Purdil Shiddharth Tag: कविता 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Purdil Shiddharth 18 Aug 2019 · 1 min read कविता क्या तुम धुप बनोगे ... ? एक रात के लिए ... ? और बरस जाना सुबह तक... मेरा गिलाफ सूखने तक... तब तक रात और सुबह को मुट्ठी में थामें... Hindi · कविता 1 589 Share Purdil Shiddharth 16 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक १. श्राप लगा था उसे, पत्थरों में दबी रही थी सदियों प्रेम की हवा लगी वो निखर आई रूहानी सुन्दर होकर... ...पुर्दिल Hindi · कविता 2 239 Share Purdil Shiddharth 19 May 2019 · 1 min read मुक्तक ! हटो व्योम के बादल तुम, प्रीतम से मिलने हम जाते हैं बर्फीली वादी में प्यार की उष्णता लेकर हम जाते है, शरहद के ठंढी सीमा में,ठिठुरते हांथो को ताप दे... Hindi · कविता 2 489 Share Purdil Shiddharth 18 May 2019 · 1 min read मुक्तक ! मैं मधुशाला बन जाऊँ, तुम बनना मेरा साक़ी तुम प्रेम प्याला छलका देना, मैं अधरों पे बांकी ! रोज जरा सा मुझ से मिल जाना तुम साक़ी अधरों पे अधूरी... Hindi · कविता 2 1 391 Share Purdil Shiddharth 10 May 2019 · 1 min read मैं दिया तू दिए कि बाती पूर्दिल ! घर की देहरी पे, एक दिया जलता है उजाला उचक के झांकता, भीतर तक बढ़ता चलता है. लपक-लपक के बाती हस-हस के कहे अंधेरे से मेरे जलने तक अंधेरा, बता... Hindi · कविता 3 1 367 Share Purdil Shiddharth 8 May 2019 · 1 min read खुद को अब समझाऊंगा ! खुद को अब समझाऊंगा प्रेम नहीं आकर्षण 'सखे' और भाव, सब मेरा माया है कहने को तो कह गए हो तुम, मन को मेरे कहां समझाया है। रात के अंतिम... Hindi · कविता 4 418 Share Purdil Shiddharth 5 May 2019 · 1 min read तुम 'प्रेम पगा' ही रहा करो.. सौ बार कहा दिल से हमने ... तुम 'प्रेम पगा' ही रहा करो.. अपने मन को न छला करो… प्रेम के साये में ही चला कोरो... / सौ बार पलट... Hindi · कविता 5 1 415 Share Purdil Shiddharth 29 Apr 2019 · 1 min read कचनार बने हो तुम ! कचनार बने हो तुम गुलनार बने हो तुम, क्यूँ ... गुलशन की बाहों में बेज़ार पड़े हो तुम... ? हांथ बढ़ाओ, साथ तो आओ क्यूँ ... दिल को थाम खड़े... Hindi · कविता 4 317 Share Purdil Shiddharth 28 Apr 2019 · 1 min read मुश्किल में हैं रिश्ते ... मुश्किल में हैं दिल के रिश्ते अपने रुठ न जाएं हमसे, अपने-सपने सब घिरे हुये हैं दुनियाँ भर के धर्मसंकट से, गिर कर टूट न जाये हमसे रुठ - टूट... Hindi · कविता 4 246 Share Purdil Shiddharth 28 Apr 2019 · 1 min read मुक्तक ! सांस लिए फिरते हो, जिनमें बस नही तेरा आश किए चलते रहते हो फिर हुआ सबेरा मैं कहता हूँ,सुनो जरा तुम मान भी जाओ अजब माया जाल लगे मुझ को... Hindi · कविता 3 430 Share Purdil Shiddharth 27 Apr 2019 · 1 min read क्या लिखूं '...? क्या लिखूं '...? रुदन लिखूं मौन, दुःख लिखूं या लिखूं, अपनी अंतर बेदना कि दिन कट जाता है रातें रोने लगती है बिसूरने लगती है कितना मुश्किल है ... इन... Hindi · कविता 4 2 285 Share Purdil Shiddharth 26 Apr 2019 · 1 min read मुक्तक कहाँ मिला सबर तुझे,मुझे भी न करार आया बिछड़े हम इस कदर कि दोनों दरबदर हो गए... / वहम ही सही तुम यूँ ही कायम रहा करो तुम जहाँ भी... Hindi · कविता 4 331 Share Purdil Shiddharth 26 Apr 2019 · 1 min read मुझ से जुड़ कर क्या पाओगे ... ? मुझ से जुड़ कर क्या पाओगे बस कुछ आँसू स्वर्णिम गालों पे और सूख के दांतों से काटोगे अपने ही मन के छालों को. चाँदी उग आये हैं बालों में... Hindi · कविता 4 319 Share