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Tag: मुक्तक
32 posts
कभी भला तो कभी बुरा लगता है
कभी भला तो कभी बुरा लगता है
सागर यादव 'जख्मी'
टूटकर बिखरने का हौसला नहीँ है
टूटकर बिखरने का हौसला नहीँ है
सागर यादव 'जख्मी'
पागल
पागल
सागर यादव 'जख्मी'
हमारे गंदे कर्मोँ की समीक्षा अब नहीँ होती
हमारे गंदे कर्मोँ की समीक्षा अब नहीँ होती
सागर यादव 'जख्मी'
न शरमाएँगे दुनिया से
न शरमाएँगे दुनिया से
सागर यादव 'जख्मी'
वफा का नाम सुनकर भी हमारा खून जलता है
वफा का नाम सुनकर भी हमारा खून जलता है
सागर यादव 'जख्मी'
मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ
मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ
सागर यादव 'जख्मी'
मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ
मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ
सागर यादव 'जख्मी'
पढ़ा जो खत 'सुनैना' का
पढ़ा जो खत 'सुनैना' का
सागर यादव 'जख्मी'
मेरी इतनी सी ख्वाहिश है
मेरी इतनी सी ख्वाहिश है
सागर यादव 'जख्मी'
खाली हाँथ आया था
खाली हाँथ आया था
सागर यादव 'जख्मी'
मुझे तुमसे मुहब्बत है
मुझे तुमसे मुहब्बत है
सागर यादव 'जख्मी'
जिसकी बीवी बेवफा हो जाए
जिसकी बीवी बेवफा हो जाए
सागर यादव 'जख्मी'
क्या सच बोलना भी जुर्म है इस जमाने मेँ ?
क्या सच बोलना भी जुर्म है इस जमाने मेँ ?
सागर यादव 'जख्मी'
शायद कभी हम जलाने के काम आए
शायद कभी हम जलाने के काम आए
सागर यादव 'जख्मी'
गजल कहो
गजल कहो
सागर यादव 'जख्मी'
धूप मेँ भी चाँद का दीदार होना चाहिए
धूप मेँ भी चाँद का दीदार होना चाहिए
सागर यादव 'जख्मी'
किसी दिल को मिले जब गम तो कोई बात होती है
किसी दिल को मिले जब गम तो कोई बात होती है
सागर यादव 'जख्मी'
मै शायर हूँ मेरे प्रेमी हजारो हैँ
मै शायर हूँ मेरे प्रेमी हजारो हैँ
सागर यादव 'जख्मी'
कमाओ ढेर सारा धन मगर इतनी खबर रखना
कमाओ ढेर सारा धन मगर इतनी खबर रखना
सागर यादव 'जख्मी'
जिस भाई के खातिर मैने अपनी किडनी बेची थी
जिस भाई के खातिर मैने अपनी किडनी बेची थी
सागर यादव 'जख्मी'
मेरी माँ की महिमा
मेरी माँ की महिमा
सागर यादव 'जख्मी'
हकीकत मानने से मै भला इनकार क्योँ करता ?
हकीकत मानने से मै भला इनकार क्योँ करता ?
सागर यादव 'जख्मी'
वो लड़की याद आती है
वो लड़की याद आती है
सागर यादव 'जख्मी'
हंगामा
हंगामा
सागर यादव 'जख्मी'
मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ
मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ
सागर यादव 'जख्मी'
तू मुझे चूम ले
तू मुझे चूम ले
सागर यादव 'जख्मी'
अब भाभी अलग चूल्हा जलाती है
अब भाभी अलग चूल्हा जलाती है
सागर यादव 'जख्मी'
किसी मजनूँ को जब लैला से थोड़ा प्यार होता है
किसी मजनूँ को जब लैला से थोड़ा प्यार होता है
सागर यादव 'जख्मी'
तू मेरी हो नहीँ सकती
तू मेरी हो नहीँ सकती
सागर यादव 'जख्मी'
मुहब्बत मेँ मजे कम
मुहब्बत मेँ मजे कम
सागर यादव 'जख्मी'
हृदय की पीर
हृदय की पीर
सागर यादव 'जख्मी'
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