डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' Language: Hindi 578 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 11 Next डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Jul 2017 · 1 min read कैसे इंसान हो कि हर बात पे हँस देते हो?? कैसे इंसान हो कि हर बात पे हँस देते हो?? ****************************** कभी खुद को भुला गैरों के लिए हँस देते हो कैसे इंसान हो कि हर बात पे हँस देते... Hindi · कविता 1 261 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Jul 2017 · 1 min read "सिसकती पशुता" "सिसकती पशुता" ************ मधुर वचन से आच्छादित नर नाग सरीखे डँसते हैं मौका परस्त घात लगाएँ घर में गिरगिट पलते हैं। ताक लगाए बैठे छिप कर आतंकी का साथ धरें... Hindi · कविता 1 522 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 14 Jul 2017 · 2 min read "ज़िंदगी" कहानी *ज़िंदगी* ******** धूप की तरह खिलखिलाती राहत की ज़िंदगी में इस तरह अँधेरी रात ग्रहण बन कर आएगी ये उसने तब जाना जब अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच... Hindi · कहानी 1 763 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Jul 2017 · 1 min read *आतंकवादी* दोहे "आतंकवादी" दोहे ********** (१) आतंकी सैलाब में,दैत्य चलाते नाव। बंदूकी गोली लिए,देते तन मन घाव।। (२)आतंकी मजहब नहीं,शतरंजी ये चाल। नफ़रती तेज़ाब भर,उगल रहा विषकाल।। (३)मानवता अब रो रही,दहल गया... Hindi · दोहा 1 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Jul 2017 · 1 min read "वाणी का महत्त्व" दोहे "वाणी का महत्त्व" दोहे *************** मुख चंदा तन चाँदनी,रूप सजा इठलाय। कटु वाणी से वार कर,नारी गई लजाय।। धन दौलत का तोल नहिं,शब्द बढ़ावे मोल। पीर पराई हर लई,वाणी है... Hindi · दोहा 3 3k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Jul 2017 · 2 min read "घिर आई रे बदरिया सावन की" (लेख) "घिर आई रे बदरिया सावन की" ********************** जी चाहे बारिश की स्याही,बनूँ कलम में भर जाऊँ। मन के भाव पिरो शब्दों में,तुझको पाती लिख पाऊँ।। नेह सरस हरियाली में भर,... Hindi · लेख 1 846 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Jul 2017 · 1 min read "गुरु की महिमा" दोहे "गुरु की महिमा" दोहे गुरु महिमा गुणगान कर,गुरु को दो सम्मान। ज्ञान ज्योति का दीप बन,करते भव कल्याण।। गुरु की गरिमा ईश बढ़,गुरु ब्रह्मा गुरु ज्ञान। माटी से मूरत गढ़े,गुण... Hindi · दोहा 1 2 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 Jul 2017 · 1 min read "पर्यावरण संरक्षण" हाइकु "पर्यावरण संरक्षण" हाइकु (१)धरा उदास दहकते पलाश मेघा बरसो। (२)बढ़ी आबादी प्रकृति की बर्बादी जंगल कटे। (३)बहा तेजाब प्रदूषित सैलाब धरती रोई। (४)फूटा बादल भिगोया मरुस्थल गीला आँचल। (५)पेड़ लगाओ... Hindi · हाइकु 1 815 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 Jul 2017 · 3 min read "शक" लघु कथा "शक" लघु कथा बदलते परिवेश में मौसम से बदलते अनगिनत रिश्ते दबे पाँव आकर दस्तक देते हैं और जीवन में कुछ पल ठहर कर मौन ही लौट जाते हैं।सच मानो... Hindi · लघु कथा 1 894 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Jul 2017 · 1 min read *समंदर* मुक्तक समंदर (मुक्तक) कभी खाली नहीं रहता समंदर आँख का ए दिल। ग़मों की तैरती कश्ती कभी रूँठा हुआ साहिल। उठा तूफान भीतर है निगल खामोश तन्हाई। बहा ले जायगा सैलाब... Hindi · मुक्तक 1 358 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Jul 2017 · 1 min read माहिया छंद "मधुशाला" (माहिया छंद) ************ रातों को आते हो नींद चुरा मेरी मुझको तड़पाते हो। नैनों बिच तू रह दा मधुबन सा जीवन काँटे सम क्यों जी दा? दिल डूब गया... Hindi · कविता 1 2k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Jul 2017 · 1 min read "काश कोई रखवाला होता" "काश कोई रखवाला होता" ******************* अपमानों के पंख लगाके, इस दुनिया में आई थी। रूप रंग श्रृंगार देख के, सबके मन को भाई थी। बड़े प्यार से बाँह थाम कर,... Hindi · कविता 1 300 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Jun 2017 · 1 min read "बारिश में" "बारिश में" ******** बह्र-१२२२ १२२२ १२२२ २२ काफ़िया- आना रदीफ़-बारिश में गिराके चिलमनें मुखड़ा छिपाना बारिश में। बनाती आशिकों को ये निशाना बारिश में। अदा में शोखियाँ जुल्फ़ें लटकती नागिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 821 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Jun 2017 · 1 min read *प्राकृतिक आपदाएँ* हाइकु हाइकु मञ्जूषा अंक - 49 विषय:- ***** प्राकृतिक आपदाएँ 01. आंधी 02. रेतीली आंधी 03. तूफान 04. बाढ़ 05. भूकंप 06. अकाल 07. सुनामी 08. भूस्खलन 09. ज्वालामुखी 10. प्रलय... Hindi · हाइकु 1 519 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 Jun 2017 · 1 min read "क्यों ना देखूँ ख़्वाब नया" "क्यों ना देखूँ ख्वाब नया" ****************** मरुधर से निर्मम जीवन में अंगारों के पार गया, नयनों से नीर बहा मेरे क्यों ना देखूँ ख्वाब नया। नयन झरोखे मधुर स्वप्न सा... Hindi · कविता 1 392 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 26 Jun 2017 · 3 min read ईद मुबारक *ईद मुबारक* ********** एकता, प्रेम, सौहार्द, भाईचारे की मिसाल "ईद" को मुस्लिम देशों के अलावा अन्य देश व धर्मों के लोग भी ईद मुबारक कह कर बड़ी धूमधाम से मनाते... Hindi · लेख 1 432 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 Jun 2017 · 1 min read ईद मुबारक(मुक्तक) ईद मुबारक !!! मुबारक ईद हो तुमको तुम्हारी दीद बन जाऊँ। बनी मुस्कान अधरों की तुम्हारी प्रीत बन जाऊँ। भुला रंज़ों ग़मों को प्यार से रिश्ते निभा डालो। गले लग... Hindi · मुक्तक 1 559 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Jun 2017 · 3 min read "योग जीवन की औषधि" *योग जीवन की औषधि* आधुनिक युग में आर्थिक सामाजिक , शैक्षणिक सभी क्षेत्रों में बढ़ती प्रतिद्वंदिता ने जीवन को तनावग्रस्त बना दिया है। हम व्यायाम द्वारा शीरीरिक स्फूर्ति तो पा... Hindi · लेख 1 446 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 20 Jun 2017 · 1 min read विरह गीत विरह गीत ******** श्यामघटा घनघोर निहारत बूँद झमाझम गीत सुनाए, दादुर शोर हिया झुलसावत खेत हरी चुनरी लहराए। प्रीत लगी जब साजन से तब नैनन नींद मुझे नहिं भाए, चातक... Hindi · गीत 1 333 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Jun 2017 · 1 min read वर्षा ऋतु हाइकु "वर्षा ऋतु" हाइकु ********** (१) काले बादल हँसता मरुस्थल सौंधी खुशबू । (२)काली चूनर सतरंगी डोरियाँ दामिनी ओढ़े । (३)मेघ मल्हार बूँदों की सरगम भीगा मौसम । (४)भीगी पलकें नयना... Hindi · हाइकु 1 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 Jun 2017 · 1 min read "अनबुझी प्यास" (ग़ज़ल) ग़ज़ल "अनबुझी प्यास" बह्र 1222×4 काफ़िया-आ रदीफ़- जाओ छलकते जाम बन कर आप नयनों से पिला जाओ। महकते ख़्वाब बन कर आप नींदों में समा जाओ। धधक रिश्ते यहाँ नासूर... Hindi · कविता 1 342 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Jun 2017 · 4 min read "परिवार का आधार स्तंभ पिता" "परिवार का आधार स्तंभ पिता" ********************** माता-पिता यानि जन्मदाता। जिस पिता ने संस्कार के बीज बोकर ,नैतिकता की खाद डालकर अपने उपवन की पौध को लहू देकर सींचा आज उसे... Hindi · लेख 5 6 4k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Jun 2017 · 1 min read "पिता" "पिता" आँगन की फुलवारी हरदम लहू दे सींचते हैं जो, दु:ख हरते पोषण करते सबल सशक्त पिता हैं वो। प्रसव समय दे मातु सहारा परिवार का आधार बने , रोटी... Hindi · कविता 1 356 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 18 Jun 2017 · 1 min read "भोर' "भोर" (१)दिश प्राची सोहे गगन,सूरज तिलक लगाय। तज निद्रा जागे सकल,आलस दूर भगाय।। (२)दिनकर स्वर्णिम आभ ले, सरस नेह छितराय। लाली चूनर ओढ़ के, ऊषा मन हर्षाय।। (३)पर्वत उर राजत... Hindi · दोहा 2 429 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 17 Jun 2017 · 1 min read "प्रकृति और मानव" "प्रकृति और मानव" (१)वन उपवन खंडित लखे, तरुवर सरिता खोय। निर्झर नयना नीर भर, बेसुध धरती रोय।। (२)फल लकड़ी छाया सहित,पुष्प दिए उपहार। शाख पत्र आतप हरैं,वृक्ष करैं सिंगार।। (३)शीतलता... Hindi · दोहा 1 795 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 17 Jun 2017 · 1 min read मुक्तक मुक्तक (१)अधरों पर मुस्कान खिली जब आँगन देखी फुलवारी। उन्मादित नयना हर्षाए द्वार हँसी जब किलकारी।। (२)ढह गए प्यार के सपने बिछे जब शूल राहों में जली अरमान की बस्ती... Hindi · मुक्तक 400 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Jun 2017 · 1 min read "पुस्तक" अक्षर विन्यास "पुस्तक" संस्कृति संज्ञान शिक्षा सोपान दे सम्मान विज्ञान ज्ञान मान सुज्ञान शुचि ज्ञान शब्द जहान संस्कृति ज्ञान ********** शिक्षण आधार जीवन सार शब्दागार आधार मित्र ज़िक्र भंडार ग्रंथागार ज्ञान संसार... Hindi · कविता 581 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Jun 2017 · 3 min read मुक्तक मुक्तक (१)"मुहब्बत" दिखा जो चाँद नूरानी तिरे दीदार को तरसा। सजाकर ख़्वाब आँखों में तसव्वुर यार को तरसा। मुहब्बत ने किया घायल हुआ दिल आज पत्थर है। किया कातिल निगाहों... Hindi · मुक्तक 315 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 15 Jun 2017 · 1 min read "कतरा कतरा पिघली हूँ" "कतरा कतरा पिघली हूँ"(2×15) यादों की जलती लाशों पर मैंने हर इक सर्द लिखा कतरा-कतरा पिघली हूँ तब जाकर मैंने दर्द लिखा। आँखों से बरसा कर सावन कितने सागर खार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 332 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 14 Jun 2017 · 3 min read "चरमराते रिश्ते और हम" "चरमराते रिश्ते और हम" ******************* प्रेम, विश्वास के धागों से बँधे नाजुक रिश्तों को हम जन्म के साथ पाए पारिवारिक संबंधों की शक्ल में पाते हैं। रिश्तों की बुनियाद परिवार... Hindi · लेख 678 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Jun 2017 · 1 min read "रुदन" "रुदन" ****** पुरानी याद के धुँधले कदम जब राह में आते कसक मन में रुदन करती उन्हें हम चाह में पाते। कहूँ कैसे ज़माने से जुबाँ पर आज पहरे हैं... Hindi · कविता 513 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 12 Jun 2017 · 1 min read खामोशी "खामोशी" संवेगों की मौन व्यथाएँ मूक भाव अभिव्यक्ति है दमित चाह ज्यों बंद यौवना चुप्पी साधे दिखती है। कलकल स्वर में निर्झर बहता विरह वेदना कह जाता काँटों से घिर... Hindi · कविता 1 1 328 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 5 Jun 2017 · 3 min read "विश्व पर्यावरण दिवस" "विश्व पर्यावरण दिवस" पर्यावरण दिवस एक अभियान है जिसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा मानव पर्यावरण के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अवसर पर 1972 में हुई थी। हालांकि, यह... Hindi · लेख 694 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Jun 2017 · 1 min read देशभक्त की अभिलाषा "देशभक्त की अभिलाषा" ***************** निष्ठुर मन की बुझी बाती सा, मैं क्यों जीवन मौन धरूँ? जी चाहे मैं रजच रेत सा हस्त पकड़ से फिसल पड़ूँ। आशाओं के पंख लगा... Hindi · कविता 242 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Jun 2017 · 1 min read "क्षणिकाएँ" क्षणिकाएँ (१)"बात" ****** कौन कहता है तन्हाई अकेली और खामोशी मौन होती है? जब मिल बैठती हैं एक साथ तो बात ही बात होती है। (२)"सूनापन" ******** मन व्यथित हो... Hindi · कविता 1 576 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Jun 2017 · 1 min read क्षणिकाएँ क्षणिकाएँ "बात" ****** कौन कहता है तन्हाई अकेली और खामोशी मौन होती है? जब मिल बैठती हैं एक साथ तो बात ही बात होती है। "सूनापन" ******** मन व्यथित हो... Hindi · कविता 364 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Jun 2017 · 1 min read "यादें" "यादें" बारिश में बूँदों की खनखन अहसास तेरा दिलाती है। घनघोर घटा जब छाती है ज़ुल्फ़ों की याद दिलाती है। हिचकी आती तन्हाई में लगता है तू ने याद किया।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 248 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Jun 2017 · 1 min read मुहब्बत "मुहब्बत" दिखा जो चाँद नूरानी तिरे दीदार को तरसा। सजाकर ख़्वाब आँखों में तसव्वुर यार को तरसा। मुहब्बत ने किया घायल हुआ दिल आज पत्थर है। किया कातिल निगाहों ने... Hindi · मुक्तक 221 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 31 May 2017 · 1 min read "आतप" "आतप" आँचल शूल दिखाय कहे इस तप्त धरा पर नेह लुटाओ। प्रीत बनो सुख बाँह पसारत द्वेष भुला निज ठौर बिठाओ। कंटक सा नित रूप धरो नहि कोमल देह धरै... Hindi · मुक्तक 1 358 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 May 2017 · 1 min read "फ़ितरत" "फ़ितरत" गिरगिट से रंग बदलती मुहब्बत को गैर के साथ देख कर आँखों से बहता सैलाब कहने लगा-- "आज भीगे मेरे ख़त के कुँआरे अल्फ़ाजों को नहीं पढ़ पाओगे, हाँ..... Hindi · कविता 1 300 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 29 May 2017 · 1 min read "ईर्ष्या" (मनोद्गगार) "ईर्ष्या" आज शून्य को तकती प्यासी नज़रें कुछ तलाश रही हैं...... किसे मालूम था--- तप्त रेत में जिन अल्फ़ाज़ों को उकेरती मेरी तूलिका अरमानों के रंग भर रही है उन्हें... Hindi · कविता 1 356 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 May 2017 · 1 min read बेटी हाइकु में कविता "बेटी" माँ का सपना,बाबुल के अँगना,जन्मी ये कली। हौले-हौले ये,बाबुल की अँगुली, थाम के चली। रँठ-रूँठ के, कनिया पे चढ़ के, बाहों में पली। तोतली बोले,कोयल सी... Hindi · हाइकु 1 347 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 May 2017 · 1 min read "ख्वाहिश" "ख़्वाहिश" तुम से ख़्वाहिश मेरी हमनशीं जानलो अपनी धड़कन में मुझको बसा लीजिए। पुष्प माला बना केश वेणी गुथूँ अपने तनमन में खुशबू रमा लीजिए। भोर आभा चुरा माँग लाली... Hindi · कविता 1 579 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 27 May 2017 · 1 min read "बेरुखी" "बेरुखी" रदीफ़--बैठे हैं काफ़िया-आके दिखाते बेरुखी चिलमन गिराके बैठे हैं । मिजाज़े बादलों सा रुख बनाके बैठे हैं। नज़र में शोकियाँ दिखती अदा में उल्फ़त है गुलाबी हुस्न में काँटे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 327 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 May 2017 · 1 min read "मनभावन" श्रृंगार रस प्रधान कह मुकरी छंद/पहेलियाँ विधा- कविता/पहेली "मनभावन" श्रृंगाररस प्रधान (कह मुकरी छंद) निरखत जिसमें रूप सजाऊँ देख स्वयं को मैं इठलाऊँ तन श्रृंगार अति आकर्षण ए सखि साजन?ना सखि दर्पण! छमछम करती प्रीत बुलाती... Hindi · कविता 1 1k Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 May 2017 · 1 min read "मनभावन पहेली" "मनभावन (कह मुकरी छंद) रूप सलौना खूब सजाते श्याम भ्रमर मन को अति भाते स्वप्न दिखाकर जागे रैना ए सखि साजन?ना सखि नैना! मुख निकसत मिश्री कहलाती कोकिल मीठी तान... Hindi · कविता 1 299 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 May 2017 · 1 min read "मनभावन" "मनभावन (मुकरी छंद) रूप सलौना खूब सजाते श्याम भ्रमर मन को अति भाते स्वप्न दिखाकर जागे रैना ए सखि साजन?ना सखि नैना! अधरों पर बैठी मुस्काती कोकिल मीठी तान सुनाती... Hindi · कविता 1 271 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 24 May 2017 · 1 min read "बेवफ़ाई" "बेवफ़ाई" मुहब्बत में नज़र फ़िसली, दिले नादान ना माना। बसाया रूप आँखों में लुटाया प्यार दीवाना । निगाहें फेरकर उसने हवा का रुख बदल डाला। चुराए ख़्वाब आँखों के कहूँ... Hindi · मुक्तक 1 367 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 May 2017 · 1 min read "प्यासे अधर" "प्यासे अधर" सदियों से प्यासे अधरों पर मधु मुस्कान कहाँ से लाऊँ, मूक व्यथा की पौध लगा कर सुरभित पुष्प कहाँ से पाऊँ? पीड़ा से मर्माहत मन को कोकिल गान... Hindi · कविता 1 509 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 19 May 2017 · 2 min read "हँसीन लम्हों की यादें और ये ख़त" "हंसीन लम्हों की यादें और ये ख़त" ख़त का ज़िक्र चलते ही पिया के साथ गुज़ारे कुँवारे पलों की याद ताज़ा हो जाती है। ये वो सुहाने दिन थे जब... Hindi · लेख 1 308 Share Previous Page 11 Next