बैर नहीं प्रेम
रचना नंबर (9) *बैर नहीं प्रेम* विधा...मनहरण घनाक्षरी नोक-झोंक काट-छांट, राग-द्वेष छोड़-छाड़, प्रेम-भाव बहाइए, सँवरेगी ज़िन्दगी। राम-नाम कृष्ण-जाप, धर्म-कर्म ध्यान-ज्ञान, निश-दिन विचारिए, निखरेगी बन्दगी। अपना-पराया नहीं, अच्छा-बुरा सब सही, निरपेक्ष...
Poetry Writing Challenge-3