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18 Mar 2020 · 1 min read

ऐ चाँद जरा कुछ रोज ठहर

ऐ चाँद जरा कुछ रोज ठहर
हम फिर आयेंगे मिलने को
तेरी अंजान धरा को फिर
पाँवों के तले कुचलने को

बीते कुछ दिवस निकट तेरे
इक चन्द्रयान पहुँचाए थे
उपहार में लैण्डर, रोवर को भी
साथ में अपने लाए थे

निकले थे जुलाई बाईस को
और सात सितम्बर आना था
दक्षिण ध्रुव का वो क्षेत्र तेरा
अनदेखा था अनजाना था

जब दो ही किलोमीटर थे बचे
हम अकस्मात जड़ हो बैठे
लाए थे तुम्हारी ख़ातिर जो
उपहार वो दोनों खो बैठे

प्रथम मिलन की रस्म थी
खाली हाथ भला आते कैसे
संस्कार को त्याग के मुखड़ा
जग को दिखलाते कैसे

द्रवित दुखी मन है फिर भी
न पीछे कदम हटाएँगे
ऐ चाँद प्रतीक्षा करना तू
हम लौट के वापस आएँगे

Language: Hindi
326 Views
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