कवि संजय कौशाम्बी Tag: कविता 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सुभाष कौन बन पाता है बलिदान तुम्हारा कभी जमाना भूल न पायेगा इतिहास तुम्हारी कुर्बानी पर शीश झुकायेगा निकल म्यान से चमक गए तुम दूधारी तलवार बने मुल्क की कश्ती पार लगाने को तुम खुद... Hindi · कविता 357 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम इतने उदास क्यों हो बताओ न! तुम इतने उदास क्यों हो तुम्हारा कुछ खो गया क्या या कोई अपना छोड़कर चला गया या फिर किसी ने चुरा ली तुम्हारी इच्छाओं के महासागर से दो... Hindi · कविता 535 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सेंटा क्लाॅज सत्रहवीं शताब्दी के आरम्भ में एक सेंटा क्लाॅज भारत आया था उपहार से भरी गठरी लेकर और जब गया ...तो दे गया दो सौ वर्षो की गुलामी का जख़्म भूख,गरीबी... Hindi · कविता 175 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read खुशी मिलनी चाहिए शर्त ये है कि खुशी मिलनी चाहिए फिर ईद हो,दीवाली हो,क्रिसमस हो या कुछ और हम तो बिन बुलाए भी दूसरों की बारात में नाच लेते हैं हिन्दुस्तान इसी को... Hindi · कविता 362 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read किताबों में नहीं मिलता हकीकत में नहीं देखा वो ख्वाबों में नहीं मिलता तेरा किरदार अद्भुत है किताबों में नहीं मिलता मुखौटे चेहरे पर लेकर यहाँ मिलता है हर कोई तू पहला शख्स है... Hindi · कविता 1 4 254 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मैं तुम्हे क्या दूँ मैं तुम्हे क्या दूँ मैं तूफ़ान के आगे नहीं दौड़ सकता बहारों का रुख नहीं मोड़ सकता झूठी तसल्ली नहीं दूंगा मैं चाँद तारे नहीं तोड़ सकता फिर तुम्ही बताओ... Hindi · कविता 1 2 217 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read वो यहीं कहीं पर है दिसम्बर की सर्द रात में दिखी एक लड़की ठिठुरती हुई खुद में सिमटने की कोशिश और उसका जर्द चेहरा ढँक रहा था उसकी मासूमियत को डर के बावजूद खुद को... Hindi · कविता 1 2 212 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मेरा इंतज़ार करना मेरे जाने औ' तेरे आने का वो अंतिम क्षण अत्यंत दुखदाई होता है जिसमें मैं पूरी कोशिश करता हूँ तुझे छूने की किन्तु हर बार...हाँ हर बार तू फिसल जाती... Hindi · कविता 1 185 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read शर्त मगर इतनी है वो भी हिम्मत वाला निकल आता है कितना भी गहरा दलदल हो शेर तो शेर ही होता है पिंजरा हो या जंगल हो छीन तो लूँ दुनिया से उसे रखता हूँ वो... Hindi · कविता 1 322 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दोस्ती श्मशान में चिता की तरह है दोस्ती एक रिश्ता है जिसे फ़रिश्ते नहीं बनाते ये खून से नहीं विचारों से बनता है इसकी प्रकृति खून से भी गाढ़ी होती है दोस्ती तोड़ देती है सामाजिक बंधनों... Hindi · कविता 1 239 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जरा होश में आओ ऐ मेरे देश के लोगों क्यों आपस में लड़-मर रहे हो जरा होश में आओ ये क्या कर रहे हो क्यों करते हो भेदभाव क्यों करते हो जातिवाद क्या इसीलिए... Hindi · कविता 1 205 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लेकर तिरंगा चल पड़ा गणतंत्र के आलोक में प्रतिदीप्त है हिमगिरि शिखर सुन्दर सुशोभित राष्ट्रध्वज लहरा रहा हर गाँव घर पंक्षियों ने तान छेड़ी भ्रमर राग सुनाए गुनगुन निःशब्द सावधान प्रकृति कल-कल में गूँजी... Hindi · कविता 1 185 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read गद्दारों को फाँसी दो आतंक का जलवा देख रहा है जग कश्मीर की घाटी में न जाने बो रहा कौन बारूद मुल्क की माटी में वीर शहीदों ने जाँ अपनी जिस माटी में गँवाई... Hindi · कविता 1 260 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read महाकाल बन जाते हैं आज समर्पित कविता भारत माँ की आँख के तारों को जान निछावर करने वाले देश के पहरेदारों को पहन के वर्दी तान के सीना जब ये शेर निकलते हैं जंगल... Hindi · कविता 1 206 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read चली चुनावी बयार चली आरोपों के धूल उड़ाती चली चुनावी बयार चली तर्कहीन बातों में उलझी आपस में तकरार चली गठबंधन से आस लगाकर जाति प्रवक्ता प्रखर हुए चार साल से शांत विपक्षी अब... Hindi · कविता 1 233 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पाकिस्तान नहीं होगा सीख ले पाकिस्तान जरा कुछ उल्टी चली हवाओं से अभी वक्त है तौबा कर ले आतंकी आकाओं से अभी सलामत आँख वो जिसने बुरी नजर से घूरा है हाफ़िज,मसूद के... Hindi · कविता 1 210 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 3 min read अगर न माँ सोई होती (वीर अभिमन्यु ) कूद पड़ा वह चक्रव्यूह में दुश्मन की ललकार पर द्वार तोड़ता अर्जुन सुत फिर पहुँचा अन्तिम द्वार पर लाश गिराता बाण चलाता सरपट रथ पर दौड़ रहा देख वीरता बालक... Hindi · कविता 1 266 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 3 min read बाण चलाना भूल गया ( महावीर कर्ण ) अंधकार है घना,भेड़िया सबकी लाशें नोच रहा युद्धभूमि में मृत्यु द्वार पर कर्ण पड़ा ये सोच रहा जन्म से ही मैं रहा अभागा सबने रिश्ता तोड़ लिया नवजात अभी था... Hindi · कविता 287 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read चार अँगुलियाँ भी हैं काफी एकलव्य के वास्ते स्वयं को गुरु शरण में करके समर्पित चल दिया अपना अंगूठा दक्षिणा में करके अर्पित चल दिया एकलव्य महान वीरों में शिरोमणि वीर था त्यागना सर्वस्व उसका स्वभाव था वो... Hindi · कविता 145 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read वन्दे मातरम् आस वन्दे मातरम् हर श्वाँस वन्दे मातरम् करता हृदय के कम्पनों में वास वन्दे मातरम् एहसास वन्दे मातरम्, विश्वास वन्दे मातरम् बोलता है क्रान्ति का इतिहास वन्दे मातरम् शत्रुओं के... Hindi · कविता 329 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अब पी ओ के की बारी है अब न धमाके गूँजेगे न जान किसी की जायेगी दहशत के ठेकेदारों की अम्मा खैर मनाएगी अब न कभी भी तड़पाएगी मृगमरीचिका रेतों में रोजगार की फसल उगेगी काश्मीर के... Hindi · कविता 387 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read एक दिन एक बच्चे ने... एक दिन एक बच्चे ने ये सवाल कर दिया चाचा ये तुमने देश का क्या हाल कर दिया तुम भी तो इसी मिटटी में खेले हो लिपटकर फिर खून से... Hindi · कविता 170 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read ऐ चाँद जरा कुछ रोज ठहर ऐ चाँद जरा कुछ रोज ठहर हम फिर आयेंगे मिलने को तेरी अंजान धरा को फिर पाँवों के तले कुचलने को बीते कुछ दिवस निकट तेरे इक चन्द्रयान पहुँचाए थे... Hindi · कविता 348 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मरने के कगार पर किसी को भी गिराकर आगे बढ़ने की प्रबल इच्छा जलनवश कुप्रेरित होकर गलत रास्तों से सही के चयन का असफल प्रयास अयोग्यता को योग्यता समझकर तर्कों के पुष्पों का कुतर्की... Hindi · कविता 366 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read माँ भ्रूण रूप ले गर्भ में आया माँ की है वरदान ये काया माँ है रचयिता माँ जननी है माँ के दम पर सृष्टि बनी है माँ है धरती माँ अम्बर... Hindi · कविता 421 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read क्या से क्या हो गया देखते देखते क्या से क्या हो गया बावफा था जो वो बेवफा हो गया आग तो थी जली रोशनी को मगर हर तरफ बस धुआँ ही धुआँ हो गया नाम... Hindi · कविता 290 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read चलती बस में चलती बस में देखा उसे गोद में एक बच्चे के साथ उम्र रही होगी....लगभग तीन या चार माह बच्चे की और चौबीस या पचीस वर्ष उसकी वो खड़ी थी..मैं भी... Hindi · कविता 2 224 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कोरोना की दहशत में खुद ही खुद से बहल रहे हैं कोरोना की दहशत में पर अंदर से दहल रहे हैं कोरोना की दहशत में स्वच्छ देश के नारों पर न जिनके कान पे... Hindi · कविता 2 225 Share Previous Page 2