सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' Tag: कविता 16 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 31 Oct 2024 · 1 min read आओ ऐसा दीप जलाएं...🪔 🪔🪔🪔🪔🪔 आओ मिलकर दीप जलाएं। घर-घर औ’ सब द्वार-द्वार तक, अपनापन की लौ लपटाएं। आओ ऐसा दीप जलाएं। 🪔 दीपक,बाती जल जाने दो! तिमिर-तार सब गल जाने दो, मृत को... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · Hindipoem · कविता · दिवाली 95 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 31 Jul 2024 · 1 min read सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता। सभी सिखला रहे थे जो सदा सद्धर्म नैतिकता। उन्हीं के हाथ में पड़कर हुई बेशर्म नैतिकता। Hindi · Best Hindi Poetry · Bhrastacharcorruption · Quote Writer · Upsc Hindi Kavita Trending · कविता 85 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 12 May 2024 · 1 min read मतदान कीजिए (व्यंग्य) माल लगा जो भी हाथ, लेकर उसे ही साथ। मन को किए सनाथ, मतदान कीजिए। नेता देखे पाँच वर्ष, हुआ हो अतीव हर्ष। उनके कड़े संघर्ष का भी मान कीजिए।... Hindi · कविता · चुनाव 1 145 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 24 Mar 2024 · 1 min read बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा.... आम आदमी कहते रहते, कट्टर हम सरकार। कट्टर निकले आम आदमी, दारू ठेकेदार।१। जोगीरा सा रा रा रा रा.......... बहुत मिले हैं नेताजी को, कड़के वाले नोट। अबकी तो हम... Hindi · कविता · जोगीरा · व्यंग्य · होली 245 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 7 Sep 2023 · 1 min read प्रार्थना श्री कृष्ण ऐसा ज्ञान दो, मेरी पृथक पहचान हो। धुन वेणु की कोई सुभग, भर दो सहज कर दो अलग। धुन सुन हुलस यह मन उठे, पुलकित हृदय क्षण-क्षण उठे... Hindi · कविता · कृष्ण · जन्माष्टमी 224 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 15 Aug 2023 · 1 min read भूमि भव्य यह भारत है! ---- ------ -------- ----- भूमि भव्य वह भारत है, जो चिंतन-मंथन में रत है। भूमि भव्य यह भारत है। सभ्यताओं ने नेत्र खोले, सीखने लगे लिपि औ' भाषा। हमने तब... Hindi · कविता · देश गीत 1 385 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 7 Aug 2023 · 1 min read सुनी चेतना की नहीं, सुनी चेतना की नहीं, जिसने कभी पुकार। उसके द्वारे ही सदा, खटकता है विकार।। मानस होता है बड़ा, चिंतनशील, अशांत। उलझा हुआ विचार में, व्यथित,थकित,उद्भ्रात।। मन सदा यह दौड़ता, करता... Hindi · Quote Writer · कविता · दोहा 1 294 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 30 Jun 2023 · 1 min read हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना। हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना। सहज दुहरा सकूँ ऐसा मधुरतम गान भर देना। उठे जब तान मुरली की मुदित मन चल पड़े गोधन, कन्हैया प्राण में ऐसे... Hindi · कविता · भक्ति · मुक्तक 220 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 8 Nov 2022 · 1 min read आज बच्चों के हथेली पर किलकते फोन हैं। -------(गीतिका छंद)------- आज बच्चों के हथेली पर किलकते फोन हैं। बेधड़क ही दे रहे माता -पिता वे कौन हैं? कौन है जो दे रहे परिणाम कुछ सोचे बिना? सौंप देते... Hindi · कविता 2 269 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 8 Nov 2022 · 1 min read जीवन जीवन का तो अर्थ आनंद है, व्रण है। सुख-दुःख का सतत अनियंत्रित घूर्णन है। आशा-निराशा-युत दिन-रात का चढ़ना, कभी हर्ष और कभी विषाद का बढ़ना। भावनाएँ हैं क्षणिक व सहज... Hindi · कविता 2 3 316 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 22 Jul 2022 · 1 min read आल्हा छन्द भारत माता की सेवा में,उद्यत हैं वे त्यागी वीर। सीमा पर तैनात खड़े हैं,यथा अडिग कोई प्राचीर।१। गर्मी-वर्षा-शीत किसी की,किए बिना किंचित परवाह। लक्ष-लक्ष बस एकलक्ष्य हो,करते हैं कर्तव्य-निबाह।२। क्षात्र... Hindi · कविता · देशभक्ति 1 448 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 5 Jun 2022 · 1 min read पर्यावरण संरक्षण (व्यंग्य) मंत्री जी की दिख पड़े,पेड़ लगाते चित्र। समझो बस पर्यावरण,संरक्षित ही मित्र।१। एक दिवस का जागरण,धरती का उद्धार। अन्य दिवस में काट कर,करें वृक्ष-उपकार।। उतरे महँगे कार से,देते सबको ज्ञान,... Hindi · कविता 4 2 275 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 15 Jan 2022 · 1 min read मानव चाह है आकाश जैसी असीमित, विशद,विस्तृत। क्षमताएं छुई-मुई सम संकुचित, भीत,लज्जित। आदर्श गिरि के शिखर इव मौन,प्रताड़ित, विगलित। मानस नदी की धार-सा उद्वेलित , निर्वासित ! ©सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' Hindi · कविता 3 2 308 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 28 Oct 2021 · 1 min read सब मिटे हृदय के ताप हरे सब मिटे हृदय के ताप हरे! यह विषमय विस्मय-पाप हरे! सब वेद - वाङ्गमय , तंत्र - मंत्र, जादू- टोने होने न होने से क्या? अमोल क्षणिक-माणिक,मुद्रा,मोती पाने से अथवा... Hindi · कविता 2 2 238 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 2 Jul 2021 · 1 min read मुख मोड़ूँ नहीं चाहे दुखों के तीर बेधो, या मेरे मग को ही रोधो। संग-संग तेरे चला चलूँ, छोड़ू नहीं छोडूं नहीं, हे देव ! मुख मोड़ूँ नहीं | हो अगम्य दुस्तर मार्ग... Hindi · कविता 1 254 Share सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण' 9 Sep 2019 · 1 min read माहिया छन्द आंखों से झरती है मोती की लरियाँ जब प्रीत उमड़ती है ।१। प्रिय से संताप हुआ बेसुध - सी विरहण मांग रही प्रीत - दुआ ।२। बांधों ना दीवारें प्रिय!... Hindi · कविता 1 504 Share