सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 83 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Apr 2024 · 1 min read कौन्तय रण के उस क्षण में कौन्तय शिथिल हो जाते हैं जब सम्मुख अपने वो अपनों को पाते हैं अन्तर्मन में ज्वालामुखी सा उठता है जाने क्या क्या अक्षि में छा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 62 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read जीवन मर्म नीर के तीर पर खड़े हो कर देखो नीर को तीर पर आते हुए फिर स्वयं से कुछ सवाल करो कौतूहल को अन्दर के तुम शान्त करो जैसे आती लहर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 90 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए हुं मैं एक कवि बस इतना सा ही जानिए मैं लिखुंगा किसी के अन्तर्मन की वेदना मैं लिखुंगा किसी के मौन की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 68 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read कुछ लोग शहर के बीचों बीच तंग गलियारों में रहते हैं कुछ लोग दिखने में लोगों जैसे पर लोगों से परे है कुछ लोग सिटी में सटी सटी सी बस्तियों में रहते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 71 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मृत्यु शैय्या मृत्यु शैय्या पर जब आ जाओगे सोचो क्या क्या जी जाओगे चार उम्रो के लेखे होंगे शैय्या पर भी अकेले होंगे जीवन क्षण में क्षरण मृत्यु का वरण होगा सांसों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · जीवन दर्शन 80 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read लोग जाने किधर गये अवशेष शेष बचे यादों के लोग जाने किधर गये जो थे खास बहुत वो लोग जाने किधर गये अधरों पर है अब मौन लोग जाने किधर गये खुल कर मिलते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 81 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा जंगल कटेगा तो कुछ दिखाई नहीं देगा कहां से लाओगे गीत नदियों के जब झरना ही सुनाई ना देगा आधुनिकता की इस दौड़ में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 96 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है आदि काल से आधुनिक काल तक हम आ तो गये चकमक के पत्थर से चल कर मिसाइलों तक आ तो गये जंगल जिसमें बिताया करते थे जीवन उस जंगल का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 93 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र आधुनिकता की दौड़ में जिंदगी को कर के शामिल मैं दौड़ता रहा दौड़ता रहा तमाम उम्र सपनो को पूरा करने जिद पर अड़ा रहा मैं तमाम उम्र घर , परिवार,यार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 94 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे ये खूबसूरत दृश्य आंखों से ओझल हो जाएंगे जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे आधुनिक इस खेल में बस पुर्जे ही रह जाएंगे बारिश नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 94 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जीवन चक्र घर की जिम्मेदारी की जद में आ गया एक नन्हा कल मुश्किल में आ गया पिता जी को लगी थी लत दारु की उस में पिता का जीवन चला गया... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 96 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें कैसे गुजारी होगी फुटपाथ के लोगों ने बदन को अन्दर तक जमा देने वाली इन रातों में कैसे जीवित रहता होगा फुटपाथ पर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 83 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए खूद से एक मुक्कमल मुलाकात कीजिए राहें ज़िन्दगी में नजारे है बहुत नज़रें उठाईं कुछ गुनगुनाइए सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज) Poetry Writing Challenge-2 · कविता 59 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सर्द हवाओं का मौसम थोड़ी सर्द हवाओं में एक राह पर हम जाते हैं फिर एक मोड़ पर थोड़ा ठहर हम जाते हैं तकते हैं कुछ देर को अम्बर को फिर तारों संग बतियाते... Poetry Writing Challenge-2 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 65 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read आवाजें चीखती हुई आवाजें है कहीं और कहीं घुटती हुई आवाजें है कहीं मौन है आवाजें तो कहीं शोर है आवाजें समाज की ही है और समाज के बीच ही है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 48 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नौका को सिन्धु में उतारो नौका को सिन्धु में उतारो किनारों से दूर करो जानना है यदि खुद को तो खुद के निर्णय पर विश्वास करो तुम ऊर्जा के पूंज हो तुम ही आभा सूर्य... Poetry Writing Challenge-2 · Motivation · कविता 70 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 3 Feb 2024 · 1 min read अन्तर्मन की विषम वेदना तुम घर आ ना पाओगे जब कदम तुम्हारे बढ़ेंगे मंजिल को पाने को सपने को सच कर जाने को तुम घर आ ना पाओगे जब जिम्मेदारी का बोझ उठाओगे जब... Poetry Writing Challenge-2 · लघु कथा 121 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Feb 2024 · 1 min read चिरैया पूछेंगी एक दिन चिरैया पूछेंगी एक दिन मेरा छज्जा किधर गया तिनके तिनके से जोड़ा था वो छज्जा किधर गया धूप में तप तप कर मैं लायी थी तिनका बड़ी ही मेहनत से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 110 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read झील किनारे पलो से किये है तैयार लम्हे तुम्हारे लिए एक दिन आना तुम ख्वाब में हमारे लिए तुम को अपनी प्यारी दुनिया में ले जाएंगे कुछ नगमे जो लिखे हैं झील... Poetry Writing Challenge-2 · Poem 86 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read है कौन वहां शिखर पर है कौन वहां शिखर पर जो दे रहा आवाज है तुम में है कुछ बात वो ही वहां से बतला रहा है जानो खुद को पहचानो खुद को कह रहा... Poetry Writing Challenge-2 · Life · कविता 74 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read किसी नदी के मुहाने पर किसी नदी के मुहाने पर जाना जब सब कुछ हाथ से छूट रहा हो कुछ भी समझ ना आ रहा हो समय का बन्द फिसलता जा रहा हो तब किसी... Poetry Writing Challenge-2 · Love · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 69 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read हे कौन वहां अन्तश्चेतना में हे कौन वहां अन्तश्चेतना में जो मौन हो कर देखता जिसने देखा तुम्हारा बाल्यपन ओर युवा अवस्था तुम्हारे विचलन और मौन को देखता हे कौन वहां अन्तश्चेतना में जो मौन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 56 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें शोर करेगी हवाऐं पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे नदियां सागर से मिलेगी मिलन के गीत गाए जाएगे ओर हमको एक दिन भुला... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 88 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2024 · 1 min read गीत मौसम का मधुर गुंजन करता आया मौसम रिमझिम बरसती बूंदें लाया मौसम मस्त पवन के झोंके तन मन को आनंदित कर जाते हैं ऐसे मौसम में ही तो नव सृजन के गीत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 74 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2024 · 1 min read मैं तुम्हें लिखता रहूंगा क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं मैं तुम्हें लिखता रहूंगा गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में , भाव की अभिव्यक्तियों में , सृजन की नव सृष्टियों में , उपवनों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 76 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 22 Jan 2024 · 1 min read मैं अपने अधरों को मौन करूं मैं अपने अधरों को मौन करूं तुम मेरे नैनों से बात करो छोड़ो शब्दों का ये ताना बाना तुम नैनो से नैनो की बात करो एहसासों के सागर में से... Poetry Writing Challenge-2 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 61 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Jan 2024 · 1 min read राम के नाम को यूं ही सुरमन करें राम के नाम को यूं ही सुरमन करें आओ आओ हम ये वंदन करें तन में जब तक रहे सांसों की बत्तियां मुख से निकले सदा राम की वंदना जय... Quote Writer 146 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 Jan 2024 · 1 min read जीवन उत्साह 36 की उम्र तक आते-आते 36 सौ जगह घुमा 36 सौ प्यार मिला 36 सौ से 36 के आंकड़े रहे 36सौ उतार चढ़ाव आए 36 सौ अवसर आए 36 सौ... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 105 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 6 Jan 2024 · 1 min read मैं तुम्हें लिखता रहूंगा क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं मैं तुम्हें लिखता रहूंगा गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में , भाव की अभिव्यक्तियों में , सृजन की नव सृष्टियों में , उपवनों... Hindi · कविता · गीतिका 115 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 23 Dec 2023 · 1 min read बुढ़िया काकी बन गई है स्टार साल में एक बार आती है उस बुढ़िया के चेहरे पर मुस्कान जब बड़े बड़े लाउडस्पीकर से होने लगते हैं प्रचार होने लगते हैं भाषण और सुनाई देने लगती है... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता 170 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Dec 2023 · 1 min read आवाजें चीखती हुई आवाजें है कहीं और कहीं घुटती हुई आवाजें है कहीं मौन है आवाजें तो कहीं शोर है आवाजें समाज की ही है और समाज के बीच ही है... Hindi · वायरल कविता की प्रतिक्रिया · संस्मरण 2 157 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 Nov 2023 · 1 min read सर्द हवाएं थोड़ी सर्द हवाओं में एक राह पर हम जाते हैं फिर एक मोड़ पर थोड़ा ठहर हम जाते हैं तकते हैं कुछ देर को अम्बर को फिर तारों संग बतियाते... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · मन का मौसम · सर्द रात · हिन्दी काव्य 1 180 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Nov 2023 · 1 min read फुटपाथ की ठंड नवंबर की ये ठंडी ठुठरती हुई रातें कैसे गुजारी होगी फुटपाथ के लोगों ने बदन को अन्दर तक जमा देने वाली इन रातों में कैसे जीवित रहता होगा फुटपाथ पर... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 130 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 8 Nov 2023 · 1 min read जीवन के बसंत खींचतान कर जैसे तैसे ले आया हूं मैं जीवन के बसंत जी आया हूं सबसे मधुर थे बचपन के बसंत बिना चिन्ता के ओर किए बिना जतन पा मैं सब... Hindi 2 203 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 7 Nov 2023 · 1 min read मौन अधर होंगे तुम से मिलना जब हमारा होगा देखना बड़ा दायरा होगा बीते सालों के एक एक दिन का आंखों के सामने आना होगा कैसे कटे ओर कैसे जीएं तुम्हारे बिन आंखों... Hindi · Quote Writer 1 104 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 26 Sep 2023 · 1 min read खुद से मिल हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें शोर करेगी हवाऐं पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे नदियां सागर से मिलेगी मिलन के गीत गाए जाएगे ओर हमको एक दिन भुला... Hindi · कविता · संस्मरण 2 159 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Sep 2023 · 1 min read सुकुमारी जो है जनकदुलारी है सुकुमारी जो है जनकदुलारी है विधि के लेख को सहज स्वीकारी है वन वन घूमी और मुख से ना वो बोली कभी वहीं अयोध्या की महारानी है कैसी ये विधि... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · Kavita Kosh · Quote Writer · अखंड भारत · भारतीय संस्कृति 1 278 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 29 Aug 2023 · 1 min read तुम्ही बताओ आज सभासद है ये प्रशन महान तुम्ही बताओ आज सभासद है ये प्रशन महान हिन्द का कैसे हो उत्थान ये भारत वहीं हमारा जन्हा वहती दुध दही की धारा इस मात्रभूमि में जन्मे थे राम श्याम... Quote Writer 1 331 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Aug 2023 · 1 min read राम वन गमन हो गया राम वन गमन हो गया हाय रे विधाता ये क्या हो गया अयोध्या देख कैसे सुनी हो गई जैसे कोई सुहागन विधवा हो गई कोई तो करो जतन कोई तो... Hindi · Mythology · अखंड भारत · कविता · लघु कथा · संस्मरण 1 442 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 20 Aug 2023 · 1 min read गीत मौसम का मधुर गुंजन करता आया मौसम रिमझिम बरसती बूंदें लाया मौसम मस्त पवन के झोंके तन मन को आनंदित कर जाते हैं ऐसे मौसम में ही नव सृजन के गीत गाये... Hindi · कविता · मुक्तक 215 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Aug 2023 · 1 min read यह हिन्दुस्तान हमारा है तन मन धन इस पर वारा है यह हिन्दुस्तान हमारा है भारत में वीर महान हुए श्री रामचन्द्र भगवान हुए लंकापति रावण मारा है यह हिन्दुस्तान हमारा है यहां जन्मे... Hindi · अखंड भारत · अखंड हिंदू राष्ट्र · कविता · भारतीय संस्कृति · संस्मरण 1 873 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 28 Jul 2023 · 1 min read वृक्ष बन जाओगे "हे पॖकृति तुम्हे समर्पित एक बीज करते है हम अपनी एक छोटी सी पहल करते है " एक बीज पौधा बना अब एक वृक्ष बनने की यात्रा को शुरू कर... Hindi · कविता 1 110 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 19 Jul 2023 · 1 min read निज धर्म सदा चलते रहना जाने कौन डगर को ठहरे कदम हमारे रस्ते हमारी राह निहारे आंखों ने कुछ ख्वाब है देखे हम अभी से क्या ही बतलाये अभी फूलों का रस्ता है राह सुहानी... Hindi · कविता 2 145 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 Jul 2023 · 1 min read कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये कलियुग के प्रथम चरण का आरंभ देखिये बनता है इंसान कैसे हैवान देखिये माया के पीछे पड इंसानियत कैसे खोती है देखिये होती... Quote Writer 202 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Jul 2023 · 1 min read हे चाणक्य चले आओ चन्द्रगुप्त ओर चाणक्य के मिलन से ही नवनिर्माण हुआ था एक शिष्य ने गुरू के वचनो को शिरोधार्य किया था कठिन चुनौती अथक परिश्रम ओर साहस से एक साधारण सा... Hindi · Emotional · Motivation · कविता 1 119 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 8 Jul 2023 · 1 min read चोला रंग बसंती चोला रंग बसंती पहन जो इंकलाब को गाता था जिसके कतरे कतरे में आजादी का सपना आता था मां भारती की बेड़ियां देख लहू जिसका उबला था लायलपुर का जन्मा... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · लेख · संस्मरण 4 2 201 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 8 Jul 2023 · 1 min read झील किनारे पलो से किये है तैयार लम्हे तुम्हारे लिए एक दिन आना तुम ख्वाब में हमारे लिए तुम को अपनी प्यारी दुनिया में ले जाएंगे कुछ नगमे जो लिखे हैं झील... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · संस्मरण 2 249 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 24 Jun 2023 · 1 min read दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई दहलीज़ पराई हो गई जब से बिदाई हो गई इस पार रहा ना रहा उस पार रहा घर ये कैसी ज़िन्दगी में घड़ी आ गई बाबुल ने दी भीगी आंखों... Quote Writer 438 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 19 Jun 2023 · 1 min read तपोवन है जीवन तपोवन है जीवन ये मरम समझ में आया है शीत ,ग्रीष्म ,वर्षा ,शरद ऋतु ने ये समझाया है सब दिन एक से नहीं ही परिवर्तन जीवन की परिभाषा है जीवन... Hindi · जीवन 1 361 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 10 Jun 2023 · 1 min read बस्ता वो जो मुझ से कभी छूटा नहीं वो जो मेरे साथ बचपन से रहा मेरे अध्ययन के सफर के साथी मेरे शून्य से शिखर के दर्शक तु नये नये रूपो... Hindi · कविता · संस्मरण 1 147 Share Page 1 Next