विनोद सिल्ला 581 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 10 Next विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read प्रश्न चिह्न प्रश्न चिह्न द्रौणाचार्य अगर थी तेरे पास अस्त्र-शस्त्र की की अनूठी विधा तो क्यों काटा एकलव्य का अंगूठा सिखा देता अपने अर्जुन को धनुर्विद्या के वो हुनर जो नहीं जानता... Hindi · कविता 416 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read इतिहास के आईने में इतिहास के आईने में तुम अभी तक नहीं थके कर-कर अत्याचार कर-कर उत्पीड़न बीत गए हजारों वर्ष बहुत हो चुका दमन बहुत हो चुका अत्याचार अब और नहीं क्यों डरते... Hindi · कविता 415 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read व्यवस्था परिवर्तन व्यवस्था परिवर्तन इतिहास है गवाह आज तक असंख्य हुईं क्रांतियाँ विश्व भर में सबमें हुआ रक्तपात सबमें हुआ नरसंहार लेकिन हमें गर्व है बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर जो... Hindi · कविता 409 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read धर्म के नाम पर धर्म के नाम पर देवदासी बनी शोषण हुआ धर्म के नाम पर सती हुई शोषण हुआ धर्म के नाम पर अग्नि-परिक्षा हुई शोषण हुआ धर्म के नाम पर जूए में... Hindi · कविता 208 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read अथाह प्रेम अथाह प्रेम मेरे घर के आगे बैठा रहता है एक लाल कुत्ता जो रोटी के एक टुकड़े के बदले लुटाता है हम पर अथाह प्रेम इस स्वार्थ के युग में... Hindi · कविता 732 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read सर्दी का सुस्वागतम सर्दी का सुस्वागतम् सर्दी ने दी दस्तक ठंडी चली हवा लगी सुहावनी करा दिया अहसास कार्तिक मास का गर्मी ने कहा अलविदा बैर-सी लगने वाली सूर्य की किरणों ने बढाया... Hindi · कविता 213 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read स्नेह स्नेह स्नेह का होना कितना है सुखद स्नेह है कुदरती सौगात नहीं हो सकती इसमें मिलावट होता है ये विशुद्ध हो सकता है स्नेह कहीं भी, किसी से भी यह... Hindi · कविता 415 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read उसकी मेहनत उसकी मेहनत वो सुबह मुंह अंधेरे पूरे परिवार से पहले उठ जाती है संभालनी होती है घर-गृहस्थी निभानी होती हैं जिम्मेदारियाँ सोती भी है सबसे आखिर में लगाता हूँ जब... Hindi · कविता 417 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read साथ ले जाती है साथ ले जाती है वो चली जाती है मायके अपने साथ कुछ जोड़ी कपडे़ ही नहीं ले जाती साथ में ले जाती है घर की रौनक भी -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 323 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read घर घर वो है घर में तो घर घर है उसके बिना रह जाता है घर मकान बनकर मात्र दीवार-छत खिड़की-दरवाजों से घर नहीं बनते -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 488 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read ममता ममता सूर्य इस शीतकाल में बिखेर रहा है ममता मां की तरह यह तब तक रहेगा बिखेरता जब तक धुंध दुलहन बनकर नहीं आ जाती इस ममता से वंचित करने... Hindi · कविता 205 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read जीत-हार जीत-हार नेता जी की वाकपटुता आडंबरपूर्ण प्रबंधन शेखियाँ बघारना झूठे वादे नकली राष्ट्रवाद जीत गया चुनाव सौहार्द-सदभाव नैतिकता कर्तव्य-परायणता चुनाव हार गए -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 310 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read वरना कौन पूछता वरना कौन पूछता वो इतना मीठा बोले इस चुनाव के समय वो जरूर किसी न किसी राजनीतिक दल से होंगे वरना मुझ जैसे साधारण को कौन पूछता है -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 436 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read कार्यकाल कार्यकाल बदली सरकारें बदल गए कुर्सीनशीन बदल गए परियोजनाओं के नाम न बदले तो बस हराम की खाने के तरीके नहीं बदले वतन के हालात होते रहे पूरे कार्यकाल सरकारों... Hindi · कविता 162 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read वोटों की फसल वोटों की फसल कर रहे हैं कडी मेहनत लगा रहे हैं ऐड़ी-चोटी का जोर सीजन है नेताओं का काटनी है वोटों की फसल पकी है जो पूरे पांच साल बाद... Hindi · कविता 294 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read सलामत रहे सत्ता सलामत रहे सत्ता वो चाहते हैं सलामत रहे सत्ता भले ही बन जाए काल का ग्रास भाईचारा धार्मिक सौहार्द आपसी सदभाव लेकिन सलामत रहे उनकी सत्ता -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 271 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read नारे नारे हर तरफ नारे ही नारे मनमोहक प्यारे ही प्यारे परन्तु आज तक इंसान को नारों ने ही छला है -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 324 Share विनोद सिल्ला 25 Jul 2019 · 1 min read चुनावी तालाब चुनावी तालाब आज फिर हुआ प्रतीत कि जैसे मैं इंसान नहीं चुनावी तालाब की मछली हूँ आए हैं फांसने मुझे सफेदपोश -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 495 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read आगन्तुक आगन्तुक हर आगन्तुक लाता है पैगाम खुशी का या फिर गम का जो कर देता है माहौल खुशनुमा या गमगीन आंसू ही है मात्र ऐसा आगन्तुक जो आकर कर देता... Hindi · कविता 256 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read बदलाव बदलाव ढले कितने सूरज बीती कितनी सांझ बहुत कुछ बदलते देखा गाँव बदले कस्बों में कस्बे बदले शहरों में शहर बदले महानगरों में जवानी बदली बुढ़ापे में बचपन जवानी में... Hindi · कविता 201 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read विविधता के बावजूद विविधता के बावजूद मैं पहुँच गया अपने निवास स्थान से बहुत दूर करके तय लंबा सफर व्यक्ति की वेशभूषा-बोलचाल रहन-सहन व खान-पान की विविधता के बावजूद प्रवृत्ति व आचरण था... Hindi · कविता 318 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read कर दिया कितना दूर कर दिया कितना दूर हम दो मित्र एक अरसे बाद मिले मात्र औपचारिकतावश ही पूछी राजी-खुशी और हो गए विदा इस व्यस्तता ने दो मित्रों को कर दिया कितना दूर... Hindi · कविता 405 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read बय्ये के घोंसले बय्ये के घोंसले मेरे मित्र की अतिथिशाला की शोभा बढ़ा रहे हैं बय्ये के घोंसले जब भी मैं देखता हूँ इन घोंसलों को मन में आते हैं विचार गजब सृजन... Hindi · कविता 292 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read स्वर्ग की कल्पना स्वर्ग की कल्पना सावन माह में ठंडी हैं फुहार मौसम है सुहावना शायद ऐसा ही मौसम देख कर की गई होगी स्वर्ग की कल्पना -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 899 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read सावन सावन बादलों ने कर लिया सूरज का अपहरण हवा भी जाने कहाँ से ले आई शीतलता सुहावना हुआ मौसम शायद इसी को कहते हैं सावन -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 434 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read अनजान है इंसान अनजान है इंसान इंसान उलझ गया संकीर्ण दायरों में कर लिया मेकअप आधुनिकता का ओढ़ लिया आवरण सभ्यता का दुनिया बना ली छोटी-सी कूंए के मेंढक की तरह अनजान है... Hindi · कविता 1 460 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read सुख सुख नहीं मिला सुख पूजा-पाठ में नहीं मिला सुख धन-दौलत में नहीं मिला सुख अन्य उपक्रमों में जब आया प्रकृति के संपर्क में हुई असीम सुख की अनुभूति -विनोद सिल्ला© Hindi · कविता 1 425 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read मीठी बातें मीठी बातें उनकी बातें थीं मीठी और कर्णप्रिय बातों में था मिठास स्वार्थवश यह तब पता चला जब बात आगे बढी़ अगर इतना मिठास होता निस्वार्थ तो गजब होता -विनोद... Hindi · कविता 1 371 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read रात रात कभी-कभी करवटें बदलते गुजर जाती है रात कभी बिस्तर पर जाते ही ले लेती हैं नींद आगोश में कभी पहाड़-सी लगती है रात कभी होती नहीं नींद पूरी और... Hindi · कविता 1 217 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read मैं हूँ रात मैं हूँ रात मैं हूँ रात तुम्हारे लिए लाई हूँ चैन-शकून और नींद सोओगे नहीं तो कैसे मिटेगी दिन भर की थकान कैसे आएगी तबियत में ताजगी कैसे आएंगे स्वप्न... Hindi · कविता 1 357 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read जाति जाति मैं जहां-जहां जाता हूँ मेरे गुण-दोष मेरे साथ जाएं या न जाएं पर मेरी जाति मेरे साथ अवश्य चली जाती है ऐसा महसूस हो रहा है कि पता नहीं... Hindi · कविता 1 256 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read गिरगिट गिरगिट मेरे घर के सामने एक पेङ पर गिरगिट बैठा था अपने रंग बदलने के हूनर पे ऐंठा था मेरा नहीं है कोई सानी कहके बङा इतरा रहा था मचलता... Hindi · कविता 1 197 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read क्यो? क्यों? पशु आपस में लङते हैं खूब पंछी भी आपस में भिङते हैं खूब कीट-पतंग भी करते हैं संघर्ष इनके गुण इनके स्वभाव इनकी आदत इनका खानपान इनकी प्रवृत्ति अलग-अलग... Hindi · कविता 1 482 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read अल्लाहदीन का चिराग अल्लाहदीन का चिराग अल्लाहदीन का वही चिराग लग जाए जो मेरे हाथ इलाज करूंगा एक मिनट मे आतंकवाद है लाइलाज भ्रष्टाचार पे रोक होगी हर नागरिक जाएगा जाग कन्या भ्रुण... Hindi · कविता 1 560 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read जब भी पैसा आता है जब भी पैसा आता है जब भी पैसा आता है साथ में अहम लेकर आता है बाकि लोग उसे कीङे-मकोड़े लगते हैं निजी परिजन भी जब पैसा आता है तो... Hindi · कविता 1 348 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read परिवर्तन परिवर्तन मैं कुछ नया करना चाहता हूँ फिजां में नया रंग भरना चाहता हूँ मैं चाहता हूँ नवीन परिवर्तन अवरोध बने हैं रिवाज पुरातन वो पुरातन में सम्पूर्णता खोज रहे... Hindi · कविता 2 436 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read गौरैया गोरैया गोरैया का इन्तजार है । घोंसले में क्यों अन्धकार है।। कब चहकेगा आंगन मेरा, चिङिया बता क्यूं लाचार है।। शाम की कब रौनक आएगी, दूर गई क्यों इनकी डार... Hindi · कविता 1 199 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read दहशत की सुर-ताल दहशत की सुर-ताल दहशत की सुर-ताल हो गई। धरती सारी लाल हो गई ।। अपहरण हुआ इंसानियत का, बेढंग सबकी चाल हो गई ।। इतने आधुनिक हो गए हैं हम,... Hindi · कविता 1 201 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read हवेली को दुख है हवेली को दुख है मेरे पङौस की हवेली खाली पङी है अब तो शायद चूहों ने भी ठिकाना बदल लिया कभी यहाँ चहल-पहल रहती थी उत्सव सा रहता था लेकिन... Hindi · कविता 1 208 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read इंटरनेट पैक इंटेरनेट पैक आज वो खूब बतियाये एक अरसे बाद नजदीक आये आज दोनों थे फुर्सत में क्योंकि आज उन दोनों का इंटेरनेट पैक हो गया था खत्म वरना तॊ एक... Hindi · कविता 1 311 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read दो-दो भारत दो दो भारत वंचितों की बस्तियां इस ओर हैं, सम्पंनों की बस्तियां उस ओर हैं, उधर महके संपन्नता में छोर-छोर, इधर अभावग्रस्त है हर कोर-कोर, उधर पकवानों की महक उठी... Hindi · कविता 1 438 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read सब व्यस्त थे सब व्यस्त थे मैं गया सब्जी मंडी खरीदने सब्जी मंडी में इतने ही व्यापारी थे इतने ही ग्राहक इतने गी गाय-सांड व्यापारी सब्जी बेचने में व्यस्त थे ग्राहक सब्जी खरीदने... Hindi · कविता 237 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read संभव क्यों नहीं संभव क्यों नहीं कामना है न हो कोई सरहद न हो कोई बाधा भाषाओं की विविधताओं की जाति-पांतियों की सभी दिलों में बहे एक-सी सरिता सबके कानों में गूंजें एक-से... Hindi · कविता 378 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read दंगों से पहले दंगों से पहले शांत महौल था इस शहर का दंगों से पहले नाम निशान नहीँ था वैर का दंगों से पहले अंकुरित नहीँ था बीज जहर का दंगों से पहले... Hindi · कविता 207 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read मुस्कान मुस्कान मुझे बाजार में एक आदमी मिला जिसके चेहरे पर न था कोई गिला जो लगतार मुस्करा रहा था बङा ही खुश नजर आ रहा था मैंने उससे पूछा कि... Hindi · कविता 365 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read मैं हूँ चिड़िया मैं हूँ चिडिया मैं हूँ चिडिया तेरे आंगन की मैं हूँ चहचहाट तेरे कानों की मेरा कलरव आपको नहीं भाता क्या? क्या आपको नहीं पसंद मेरा फुदकना ढूंढते हो अक्सर... Hindi · कविता 229 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read धर्म की खिचड़ी धर्म की खिचड़ी सुबह-सुबह पड़ती है कानों में गुरद्वारे से आती गुरबाणी की आवाज तभी हो जाती है शुरु मंदिर की आरती दूसरी ओर से आती हैं आवाजें अजानों की... Hindi · कविता 461 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read नहीं चाहिए वो भगवान नहीं चाहिए भगवान नहीं चाहिए वो भगवानजो दलित से अशुद्ध हो जाता है। बाहर गरीब मरता भूखा, वो छप्पन भोग लगाता है।। चैन से नहीं जीने देता , जो नित... Hindi · कविता 1 515 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read नेताओं के सताए नेताओं के सताए नेताओं के सताए बैठे हैं। घपलों से झुंझलाए बैठे हैं।। जिता देंगें दे वोट इन्हीं को, खूब जिनसे तंग आए बैठे हैं।। झूठे वादे सुन - सुन... Hindi · कविता 217 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read जीवनदान जीवनदान आज भी सजा था मंच सामने थे बैठे असंख्य श्रद्धालु गूंज रही थीं मधुर स्वर लहरियाँ भजनों की आज के सतसंग में आया हुआ था एक बड़ा नेता प्रबंधक... Hindi · कविता 435 Share Previous Page 10 Next