Dr. Vivek Kumar Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Vivek Kumar 1 Jan 2018 · 1 min read नव वर्ष मंगलमय हो नव वर्ष मंगलमय हो जन-जन के घर-आँंगन में सुख का सूर्योदय हो, मिटे गरीबी और अशिक्षा सच्चाई की जय हो। जन-जन के उर सिंधु में प्रेम-प्रीत लहराए, रोग-शोक का नाम... Hindi · कविता 298 Share Dr. Vivek Kumar 12 Jul 2017 · 1 min read कोई (डॉ. विवेक कुमार ) कोई पास रहकर भी याद नहीं आता है कोई दूर रहकर भी यादों में बस जाता है। कोई कह कर भी कुछ कह नहीं पाता है और कोई खामोश रहकर... Hindi · कविता 570 Share Dr. Vivek Kumar 9 Jun 2017 · 1 min read तुम आओ (डॉ. विवेक कुमार) तुम आओ इस तरह जैसे आती है नदियाँ सागर की लहरों में समा जाने के लिए। तुम आओ इस तरह आती है जैसे बेचैन व्यक्ति को किसी की दुआओं के... Hindi · कविता 1 1 637 Share Dr. Vivek Kumar 7 Jun 2017 · 1 min read संजीवनी (डॉ. विवेक कुमार) बहुत कुछ खोने के बाद भी खुश हूँ मैं यह सोच कर कि मेरे पास कुछ खोने को था तो सही । अपनों और परायों से अनगिनत ठोकरें और धोखे... Hindi · कविता 524 Share Dr. Vivek Kumar 24 Apr 2017 · 1 min read धूप छाँव (डाॅ. विवेक कुमार) है आज मुझमें सामर्थ्य खड़ा हूँ पैरों पर अपने इसलिए तुम रोज ही आते हो मेरे घर मेरा हालचाल पूछने। बाँधते हो तारीफों के पुल आज बात-बात पर। किंतु मैं... Hindi · कविता 703 Share Dr. Vivek Kumar 12 Apr 2017 · 1 min read तुम्हारे मिलकर जाने के बाद... क्या रहस्य है यह आखिर क्यों हो जाता है बेमानी और नागफनी-सा दिन तुम्हारे मिलकर जाने के बाद... क्यों हो जाती है उदास मेरी तरह घर की दीवारें-सोफा मेज पर... Hindi · कविता 1 570 Share Dr. Vivek Kumar 5 Apr 2017 · 1 min read कुछ नहीं कर पाएंगे आज, तोड़े जा रहे हैं पहाड़ अंधाधुंध काटे जा रहे हैं पेड़ किये जा रहे हैं विज्ञान के नित नए आविष्कार। धरती के गर्भ को भी क्षत-विक्षत करने का जारी... Hindi · कविता 438 Share Dr. Vivek Kumar 13 Mar 2017 · 1 min read जले होलिका नफरत की ... अबकी बार इस होली में चले प्रेम की पिचकारी, राधा के गहरे रंग से रंग दें दुनिया सारी। जले होलिका नफरत की मिटे आपस की दूरी, वृन्दावन हो मन सबका... Hindi · कविता 459 Share Dr. Vivek Kumar 13 Feb 2017 · 1 min read छोटी-सी-जगह छोटा-सा एक रास्ता जो जाता तुम्हारे दिल तक और लौटता मेरे दिल से होकर l चाहता हूँ - इस रास्ते के सहारे पहुँचूँ तुम्हारे दिल के किसी कोने तक जहाँ... Hindi · कविता 1 1 382 Share Dr. Vivek Kumar 24 Jan 2017 · 1 min read बेटिया बेटिया समय के साथ समझने लगती है इस रहस्य को क्यों असमय बूढ़े होते जा रहे हैं उसके पिता। वह जानती है, उसकी बढ़ती उम्र ही है पिता के बार्धक्य... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 937 Share