सागर यादव 'जख्मी' 46 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read धूप मेँ भी चाँद का दीदार होना चाहिए धूप मेँ भी चाँद का दीदार होना चाहिए आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए माँ- बहन , भाई को माना प्यार है तुमसे बहुत हाँ मगर कुछ मेरा भी... Hindi · मुक्तक 641 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read किसी दिल को मिले जब गम तो कोई बात होती है किसी दिल को मिले जब गम तो कोई बात होती है किसी गम से मिले जब हम तो कोई बात होती है बिछड़ कर तुमसे मै एक पल भी 'सागर'... Hindi · मुक्तक 313 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read मै शायर हूँ मेरे प्रेमी हजारो हैँ चमकते चाँद को बीमार मत समझो सँपोलोँ को किसी का यार मत समझो मै शायर हूँ मेरे प्रेमी हजारोँ हैँ मुझे तुम एक गले का हार मत समझो Hindi · मुक्तक 433 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read कमाओ ढेर सारा धन मगर इतनी खबर रखना किसी के इश्क मेँ तुम जिंदगी अपनी कभी बर्बाद मत करना कि अपने स्वर्ग से घर को कभी वीरान मत करना कमाओ ढेर सारा धन मगर इतनी खबर रखना कभी... Hindi · मुक्तक 378 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read जिस भाई के खातिर मैने अपनी किडनी बेची थी गली सब देख डाली पर शहर पूरा नहीँ देखा मुहब्बत के मुसाफिर ने कभी सहरा नहीँ देखा कि जिस भाई के खातिर मैने अपनी किडनी बेची थी वही भाई कई... Hindi · मुक्तक 326 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read मेरी माँ की महिमा मिली जो भी खबर मुझको तुम्हेँ बतला रहा हूँ मै यकीँ मानो उसी विधवा से मिलकर आ रहा हूँ मै न देवोँ की कृपा मुझ पर न तेरा ही सहारा... Hindi · मुक्तक 1 625 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read हकीकत मानने से मै भला इनकार क्योँ करता ? हकीकत मानने से मै भला इनकार क्योँ करता तुम्हारे प्यार के खातिर किसी से प्यार क्योँ करता निवाला मुँह का देकर जिसने मेरी परवरिश की थी जरा सी बात पर... Hindi · मुक्तक 326 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read वो लड़की याद आती है सफर करते हुए नभ की,ये धरती याद आती है लुटेरोँ को अभी भी मेरी बस्ती याद आती है हमेँ मालूम है 'सागर' इसी को प्यार कहते हैँ मै जब भी... Hindi · मुक्तक 443 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read हंगामा कोई जब जिस्म का सौदा लगाते हैँ तो हंगामा हया सब छोड़ के पैसा कमाते हैँ तो हंगामा वफा की राह पे हमको कोई चलने नहीँ देता कलम को छोड़कर... Hindi · मुक्तक 530 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ मेरे कदमोँ की आहट को सदा पहचान जाती है वो गहरी नीँद मेँ होती भी है तो जाग जाती है मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ कि... Hindi · मुक्तक 513 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read तू मुझे चूम ले प्रेम के गीत पर आ जरा झूम लेँ अपने लब के लिए एक हँसी ढूढ़ लेँ चाँदनी रात है राह सुनसान है तू मुझे चूम ले हम तुम्हेँ चूम ले Hindi · मुक्तक 467 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read अब भाभी अलग चूल्हा जलाती है न बच्चे शोर करते हैँ न मम्मी मुस्कुराती है मै जब वर्दी मेँ होता हूँ तो दादी सिर झुकाती है यही घर था जहाँ हरपल खुशी के फूल खिलते थे... Hindi · मुक्तक 757 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read किसी मजनूँ को जब लैला से थोड़ा प्यार होता है कभी मंगल कभी शुक्कर कभी इतवार होता है कलेँडर के सभी पृष्ठोँ पे कोई वार होता है पिता -माता , बहन- भाई सभी को भूल जाता है किसी मजनूँ को... Hindi · मुक्तक 548 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read तू मेरी हो नहीँ सकती किसी के खून से मै हाथ अपने धो नहीँ सकता मै अपनी राह मेँ काँटे कभी भी बो नहीँ सकता तू मुझसे प्यार करती है मगर सच बात तो ये... Hindi · मुक्तक 621 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read मुहब्बत मेँ मजे कम कोई मजबूर कहता है कोई जाहिल समझता है मगर वो अपने भाई को सदा लक्ष्मण समझता है मुहब्बत मेँ मजे कम और खतरे ढेर सारे हैँ इसे बस तू समझती... Hindi · मुक्तक 355 Share सागर यादव 'जख्मी' 7 Jan 2017 · 1 min read हृदय की पीर कहीँ पे राँझा बिकता है कहीँ पे हीर बिकती है कि पैसे के लिए नारी की अक्सर चीर बिकती है ये कुदरत का करिश्मा है या वेश्या की अदाकारी सुना... Hindi · मुक्तक 824 Share Previous Page 2