Sunder Singh Language: Hindi 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sunder Singh 25 Feb 2017 · 1 min read ये शादी के बंधन वो शादी के बंधन हैं झूठे सभी जहाँ मन से मन की लगन ही न हो वो अग्नि वो फेरे भी किस काम के जहाँ प्रेम की कुछ अगन ही... Hindi · कविता 1 510 Share Sunder Singh 9 Feb 2017 · 2 min read धार्मिक कौन धार्मिक कौन (लघु कथा) नवरात्रों की शुरुआत हो चुकी थी। घर घर में व्रत उपवास भजन कीर्तन पूजा पाठ आदि से मोहल्ले का लगभग हरेक घर परिवार सराबोर था। हर... Hindi · लघु कथा 1 305 Share Sunder Singh 30 Jan 2017 · 1 min read नारी जीवन सतत एक संग्राम है नारी जीवन सतत एक संग्राम है हर किसी का ही जग में ये अंजाम है नारी जीवन सतत एक संग्राम है उसको लेकर जनम से ही मरने तलक ना सुकूँ... Hindi · कविता 950 Share Sunder Singh 12 Jan 2017 · 1 min read तू भी थोड़ा बदल जरा तू भी थोड़ा बदल जरा ****************** सदियों से ये नदी निरन्तर बस बहती ही जाती है कदम कदम कठिनाइयों को हरदम सहती जाती है चीर के चट्टानों को इक दिन... Hindi · कविता 1 435 Share Sunder Singh 10 Jan 2017 · 1 min read थोड़ा तो विश्वास करो बेटी को बस कम ही कम अब आंकना तुम छोड़ दो हम से भी है शान देश की अब तो आखिर मान भी लो झुका हुआ था शीश तुम्हारा हमने... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 335 Share Sunder Singh 10 Jan 2017 · 1 min read क्यों रोता है चिल्लाता है क्यों रोता है चिल्लाता है ******************** ये जीवन भी क्या बंजारा कुछ दिनो को ही रुक पाता है फिर छोड़ सभी कुछ यहीं कहीं नई राहों पर बढ़ जाता है... Hindi · कविता 252 Share Sunder Singh 8 Jan 2017 · 2 min read जय बजरंग बली हास्य रस में प्रस्तुत एक संदेश जय बजरंग बली एक बार की बात बताऊँ सुन लो ,मेरे भाई गर्मी की छुट्टी के दिन थे और थी बंद पढाई सारा सारा... Hindi · कविता 379 Share Sunder Singh 3 Jan 2017 · 1 min read एक बार झाँक कर देख कभी एक बार झाँक कर देख कभी ^^^^^^^^^^^^^^^^ कुछ सही गलत का पता नहीं खुद को ही माना सदा सही हे मनुज तू मन के दर्पण में एक बार झाँक कर... Hindi · कविता 472 Share Sunder Singh 24 Dec 2016 · 1 min read क्यों इतना घबराता है क्यों इतना घबराता है '''""""""""""”""""" प्रातःकाल की किरणों से सब अन्धेरा छँट जाता है रात की सारी कालिमा का दंभ सभी मिट जाता है देख मुसाफिर अनन्त कोई रात अभी... Hindi · कविता 348 Share Sunder Singh 23 Dec 2016 · 1 min read देखो रवानी मिल गई ठहरे से इस जीवन को , देखो रवानी मिल गई जैसे सूखे पेड़ को फिर से जवानी मिल गई अब तलक ये ज़िन्दगी , बस अंधेरों में कैद थी लेकिन... Hindi · कविता 284 Share Sunder Singh 23 Dec 2016 · 1 min read संसार है ये परिवार संसार है एक परिवार अपना तो ये सारा ही संसार है एक परिवार क्या हिन्दू और क्या मुस्लिम हमें है सबसे प्यार आओ मिलकर सभी सजाएँ दुनियाँ की तस्वीर संप्रदाय... Hindi · कविता 308 Share Sunder Singh 15 Dec 2016 · 1 min read स्वागत आगत वर्ष तुम्हारा नोटबंदी ने , बहुत है मारा मुश्किल है ,अब और गुजारा कुछ तो राहत लेकर आओ स्वागत आगत वर्ष तुम्हारा जीवन कितना सिमट गया है लाइन में ही बस लिपट... Hindi · कविता 2 2 256 Share Sunder Singh 11 Dec 2016 · 1 min read खुद ही खुद से मिलता चल खुद ही खुद से मिलता चल माना है दूर बहुत मंजिल और कदम-कदम पर अँधियारा माना कि आज खड़ा है बनकर दुश्मन तेरा जग सारा विश्वास का एक जला दीपक... Hindi · कविता 397 Share Sunder Singh 6 Dec 2016 · 1 min read एक सामूहिक हत्या थी भोपाल गैस त्रासदी पर कुछ बह निकले व्यथा के शब्द इक सामूहिक हत्या थी किसको था मालूम कि उस दिन रात वो ऐसी आएगी एक रात की निद्रा वो ,... Hindi · कविता 516 Share Sunder Singh 1 Dec 2016 · 1 min read ये मात्र लेखनी नहीं ये मात्र लेखनी नहीं एक तुला है न्याय की ये मात्र लेखनी नहीं अपने और पराये को कभी भी देखती नहीं युगों युगों से बनती आई सत्य की आवाज़ ये... Hindi · कविता 235 Share Sunder Singh 1 Dec 2016 · 1 min read सादगी में आनन्द सादगी में आनंद सादगी का आनंद जो भी जान गया एक बार फिर नामो-शोहरत की सारी , दौड़ हैं ये बेकार वैर भाव और अहंकार फिर बचे न कोई शेष... Hindi · कविता 1k Share Sunder Singh 29 Nov 2016 · 1 min read नोटबंदी कर दी जाती है नोटबंदी जैसे बच्चे को , थाली में माँ चन्दा दिखलाती है बोल के उसको चन्दा मामा उसका मन बहलाती है वैसे ही सपने दिखलाकर देश के सारे जनमानस को बिना... Hindi · कविता 610 Share