purushottam sinha Tag: कविता 32 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid purushottam sinha 17 Oct 2019 · 1 min read आश्वस्ति कुछ आश्वस्त हुए, भुक-भुक जले वे दीपक.... निष्ठुर हवा के मंद झौंके, झिंगुर के स्वर, दूर तक, वियावान निरन्तर, मूकद्रष्टा पहर, कौन जो तम को रोके! भुक-भुक, वे जलते दीये,... Hindi · कविता 350 Share purushottam sinha 3 Dec 2017 · 2 min read स्मरण स्मरण फिर भी मुझे, सिर्फ तुम ही रहे हर क्षण में ...... मैं कहीं भी तो न था ....! न ही, तुम्हारे संग किसी सिक्त क्षण में, न ही, तुम्हारे... Hindi · कविता 620 Share purushottam sinha 25 Nov 2017 · 1 min read अनन्त प्रणयिनी कलकल सी वो निर्झरणी, चिर प्रेयसी, चिर अनुगामिणी, दुखहरनी, सुखदायिनी, भूगामिणी, मेरी अनन्त प्रणयिनी...... छमछम सी वो नृत्यकला, चिर यौवन, चिर नवीन कला, मोह आवरण सा अन्तर्मन में रमी, मेरी... Hindi · कविता 443 Share purushottam sinha 25 Nov 2017 · 1 min read बर्फ के फाहे कुछ फाहे बर्फ की, जमीं पर संसृति की गिरीं..... व्यथित थी धरा, थी थोड़ी सी थकी, चिलचिलाती धूप में, थोड़ी सी थी तपी, देख ऐसी दुर्दशा, सर्द हवा चल पड़ी,... Hindi · कविता 910 Share purushottam sinha 9 Sep 2017 · 2 min read निशा प्रहर में क्यूँ निशा प्रहर तुम आए हो मन के इस प्रांगण में? रूको! अभी मत जाओ, तुम रुक ही जाओ इस आंगन में। बुझती साँसों सी संकुचित निशा प्रहर में, मिले... Hindi · कविता 768 Share purushottam sinha 13 Aug 2017 · 1 min read मेरी जन्मभूमि है ये स्वाभिमान की, जगमगाती सी मेरी जन्मभूमि... स्वतंत्र है अब ये आत्मा, आजाद है मेरा वतन, ना ही कोई जोर है, न बेवशी का कहीं पे चलन, मन में... Hindi · कविता 787 Share purushottam sinha 13 Aug 2017 · 1 min read 15 अगस्त ये है 15 अगस्त, स्वतंत्र हो झूमे ये राष्ट्र समस्त! ये है उत्सव, शांति की क्रांति का, है ये विजयोत्सव, विजय की जय-जयकार का, है ये राष्ट्रोत्सव, राष्ट्र की उद्धार... Hindi · कविता 534 Share purushottam sinha 10 Aug 2017 · 1 min read अनुरोध मधुर-मधुर इस स्वर में सदा गाते रहना ऐ कोयल.... कूउउ-कूउउ करती तेरी मिश्री सी बोली, हवाओं में कंपण भरती जैसे स्वर की टोली, प्रकृति में प्रेमर॔ग घोलती जैसे ये रंगोली,... Hindi · कविता 393 Share purushottam sinha 10 Aug 2017 · 1 min read विदाई विदाई की वेदना में असह्य से गुजरते हुए ये क्षण! भर आई हैं आखें, चरमराया सा है ये मन, भरी सी भीड़ में, तन्हा हो रहा ये बदन, तपिश ये... Hindi · कविता 575 Share purushottam sinha 28 Jul 2017 · 1 min read उम्र की दोपहरी उम्र की दोपहरी, अब छूने लगी हलके से तन को... सुरमई सांझ सा धुँधलाता हुआ मंजर, तन को सहलाता हुआ ये समय का खंजर, पल पल उतरता हुआ ये यौवन... Hindi · कविता 398 Share purushottam sinha 22 Jul 2017 · 1 min read चुप सी धड़कन इस दिल में ही कहीं, इक धड़कन अब चुप सा रहता है! चुप सी अब रहने लगी है, इक शोख सी धड़कन! बेवजह ही ये कभी बेजार सा धड़कता था,... Hindi · कविता 553 Share purushottam sinha 21 Jul 2017 · 1 min read अतीत हूँ मैं अतीत हूँ मैं बस इक तेरा, हूँ कोई वर्तमान नहीं... तुमको याद रहूँ भी तो मैं कैसे, मेरी चाहत का तुझको, है कोई गुमान नहीं, झकझोरेंगी मेरी बातें तुम्हें कैसे,... Hindi · कविता 350 Share purushottam sinha 21 Jul 2017 · 1 min read शहतूत के तले हाॅ, कई वर्षों बाद मिले थे तुम उसी शहतूत के तले..... अचानक ऑंखें बंद रखने को कहकर, चुपके से तुमनें रख डाले थे इन हाथों पर, शहतूत के चंद हरे-लाल-काले... Hindi · कविता 740 Share purushottam sinha 21 Jul 2017 · 1 min read समर्पण वो पुष्प! संपूर्ण समर्पित होकर भी, शायद था वो कुछ अपूर्ण! अन्त: रमती थी उसमें निष्ठा की पराकाष्ठा, कभी स्वयं ईश के सर चढ कर इठलाता, या कभी गूँथकर धागों... Hindi · कविता 788 Share purushottam sinha 21 Jul 2017 · 1 min read कभी कभी गुजरना तुम भी मन के उस कोने से, विलखता है ये पल-पल, तेरे हो के भी ना होने से... कुछ बीत चुके दिन सा है... तेरा मौजूदगी का अनथक... Hindi · कविता 545 Share purushottam sinha 12 Jul 2017 · 1 min read श्रापमुक्त कुछ बूँदे! ... जाने क्या जादू कर गई थी? लहलहा उठी थी खुशी से फिर वो सूखी सी डाली.... झेल रहा था वो तन श्रापित सा जीवन, अंग-अंग टूट कर... Hindi · कविता 502 Share purushottam sinha 8 Jul 2017 · 1 min read छलकते बूँद छलकी हैं बूँदें, छलकी सावन की ठंढी सी हवाएँ.... ऋतु सावन की लेकर आई ये घटाएँ, बारिश की छलकी सी बूँदों से मन भरमाए, मंद-मंद चंचल सा वो बदरा मुस्काए!... Hindi · कविता 361 Share purushottam sinha 2 Jul 2017 · 1 min read विरह के पल सखी री! विरह की इस पल का है कोई छोर नहीं..... आया था जीवन में वो जुगनू सी मुस्कान लिए, निहारती थी मैं उनको, नैनों में श्रृंगार लिए, खोई हैं... Hindi · कविता 377 Share purushottam sinha 24 Jun 2017 · 1 min read परखा हुआ सत्य फिर क्युँ परखते हो बार-बार तुम इस सत्य की सत्यता? सूर्य की मानिंद सतत जला है वो सत्य, किसी हिमशिला की मानिंद सतत गला है वो सत्य, आकाश की मानिंद... Hindi · कविता 460 Share purushottam sinha 24 Jun 2017 · 1 min read त्यजित त्यजित हूँ मै इक, भ्रमित हर क्षण रहूँगा इस प्रेमवन में। क्षितिज की रक्तिम लावण्य में, निश्छल स्नेह लिए मन में, दिग्भ्रमित हो प्रेमवन में, हर क्षण जला हूँ मैं... Hindi · कविता 666 Share purushottam sinha 2 May 2017 · 1 min read अचिन्हित तट ओ मेरे उर की सागर के अचिन्हित से निष्काम तट.... अनगिनत लहर संवेदनाओं के उमरते तुम पर, सूना है फिर भी क्यूँ तेरा ये तट? सुधि लेने तेरा कोई, आता... Hindi · कविता 355 Share purushottam sinha 27 Apr 2017 · 1 min read दूरियाँ क्यूँ रही दिल के बहुत करीब वो सदियों की दूरियाँ? क्या कोई तिलिस्म है ये या गहरा है कोई राज ये, या है ये हकीकत, या है ये बस इक... Hindi · कविता 399 Share purushottam sinha 27 Apr 2017 · 1 min read टूटते ख्वाहिशों की जिन्दगी दिखने में नायाब! मगर किसी भी क्षण ढहने को बेताब! बेमिसाल, मगर टूटती हुई ख्वाहिशों की जिन्दगी! अकस्मात् ही, रुक से गए जैसे जिन्दगी के रास्ते, मोहलत भी न मिली... Hindi · कविता 372 Share purushottam sinha 27 Apr 2017 · 1 min read उल्लास इशारों से वो कौन खींच रहा क्षितिज की ओर मेरा मन! पलक्षिण नृत्य कर रहा आज जीवन, बज उठे नव ताल बज उठा प्राणों का कंपन, थिरक रहे कण-कण थिरक... Hindi · कविता 744 Share purushottam sinha 18 Apr 2017 · 1 min read वक्त के सिमटते दायरे हैं ये वक्त के सिमटते से दायरे, न जाने ये कहाँ, किस ओर लिए जाए रे? अंजान सा ये मुसाफिर है कोई, फिर भी ईशारों से अपनी ओर बुलाए रे,... Hindi · कविता 543 Share purushottam sinha 16 Apr 2017 · 1 min read गूंजे है क्युँ शहनाई क्युँ गूँजती है वो शहनाई, अभ्र की इन वादियों में? अभ्र पर जब भी कहीं, बजती है कोई शहनाई, सैकड़ों यादों के सैकत, ले आती है मेरी ये तन्हाई, खनक... Hindi · कविता 351 Share purushottam sinha 16 Apr 2017 · 1 min read क्षितिज की ओर भीगी सी भोर की अलसाई सी किरण, पुरवैयों की पंख पर ओस में नहाई सी किरण, चेहरे को छूकर दिलाती है इक एहसास, उठ यार! अब आँखे खोल, जिन्दगी फिर... Hindi · कविता 691 Share purushottam sinha 14 Apr 2017 · 1 min read क्युँ हुई ये सांझ! आज फिर क्युँ हुई है, ये शाम बोझिल सी दुखदाई? शांत सी बहती वो नदी, सुनसान सा वो किनारा, कहती है ये आ के मिल, किनारों ने है तुझको पुकारा,... Hindi · कविता 389 Share purushottam sinha 13 Apr 2017 · 1 min read वो नव पाती मृदुल कोमल सकुचाती सी वो इक नव पाती, कोपलों से झांकती, नव बसंत में वो लहलहाती, मंद बयार संग कभी वो झूमती मुस्कुराती, कभी सुनहले धूप की, गर्म बाहों में... Hindi · कविता 1 421 Share purushottam sinha 12 Apr 2017 · 1 min read मन भरमाए इक इक आहट पर, क्युँ मेरा ये मन भरमाए! तुम न आए, बैरी सजन तुम घर न आए! तू चल न तेज रे पवन, आस न मेरा डगमगाए, उड़ती पतंग... Hindi · कविता 459 Share purushottam sinha 12 Apr 2017 · 1 min read पूछूँगा ईश्वर से सांसों के प्रथम एहसास से, मृत्यु के अन्तिम विश्वास तक तुम पास रहे मेरे, पूजा के प्रथम शंखनाद से, हवन की अन्तिम आग तक तुम पास रहे मेरे, पर क्युँ... Hindi · कविता 494 Share purushottam sinha 11 Apr 2017 · 1 min read लघु क्षण हो सके तो! लौटा देना तुम मुझको मेरा वो लघु-क्षण.... क्षण, जिसमें था सतत् प्रणय का कंपन, निरन्तर मृदु भावों संग मन का अवलम्बन, अनवरत साँसों संग छूटते साँसों का... Hindi · कविता 580 Share