Taposh Kumar Ghosh 69 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Taposh Kumar Ghosh 13 Dec 2019 · 1 min read मैं अपराजिता हूँ, मैं मृतुन्जय हूँ मैं अपराजित हूं, मेरे अनेक रूप मैं मृतुन्जय हूँ, चार बार मृत्यु द्वार से बापस आया कारण मैंने "अति " को अपने जीवन के स्पर्धा को छूने नहीं दिया मनुष्य... Hindi · कविता 1 1 256 Share Taposh Kumar Ghosh 13 Dec 2019 · 1 min read पुरानी किताब के बीच गुलाब क्या दिखा मेरे जवान दोस्त की य़ादो के झरोखों में , मेरे बिते हुये दिनो कि य़ादें .....रतनदीप सक्सेना ???? पुरानी किताब के पन्नों के बीच गुलाब क्या दिखा . ?...... ?अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 269 Share Taposh Kumar Ghosh 12 Dec 2019 · 1 min read जीवन काल मेँ मोक्ष प्रॉति जीवन काल मेँ मोक्ष प्रॉति ? ना पीछे कोइ, ना आगे कोइ, ना बाएँ कोइ, ना दायेँ कोइ, ना ऊपर कोइ, ना नीचे कोइ... मैं ही हूं, बस मैं ही... Hindi · कविता 414 Share Taposh Kumar Ghosh 9 Aug 2018 · 1 min read पुत्र अंत्येष्टि में, शोककित पुत्र अन्त्येष्टि में , शोकाकित !! वक़्त कटता नहीं , उसकी यादों में हर लम्हा , हर पल , याद आती है, मेरे बेटे की वक़्त का क्या ज़िक्र करू,... Hindi · कविता 495 Share Taposh Kumar Ghosh 8 Aug 2018 · 1 min read ग़ुज़रें हैं हम , देखते देखते गुज़रें हैं हम , देखते देखते हम भी गुज़र जायेंगे , देखते देखते | सालों साल गुज़र गये, देकते दखते बाकी भी ग़ुज़र जायगा , देखते देखते | दिलों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 281 Share Taposh Kumar Ghosh 6 Aug 2018 · 1 min read ज़िंदगी में तोल मोल ज़िंदगी में तोल मोल जब ज़िंदगी में तोल मोल आ जाये ज़िंदगी तब गोल मोल हो जाती है, बहती ज़िंदगी , बर्फ बन जाती है, और भाप बन उड़ जाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 297 Share Taposh Kumar Ghosh 6 Aug 2018 · 1 min read शिक़वाए ग़ुस्सा शिक़वाए गुस्सा शिक़वा अपनों से होती है, परायों से नहीं गुस्सा ख़ून के रिश्तों से होती हे , गैरों से नहीं | उड़ादे गुस्से को हवा में फूँक कर, क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 238 Share Taposh Kumar Ghosh 5 Aug 2018 · 1 min read रिश्ताए फुर्र , पैसा ही मौला रिश्ताए फ़ुर्र, पैसा ही मोला क्या ग़म करें , जब अपने ही बेगाने हो गये पैसेके जोश में , अपना होश खो गये | सोचा न था, तारीख यहाँ तक... Hindi · कविता 272 Share Taposh Kumar Ghosh 5 Aug 2018 · 1 min read हाले नाज़ुक ; रिश्ते नदारत हाले नाज़ुक ; रिश्ते नदारत दिल धड़का , साँस फूली कमर लचका , दर्द से कहराया डाक्टर दिखाया, चाय पिलाई , खाना खिलाया डाक्टर बोला टैस्ट कराओ मैंने पूंछा कितने... Hindi · कविता 269 Share Taposh Kumar Ghosh 4 Aug 2018 · 1 min read कभी वक़्त था , वक़्त का .... कभी वक़्त था, दौड़ते थे वक़्त के पीछे तब वक़्त था वक़्त का | अब वक़्त है , हमारा दौड़ती है हमारे पीछे | अब वक़्त आया अब हमारी मुठ्ठी... Hindi · कविता 376 Share Taposh Kumar Ghosh 3 Aug 2018 · 2 min read अहं के भर्म में अहं के भर्म में...... रात के अँधेरे में , जब दिन का प्रकाश हो तो रात को दिन नहीं माानना चाहिये ; और जिस ने मान लिया , उस का... Hindi · कविता 514 Share Taposh Kumar Ghosh 2 Aug 2018 · 1 min read बन्दे माँ तरम, बन्दे माँ तरम, यह भारत देश हमारा बन्दे माँ तरम, बन्दे माँ तरम यह भारत देश हमारा , है हम सबको प्यारा | बन्दे माँ तरम, बन्दे माँ तरम.... उत्तर में है हिमालय , तीन दिशा में... Hindi · गीत 463 Share Taposh Kumar Ghosh 1 Aug 2018 · 1 min read फूल खिलते नहीं बहार से पहले फूल खिलते नहीं बहार से पहले , हमदम मिलते नहीं वक्त से पहले | बहार जब आती हैं, ख्शबू सात लती हैं , वक्ते इंतजार खत्म हो जाती हैं, ऊनके... Hindi · कविता 276 Share Taposh Kumar Ghosh 31 Jul 2018 · 1 min read सन्नाटा ही सन्नाटा सन्नाटा ही सन्नाटा !!! सुबह होती है सन्नाटा लिए दोपहर होती है सन्नाटा लिए शाम होती है सन्नाटा लिए रात होती है सन्नाटा लिए गुज़रता हर लम्हा सन्नाटा लिए सन्नाटा... Hindi · कविता 326 Share Taposh Kumar Ghosh 29 Jul 2018 · 1 min read ज़माना बदल गया Hahaha..... ज़ामाना बदल गया | तुम कहते हो -----ज़माना बदल गया, वह कहता हैं -----ज़माना बदल गया, यह कहता हैं ----- ज़माना बदल गया, ज़माना कहता हैं ---- ज़माना बदल... Hindi · कविता 1 258 Share Taposh Kumar Ghosh 26 Apr 2018 · 1 min read मेरे जवान जवाँ दोस्त रत्नादीप सक्सेना से नोंक झोक मेरे जवान दोस्त की य़ादो के झरोखों में , मेरे बिते हुये दिनो कि य़ादें .....???? पुरानी किताब के पन्नों के बीच गुलाब क्या दिखा . ? दिल गुलकंद हो... Hindi · मुक्तक 272 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Apr 2018 · 1 min read न तो मैं शायर हूँ ; न शायरी आती है My shayri मैं ना तो शायर हूँ, ना शायरी आती है कभी कभी जोशे आगोश में, तुक बन्दी कर दिता हूँ तो वाह वाह हो जाती है और कभी दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 680 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Apr 2018 · 1 min read जीवन एक क्षण है.... जीवन एक छण है, सूर्य के उदय के तरह , सूर्य के अस्त के तरह | जीवन एक छण है ... जीवन एक छण है , पानी के बुलबुले की... Hindi · कविता 2 465 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Apr 2018 · 1 min read मैं मैं हूँ, तुम तुम हो..... कियूं करते हैं --- अभिमान ! कियूं करते हैं --- रोष ! क्या मिलता है ! अहं के मैं में ; व्यंग के कटुता में ? मैं, मैं हूँ ,... Hindi · कविता 1 472 Share Previous Page 2