सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' Language: Hindi 89 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 29 Nov 2025 · 1 min read सुन ले ज़रा सुन ले ज़रा कह रहा है क्या ये दिल तेरा रख होंसला बस चल दे जरा ठाना है जो करना है वो चाहे जो भी हो सुन ले ज़रा कह... Hindi · Life Journey · Life Quotes · गीत 35 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 28 Nov 2025 · 1 min read कारवां ए जिन्दगी कारवां ए जिन्दगी कुछ तो बता मुझे जिद है ये कैसी कुछ तो बता मुझे सफर है बस चल रहा या है कहीं मोड भी दर से निकल गये जाने... Hindi · Busy Life · Life Journey · Life Quotes · कविता 1 48 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 28 Nov 2025 · 1 min read निगाहों का है ये कैसा जादू निगाहों का है ये कैसा जादू जिधर देखता हूं दिखता तू मोहब्बत में अब तो दिल हुआ बेकाबू जिधर देखता हूं दिखता तू भीगा ये मौसम ओर ये फिजाएं कह... Hindi · Life · Love_poetry_प्रेम_गीत_loveson · गीत 1 1 46 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 28 Nov 2025 · 1 min read गोकुल का ग्वाला गोकुल का ग्वाला बडा मतवाला गोकुल का ग्वाला बडा मतवाला मुरली की धुन पे उसकी नाचे ये जग सारा कोई कहे उसे गोविन्दा कोई कहे गोपाला गोकुल का ग्वाला बडा... Hindi · कान्हा · कान्हा भजन · कृष्ण भजन 1 45 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 3 Sep 2025 · 1 min read तू है मोहब्बत तू है दुआ तू है मोहब्बत, तू है दुआ, तेरे बिना क्या है जीना भला। तू ही है मंज़िल, तू ही सफ़र, तेरे संग लगता है सबकुछ बेहतर। दीवाना दिल ये हुआ है... Hindi · कविता · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 132 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Apr 2025 · 1 min read जंगल ... नदियों का गीत झरनों की झंकार जंगल में पंक्षी गाते हैं मल्लार जंगल में हवाएं सुर सजाए जंगल में प्रकृति का हरित श्रृंगार जंगल में मस्त हो झूमे गजराज जंगल... Hindi · कविता 144 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Apr 2025 · 1 min read आशियां जल रहा आज जंगल कोई तो रोकें इसे हांसिए पर आ क्या इंसानियत बोले मूक हो चले हैं अधिकारों की बात करने वाले मौन क्यों हो चुके हैं दम्भ भरने... Hindi · Best Hindi Poetry · India Love Poem Nation Love · कविता 132 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 18 Mar 2025 · 1 min read नीर के तीर पर पीर को देखें अखियां... नीर के तीर पर पीर को देखें अखियां पीर में तीर पर नीर बहाएं अखियां नीर में तीर पर छब जब दिख आई तो छब देख- देख रोई अखियां रोई... Hindi · Indian Poem · Indian Poetry · Indian आर्मी · कविता · संस्मरण 174 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Mar 2025 · 1 min read सफरनामा.... सफरनामा कुछ यूं रहा कभी मैं सफर में कभी सफर मुझ में रहा हर मोड़ पर मिला कोई मुसाफिर मुझे हर मोड़ पर कोई ना कोई छूटता रहा सुनहरी यादों... Hindi · कविता · संस्मरण 164 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 3 Feb 2025 · 1 min read एक लड़की है एक लड़की जो मुझे अपना दोस्त कहती हैं मेरी उलझनों को दूर वो पल भर में कर देती है मुझ से छोटी है पर बातें उसकी बड़ी- बड़ी हैं... Hindi · कविता · दोस्ती 2 237 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Nov 2024 · 1 min read मन काशी में रम जाएगा जब काशी तन ये जाएगा मन काशी में रम जाएगा जब काशी तन ये जाएगा रोम रोम खिल जाएगा जब गंगा में गोते लगाएगा मणिकर्णिका घाट पर जीवन का अर्थ पाएगा हरिश्चंद्र के घाट पर... Hindi · कविता · संस्मरण 200 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 26 Sep 2024 · 1 min read दरमियान कुछ नहीं दरमियान कुछ नहीं पर हमारे एक कहानी तो है जो रह गई अधुरी एक कहानी तो है राह में भटक रहा था मैं मिली तुम तो थोड़ा ठहरा तो मैं... Hindi · कविता 1 275 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Sep 2024 · 1 min read जब भी लिखता था कमाल लिखता था जब भी लिखता था कमाल लिखता था सवालों के वो जबाब लिखता था अनछुए अनकहे भाव जीवन्त हो उठते थे जब वो कागज पर कलम रखता था Hindi · कविता 1 244 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Aug 2024 · 1 min read घर घर घर में होती है चार दीवारी, एक छत, छत पर पंखा, दीवार पर रोशनदान, और टंगा हुआ एक आइना— जो हर रोज़ मुझे घूरता है, जैसे पूछ रहा हो,... Hindi · कविता · संस्मरण 2 381 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Jun 2024 · 1 min read आत्म मंथन जब कभी खुद से हारने लगो तो किसी नदी के तट चले जाना जब रास्ता - ऐ मंजिल दिखाई ना दे तो किसी नदी के तट चले जाना कैसे लहरें... Hindi · Motivational Poems 2 330 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 16 Jun 2024 · 1 min read गवाही देंगे मुझे जब कभी ढूंढिएगा किसी पर्वत पर या नदी के मुहाने पर ढूंढिएगा हवाओं की गर्मजोशी में ढूंढिएगा झरनों की झनकार में ढूंढिएगा खिलते हुए फूल की खुशबू में ढूंढिएगा... Hindi · कविता · गीत 2 371 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Apr 2024 · 1 min read कौन्तय रण के उस क्षण में कौन्तेय शिथिल हो जाते हैं, जब सम्मुख अपने ही अपनों को पाते हैं। अन्तर्मन में ज्वालामुखी सा जोश उमड़ आता है, पर नेत्रों पर धुंधलका... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · Bharat · Mahabharaat कविता · कविता 2 366 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read जीवन मर्म नीर के तीर पर खड़े हो कर देखो नीर को तीर पर आते हुए फिर स्वयं से कुछ सवाल करो कौतूहल को अन्दर के तुम शान्त करो जैसे आती लहर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 436 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए हुं मैं एक कवि बस इतना सा ही जानिए मैं लिखुंगा किसी के अन्तर्मन की वेदना मैं लिखुंगा किसी के मौन की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 340 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read कुछ लोग शहर के बीचों बीच तंग गलियारों में रहते हैं कुछ लोग दिखने में लोगों जैसे पर लोगों से परे है कुछ लोग सिटी में सटी सटी सी बस्तियों में रहते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 383 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मृत्यु शैय्या मृत्यु शैय्या पर जब आ जाओगे सोचो क्या क्या जी जाओगे चार उम्रो के लेखे होंगे शैय्या पर भी अकेले होंगे जीवन क्षण में क्षरण मृत्यु का वरण होगा सांसों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · जीवन दर्शन 364 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read लोग जाने किधर गये अवशेष शेष बचे यादों के लोग जाने किधर गये जो थे खास बहुत वो लोग जाने किधर गये अधरों पर है अब मौन लोग जाने किधर गये खुल कर मिलते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 2 344 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा जंगल कटेगा तो कुछ दिखाई नहीं देगा कहां से लाओगे गीत नदियों के जब झरना ही सुनाई ना देगा आधुनिकता की इस दौड़ में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 405 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है आदि काल से आधुनिक काल तक हम आ तो गये चकमक के पत्थर से चल कर मिसाइलों तक आ तो गये जंगल जिसमें बिताया करते थे जीवन उस जंगल का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 452 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र आधुनिकता की दौड़ में जिंदगी को कर के शामिल मैं दौड़ता रहा दौड़ता रहा तमाम उम्र सपनो को पूरा करने जिद पर अड़ा रहा मैं तमाम उम्र घर , परिवार,यार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 319 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे ये खूबसूरत दृश्य आंखों से ओझल हो जाएंगे जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे आधुनिकता के इस खेल में बस पुर्जे ही रह जाएंगे बारिश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 423 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जीवन चक्र घर की जिम्मेदारी की जद में आ गया एक नन्हा कल मुश्किल में आ गया पिता जी को लगी थी लत दारु की उस में पिता का जीवन चला गया... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 393 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें कैसे गुजारी होगी फुटपाथ के लोगों ने बदन को अन्दर तक जमा देने वाली इन रातों में कैसे जीवित रहता होगा फुटपाथ पर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 326 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए खूद से एक मुक्कमल मुलाकात कीजिए राहें ज़िन्दगी में नजारे है बहुत नज़रें उठाईं कुछ गुनगुनाइए सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज) Poetry Writing Challenge-2 · कविता 237 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सर्द हवाओं का मौसम थोड़ी सर्द हवाओं में एक राह पर हम जाते हैं फिर एक मोड़ पर थोड़ा ठहर हम जाते हैं तकते हैं कुछ देर को अम्बर को फिर तारों संग बतियाते... Poetry Writing Challenge-2 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 266 Share Page 1 Next