Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2021 · 2 min read

पूत सपूत काहे धन

मैंने सुना है *पूत सपूत काहे घन संचय,
पूत कपूत काहे ….*
ये कथन सारे का सारा आधे अधूरा है,
हम भी किसी के संतान है, हमारे भी संतान है,और सिलसिले बढते रहेंगे,
हर्ष का अपना जीवन है, जीवन बहुआयामी व्यक्तित्व के चर्चित होते है, हर्ष अपने जीवन में भविष्य को लेकर चिंतित बिल्कुल नहीं है, वह बिल्कुल सहज है,
हर्ष के पिता को घर खर्च पूरा करने से फुर्सत नहीं है, हर्ष की शिकायत रोजाना उसे सुननी पड़ती है,
आजकल शिक्षित महिलाएं गृहस्थ जीवन को संभाल रही है, वे अपनी नाकामियों को बच्चों के स्तर पर आंकती है, और अपने जीवन को उन पर थोपना चाहती है,
वे सामाजिक स्तर पर जो घटनाएं घट रही है, अपने बच्चों को रखकर सोचती है, वे चाहती है, बच्चे ऐसे करे, वैसे करे, अर्थात उनका अनुकरण,अनुशरण करें, जो आपका अनुभव है, बच्चों की ऊर्जा से मेल नहीं खाता है,
नतीजन बच्चे विद्रोही बन जाते हैं,
लोगों का काम है कहना
जब सही गलत का कोई विषय ही ना हो,
बात बिन बात उन्हें, सुनना ही है तो भले, कौन ??? खैर
आजकल के बच्चे पैरवी तो मांगते है
करना भी चाहिए, पर व्यर्थ की खुशामदी, मेरी समझ से परे है,
आजकल शिक्षा बहुमुखी प्रतिभा के विकास के नाम पर जैसे माता-पिता को अधिक पढाई मे शामिल करती है,
स्कूल, ट्यूशन, फीस,हर वर्ष बदलती ड्रैस, किताबें, सालभर के स्टेशनरी सामान, परिणाम स्कूल के नहीं, घर के अनुरूप ही मिलते हैं,
लगभग दो वर्ष में फीस बराबर जाती रही, पापा का व्यापार, व्यवहारिक गतिविधियाँ, आज से पहले ऐसी कभी नहीं रही,
फीस भरने तक के टोटे,
रोजमर्रा की आवश्यक चीजें जैसे आसमान छू रही हो,
जीवन बीमा की किस्त, निजी लोन,ऊपर से मकान की किस्तें, जीवन बीमा पॉलिसी पर लिए लोन
एक बाप जो कर सकता है, अपने फर्ज निभाते हुए, कभी परिवार को अहसास नहीं होने देते, घर के मुखिया के जो श्रेष्ठ गुण होते हैं,
हर्ष अपने पिता में देख रहा था,
पापा के निजी जटिलताओं को जैसे वो अनुभव में बदल रहा हो,
अब इन दोनों अवस्थाओं को पहचानने से पहले पैसों की आवश्यकता तो पडती ही है.
जिनका जिक्र मैंने कहानी की शुरुआत में किया है,
*पूत सपूत काहे…
पूत कपूत काहे…
धन संचय*
शिक्षा:- बच्चों पर शक ना करें.
उनकी परवरिश ठीक ढंग से करें.

Renu Bala M.A(B.Ed.)

7 Likes · 8 Comments · 1055 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फिर कब आएगी ...........
फिर कब आएगी ...........
SATPAL CHAUHAN
जल प्रदूषित थल प्रदूषित वायु के दूषित चरण ( मुक्तक)
जल प्रदूषित थल प्रदूषित वायु के दूषित चरण ( मुक्तक)
Ravi Prakash
सच समाज में प्रवासी है
सच समाज में प्रवासी है
Dr MusafiR BaithA
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
मुक्तक... छंद हंसगति
मुक्तक... छंद हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
Rajesh Tiwari
💐प्रेम कौतुक-344💐
💐प्रेम कौतुक-344💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हटा 370 धारा
हटा 370 धारा
लक्ष्मी सिंह
ताशीर
ताशीर
Sanjay ' शून्य'
प्रेम मे धोखा।
प्रेम मे धोखा।
Acharya Rama Nand Mandal
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
Harminder Kaur
সিগারেট নেশা ছিল না
সিগারেট নেশা ছিল না
Sakhawat Jisan
2680.*पूर्णिका*
2680.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गलत और सही
गलत और सही
Radhakishan R. Mundhra
किसी वजह से जब तुम दोस्ती निभा न पाओ
किसी वजह से जब तुम दोस्ती निभा न पाओ
ruby kumari
उन्हें हद पसन्द थीं
उन्हें हद पसन्द थीं
हिमांशु Kulshrestha
(12) भूख
(12) भूख
Kishore Nigam
'क्यों' (हिन्दी ग़ज़ल)
'क्यों' (हिन्दी ग़ज़ल)
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
वीर पुत्र, तुम प्रियतम
वीर पुत्र, तुम प्रियतम
संजय कुमार संजू
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
Rj Anand Prajapati
◆आज की बात◆
◆आज की बात◆
*Author प्रणय प्रभात*
अहिल्या
अहिल्या
Dr.Priya Soni Khare
तेरी तसवीर को आज शाम,
तेरी तसवीर को आज शाम,
Nitin
रात में कर देते हैं वे भी अंधेरा
रात में कर देते हैं वे भी अंधेरा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बादल छाये,  नील  गगन में
बादल छाये, नील गगन में
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जिये
जिये
विजय कुमार नामदेव
"एक कदम"
Dr. Kishan tandon kranti
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
पूर्वार्थ
Loading...