Shekhar Chandra Mitra Tag: ग़ज़ल/गीतिका 115 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shekhar Chandra Mitra 7 Feb 2023 · 1 min read अग्निपरीक्षा यह प्रेम तो अग्नि-परीक्षा है इससे हंसकर गुजरना पड़ता है... (१) राख की ढ़ेरी होने तक तिल-तिल कर जलना पड़ता है... (२) जी-जी कर मरना पड़ता है मर-मर कर जीना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 820 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Nov 2021 · 1 min read दो भारत हमारा देश दुनिया भर में बदनाम न हो जाए कहीं हमें नीचा दिखाना एकदम आसान न हो जाए कहीं... (१) तुम मत कहो इस धर्म ने साथ तुम्हारे क्या किया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 514 Share Shekhar Chandra Mitra 11 Feb 2023 · 1 min read पैसे का खेल हाय पैसा हाय पैसा क्या-क्या दिन दिखाए पैसा हाय पैसा... (१) पैसा कोई नहीं खाता लेकिन सबको खाए पैसा हाय पैसा... (२) पुलिस-मीडिया लीडर-प्लीडर सबको कितना गिराए पैसा हाय पैसा...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 591 Share Shekhar Chandra Mitra 25 May 2022 · 1 min read भविष्य है अंधकार में देश का भविष्य है अंधकार में पूरी तरह आपकी सरकार में... (१) देखकर किसी को आ जाए शर्म जो छपा हुआ रहता अख़बार में... (२) ईमान से सस्ती कोई चीज़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 403 Share Shekhar Chandra Mitra 19 Nov 2021 · 1 min read ऐलान-ए-हक़ अब तो वही इस देश में रहेगा जो आधा-अधूरा सच ही कहेगा... (१) जिसने आंखों देखा हाल कहा वह तो बेशक बेमौत ही मरेगा... (२) हुक़ूमत से हाथ मिला ले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 446 Share Shekhar Chandra Mitra 18 Dec 2021 · 1 min read चंदा के डोली उठल तू प्यार के अजमावे में थोड़ा जल्दी कर देहलू नाया दुनिया बसावे में थोड़ा जल्दी कर देहलू... (१) हम तहके मनले रहनी अपनो से ज़्यादा आपन ग़ैर के आपन बनावे... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 444 Share Shekhar Chandra Mitra 17 Feb 2022 · 1 min read सत्ता को चुनौती भारी ख़तरा मोल रहा हूं मैं जो खुलकर बोल रहा हूं... (१) आग उगलती नज़्में लिखकर माहौल में गरमी घोल रहा हूं... (२) दरबारों से मुंह मोड़कर आंदोलनों में डोल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 376 Share Shekhar Chandra Mitra 5 Dec 2021 · 1 min read एक नई दुनिया ऐसी हर रस्म उठा दी जाए ऐसी हर रीत मिटा दी जाए... (१) दो मासूम रूहों के बीच में बने जो दीवार गिरा दी जाए... (२) वह तहज़ीब जो नफ़रत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 332 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Dec 2021 · 1 min read दुल्हन एक रात के हमके छोड़ हीं के रहे जब विरहिन बनाके ले अइलअ हो काहे पिया दुलहिन बनाके... (१) जाए से पहिले हम तहके जी भर देख लेतीं काश कि तू गईल रहतअ... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 376 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Nov 2021 · 1 min read खूने-दिल की महक दुनियादारी के लफड़ों से मैं पूरी तरह बेगाना हुआ जब से होश संभाला मैंने घर मेरा किताब खाना हुआ... (१) किताबें पढ़ने के शौक ने आज कहीं का न छोड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 331 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Jan 2022 · 1 min read ब्यूटी विद ब्रेन कुछ जहीन भी हो कुछ हसीन भी हो वह एक इंसान बेहतरीन भी हो... (१) हाथ छूएं उसके चांद-सितारे और पांव के नीचे ज़मीन भी हो... (२) वह किसी हाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 312 Share Shekhar Chandra Mitra 8 Jan 2022 · 1 min read ख़ून के एक बूंद रह गईल बाटे बहुत कम वक़्त! अब्बो सम्भल जो रे कमबख्त!! (१) मजलूम जनता अब जागअ तिया! उलट जाई ताज पलट जाई तख्त!! (२) जेतने संगीन गुनाह तें कईले सज़ा... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 319 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Dec 2021 · 1 min read ईश निंदा कानून अपनी शर्त पर जीना अपने अंदाज में मरना दिल जो कहे तुम्हारा तुम्हें वही काम करना... (१) प्यार और दोस्ती के राह में आने वाले किसी भी तरह के ख़तरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 295 Share Shekhar Chandra Mitra 19 Jan 2022 · 1 min read इश्क़ का चाबुक हाय, इश्क़ ने ऐसा चाबुक मारा दिल हो गया लहूलुहान हमारा! वैसा हो ना कभी किसी दुश्मन का भी आज जैसा हुआ अंज़ाम हमारा! जीना तो ख़ैर मुश्किल है ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 301 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Jul 2021 · 1 min read चले आते समझाने लोग चले आते समझाने लोग! अक्सर मुझे बचकाने लोग!! कुदरत की अनदेखी करके जाया करते बुतखाने लोग!! मेरे कैसे हो सकते भला जो खुद से ही बेगाने लोग!! मेरा पागलपन कहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 296 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read अंधा युग सरहद पर-मर रहे जवान खेतों में-लूट रहे किसान... (१) हुकूमत के-बेरहम डंडे से चारों तरफ़-पिट रहे अवाम... (२) हाथ में अपने-डिग्रियां लेकर भटक रहे-बेरोजगार नौजवान... (३) आज औने-पौने दामों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 304 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Aug 2022 · 1 min read दुआ कीजिएगा आप कभी मत किसी का बुरा कीजिएगा अगर हो सके तो सबका भला कीजिएगा... (१) अपनी बीवी और बच्चों के साथ दुश्मन भी खुश रहे यह दुआ कीजिएगा... (२) करतूतें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 457 Share Shekhar Chandra Mitra 6 May 2022 · 1 min read इंसानियत की चीखें मैं अपने ज़मीर को कैसे बदनाम करूं अब अपनी गैरत को कैसे रूसवा करूं! इंसानियत की चीखें बिल्कुल अनसुनी करके अपने आपको आख़िर कैसे गज़लख्वां करूं!! तेरे हुस्न की कशिश... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 289 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Nov 2021 · 1 min read पुलिस प्रशासन न जरदार की पुलिस न हुक्मरान की पुलिस वक़्त की ज़रूरत सिर्फ़ अवाम की पुलिस... (१) सियासत से जिसका कोई वास्ता न हो देश और इसके संविधान की पुलिस... (२)... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 317 Share Shekhar Chandra Mitra 31 Jan 2022 · 1 min read भगतसिंह की मां तुम रोना नहीं, मां! तुम रोना नहीं, मां!! ये आंसुओं के मोती तुम खोना नहीं, मां!! हर सच्चे आदमी को मिलता यही ईनाम! दाग़ अपने दिल के तुम धोना नहीं,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 271 Share Shekhar Chandra Mitra 10 Feb 2023 · 1 min read घुट रहा है दम क़दम अगर हैं जम गए तो रास्ता चले घुट रहा है दम यहां अब तो हवा चले... (१) उलट-पलट होती रहे तख्त और ताज में हम ज़िंदा हैं कि मूर्दादिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 389 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Mar 2022 · 1 min read इज़हार दिल लोगे कि जां लोगे! मेरे होने के तुम क्या लोगे!! सिर से पैर तक क़ातिल या यह शोख अदा लोगे!! दिलकश और रूह अफ़ज़ा या रंगीन फिज़ा लोगे!! ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 266 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Dec 2021 · 1 min read धरती के भगवान जैसे-जैसे उनसे आसना होने लगे खुशमिजाज़ थे हम, संजिदा होने लगे... (१) यह बंदगी तभी से कुफ्र हुई अपने लिए कुछ लोग अचानक जब ख़ुदा होने लगे... (२) वे इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 298 Share Shekhar Chandra Mitra 19 Nov 2021 · 1 min read आपसी भाईचारा हमें थोड़ी-सी दिलेरी दिखाने की ज़रूरत है अभिव्यक्ति के खतरे उठाने की ज़रूरत है... (१) वरना सदियों की कुर्बानी लम्हों में बेकार जाएगी अपनी सोई हुई गैरत जगाने की ज़रूरत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 273 Share Shekhar Chandra Mitra 8 Nov 2022 · 1 min read आख़िरी ग़ुलाम जिस्म की हो या ज़ेहन की तुम तोड़ डालो हर ज़ंजीर! खोखली इबादत से नहीं, मेहनत से बनती तक़दीर!! सरकार भरोसे भारत का अब कुछ नहीं होने वाला नौजवानों को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 384 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Feb 2023 · 1 min read सुखिया मर गया सुख से कल सुखिया मर गया सुख से पिछले चार दिनों की भूख से... (१) पिट के पुलिस की लाठी से डर के गूंडों की बंदूक से... (२) कैसे बेटी की शादी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत · हास्य-व्यंग्य 424 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Jun 2021 · 1 min read भगतसिंह की देन तू तो निभा गया अपना हर फर्ज भगत सिंह! कैसे चुकाएंगे हम तेरा कर्ज, भगत सिंह! तू मूर्दों की बस्ती में था एक मर्द, भगत सिंह कैसे चुकाएंगे हम तेरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 255 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Dec 2021 · 1 min read मीडिया की फनकारी मेरे ख़ैर-ख़्वाह ने अभी-अभी सुनाया फ़रमान सरकारी है तुम कलम से मत खेलो ऐसे अरे, यह तलवार दोधारी है... (१) जो अवाम का मर्सिया नहीं, हुक्मरान का कसीदा गाए शायर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 257 Share Shekhar Chandra Mitra 11 Feb 2022 · 1 min read वह इंकलाब जो उधार है ऐ देश, तुझपे क़र्ज़ है जवानी भगतसिंह की बेकार जाएगी क्या कुर्बानी भगतसिंह की... (१) मूर्दों के बीच रहकर हो जाऊं मैं न मूर्दा दिल में आग लगाती है कहानी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 271 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Nov 2021 · 1 min read असली भारत भारत को समझा है तुमने हिंदी फिल्मों के जरिए नब्बे फीसदी अवाम की ज़िंदगी नहीं देखी अब तक... (१) ऊंची हवेलियों से बाहर फुटपाथ पर रहने वाले मेहनतकश मजदूरों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 253 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Jun 2021 · 1 min read एक और इंकलाब ? सदियों पुराने जुल्म का हिसाब इंकलाब है चाहे कोई सवाल हो जवाब इंकलाब है... सरदार भगतसिंह और भीमराव अंबेडकर जिसके लिए फना हुए वो ख़्वाब इंकलाब है... तख्त और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 265 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Feb 2022 · 1 min read रोज़गार चाहिए बहुत हुईं बेकार की बातें! शुरू करो रोज़गार की बातें!! (१) राग दरबारी बनीं आजकल टीवी और अख़बार की बातें!! (२) अपना गौरव खो चुकीं अब इस झूठी सरकार की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 241 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Apr 2022 · 1 min read भारत के लोग लोग ये डरे-डरे! जी रहे मरे-मरे!! ख़ून के आंसू को पी रहे भरे-भरे!! गिन रहे सांसें बस सेज पर पड़े-पड़े!! काम इनके छोटे-छोटे नाम लेकिन बड़े-बड़े!! बाहर से सजे-धजे भीतर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 277 Share Shekhar Chandra Mitra 24 Nov 2021 · 1 min read मजाज़ लखनवी को समर्पित कोई ईनाम, कोई रूतबा, कोई ओहदा नहीं पाता क्योंकि वह गैरों की तरह राग दरबारी नहीं गाता... (१) सामने उसके अफसर हों या खुद ज़िल्ल-ए-इलाही वह अवाम का शायर है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 237 Share Shekhar Chandra Mitra 21 Jan 2023 · 1 min read आह्वान हे युग-कृष्ण भारत बचा... (१) प्रेम भूल क्रांति सीखा... (२) बांसुरी फेंक सुदर्शन उठा... (३) गीत छोड़ गीता सुना... (४) रास त्याग कर व्यूह रचा... (५) मधुवन त्याग कुरुक्षेत्र आ...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 382 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Feb 2023 · 1 min read मार नहीं, प्यार करो तू मार नहीं, बस प्यार कर एक बार नहीं, सौ बार कर... (१) उठ दिल किसी का जीत ले उससे अपना दिल हार कर... (२) तलवार या बंदूक से नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 371 Share Shekhar Chandra Mitra 6 Jan 2022 · 1 min read औरतों की दुनिया घर-बार चलाएगी बेटियां सरकार चलाएगी बेटियां एक मौका तो मिले उन्हें संसार चलाएगी बेटियां... (१) तुमने उन्हें क्या समझा है अब तक केवल गुंगी गुड़ियां पढ़-लिख लें तो कलम से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 232 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Jun 2021 · 1 min read आदि विद्रोही नौजवानों का विद्रोही व्यवहार होना चाहिए जीना है तो मरने को तैयार होना चाहिए। ( १) कोई लाश नहीं हम कि लहरों में डोला करें अब आर होना चाहिए या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 253 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Jul 2021 · 1 min read रोमांटिक विद्रोही ई दुनिया जंगल लागेला ख़तरा में हर पल लागेला... जेतने चलीं हम ओतने धंसीं राह में दलदल लागेला... क्रांति के बस बात करेला ऊ कवनो पागल लागेला... धरती के डूबा... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 237 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Feb 2023 · 1 min read कुर्सीनामा युद्ध में कुर्सी दंगा में कुर्सी खेल बा सगरी कुर्सी के... (१) मरते दम ले मिटेला नाहीं झगड़ा-झूगड़ी कुर्सी के... (२) ई दल छोड़अ ऊ दल पकड़अ धक्का-मुक्की कुर्सी के...... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 390 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Nov 2021 · 1 min read मदारी का खेल किसान से जवान को लड़ा रहा है कौन? लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रहा है कौन? (१) हमारी बहन-बेटियों पर जब्र-जुल्म करके भारत मां को इस क़दर रूला रहा है कौन?... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 256 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Jul 2021 · 1 min read भगतसिंह के ख़्वाब कुचल डालो रिवाजों को! बदल डालो समाजों को!! इस सड़ी-गली व्यवस्था के निकलने दो जनाजों को!! बुतों को बाहर फेंक कर घर में लाओ किताबों को!! गुनगुन करते हुए भौंरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 216 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Nov 2021 · 1 min read मसीहा का इंतज़ार क्यों करें? अगर होना नहीं चाहते तुम बर्बाद और तो अपनाना ही होगा तुम्हें अंदाज़ और... (१) शायद इससे समाज की जड़ता थोड़ी टूटे इस देश में होना चाहिए एक इंकलाब और...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 223 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Dec 2021 · 1 min read एक और इंकलाब वो कुर्बानी भगतसिंह की ज़वाब मांगती है सदियों से ज़ारी ज़ुल्म का हिसाब मांगती है... (१) देश और समाज के जलते हुए सवालों पर आज एक और हमसे इंकलाब मांगती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 209 Share Shekhar Chandra Mitra 25 Nov 2021 · 1 min read भगतसिंह की समाधि पर जो जागे हुए होश के कारण क़ैद होकर भी आजाद रहा वह जिस्म से फना होकर भी हमारे दिलों में आबाद रहा... (१) मेरी ग़ज़लों और नज़्मों में बोला करता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 209 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Nov 2021 · 1 min read जन कवि गीत उनके गप्पबाजी हैं नग्में उनके लफ़्फ़ाज़ी हैं... (१) जो जनता के काम न आएं शायर वे सारे बकवादी हैं... (२) कबीरा के शागिर्द हम तो दो टूक कहने के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 214 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Jun 2021 · 1 min read एक और इंकलाब लूट गया देश! मर गया देश!! पूरी तरह से सड़ गया देश!! अपनों की कररतूतों पर मारे शरम के गड़ गया देश!! सारी दुनिया सोच रही किसके हाथ में पड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 208 Share Shekhar Chandra Mitra 14 Feb 2022 · 1 min read एकतरफा प्यार जब मुझे अपनाने से तूने इंकार किया ख़ुद ही को यार बनाया ख़ुद ही से प्यार किया... जिन रातों में आने का वादा नहीं था कोई उनमें भी अक्सर मैंने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 210 Share Shekhar Chandra Mitra 28 Oct 2021 · 1 min read सत्ता को चुनौती देने वाला कवि अंधेरा होने वाला अभी और घना है! हमारा मुस्तक़बिल बेहद डरावना है!! दुनिया में कहीं बदनामी न हो जाए उनका हाथ अवाम के लहू से सना है!! ज़िल्ल-ए-इलाही का फ़रमान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 190 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Jan 2022 · 1 min read जातीय हिंसा के ख़िलाफ़ आख़िर किस लिए इतना गुमान है बे कितनी झूठी तेरी यह शान है बे... (१) क्यों तेरे बराबर बैठ नहीं सकता वह भी तो एक इंसान है बे... (२) जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 188 Share Page 1 Next