डा. सूर्यनारायण पाण्डेय Tag: कविता 72 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 24 Feb 2022 · 2 min read लोकतंत्र में मुर्दे चुनाव आते ही मुर्दे जीवित हो जाते हैं, वह लहलहाने लगते हैं नए-नए “वादों” की बहती बयार से यह वही मुर्दे हैं जो पिछले चुनाव के बाद- धीरे-धीरे मर गए... Hindi · कविता 4 2 317 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 23 Aug 2021 · 1 min read काबुल का दंश कैसे अभिशप्त हो गई है काबुल में एक माँ, फेंकने के लिए, अपने कलेजे के अंश को, कँटीले बाड़े के उस पार, गिद्धों के शाये से दूर, मानवता के बचे... Hindi · कविता 4 2 588 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read बरसात और बाढ़ बरसात, अपने साथ लाती है बाढ़, उफना जाती हैं शांत बहती नदियाँ, ताण्डव करने लगती हैं, किनारों को उदरस्थ करने लगती हैं, यही नदियाँ, जो मानव सभ्यता की उद्गम हैं।... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 8 557 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read प्रकृति का उपहार है बरसात कितने अलग होते हैं बरसात के दिन, यह अनुपम उपहार है धरा के लिए प्रकृति का, बरसात हर्षित करती है- किसानों को जब लहलहाती हैं फसलें बरसात की मोती जैसी... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 9 903 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read कितने मादक ये जलधर हैं कितने मादक ये जलधर हैं, इठलाते, मँडराते आते, सोयी पीर जगा कर जाते, गरज-गरज कर मन भर देते, पीड़ा के विरही अंतर हैं, कितने मादक ये जलधर हैं। ये जलधर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 7 434 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read रहस्यमयी बरसात प्रकृति के अद्भुत रहस्यों का प्रकटन है बरसात, यह देती है जीवन को- नव ऊर्जा और गति सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भर देती है, नव स्पंदन भरती है रंग विविध पर्यावरण... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 6 339 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 May 2021 · 1 min read बरसात की कहानी रुक-रुक कर चलती है, बरसात की कहानी, थम-थम कर चलती है, बरसात की कहानी। बरसात से ही नदियाँ, बरसात से ही झरना, बरसात के ही बल पर, भारत की है... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 14 934 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 2 May 2021 · 1 min read हे नाथ ! अब आँखें खोलो हे नाथ ! अब आँखें खोलो, नहीं चाहिए टैबलेट ‘डोलो’। चहुँओर दिख रहा भयानक सीन, फेंको दूर अब ‘एजीथ्रोमाइसीन’। ‘सी’, ‘डी’, ‘जेड’ को दूर भगाओ, ‘बीटाडिन’ से गला बचाओ। ‘डॉक्सी’,... Hindi · कविता 1 3 388 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 Apr 2021 · 1 min read किसे कोसें कहते हैं गहन पीड़ा की भूमि पर उपजती है कविता यह दौर तो भयानक मंजर है पल, प्रति-पल चूभता नश्तर है कविता मर्माहत है, वह देख रही है - खंड-प्रलय... Hindi · कविता 2 2 549 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 20 Dec 2020 · 1 min read मुकुट उतरेगा सुन भाई, मैं सन दो हजार उन्नीस का, आक्रान्ता सम्राट हूँ मैं एक रहस्यमयी मुकुट हूँ. एक यायावर हूँ, तथाकथित कोरोना हूँ सबको मुकुट पहनाने की चाह लिए फ़िलहाल, विश्व... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 18 66 1k Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (18) संन्यास व त्याग के तत्त्व काम्य कर्मों के त्याग को संन्यास और कर्मों के फल त्याग को ‘त्याग’ के रूप में परिभाषित करने की प्रचलित धारणा है. ‘संन्यास’ व ‘त्याग’ की धारणाएं हैं अपनी-अपनी, अशेष... Hindi · कविता 2 2 545 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (17) श्रद्धा रूचि के अनुसार होती है ‘श्रद्धा’ अस्तु, श्रद्धा का पृथक्-पृथक् होना स्वाभाविक है. देखें- सात्त्विक की श्रद्धा किसमें होगी ? निश्चय ही देवों में ‘राजस’ की ‘यक्ष’ में और राक्षसों/तामसों... Hindi · कविता 1 2 413 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (16) परमगति का मार्ग ‘भय’ क्या है ? इष्ट वियोग और अनिष्ट का संशय ‘भय’ है और इसकी निवृत्ति ‘अभय’. ... ‘दान’ क्या है ? न्यायोपार्जित धन प्रदत्त करना ‘सुपात्र’ को दान है. ...... Hindi · कविता 3 2 372 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (15) पुरुषोत्तम वेदवेत्ता कौन होता है ? ‘अश्वत्थ’ वृक्ष का परिचित जिसके पत्ते होते हैं ‘वेद’ ‘अश्वत्थ’ केवल एक वृक्ष नहीं इसमें समाया है समस्त ज्ञान ‘अश्वत्थ’ की भाँति संसार वृक्ष की... Hindi · कविता 2 282 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (14) परम ज्ञान ज्ञानों में श्रेष्ठ है ‘परम ज्ञान’ यह प्रलय काल में भी साथ देता है व्यथित नहीं होने देता. प्रकृति से उत्पन्न ‘सत्त्व’, ‘रज’ और ‘तम’ अविनाशी आत्मा को बाँध लेते... Hindi · कविता 1 1 336 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (13) क्षेत्रक का प्रयोजन एक क्षेत्र है यह शरीर और इसका ज्ञाता ‘क्षेत्रक’ समस्त क्षेत्रों में यह ‘क्षेत्रक’ परम है ‘क्षेत्र’ व ‘क्षेत्रक’ का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकता है परन्तु, सभी होते हैं-‘वासुदेवात्मक’ ...... Hindi · कविता 1 273 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (12) प्रभु से निकटता प्रभु से परायण उद्धार कर देता है मृत्युरूपी संसार-सागर से वह तो परम प्राप्य है योग है चित्त की स्थिरता न होने पर निष्ठावान कराता है अभ्यासयोग. ... संभव है... Hindi · कविता 1 273 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (11) परम ऐश्वर्यरूप कमलपत्राक्ष ! आकांक्षी हूँ आपके पूर्ण रूप दर्शन का ओह ! तो देख मेरे एक ही रूप में- अष्ट वसुओं, ग्यारह रूद्रों दोनों अश्विनी कुमारों और मरूतों को भी देख... Hindi · कविता 1 280 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (10) बुद्धियोग व विभूति प्राणियों की असंख्य मनोवृत्तियाँ- यश-अपयश, सुख-दुःख, तप-दान सब उद्भुत हैं सर्वशक्तिमान से. महाबाहो ! मैं ही हूँ सबकी उत्पत्ति का कारण मुझमें रमने वाले पात्र हो जाते हैं- बुद्धियोग का.... Hindi · कविता 1 311 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (9) उपासना उपासना ‘नृप’ का पर्याय है समस्त विद्याओं का और गुप्त रखने योग्य भावों का भी. यह समर्थ है उस ब्रह्म का दर्शन कराने में जो परमपिता है. उपासना निकट पहुँचाता... Hindi · कविता 1 326 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (8) स्मरण भाव की श्रेष्ठता ‘ब्रह्म’ क्या है ? परम ‘अक्षर’ है ‘ब्रह्म’ ‘अक्षर’- जिसका नाश न हो अविनाशी है यह ‘ब्रह्म’ अध्यात्म क्या है ? ‘स्वभाव’ है अध्यात्म प्रकृति है. ऐसे ही ‘कर्म’ भूतों... Hindi · कविता 2 288 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (7) ब्रह्म और ज्ञानी मैं ही हूँ ‘ब्रह्म’ अष्ट प्रकृतियों का धारक पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश और मन, बुद्धि तथा अहंकार यही तो हैं मेरी अष्ट प्रकृतियाँ यही तो है ‘अपरा’ ‘परा’ प्रकृति... Hindi · कविता 1 321 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (6) संन्यासी और योगी संन्यासी कौन है ? कौन है योगी ? ‘कर्मफल’ की चिन्ता से मुक्त ‘कर्तव्य कर्म’ में अग्रसर संन्यासी है, योगी है, जो कर्म करता है अनवरत ‘मोक्ष’ की प्राप्ति तक.... Hindi · कविता 1 538 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (5) कर्मयोग बनाम ज्ञानयोग फिर प्रश्न- कर्मों का संन्यास- ‘ज्ञानयोग’ या फिर ‘कर्मयोग’ कौन श्रेष्ठ है ? उत्तर मिलता है- दोनों कल्याणकारी हैं पर ‘कर्म संन्यास’ से श्रेष्ठ है कर्मयोग कर्मयोग के बिना ‘ज्ञानयोग’... Hindi · कविता 1 366 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (4) अवतार का रहस्य ‘कर्मयोग’ परम्परागत है नवसृजन नहीं सूर्य-मनु-इक्ष्वाकु सबने इसे अंगीकार किया है पर क्रमशः नष्ट हो गया यह वेदान्तवर्णित उत्तम रहस्य. परमसत्ता अजन्मा होते हुए भी जन्मता है विविध रूपों में,... Hindi · कविता 1 493 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (3) कर्मयोग समस्त प्राणी ‘अन्न’ से आवृत्त हैं जिसे उत्पन्न करता है ‘मेघ’ जो प्रतिफल है ‘कर्म-यज्ञ’ का. यह चक्र है, अनुकरणीय जो चलता रहता है ‘कर्म-योग’ का प्रतिनिधि बन. ‘कर्मयोग’ साधन... Hindi · कविता 1 288 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 2 min read गीता के स्वर (2) शरीर और आत्मा पार्थ ! बिना अवसर के शोक क्यों ? और प्रारम्भ हुआ ‘गीताशास्त्र’ का अद्वितीय उपदेश- ‘गतासु’- मरणशील शरीर और ‘अगतासु’- अविनाशी आत्मा के लिए शोक क्यों ? ‘आत्मा’ नित्य है... Hindi · कविता 3 638 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 25 May 2020 · 1 min read गीता के स्वर (1) कशमकश मधुसूदन ! जनार्दन !! कुरुक्षेत्र के मैदान में अपने सगों, कुटुम्बों को काल के गाल में भेजकर सुख कैसा ? राजसत्ता कैसी ? गाण्डीवधारी का विचलन, धनुष का परित्याग, स्वाभाविक... Hindi · कविता 1 464 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 18 May 2020 · 1 min read मैं फिर आऊंगा मेरे प्यारे निष्ठुर शहर ! मैं फिर आऊंगा तेरे पास उदास मत हो भले तूने आश्रय नहीं दिया मेरी मज़बूरी को न समझा न तरस खाई तो क्या करता ?... Hindi · कविता 6 6 481 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 14 May 2020 · 1 min read मुझे मेरे गाँव पहुंचा देना हे, सर्पिली रेल की पटरियों मैं चल पड़ा हूँ त्रस्त नंगे पांव तेरे साथ आशा है पहुंचा दोगी सकुशल मेरे गाँव. चलते-चलते थक जाऊं तो निष्ठुर मत बनना सदा के... Hindi · कविता 5 4 351 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 1 May 2020 · 1 min read श्रमिक श्रमिक मिल जायेंगे शहरों की तंग गलियों में बजबजाती नालियों के किनारे झुग्गियों में चीथड़ों में लिपटे और मिल जायेंगे शहर की अलसायी सहर में किसी चौराहे पर चेहरे पर... Hindi · कविता 4 1 475 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 21 Apr 2020 · 1 min read रोटी आज जब पूछा- एक कामगार से 'रोटी' की व्यवस्था है न मै हूँ चिंता मत करना. अभी तो है, आगे भगवान मालिक आपने पूछा समझो रोटी मिल गई, मेरी बाछें... Hindi · कविता 1 2 438 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 13 Apr 2020 · 1 min read मैं ही मैं कोरोना ने ‘मैं’ को नए सिरे से परिभाषित कर दिया है. ‘मैं’ ही कारक ‘मैं’ ही हन्ता और ‘मैं’ ही नियंता को स्थापित कर दिया है नेपथ्य में बैठा कोरोना... Hindi · कविता 1 438 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 10 Apr 2020 · 1 min read मील का पत्थर समय व नियति का दौर कुछ ऐसा चल रहा है, यथार्थ- पागल करार दिया गया है फिर भी, संसार ऐसे ही पागलों की अनचाही कब्रों पर अपनी नींव रखे हुआ... Hindi · कविता 1 511 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 9 Apr 2020 · 1 min read मुकुट उतरेगा सुन भाई, मैं सन दो हजार उन्नीस का, आक्रान्ता सम्राट हूँ मैं एक रहस्यमयी मुकुट हूँ. एक यायावर हूँ सबको मुकुट पहनाने की चाह लिए फ़िलहाल, विश्व के दौरे पर... Hindi · कविता 2 370 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 5 Apr 2020 · 1 min read आओ दीप जलाएं ‘आओ हम सब मिल एक दीप जलाएं’ आलोकित हो घर-आंगन झूम उठे सबका पुलकित हो मन ऊपर नभ मुस्काए आओ हम सब मिल एक दीप जलाएं. मधुर स्मृतियों की थाती... Hindi · कविता 387 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 3 Apr 2020 · 1 min read सन्नाटा ‘सन्नाटे’ का जीवंत दर्शन सदियों बाद या शायद पहली बार मानव ने किया है- साक्षात्. ‘सन्नाटे’ को निकट से देखकर समझ में आ गया है ‘सन्नाटे’ का एकांत. सायं-सायं करती,... Hindi · कविता 2 506 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 3 Apr 2020 · 1 min read महामारी ‘महामारी’ प्रचण्ड होने पर मारती है सबसे पहले धीरे-धीरे मानवता को, कोरोना के कहर ने सिद्ध कर दिया है एक प्रमेय की तरह. यही सिद्ध किया था प्लेग ने कोरोना... Hindi · कविता 2 355 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 1 Feb 2020 · 2 min read जुम्मे की नमाज़ ‘सुरक्षा’ व ‘शांतिपूर्ण’ माहौल में सम्पन्न हुई जुम्मे की नमाज़ सुर्खिया बनने लगी हैं, चौथे स्तम्भ की कहते है यह रहम का दिन है फिर कैसे ? बेरहम हो सकता... Hindi · कविता 2 2 340 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 12 Jan 2020 · 1 min read डर क्यों डरने लगा हूँ, लिखने से हिचकने लगा हूँ, बोलने से सत्य के प्रकटन से, क्या डर है कोई सगा दूर होने लगेगा लिखने से, कुछ बोलने से यह चुप्पी... Hindi · कविता 1 2 293 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 10 Nov 2019 · 1 min read फ़ैसला कौन कहता है, इंसान भगवान नहीं होता. बस, बनना पड़ता है गढ़ना पड़ता है स्वयं को- यह हौंसले की बात है. क्या यह सत्य नहीं ? कुछ इंसानों ने मिल,... Hindi · कविता 1 2 390 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 30 Jun 2019 · 1 min read रिश्ते रिश्ते मरने लगते हैं, धीरे -धीरे जब अनकही कथनों को कहा माने जाने लगता है। नदी के निर्मल प्रवाह में जब- कैक्टस उगने लगता है और धीरे -धीरे रिश्तों की... Hindi · कविता 5 1 477 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 29 Jun 2019 · 1 min read शब्दों को गुनगुनाने दें शब्द गुनगुनाते और रोते भी हैं, इन्हें सिसकते भी देखा गया है। गुनगुनाते हैं यह, देवालयों की पवित्र सीढ़ियों पर । मंद-मंद मुस्कुराते हैं, मस्जिदों के मुंडेर पर। चहकते हैं,... Hindi · कविता 5 3 765 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 28 Jun 2019 · 1 min read नेता की पीड़ा नेता, ब्रह्मांड का सबसे रहस्यमयी प्रकटन कोई नहीं समझता उसकी पीड़ा उसकी आंखें नम नहीं होतीं वह रो नहीं पाता, रुलाता है। उसने न जाने कितने मासूमों को जाने-अनजाने रौंदा... Hindi · कविता 1 588 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 11 Nov 2018 · 1 min read माँ किसमें सामर्थ्य है 'माँ' को परिभाषित/ परिमापित करने का, सम्पूर्णता, पवित्रता, त्याग, ममत्व और प्रेम और क्या नहीं निहित है 'माँ' में, फिर कौन है? जो समेट सके 'माँ' को... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 12 59 1k Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 7 Oct 2017 · 1 min read आस्था की आरसी संसार की तथाकथित नियमावली मुझे अभिशप्त कर रही है. और तुम बैठे, मेरी बेबसी पर मुस्करा रहे हो यह मेरी सामाजिक संत्रास ही नहीं, हृदय की वेदना है, तुम्हारा अस्तित्व... Hindi · कविता 2 386 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 23 Sep 2017 · 1 min read वेदना 'वेदना' कष्ट का पर्याय नहीं अपितु 'शक्ति' का स्रोत है। एक अलौकिक शक्ति, जो बनाती है, मानव को दृष्टा, 'प्रसव-वेदना' को ही लें क्या यह सत्य नहीं बनती है 'माँ'... Hindi · कविता 1 486 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 20 Sep 2017 · 1 min read मीडिया मीडिया अब, धीरे-धीरे मर रही है। बिना संकोच बेहयाई से, मीडिया अब, गोंद में बैठने लगी है उनके जो पवित्र लोकतंत्र के अस्तित्व को ललकारते हैं दुत्कारते हैं और पग-पग... Hindi · कविता 2 2 847 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 17 Sep 2017 · 1 min read किसान रूको, देखो वह अंधेरे को चिरता कौन आ रहा है? देखो , खेतों के मेड़ पर खड़ा वह शून्य आँखों से निहारता चुपके से, खड़ी फसल को सहलाया है। मंडराते... Hindi · कविता 2 392 Share डा. सूर्यनारायण पाण्डेय 16 Sep 2017 · 1 min read नेता सावधान! मैं नेता हूँ जनता का प्रतिनिधि जो बढ़ाता है, बहुविधि अपनी निधि। मेरी हर गतिविधि होती है अत्यन्त रहस्यमयी मैं फेंकता हूँ कुछ इस तरह, जनता की रूह में... Hindi · कविता 2 746 Share Page 1 Next