कहिन आँखिन देखी, तुम फँसे अपनी कथनी , व्रत किया उपवास नहीं, लिये खडे धूप अगरबत्ती, मेरी चाहत मुझ ही से पूरी . आज नहीं कोई भी अधूरी, जब... Hindi · कविता 3 1 440 Share Mahender Singh 1 Dec 2019 · 1 min read किराए के किरदार किसे कहते कौन सुनते सबके अपने अपने संसार कोई खुद से परेशान कोई परेशान खुदा से आपबीती सुनते किसी से करते मिला वो भी व्यापार मन की बातें भी ठग... Hindi · कविता 3 1 622 Share Mahender Singh 30 Nov 2019 · 1 min read एक बूंद का सफर एक बूँद थी जो उठी धरा के आगोश से , चढ़ गई बादलों संग आकाश में, प्रवाह नहीं वजूद की, सुरक्षित बादलों की गोद थी उड गये होड चमक जो... Hindi · कविता 5 1 698 Share Mahender Singh 30 Oct 2019 · 2 min read वोटर और चुनाव एक आदमी जो झोल़ा उठाये दिनभर घूमता सुबह एक नियमित समय शायं घर लौटने का भी दिनभर लोग ताश खेलने, हुक्का पीने, हररोज शायं शराब की लत, घर की मूलभूत... Hindi · कहानी 4 1 296 Share Mahender Singh 27 Oct 2019 · 1 min read जीतने के लिये हारना लाख गहरे हो घाव, भर जाते हैं, कम से कम, अपनों के दिये ना हो, . टूट जाते हैं अक्सर, आइने, अपना फर्ज़ नहीं भूलते, हर वो टुकड़ा, आपको आपकी... Hindi · कविता 3 1 384 Share Mahender Singh 18 Oct 2019 · 1 min read सफलता और रहस्य जो लोग असफल यानि फेल्योर होते हैं वे होते ही हैं इसीलिए होते हैं ? ( कारण कोई खास या विशेष / गुप्त या रहस्य नहीं. बातें पुरातन, शास्त्र-सम्मत, और... Hindi · लेख 4 1 228 Share Mahender Singh 14 Oct 2019 · 1 min read आपका मत विशेषाधिकार भीड़ बढ़ी है. बड़ी है ! EVM का जमाना. बालू रेत सा टिल्ला, संभलकर चलना, याददाश्त नहीं हैं, इतिहास साक्षी मोम सा पिंघलना, अवशेष नहीं छोड़ता, पहले भी लाक्षागृह. सजे... Hindi · कविता 4 1 338 Share Mahender Singh 12 Oct 2019 · 1 min read भगवान की परिकल्पना कमजोर असहाय मंदबुद्धि कर्महीन आलसी लोगों का मार्ग है तथाकथित धर्म. कुछ चालाक लोग के लिए. बचने का मार्ग ..भी, कूडेदान की तरह इस्तेमाल गलतियां करके भगवान को जिम्मेदार बताना.... Hindi · लेख 4 2 663 Share Mahender Singh 8 Oct 2019 · 1 min read राष्ट्रवाद और विवेक एक आदमी धर्म अधर्म के मार्ग पर जब तक नहीं चल सकता जब तलक उसके पास अपना ज्ञान/विवेक बोध नहीं होता . तब तक वह किसी #विचारधारा का #संवाहक ही... Hindi · लेख 4 2 472 Share Mahender Singh 2 Oct 2019 · 1 min read डिजिटल इंडिया और पाँच सौ का नोट #Digital_India पर व्यंग्य ? छोटे दुकानदार के पास अगर ग्राहक #पाँच_सौ या #दो_हजाररुपये का नोट. लेकर पहुंचता है तो ये मत समझना #ग्राहक के पैसे हैं. बल्कि उधार के हैं.... Hindi · लेख 4 1 354 Share Mahender Singh 29 Sep 2019 · 1 min read अंधभक्ति और सुकून जी हाँ आज फिर वो पश्चाताप के नो मुकर्रर दिन आ पहुंचे है. जिसमें सब पश्चाताप करेंगे ? संकल्प तो बिलकुल नहीं होंगे. हमने जो अतित में सहन किया. प्रकृति... Hindi · लेख 3 1 359 Share Mahender Singh 21 Sep 2019 · 1 min read जीवन एक गाथा(धार्मिक व्यथा) जिंदगी एक गाथा है धर्म ही व्यथा है. याद नहीं व्यवस्था. ढलती अवस्था . बढ़ता अस्थमा. सांँसों में अस्त-व्यस्तता. समय में बदलाव. सुबह रही न साँझ. आदमी व्यस्त इतना. लगती... Hindi · कविता 4 1 276 Share Mahender Singh 22 Aug 2019 · 1 min read बज़्म 2 हमने सुन ली तुम भी सुन लो अपने दिल से अज़ब कहानी छूट जाये तो कहना मन से बेईमानी दिख रहा है सतत खडा है सुनो कहानी फितरत देती मंशा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 693 Share Mahender Singh 16 Aug 2019 · 1 min read देश की मुख्यधारा ही दोषपूर्ण आजादी से पहले का हिंदुस्तान संवैधानिक देश भारत से पहले यह मुल्क कैसा रहा होगा जब आजादी के 73वें वर्ष सभ्यता, संस्कृतिवान्, सनातन विश्व गुरु भारत की पोल. अनेकता में... Hindi · लेख 3 1 226 Share Mahender Singh 29 Jul 2019 · 1 min read गुरुपद एक रुपये की माचिस दस रुपये की धूपबत्ती दूजे स्थापित हो अराध्य देव की मूर्ति ! हों न भले कोई संस्कार चलेगा जरूर व्यापार. अनपढ़ भी चलेगा. मंत्र पढ़ने वाला... Hindi · कविता 4 1 457 Share Mahender Singh 26 Jul 2019 · 1 min read कारवाँ रुकता नहीं कारवाँ चले सिलसिलेवार चले कभी पतवार संग कभी लहर चले होंगे विरोध बडे कोई बीच मझदार कुछ किनारे खडे फिर भी कारवाँ चले सिलसिलेवार चले तुम डरना मत हक छोडना... Hindi · कविता 4 1 270 Share Mahender Singh 24 Jul 2019 · 2 min read कुछ लोग ज्यादातर गलत समझते हैं जी हाँ दुनिया का एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है, खासकर भारत में जहाँ धर्म धार्मिकता के नाम पर लोगों को सोच को सीमित किया गया है, ऐसा इसलिये है... Hindi · लेख 4 1 813 Share Mahender Singh 22 Jul 2019 · 1 min read जीवन परमात्मा है कुछ बोझ मेरे अपने हैं, एक ओर जमाना दूसरी तरफ़ मेरे चाहने वाले हैं. चाहत सबको है. कुछ देकर चुकाते है, कोई लेकर छुपाते है. कोई रोब दिखाकर लूट लेता... Hindi · कविता 5 1 260 Share Mahender Singh 21 Jul 2019 · 1 min read आदमी परिचय का मोहताज़ है *लोग यानि भीड़ *आदमी यानि बोझ तले दबा हुआ, *मनुष्य मतलब मन-अनुकूल *व्यक्ति यानि एकल *इंसान मतलब प्रकृति पर्सनैलिटी के दायरे सेहत से चरित्र के सिर्फ़ कामवासनाओं से कहीं ज्यादा... Hindi · लेख 4 1 601 Share Mahender Singh 16 Jul 2019 · 2 min read गुरुपूर्णिमा उपदेश की नींव पर यह प्रचारक समाज क्या कभी उदाहरण बन पायेगा. तुलसी, वट,पीपल को पूजने वाले लोग. क्या कभी इनके गुणों से लाभान्वित हो पायेंगे . नोट या सिक्के,... Hindi · लेख 4 1 346 Share Mahender Singh 15 Jul 2019 · 1 min read नास्तिकता नकार या स्वीकार धर्म की स्थापना वा धर्म की हानि दोनों का प्रकृति वा अस्तित्व पर एक समान नुकसान. मनुष्य किसी भी विचारधारा का हिस्सा बनकर सर्वप्रथम निजत्व को अस्वीकार करता है. जबकि... Hindi · लेख 4 2 507 Share Mahender Singh 30 Jun 2019 · 1 min read बज़्म इन पत्थरों में अल्लाह ईश्वर. खोजने वालों.. थोडा संभलों जरा.. इन बस्तियों में कौन बसता है. . ??ये भी कोई राज है. बहुमत नाराज है.? बेटा भूखा आज है. घर... Hindi · कविता 5 1 816 Share Mahender Singh 25 Apr 2019 · 1 min read अंधभक्ति और उसका कहर भक्त अपने भगवान के बारे में अलग अलग समय पर विभिन्न मुद्राओं विभिन्न स्थानों पर विभिन्न कल्पनायें करता है..वह कभी उसे आसमां में निहारते है..तो कभी पाताल.. भूत भविष्य में..कभी... Hindi · लेख 4 3 330 Share Mahender Singh 25 Apr 2019 · 1 min read असाध्य महामारी कौओं की पंचायत चौकीदारों की जमात फफूँद का रोग बेमौसम पनपती खरपतवार ऐसे महामारी रोग हैं जो लाइलाज़ प्रचंडता पर है. ये बीमारियां परिवार, समाज, समुदाय सबको प्रभावित/खोखला करेगी.? Hindi · लेख 4 1 429 Share Previous Page 12 Next