डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 124 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 20 Dec 2020 · 1 min read मुकुट उतरेगा सुन भाई, मैं सन दो हजार उन्नीस का, आक्रान्ता सम्राट हूँ मैं एक रहस्यमयी मुकुट हूँ. एक यायावर हूँ, तथाकथित कोरोना हूँ सबको मुकुट पहनाने की चाह लिए फ़िलहाल, विश्व... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 18 66 1k Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 11 Nov 2018 · 1 min read माँ किसमें सामर्थ्य है 'माँ' को परिभाषित/ परिमापित करने का, सम्पूर्णता, पवित्रता, त्याग, ममत्व और प्रेम और क्या नहीं निहित है 'माँ' में, फिर कौन है? जो समेट सके 'माँ' को... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 12 59 1k Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read बरसात की कहानी रुक-रुक कर चलती है, बरसात की कहानी, थम-थम कर चलती है, बरसात की कहानी। बरसात से ही नदियाँ, बरसात से ही झरना, बरसात के ही बल पर, भारत की है... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 14 882 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read बरसात और बाढ़ बरसात, अपने साथ लाती है बाढ़, उफना जाती हैं शांत बहती नदियाँ, ताण्डव करने लगती हैं, किनारों को उदरस्थ करने लगती हैं, यही नदियाँ, जो मानव सभ्यता की उद्गम हैं।... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 8 519 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 May 2020 · 1 min read मैं फिर आऊंगा मेरे प्यारे निष्ठुर शहर ! मैं फिर आऊंगा तेरे पास उदास मत हो भले तूने आश्रय नहीं दिया मेरी मज़बूरी को न समझा न तरस खाई तो क्या करता ?... Hindi · कविता 6 6 448 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read रहस्यमयी बरसात प्रकृति के अद्भुत रहस्यों का प्रकटन है बरसात, यह देती है जीवन को- नव ऊर्जा और गति सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भर देती है, नव स्पंदन भरती है रंग विविध पर्यावरण... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 6 308 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read कितने मादक ये जलधर हैं कितने मादक ये जलधर हैं, इठलाते, मँडराते आते, सोयी पीर जगा कर जाते, गरज-गरज कर मन भर देते, पीड़ा के विरही अंतर हैं, कितने मादक ये जलधर हैं। ये जलधर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 7 397 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read प्रकृति का उपहार है बरसात कितने अलग होते हैं बरसात के दिन, यह अनुपम उपहार है धरा के लिए प्रकृति का, बरसात हर्षित करती है- किसानों को जब लहलहाती हैं फसलें बरसात की मोती जैसी... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 9 827 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 8 Oct 2022 · 1 min read संसद को जाती सड़कें एक आम आदमी चिल्लाता है मेरे गाँव की सड़क अभी तक नहीं बनी घोर उपेक्षा है दूसरा स्वर में स्वर मिलाता है वह भी चिल्लाता है मेरे गाँव की सड़क... Hindi 6 10 260 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 29 Jun 2019 · 1 min read शब्दों को गुनगुनाने दें शब्द गुनगुनाते और रोते भी हैं, इन्हें सिसकते भी देखा गया है। गुनगुनाते हैं यह, देवालयों की पवित्र सीढ़ियों पर । मंद-मंद मुस्कुराते हैं, मस्जिदों के मुंडेर पर। चहकते हैं,... Hindi · कविता 5 3 697 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 30 Jun 2019 · 1 min read रिश्ते रिश्ते मरने लगते हैं, धीरे -धीरे जब अनकही कथनों को कहा माने जाने लगता है। नदी के निर्मल प्रवाह में जब- कैक्टस उगने लगता है और धीरे -धीरे रिश्तों की... Hindi · कविता 5 1 440 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 14 May 2020 · 1 min read मुझे मेरे गाँव पहुंचा देना हे, सर्पिली रेल की पटरियों मैं चल पड़ा हूँ त्रस्त नंगे पांव तेरे साथ आशा है पहुंचा दोगी सकुशल मेरे गाँव. चलते-चलते थक जाऊं तो निष्ठुर मत बनना सदा के... Hindi · कविता 5 4 322 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटियाँ,बेटियाँ हैं जो हैं सूत्रधार सृजन की,ममत्व की- और वैश्विक सौन्दर्य की । संभव नहीं इनके बिना- सृष्टि का अस्तित्व और यहाँ तक- 'परिवार'की पूर्णता। कितना अधूरा लगता है, बेटियों... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 4 2 1k Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 1 May 2020 · 1 min read श्रमिक श्रमिक मिल जायेंगे शहरों की तंग गलियों में बजबजाती नालियों के किनारे झुग्गियों में चीथड़ों में लिपटे और मिल जायेंगे शहर की अलसायी सहर में किसी चौराहे पर चेहरे पर... Hindi · कविता 4 1 433 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 1 Jul 2021 · 9 min read बटेसर अजायबघर हेतु सृजित उस अद्भुत वाहन पर बैठते समय दिन के ठीक बारह बज रहे थे. जून का उत्तापयुक्त महीना था. सूर्य की किरणें आग विखेर रही थीं. पशु-पक्षी, सभी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 9 786 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 23 Aug 2021 · 1 min read काबुल का दंश कैसे अभिशप्त हो गई है काबुल में एक माँ, फेंकने के लिए, अपने कलेजे के अंश को, कँटीले बाड़े के उस पार, गिद्धों के शाये से दूर, मानवता के बचे... Hindi · कविता 4 2 548 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 24 Feb 2022 · 2 min read लोकतंत्र में मुर्दे चुनाव आते ही मुर्दे जीवित हो जाते हैं, वह लहलहाने लगते हैं नए-नए “वादों” की बहती बयार से यह वही मुर्दे हैं जो पिछले चुनाव के बाद- धीरे-धीरे मर गए... Hindi · कविता 4 2 283 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 Mar 2017 · 4 min read गधी का दूध गधों को गदहा कहने पर लोग मुस्करा देते हैं. ऐसे सीधे-साधे प्राणी को लोग सरस्वतीविहीन मानते हैं. यदि किसी विवेकशील मनुष्य पर सरस्वती की कृपा न हो, उसे भी 'गधा'... Hindi · लेख 3 1 828 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 2 min read गीता के स्वर (2) शरीर और आत्मा पार्थ ! बिना अवसर के शोक क्यों ? और प्रारम्भ हुआ ‘गीताशास्त्र’ का अद्वितीय उपदेश- ‘गतासु’- मरणशील शरीर और ‘अगतासु’- अविनाशी आत्मा के लिए शोक क्यों ? ‘आत्मा’ नित्य है... Hindi · कविता 3 603 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (16) परमगति का मार्ग ‘भय’ क्या है ? इष्ट वियोग और अनिष्ट का संशय ‘भय’ है और इसकी निवृत्ति ‘अभय’. ... ‘दान’ क्या है ? न्यायोपार्जित धन प्रदत्त करना ‘सुपात्र’ को दान है. ...... Hindi · कविता 3 2 346 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 3 Jul 2021 · 2 min read मदार चौक बहुत दिनों से जयबुनिया मदार चौक जाने की सोच रही थी. नेपाल का यह मनोरम स्थान जाने कब से उसे आमंत्रित कर रहा था. साल- दर – साल गुजरते गए.... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 762 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 14 Sep 2022 · 1 min read हिंदी, सपनों की भाषा हिंदी हमारे सपनों की भाषा है यह अपनों की भाषा है इसके सपने अपने हैं जिसमें “क” का कर्म भी है और “ज्ञ” का ज्ञान भी, यह हृदय से निकलती... Hindi 3 3 265 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 Mar 2017 · 1 min read गदहे गदहे, अब मुख़्यधारा में आ रहे हैं. वे रेंकने के बजाय, फेंकने लगे हैँ. गदहों का भोलापन, उनके लदे होने का यथार्थ, अब राजनीति का नया अध्याय होगा, सावधान! गदहे,... Hindi · कविता 2 2 436 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 Sep 2017 · 1 min read नेता सावधान! मैं नेता हूँ जनता का प्रतिनिधि जो बढ़ाता है, बहुविधि अपनी निधि। मेरी हर गतिविधि होती है अत्यन्त रहस्यमयी मैं फेंकता हूँ कुछ इस तरह, जनता की रूह में... Hindi · कविता 2 667 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 17 Sep 2017 · 1 min read किसान रूको, देखो वह अंधेरे को चिरता कौन आ रहा है? देखो , खेतों के मेड़ पर खड़ा वह शून्य आँखों से निहारता चुपके से, खड़ी फसल को सहलाया है। मंडराते... Hindi · कविता 2 363 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 20 Sep 2017 · 1 min read मीडिया मीडिया अब, धीरे-धीरे मर रही है। बिना संकोच बेहयाई से, मीडिया अब, गोंद में बैठने लगी है उनके जो पवित्र लोकतंत्र के अस्तित्व को ललकारते हैं दुत्कारते हैं और पग-पग... Hindi · कविता 2 2 742 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 7 Oct 2017 · 1 min read आस्था की आरसी संसार की तथाकथित नियमावली मुझे अभिशप्त कर रही है. और तुम बैठे, मेरी बेबसी पर मुस्करा रहे हो यह मेरी सामाजिक संत्रास ही नहीं, हृदय की वेदना है, तुम्हारा अस्तित्व... Hindi · कविता 2 347 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 1 Feb 2020 · 2 min read जुम्मे की नमाज़ ‘सुरक्षा’ व ‘शांतिपूर्ण’ माहौल में सम्पन्न हुई जुम्मे की नमाज़ सुर्खिया बनने लगी हैं, चौथे स्तम्भ की कहते है यह रहम का दिन है फिर कैसे ? बेरहम हो सकता... Hindi · कविता 2 2 313 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (8) स्मरण भाव की श्रेष्ठता ‘ब्रह्म’ क्या है ? परम ‘अक्षर’ है ‘ब्रह्म’ ‘अक्षर’- जिसका नाश न हो अविनाशी है यह ‘ब्रह्म’ अध्यात्म क्या है ? ‘स्वभाव’ है अध्यात्म प्रकृति है. ऐसे ही ‘कर्म’ भूतों... Hindi · कविता 2 259 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (15) पुरुषोत्तम वेदवेत्ता कौन होता है ? ‘अश्वत्थ’ वृक्ष का परिचित जिसके पत्ते होते हैं ‘वेद’ ‘अश्वत्थ’ केवल एक वृक्ष नहीं इसमें समाया है समस्त ज्ञान ‘अश्वत्थ’ की भाँति संसार वृक्ष की... Hindi · कविता 2 256 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (18) संन्यास व त्याग के तत्त्व काम्य कर्मों के त्याग को संन्यास और कर्मों के फल त्याग को ‘त्याग’ के रूप में परिभाषित करने की प्रचलित धारणा है. ‘संन्यास’ व ‘त्याग’ की धारणाएं हैं अपनी-अपनी, अशेष... Hindi · कविता 2 2 499 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 Apr 2021 · 1 min read किसे कोसें कहते हैं गहन पीड़ा की भूमि पर उपजती है कविता यह दौर तो भयानक मंजर है पल, प्रति-पल चूभता नश्तर है कविता मर्माहत है, वह देख रही है - खंड-प्रलय... Hindi · कविता 2 2 480 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 11 Nov 2021 · 2 min read बहंगी लचकत जाय सूर्योपासना का अद्वितीय व बहुआयामी लोकपर्व है “छठ”। आस्था के इस लोकपर्व में विभिन प्रकार का जीवन संदेश समाया है। यह संसार का एकमात्र ऐसा पर्व है, जो उदय और... Hindi · लेख 2 1 677 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 14 Apr 2022 · 2 min read सतुआन सतुआन पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार तथा नेपाल के तराई क्षेत्र में सतुआन का बेहद महत्व है. यह लोक संस्कृति का एक चर्चित पर्व है, जो धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है.... Hindi · लेख 2 2 1k Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 13 Jun 2023 · 2 min read लोकतंत्र में मुर्दे चुनाव आते ही मुर्दे जीवित हो जाते हैं, वह लहलहाने लगते हैं नए-नए “वादों” की बहती बयार से यह वही मुर्दे हैं जो पिछले चुनाव के बाद- धीरे-धीरे मर गए... Poetry Writing Challenge 2 1 88 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 Jan 2024 · 3 min read प्राण- प्रतिष्ठा ‘प्राण प्रतिष्ठा’ चर्चा में है, सुर्ख़ियों में है । यदि इस शब्द-युग्म को माह जनवरी 2024 का शब्द-युग्म कहा जाय, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. चहुओर प्राण प्रतिष्ठा संगीत की... Hindi 2 2 80 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 21 Jan 2024 · 4 min read रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस 16वीं सदी में रचित लोक ग्रन्थ के रूप में मान्य महाकाव्य है, जो गोस्वामी जी को विशेष यश दिलाता है और राम की बहुविध छवियाँ जन-जन... Hindi 2 60 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 21 Jan 2024 · 3 min read घट -घट में बसे राम “भये प्रकट कृपाला, दीनदयाला” की स्तुति के विशेष कालखण्ड का स्मरण अयोध्या के इतिहास पर नज़र रखने वालों को होगा । इसे स्मरण करना सामयिक होगा और उनके प्रति आभार... 2 1 114 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 3 min read युद्ध के मायने युद्ध में लड़ते हैं दो देश/या कई देश आपस में जैसे वह जन्मजात लड़ाके हों सभ्यता का अनवरत विकास होता गया पर यह तो अभी भी आदिम हैं जंगली हैं/आखेटक... Poetry Writing Challenge-2 2 45 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 2 min read मुर्दे लोकतंत्र में चुनाव आते ही मुर्दे जीवित हो जाते हैं, वह लहलहाने लगते हैं नए-नए “वादों” की बहती बयार से यह वही मुर्दे हैं जो पिछले चुनाव के बाद- धीरे-धीरे मर गए... Poetry Writing Challenge-2 2 36 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read दोष किसे दें कहते हैं गहन पीड़ा की भूमि पर उपजती है कविता यह दौर तो भयानक मंजर है पल, प्रति-पल चूभता नश्तर है कविता मर्माहत है, वह देख रही है – खंड-प्रलय... Poetry Writing Challenge-2 2 32 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read एक सड़क जो जाती है संसद एक आम आदमी चिल्लाता है मेरे गाँव की सड़क अभी तक नहीं बनी घोर उपेक्षा है दूसरा स्वर में स्वर मिलाता है वह भी चिल्लाता है मेरे गाँव की सड़क... Poetry Writing Challenge-2 2 20 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read कशमकश मधुसूदन ! जनार्दन !! कुरुक्षेत्र के मैदान में अपने सगों, कुटुम्बों को काल के गाल में भेजकर सुख कैसा ? राजसत्ता कैसी ? गाण्डीवधारी का विचलन, धनुष का परित्याग, स्वाभाविक... Poetry Writing Challenge-2 2 49 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read क्षेत्रक एक क्षेत्र है यह शरीर और इसका ज्ञाता ‘क्षेत्रक’ समस्त क्षेत्रों में यह ‘क्षेत्रक’ परम है ‘क्षेत्र’ व ‘क्षेत्रक’ का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है परन्तु, सभी होते हैं-‘वासुदेवात्मक’ …... Poetry Writing Challenge-2 2 41 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 22 Feb 2024 · 1 min read बाढ़ बरसात, अपने साथ लाती है बाढ़, उफना जाती हैं शांत बहती नदियाँ, ताण्डव करने लगती हैं, किनारों को उदरस्थ करने लगती हैं, यही नदियाँ, जो मानव सभ्यता की उद्गम हैं।... Poetry Writing Challenge-2 2 37 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 28 Jan 2017 · 1 min read चल भाई दुःख दर्द बताएं सुबह से ही झबरैला कुत्ता भौंक रहा है, मंत्री जी की नींद ख़राब कर रहा है। क्या हुआ इसे क्यों भौंक रहा है ? यह भक्त, इसे कुछ खिलाओ कुछ... Hindi · कविता 1 512 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 Feb 2017 · 1 min read बापू पलट गए हैं। विकास की नई उड़ान चरखा चलाते हमारे प्रधान बापू हट गए हैं, प्रधान जी डट गए हैं। धन्य है विकास बापू पलट गए हैं। .... विकास की चरखा अब चली... Hindi · कविता 1 451 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read साहब बीमार हैं अक्सर, पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान और लोकप्रियता के वायरस साहब को बीमार कर देते हैं। साब ! प्लीज मिल लें, का सदवाक्य सुनते-सुनते आम आदमी से साहब कतराने लगे हैं, और मंत्री... Hindi · कविता 1 315 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read नारी नारी! तुम क्या हो ? कृष्ण की राधा हो, या राम की सीता, कालीदास की प्रेरणा हो, या महाभारत की द्रोपदी, कर्ण की माता हो, या वैशाली की नगरबधू, तुम्हीं... Hindi · कविता 1 622 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Feb 2017 · 1 min read आधुनिक नेता तीन यांत्रिक, एक अनपढ़ दोस्त बन गए एकाएक चारों मिल देशाटन को निकल पडे एकाएक यांत्रिकों ने सोचा- क्यों न बनाएं एक नेता यांत्रिक त्रय के शोध ने फिर गढ़... Hindi · कविता 1 353 Share Page 1 Next