Renu Bala 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Renu Bala 23 Apr 2022 · 1 min read पिता की महिमा परिवार की झलक,पिता श्री ने दिखलाई, दूध दही विभिन्न व्यंजन रसमलाई खिलाई, ढ़ाल बने जिसने भी तीर अंदाजी तलवार उठाई, शब्द भेदी तर्क वितर्क दे दे कर सबकी बाट लगाई.... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · गीत 8 12 432 Share Renu Bala 10 Mar 2022 · 1 min read भला कहे भला कहे या करे बुरा, अंतस से छुपे कैसे, टूट गये धार्मिक तगड़ी, सहज हो महज वैसे।। फनकार तो तुम हो ही, बन गये पतनकार, थोडे तो रहम कीजिये भूल... Hindi · दोहा 3 3 268 Share Renu Bala 2 Nov 2021 · 2 min read दीपोत्सव कमला बिमला सरला सब कामकाजी महिला है, उनकी निरीक्षक कलावती ने शनिवार को एक एक सरसों के तेल की बोतल वा दीपक भेंट किया, कमला, बिमला, सरला को सरकार से... उत्सव - कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 354 Share Renu Bala 16 Jul 2021 · 2 min read जायदाद माँ बाप काम में तल्लीन, संयुक्त परिवार में सब अपनी अपनी जिम्मेदारी निभाने में व्यस्त रहते हुए एक अच्छा जीवन व्यतीत करते रहे. मेरी नजर में परिवार ने जैसे अकेले... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 7 5 717 Share Renu Bala 16 Jul 2021 · 2 min read पूत सपूत काहे धन मैंने सुना है *पूत सपूत काहे घन संचय, पूत कपूत काहे ....* ये कथन सारे का सारा आधे अधूरा है, हम भी किसी के संतान है, हमारे भी संतान है,और... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 7 8 1k Share Renu Bala 6 Jul 2021 · 2 min read मन का मनका फेर एक राजा जिसके दस रानियां थी, नाम पडा दशरथ, राजा मन के स्वामी थे, इसलिए पंच-ज्ञान इंद्रियां तथा पाँच कर्मेन्द्रियों के स्वामी, समान रुप से देखभाल रखते. विचलित तो मन... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 8 7 748 Share Renu Bala 5 Jul 2021 · 3 min read योग और ध्रुवीकरण आजकल रोज हररोज, गली मुहल्लों से गुजरते हुए, एक बात सुनने की मिलती है, रामकला और कमला एक सत्संग मण्डली की बागडोर को संभाले हुए, छोटे छोटे पर्व-उत्सव की तलाश... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 10 11 1k Share Renu Bala 30 Dec 2020 · 1 min read कृषि मेरा रणक्षेत्र कसम ए कश की जिंदगी में चीखती चिल्लाते गुमनाम आवाज़ ऐं ये कौन हैं, नहीं है कोई अपना कम से कम सुकून कर, भाव विभोर ये मन लालायित है, चलो... Hindi · कविता 3 6 342 Share Renu Bala 27 Dec 2020 · 1 min read नाम कोरोना, अज़ब व्याधि तन,मन,धन पुरुषार्थ कामुकता आधी. देखों भाई नाम कोरोना अज़ब व्याधि. तेज रफ़्तार से दौड़ती देखों ये जिंदगी, आपाधापी व्याप्त,जिंदगी कैसी बंदगी, थम सी गई है अकारण देखों पंथी, बाह्य आक्रमण... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 28 672 Share