sushil sarna 547 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid sushil sarna 30 Jul 2016 · 1 min read व्यथा.... एक लंबे अंतराल के पश्चात तुम्हारा इस घर मेंं पदार्पण हुअा है जरा ठहरो ! मुझे नयन भर के तुम्हें देख लेने दो देखूं ! क्या अाज भी तुम्हारे भुजबंध... Hindi · कविता 564 Share sushil sarna 12 Nov 2017 · 1 min read प्यास .... प्यास .... होता नहीं है मन .अपना जब ये अपने पास । छलक उठती है नैनों से पिया मिलन की आस। संभव नहीं मधुपलों को स्मृति से विस्मृत करना -... Hindi · मुक्तक 610 Share sushil sarna 24 Jun 2017 · 1 min read पत्थर के ईश ... पत्थर के ईश ... झूठ की झोली में तो विष ही सदा आया .है कड़वा ही सही सच तो सदा ही मुस्काया है छोड़ दिया जब साथ दुःख में सब... Hindi · मुक्तक 608 Share sushil sarna 21 Jun 2017 · 1 min read स्पंदन.... स्पंदन.... झुकी नज़र रक्ताभ अधर ...हुए अंतर्मन के भाव प्रखर ......घोर तिमिर में स्पर्श तुम्हारे ............स्वप्न स्पंदन सब गए निखर सुशील सरना Hindi · मुक्तक 529 Share sushil sarna 24 May 2017 · 1 min read लम्हा... लम्हा.... न ज़िस्म रखता हूँ मैं न पर रखता हूँ ...मैं कहाँ कभी दिल में ज़ह्र रखता हूँ .....एक नन्हा सा लम्हा हूँ वक्त का मग़र .......मैं सीने में सदियों... Hindi · मुक्तक 564 Share sushil sarna 5 Aug 2017 · 1 min read क्षणभंगुर ... क्षणभंगुर ... क्षणभंगुर इस जीवन का कहाँ कोई ठिकाना है l हर कदम पे उलझन में लिपटा एक फ़साना है l हो सका न मुक्त कभी आदि , अंत की... Hindi · मुक्तक 1 574 Share sushil sarna 11 May 2017 · 1 min read सजदा ... सजदा ... सजदा करूँ तेरा ख़ुदा या पूजूँ मैं इंसान को भूल बैठा है ये इंसां आज तेरे ..एहसान .को कौन जाने तू कहाँ है फ़र्श पर .या .अर्श पर... Hindi · मुक्तक 529 Share sushil sarna 13 Jul 2017 · 1 min read कस्तूरी.... कस्तूरी.... बीती रात की बात वो l .... बादल की बरसात वो l ...... सांसें कस्तूरी कर गयी , ......... .. होठों की मुलाक़ात वो ll सुशील सरना Hindi · मुक्तक 503 Share sushil sarna 12 May 2017 · 1 min read हिचकी . .. हिचकी . .. रुख़्सत हुए जहान से तो ये हयात हंसने लगी लाश अधूरी चाहतों की दूर कहीं जलने लगी आखिरी हिचकी में लब ने नाम तेरा ले लिया ख़ाक... Hindi · मुक्तक 512 Share sushil sarna 30 Oct 2017 · 1 min read जुलाहा ... जुलाहा ... मैं एक जुलाहा बन साँसों के धागों से सपनों को बुनता रहा मगर मेरी चादर किसी के स्वप्न का ओढ़नी न बन सकी जीवन का कैनवास अभिशप्त से... Hindi · कविता 468 Share sushil sarna 3 Nov 2017 · 1 min read गज़ब ... गज़ब.... आपका आना भी गज़ब ढा गया। ....आपका जाना भी ग़ज़ब ढा गया। ........मार डाले न कहीं सादगी आपकी - ...........यूँ हौले से शरमाना गज़ब ढा गया। सुशील सरना Hindi · मुक्तक 510 Share sushil sarna 16 Jun 2017 · 1 min read तुम्हारी कसम ... तुम्हारी कसम ... सच तुम्हारी कसम उस वक़्त तुम बहुत याद आये थे जब सावन की फुहारों ने मेरे जिस्म को भिगोया था जब सुर्ख़ आरिज़ों से फिसलती हुई कोई... Hindi · कविता 559 Share sushil sarna 31 Jul 2016 · 1 min read एक गुंचा..... एक गुंचा (२१२ x ३ ) क्यूँ हवा में ज़हर हो गया हर शजर बेसमर हो गया !!१ !! एक लम्हा राह में था खड़ा याद में वो खंडर हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 482 Share sushil sarna 25 May 2017 · 1 min read शृंगार .... शृंगार .... बीतता है क्षण जो प्रतीक्षा के अंगार में ...बदल जाता है क्षण वो अनमोल प्यार में ......अवगुंठन में लाज के टूटते अनुबंध सभी .........डूबते हैं अधर फिर अधरों... Hindi · मुक्तक 470 Share sushil sarna 19 May 2017 · 1 min read वो बुद्ध कहलाया ... वो बुद्ध कहलाया ... दुःख-दर्द,खुशी, सांसारिक व्याधियों के कोलाहल में आडंबर भरे संसार में झूठे दिखावटी प्यार में भौतिक रिश्तों के व्यापार में जो निर्लिप्त भाव से स्वयं को स्वयं... Hindi · कविता 471 Share sushil sarna 5 Sep 2017 · 1 min read कश्तियाँ ... कश्तियाँ ... हौसला करते न वो ग़र होती खबर तूफ़ान की l पंखों से कह देते न करना चाहतें आसमान की l पथरीले बहुत हैं ज़िंदगी की हकीकत के रास्ते... Hindi · मुक्तक 431 Share sushil sarna 10 Aug 2017 · 1 min read ज़िस्मानी घर... ज़िस्मानी घर... एक पल में हर पल बदल जाता है l ज़िंदगी का हर कल बदल जाता है l ये सांसें कुछ समझ ही नहीं ..पाती - ज़िस्मानी घर राख... Hindi · मुक्तक 453 Share sushil sarna 13 Aug 2017 · 1 min read तिनका तिनका.... तिनका तिनका.... तिनका तिनका करके आशियाना बनाया जाता ..है l कतरा कतरा मोहब्बत से दिल को सजाया जाता है l राज दिल के खोल न दे कहीं सावन ये ...आँखों... Hindi · मुक्तक 1 464 Share sushil sarna 27 May 2017 · 1 min read विश्वास .... विश्वास .... क्या है विश्वास क्या वो आभास जिसे हम केवल महसूस कर सकते हैं और गुजार देते हैं ज़िंदगी सिर्फ़ इस यकीन पर कि एक दिन तो उसे हम... Hindi · कविता 472 Share sushil sarna 6 Sep 2021 · 2 min read लौट भी आओ न .... लौट भी आओ न .... लौट भी आओ न देखो ! प्रतीक्षा की सीढ़ियों पर साँझ उतरने लगी है भोर अपने वादे से मुकरने लगी है आँखों की मुट्ठियों से... Hindi · कविता 5 4 453 Share sushil sarna 3 Jul 2017 · 1 min read तिलस्म .. तिलस्म .. मेरी दुनिया को सितारो स्याह न करो l ...मेरे गुलिस्तां पे शरारो निग़ाह न करो l ......वाकिफ़ हूँ मैं फ़रेबी अदा से आपकी , ..........हुस्ने तिलस्म से मुझे... Hindi · मुक्तक 449 Share sushil sarna 20 Jul 2017 · 1 min read प्यार के रंग.... प्यार के रंग.... प्यार के रंग अपनी आँखों में लिए आ जाओ l शब-ए-वस्ल को शोलों में बदलने आ जाओ l दूर तलक हो राहे वफ़ा में आहटें रोशनी की... Hindi · मुक्तक 475 Share sushil sarna 20 Jun 2017 · 1 min read मुलाक़ात.... मुलाक़ात.... बड़ी हसीन मुलाक़ात हो जाती है .....जब शब् को बरसात हो जाती है तैरती है छुअन लबों पर लबों की .......लाज को लांघती रात हो जाती है सुशील सरना Hindi · मुक्तक 414 Share sushil sarna 29 Jun 2017 · 1 min read मधु क्षण.... मधु क्षण.... मौन भाव ..अभिव्यक्त करो तृषित निशा को तृप्त ..करो करो समर्पण का अभिनंदन मधु क्षण न .अभिशप्त करो सुशील सरना Hindi · मुक्तक 396 Share sushil sarna 24 Aug 2017 · 1 min read अंतिम घट ... अंतिम घट ... हर आदि का ..अंत ..है मरघट l हर देह ..का ..मरघट ..पनघट l जिस तट बंधी नाव .श्वासों ..की - प्राणपथिक का वही अंतिम घट l सुशील... Hindi · मुक्तक 1 406 Share sushil sarna 23 May 2017 · 1 min read नकली परतें... अर्श पर नकली परतें नहीं होती फ़र्श सी वहां नफ़रतें नहीं होती उफ़क तक बस उन्स होती है कहीं वहशी फ़ितरतें नहीं होती अर्श=आसमान , फ़र्श=ज़मीन , उफ़क = क्षितिज़... Hindi · मुक्तक 432 Share sushil sarna 25 Dec 2017 · 1 min read पीठ के नीचे .. पीठ के नीचे .. बेघरों के घर भी हुआ करते हैं वहां सोते हैं जहां शज़र हुआ करते हैं पीठ के नीचे अक्सर पत्थर हुआ करते हैं ज़िंदगी के रेंगते... Hindi · कविता 430 Share sushil sarna 28 May 2017 · 1 min read नज़र... नज़र... मैं पीता नहीं तू पिलाने .लगी है क्यूँ चेहरे से पर्दा हटाने लगी .है रोकूं मैं कैसे बहकने से ख़ुद को अब ये नज़र लड़खड़ाने लगी है सुशील सरना Hindi · मुक्तक 399 Share sushil sarna 29 Sep 2017 · 1 min read तृषा ... तृषा ... श्वास श्वास के आलिंगन का थोड़ा तुम अभिमान करो l विरह पलों से मौन सुधा का तुम न यूँ अपमान करो l नैन विलास की मधुर विभावरी लौट... Hindi · मुक्तक 410 Share sushil sarna 16 May 2017 · 1 min read जंगल ... जंगल ... जंगल के जीव अब शहरों में चले आये हैं स्वार्थी इंसान ने उनके आशियाने जलाये हैं बदलते परिवेश में जानवरों ने तो अपने मतभेद मिटा डाले हैं अफ़सोस... Hindi · कविता 380 Share sushil sarna 28 Jul 2016 · 1 min read तुम्हारे बाहुपाश के लिए ……. तुम्हारे बाहुपाश के लिए ……. कितने वज्र हृदय हो तुम इक बार भी तुमने मुड़कर नहीं देखा तुम्हारी एक कंकरी ने शांत झील में वेदना की कितनी लहरें बना दी... Hindi · कविता 4 377 Share sushil sarna 29 Jul 2016 · 1 min read आभास (वर्ण पिरामिड ) आभास (वर्ण पिरामिड ) मैं तुम यथार्थ और हम एक विश्वास जीवन है माया देह सिर्फ आभास सुशील सरना Hindi · कविता 354 Share sushil sarna 27 Jun 2017 · 1 min read ज़िंदगी के सफ़हात ... ज़िंदगी के सफ़हात ... हैरां हूँ बाद मेरे फना होने के किसी ने मेरी लहद को गुलों से नवाज़ा है एक एक गुल में गुल की एक एक पत्ती में... Hindi · कविता 418 Share sushil sarna 29 Jul 2016 · 1 min read वर्ण पिरामिड.... वर्ण पिरामिड में प्रथम प्रयास : है धूप ही धूप हर ओर हुआ उजला व्यर्थ गयी हाला दगा दे गयी बाला सुशील सरना Hindi · कविता 362 Share sushil sarna 7 Jun 2017 · 1 min read खूंटी पर टंगी कमीज़ को .... खूंटी पर टंगी कमीज़ को .... जब जब मैं छूती हूँ खूंटी पर टंगी कमीज़ को मेरा समूचा अस्तित्व रेंगने लगता है उस स्पर्शबंध के आवरण में जहां मेरा शैशव... Hindi · कविता 490 Share sushil sarna 10 Jul 2017 · 1 min read प्रेम ... प्रेम ... अनुपम आभास की अदृश्य शक्ति का चिर जीवित अहसास है प्रेम// मौन बंधनों से उन्मुक्त उन्माद की अनबुझ प्यास है प्रेम// संवादहीन शब्दों की अव्यक्त अभिव्यक्ति का असीमित... Hindi · कविता 318 Share sushil sarna 5 Jul 2017 · 1 min read यादों के सैलाबों में …. यादों के सैलाबों में …. शराबों में शबाबों में ख़्वाबों की किताबों में ..ज़िंदगी उलझी रही सवालों और जवाबों में ………कैद हूँ मुद्दत से मैं आरज़ूओं के शहर में ……………ज़िन्दा... Hindi · मुक्तक 311 Share sushil sarna 10 May 2017 · 1 min read यकीं के बाम पे ... यकीं के बाम पे ... हो जाता है सब कुछ फ़ना जब जिस्म ख़ाक नशीं हो जाता है गलत है मेरे नदीम न मैं वहम हूँ न तुम वहम हो... Hindi · कविता 286 Share sushil sarna 6 Nov 2017 · 1 min read उनकी यादों की .... उनकी यादों की .... ये कैसे उजाले हैं रात कब की गुजर चुकी दूर तलक आँखों की स्याही बिखेरते तूफ़ां से भरे आरिज़ों पर ठहरे ये कैसे नाले हैं शब्... Hindi · कविता 335 Share sushil sarna 3 Oct 2017 · 1 min read वरदान ... वरदान ... मृदुल मुस्कान से घावों का निदान हो गया। मधु क्षणों के अमरत्व का सामान .हो गया। वो यौवन की देहरी पर .भ्रमरों की ..गुंजन - निस्पंद भाव को... Hindi · मुक्तक 308 Share sushil sarna 22 May 2017 · 1 min read दीदार... इस दीद को हुआ फिर दीदार आपका आया संग कयामत के ख़्वाब आपका मुंतज़िर जिसकी रही आंखें तमाम शब दे गयी तन्हा सहर, हमें जवाब आपका सुशील सरना Hindi · मुक्तक 333 Share sushil sarna 20 May 2017 · 1 min read 1.विहग ..,, 2.रोटी ... 1.विहग .. ले अरमान मधुर से मन ..में ...उड़े जा रहे विहग ..गगन में .......स्मृति घट पर तुम यूँ ....बैठी ............जैसे कोई अभिलाष नयन में सुशील सरना 2.रोटी ... हर... Hindi · मुक्तक 285 Share sushil sarna 5 May 2017 · 1 min read आगाज़ .... आगाज़ बदल जाते हैं अंज़ाम बदल .जाते हैं वक्त के साथ लोगों के निज़ाम बदल जाते हैं डरने लगी हयात जब अन्जाम के .ख्याल से चलते चलते ज़िस्म के मक़ाम... Hindi · मुक्तक 282 Share sushil sarna 3 May 2017 · 1 min read किरदार अब जज़्बा-ए -ईसार का क्या कहिये ...और इज़हार-ए-प्यार का क्या कहिये .......इक साये सा वज़ूद है इन्सां का अब ..........अब साये के किरदार का क्या कहिये जज़्बा-ए -ईसार=स्वार्थ,त्याग सुशील सरना Hindi · मुक्तक 297 Share sushil sarna 7 May 2017 · 1 min read बेनूर …. बेनूर …. अग्नि चिता की बहुत मग़रूर हुआ करती है जला के ये इन्सां को आसमाँ छुआ करती है बहुत करती है ग़रूर ये अपनी ताकत पे मग़र ख़ाक होते... Hindi · मुक्तक 278 Share sushil sarna 6 Sep 2017 · 1 min read मेहरबान ... मेहरबान ... ज़मीं बदल जाती है आसमान बदल जाते हैं l ...हवाओं के मिज़ाज़ से बादबान बदल जाते हैं l .....साये उम्र के भी इक मुक़ाम पे छूट ..जाते हैं... Hindi · मुक्तक 278 Share sushil sarna 17 May 2017 · 1 min read ज़माल... ज़माल... इक यक़ीं इक ख़्वाब हो गया हर सवाल बे-हिज़ाब .हो गया थे हयात जो हमारी .साँसों के वो ज़माल इक अज़ाब हो गया सुशील सरना Hindi · मुक्तक 276 Share sushil sarna 14 Jun 2017 · 1 min read अमर कलम ... अमर कलम ... चलो आओ अब सो जाएँ अश्रु के सीमित कणों में खो जाएँ घन सी वेदना के तिमिर को कोई आस किरण न भेद पाएगी पाषाणों से संवेदहीन... Hindi · कविता 1 2 268 Share sushil sarna 15 Jun 2017 · 1 min read सौगातें ... सौगातें ... सावन की रातें हैं सावन की बातें हैं l ...सावन में भीगी सी चंद मुलाकातें हैं l ......इक दूजे में सिमटे वो भीगे से लम्हे , .........साँसों की... Hindi · मुक्तक 259 Share sushil sarna 4 May 2017 · 1 min read कोठा.... कोठा.... अपनी हवस के लिए हमें ज़रिया बनाया जाता है और होटों से मुहब्बत का दरिया बहाया जाता है होते थे कोठे कहीं-कहीं कभी बीते हुए ज़माने में अब नज़र... Hindi · मुक्तक 257 Share Page 1 Next