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शायर
श्याम सिंह बिष्ट
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
श्याम सिंह बिष्ट
खुद से ही बातें कर लेता हूं , तुम्हारी
श्याम सिंह बिष्ट
कितना सकून है इन , इंसानों की कब्र पर आकर
श्याम सिंह बिष्ट
जिन्दगी कुछ इस कदर रूठ गई है हमसे
श्याम सिंह बिष्ट
ए रब मेरे मरने की खबर उस तक पहुंचा देना
श्याम सिंह बिष्ट
मैं उसी पल मर जाऊंगा
श्याम सिंह बिष्ट
ए जिंदगी ,,
श्याम सिंह बिष्ट
मैं उसी पल मर जाऊंगा ,
श्याम सिंह बिष्ट
वह दे गई मेरे हिस्से
श्याम सिंह बिष्ट
मत पूछो मुझ पर क्या , क्या गुजर रही
श्याम सिंह बिष्ट
दर्दे दिल की दुआ , दवा , किस से मांगू
श्याम सिंह बिष्ट
होते वो जो हमारे पास ,
श्याम सिंह बिष्ट
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
श्याम सिंह बिष्ट
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
श्याम सिंह बिष्ट
अगर मेरी मोहब्बत का
श्याम सिंह बिष्ट
उनसे बिछड़ कर ना जाने फिर कहां मिले
श्याम सिंह बिष्ट
हम उलझते रहे हिंदू , मुस्लिम की पहचान में
श्याम सिंह बिष्ट
ना दे खलल अब मेरी जिंदगी में
श्याम सिंह बिष्ट
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
श्याम सिंह बिष्ट
प्रेम में पड़े हुए प्रेमी जोड़े
श्याम सिंह बिष्ट
तुम मत खुरेचना प्यार में ,पत्थरों और वृक्षों के सीने
श्याम सिंह बिष्ट
बहुत कुछ था कहने को भीतर मेरे
श्याम सिंह बिष्ट
तुम मुझे बना लो
श्याम सिंह बिष्ट
हम दोनों के दरमियां ,
श्याम सिंह बिष्ट
उनसे बिछड़ कर
श्याम सिंह बिष्ट
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
श्याम सिंह बिष्ट
वह जो रुखसत हो गई
श्याम सिंह बिष्ट
यह जो तुम बांधती हो पैरों में अपने काला धागा ,
श्याम सिंह बिष्ट
किसी की याद आना
श्याम सिंह बिष्ट
तुम्हें जब भी मुझे देना हो अपना प्रेम
श्याम सिंह बिष्ट
है नारी तुम महान , त्याग की तुम मूरत
श्याम सिंह बिष्ट
तुम्हें जब भी मुझे देना हो अपना प्रेम
श्याम सिंह बिष्ट
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