सतविन्द्र कुमार राणा बाल 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सतविन्द्र कुमार राणा बाल 29 Jan 2017 · 1 min read छू लेंगी आकाश,यही संकल्प हमारा। गीत(रोला छ्न्द) ------- बहुत लिया है काट,घुटन में जीवन सारा छू लेंगी आकाश,यही संकल्प हमारा। मानस रूपी बीज,धरा जो भी पाता है उसी भूमि से रक्त,दिया तन को जाता है... Hindi · गीत 433 Share सतविन्द्र कुमार राणा बाल 29 May 2022 · 1 min read बागबाँ जरूरत को, शिकायत को सही पहचान पाता है, बने जब बाप कोई जन निभाना जान पाता है। नहीं आलस जगह रखता, नहीं परवाह को छोड़े, सही हर बागबाँ कर के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · ग़ज़ल/गीतिका 3 3 356 Share सतविन्द्र कुमार राणा बाल 27 Jan 2017 · 1 min read जो छुपी थी बात उसका अब असर होने को है(तरही गजल) जो छुपी थी बात उसका अब असर होने को है आज उसका ही तो चर्चा दर ब दर होने को है। देख लेंगे जो भी होगा हाल इसके बाद में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 257 Share सतविन्द्र कुमार राणा बाल 4 Jun 2022 · 1 min read जनक नभ का भी कम ही सुना, जिनसे कुछ विस्तार कर्मठ रहना फ़र्ज़ है, जिनका हर निशि-वार जिनका हर निशि-वार, गात मिहनत में गलता आत्मज का शुभ स्वप्न, स्वयं नैनों में... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कुण्डलिया 4 3 244 Share सतविन्द्र कुमार राणा बाल 13 Jun 2022 · 1 min read जनक का जीवन हर आफत से खुद जो जूझे ऐसी वह चट्टान है निर्भर उस पर जो रहते हैं उन सबका वह मान है इंसां रब-सा रुतबा पाता बन जाता है जब पिता... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 2 2 196 Share सतविन्द्र कुमार राणा बाल 24 Feb 2022 · 1 min read बवंडर देख बवंडर जन जनित, हिय में उठती कूक, विश्व झेलता युद्ध तब, समझ करे जब चूक।। कूटनीति की आड़ में, दुनिया बनती भाड़। जनमानस सह भूनता, दुष्ट धरा के हाड़।।... Hindi · दोहा 181 Share सतविन्द्र कुमार राणा बाल 8 Jun 2022 · 1 min read कैद हम सुनते आराम को, रहते सदा हराम ठप्प हुए सब गात अब, करें मशीनें काम करें मशीनें काम, मशीनी बनता खाना पैदल चलना बंद, यंत्र से आना-जाना देखो अब हर... Hindi · कुण्डलिया 1 146 Share