सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' Tag: संस्मरण 29 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Nov 2024 · 1 min read मन काशी में रम जाएगा जब काशी तन ये जाएगा मन काशी में रम जाएगा जब काशी तन ये जाएगा रोम रोम खिल जाएगा जब गंगा में गोते लगाएगा मणिकर्णिका घाट पर जीवन का अर्थ पाएगा हरिश्चंद्र के घाट पर... Hindi · कविता · संस्मरण 17 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Aug 2024 · 1 min read एक मौन घर घर में होती है अक्सर चार दीवारी एक छत छत पर लगा पंखा ओर दीवार पर लगा होता एक रोशनदान और आइना उस आइने जब भी मैं अपने आप... Hindi · कविता · संस्मरण 1 98 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read जीवन मर्म नीर के तीर पर खड़े हो कर देखो नीर को तीर पर आते हुए फिर स्वयं से कुछ सवाल करो कौतूहल को अन्दर के तुम शान्त करो जैसे आती लहर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 186 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read लोग जाने किधर गये अवशेष शेष बचे यादों के लोग जाने किधर गये जो थे खास बहुत वो लोग जाने किधर गये अधरों पर है अब मौन लोग जाने किधर गये खुल कर मिलते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 2 176 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जीवन चक्र घर की जिम्मेदारी की जद में आ गया एक नन्हा कल मुश्किल में आ गया पिता जी को लगी थी लत दारु की उस में पिता का जीवन चला गया... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 213 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read आवाजें चीखती हुई आवाजें है कहीं और कहीं घुटती हुई आवाजें है कहीं मौन है आवाजें तो कहीं शोर है आवाजें समाज की ही है और समाज के बीच ही है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 161 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Feb 2024 · 1 min read चिरैया पूछेंगी एक दिन चिरैया पूछेंगी एक दिन मेरा छज्जा किधर गया तिनके तिनके से जोड़ा था वो छज्जा किधर गया धूप में तप तप कर मैं लायी थी तिनका बड़ी ही मेहनत से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 222 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Dec 2023 · 1 min read आवाजें चीखती हुई आवाजें है कहीं और कहीं घुटती हुई आवाजें है कहीं मौन है आवाजें तो कहीं शोर है आवाजें समाज की ही है और समाज के बीच ही है... Hindi · वायरल कविता की प्रतिक्रिया · संस्मरण 1 2 218 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 26 Sep 2023 · 1 min read खुद से मिल हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें शोर करेगी हवाऐं पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे नदियां सागर से मिलेगी मिलन के गीत गाए जाएगे ओर हमको एक दिन भुला... Hindi · कविता · संस्मरण 3 219 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Aug 2023 · 1 min read राम वन गमन हो गया राम वन गमन हो गया हाय रे विधाता ये क्या हो गया अयोध्या देख कैसे सुनी हो गई जैसे कोई सुहागन विधवा हो गई कोई तो करो जतन कोई तो... Hindi · Mythology · अखंड भारत · कविता · लघु कथा · संस्मरण 2 606 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Aug 2023 · 1 min read यह हिन्दुस्तान हमारा है तन मन धन इस पर वारा है यह हिन्दुस्तान हमारा है भारत में वीर महान हुए श्री रामचन्द्र भगवान हुए लंकापति रावण मारा है यह हिन्दुस्तान हमारा है यहां जन्मे... Hindi · अखंड भारत · अखंड हिंदू राष्ट्र · कविता · भारतीय संस्कृति · संस्मरण 2 948 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 8 Jul 2023 · 1 min read चोला रंग बसंती चोला रंग बसंती पहन जो इंकलाब को गाता था जिसके कतरे कतरे में आजादी का सपना आता था मां भारती की बेड़ियां देख लहू जिसका उबला था लायलपुर का जन्मा... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · लेख · संस्मरण 5 2 252 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 8 Jul 2023 · 1 min read झील किनारे पलो से किये है तैयार लम्हे तुम्हारे लिए एक दिन आना तुम ख्वाब में हमारे लिए तुम को अपनी प्यारी दुनिया में ले जाएंगे कुछ नगमे जो लिखे हैं झील... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · संस्मरण 2 321 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 10 Jun 2023 · 1 min read बस्ता वो जो मुझ से कभी छूटा नहीं वो जो मेरे साथ बचपन से रहा मेरे अध्ययन के सफर के साथी मेरे शून्य से शिखर के दर्शक तु नये नये रूपो... Hindi · कविता · संस्मरण 1 199 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 May 2023 · 2 min read आहट आज का दिन बहुत ही खुबसूरत निकला था सुरज की पहली किरण के साथ ही पंछीयो की चहचहाहट से जैसे सुबह झुम उठी हो ऐसा आज इसलिए था क्योंकी आज... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता · Story · कहानी · लघु कथा · संस्मरण 2 3 188 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 May 2023 · 1 min read उठो पथिक थक कर हार ना मानो उम्मीद की किरण बन आया अँधेरा चीर कर सूरज आया पंक्षी फिर चहकने लगे गगन में फिर झरनों ने गीत मधुर गाया ऋतुओं ने खिलाये फूल भंवरों ने गुंजन किया... Poetry Writing Challenge · कविता · जीवन · शौर्य · संस्मरण 4 229 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 May 2023 · 1 min read किस कदर है व्याकुल किस कदर है व्याकुल धरा और गगन मेल हो जाऐ इनका करो कुछ जतन तुम निहारो तो सही गगन की तरफ कुछ कह रहा है वो गुनगुनाते हुए हवाऐ बनी... Poetry Writing Challenge · कविता · ग़ज़ल · संस्मरण 5 142 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 23 May 2023 · 1 min read मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ सहज भाव से लेखनी को लेकर अपने हाथ मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ कभी नदियाँ कभी अम्बर कभी पंक्षी कभी समुंदर कभी बारिश कभी बुन्दो पर लिख... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 4 2 565 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 May 2023 · 1 min read चाहता है जो चाहता है जो वो करता क्यों नहीं जो कर रहा वो भी करता क्यों नहीं करता है जो वो तू करता क्यों नहीं सोचा है कभी जो हो रहा है... Hindi · Life · कविता · संस्मरण 2 456 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 16 May 2023 · 1 min read कवि की कल्पना जो कवि लिखता है वह भी कल्पना से ही पोषित भाव है जो हो कर भी नहीं ओर जो नहीं हो कर भी होते भाव है जो भी आया कल्पना... Poetry Writing Challenge · कविता · लेख · संस्मरण 277 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read मैं बारिश में तर था शहर में उस रोज बारिश थी और मैं बारिश में तर था रिस गई सारी कड़वाहट हृदय की ओर मैंने उस दिन भूला दिया उस गम को पल को लफ्ज़... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 208 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read कल कल करती बेकल नदियां कल कल करती बेकल नदियां किनारों से मेल ना करती नदियां अपने अल्हड़पन बहती नदियां अपने प्रारंभ और प्रारब्ध को जाने नदियां कल कल करती बेकल नदियां जीवन मंत्र देती... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 400 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी भ्रम की स्थिति में सही राह दिखाते है मेरे बाऊजी कभी गीता कभी रामायण के उदाहरण देते है मेरे बाऊजी... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 201 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read एहसासों से भरे पल हर लम्हे में कई पलो को समेटे बैठा हूं हां मैं अपने बरामदे में चाय लिए बैठा हूं चाय के हर घुट में यादें सजाए बैठा हूं शाम के वक्त... Poetry Writing Challenge · Poem · Poem Of Constitution Of India · गीत · मुक्तक · संस्मरण 2 237 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले छेड़ कोई तान कोई सुर सजाले तोड़ ये बंधनो के सब जाले शिखर की पुकार सुन ले बस एक बार खुद की भी सुन ले क्यों आखिर तू रूका है... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 284 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read धुनी रमाई है तेरे नाम की धुनी रमाई है तेरे नाम की भूल के दुनियादारी अब आया हू शरण तुम्हारी हे बाबा भोले भण्डारी बडी देर लगी मन भटका गली गली एक नाम तेरा सच्चा झूठी... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 1 245 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 May 2023 · 1 min read हिटलर हिटलर जैसी है वो करती अपनी मनमानी है मेरी हर बात में उसको अपनी टांग अडानी है ना सुने मेरी एक बस मुझको ही सुनाती है करती अपनी मनमानी है... Poetry Writing Challenge · कविता · संस्मरण 2 225 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 May 2023 · 1 min read नीर धरा का नीर है इसे अमृत जानो समस्या गम्भीर है इसे पहचानों नदी कुओं से नल तक आ गये धरा की हुई क्षति ये मानो विपदा भारी ना हो जाए... Poetry Writing Challenge · कविता · गीत · लेख · संस्मरण 256 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 May 2023 · 1 min read जल जल जल जीवन जीवन की धारा है इस धारा को घर घर पहुंचाना है लक्ष्य हम ने बस यही ठाना है हर घर जल पहुंचाना है गांव गांव ओर शहर... Poetry Writing Challenge · कविता · ग़ज़ल · गीत · संस्मरण 217 Share