प्रेम शंकर तिवारी Tag: कविता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रेम शंकर तिवारी 23 Nov 2021 · 1 min read धर्म और संस्कृति अब अतिशय होय समाज में और धर्म कर्म की नित क्षति बात संभल जाने की त्वरित प्रारंभ वर्ग विशेष की दुर्गति। वेश बदल कर देख भेड़िए करने लगे हैं समूह... Hindi · कविता 411 Share प्रेम शंकर तिवारी 23 Nov 2021 · 2 min read मां की ममता नव माह रखकर कोख में रग में बहते खून से सींचा। झेला प्रसव की पीड़ा को अन्त दंभ को न भिंचा। निचोड़ कर शरीर अपना दूध हमको पिलाती। स्वयं भूखे... Hindi · कविता 1 1 240 Share