Niki pushkar 36 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Niki pushkar 4 Jun 2023 · 1 min read "मैं" तुम्हारी कला के सम्मुख सदैव नतमस्तक मैं ...! तुम्हारा ये सुन्दर शब्द--संयोजन और अलंकारिक प्रस्तुति... अहा!...कितना आह्ललाद पूर्ण । सदैव गदगद होती मैं...! तुम्हारा अभिनय मंत्रमुग्ध सा करता है! संवाद-अदायगी,... Poetry Writing Challenge 4 4 229 Share Niki pushkar 20 May 2020 · 1 min read ग़ज़ल बाहर से सब सुनहरा है भीतर दुख इक गहरा है..... महफिल महफिल हँसता जो दिल मे लेकर सहरा है......... बदन उमर की गाड़ी से निकला दिल सोला नुक्कड़ पे ठहरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 6 312 Share Niki pushkar 11 Jun 2023 · 1 min read पहले कविता जीती है पहले कविता जीती है कवि के हृदय मे फिर कविता, जीवित रखती है कवि को, स्वयं मे...। ©निकीपुष्कर Quote Writer 3 326 Share Niki pushkar 7 Jun 2023 · 1 min read "उम्मीदें" उम्मीदें गुपचुप ही पैदा हो जाती हैं इतनी गुप्त कि, आँखों को झलक भी नहीं दिखती इतनी चुप कि, कानों को भनक भी नहीं लगती अहसास, यकायक तब होता है... Poetry Writing Challenge 3 2 58 Share Niki pushkar 6 Jun 2023 · 1 min read "शेष" अतृप्ति, असन्तोष, उत्कंठा और अनन्त तलाश.... तलाश किसकी? नहीं ज्ञात अनवरत अज्ञात तलाश...। हर्ष,समृद्धि, प्रेम सब प्राप्य समस्त संवेगों से परिपूर्ण हृदय और प्रकृति के समस्त ऋणों से उऋण देह...।... Poetry Writing Challenge 3 4 154 Share Niki pushkar 30 May 2023 · 1 min read "पहाड़" देश जवान है और मेरे पहाड़ पर बुढ़ौती छायी है गाँव सूने पड़े हैं, घर के छज्जे जर्- जर हुए जाते हैं। दो जून का साधन जुटाने पहाड़ का यौवन... Poetry Writing Challenge 3 315 Share Niki pushkar 25 May 2023 · 1 min read पहाड़ की नारी नदी सी चंचल,पर्वत सी अटल शीत-घाम मे चलती अविरल पृथ्वी सी धृती,और फूल सी प्यारी ऐसी होती हैं,पहाड़ की नारी------ आलस जिसको छू भी न पाता सूरज से पहले जिसका... Poetry Writing Challenge 3 2 456 Share Niki pushkar 19 May 2020 · 1 min read ग़ज़ल बेसुकूनी, बेख़याली बा-अदब बख़्शा जिन्दगी तूने हमे क्या क्या न हक़ बख़्शा --------------------------- मेरी आज़ादी है मानिन्द उस परिन्दे के पहले जिसके पर हैं कतरे,फिर फ़लक़ बख़्शा ------------------------- फ़र्ज़ की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 505 Share Niki pushkar 18 Jun 2020 · 1 min read बताओ आकाश सुना था, फलक सारे सितारों का घर है चाहे, कोई चटकीला हो या मद्दम सितारा चाहे, वह झुंड मे झिलमिल बहती आकाशगंगा हो या एकांकी ध्रुवतारा या चाहे, घुमक्कड़ सप्तऋषि-दल... Hindi · कविता 3 6 504 Share Niki pushkar 5 Jun 2020 · 1 min read ग़ज़ल कतरनें याद सिये जाते हैं कुछ नहीं और तो जिये जाते हैं कोई रिश्ता ही कहाँ लाज़िम है रस्मे तस्लीम किए जाते हैं जाने कब तक ये हमे ज़िन्दा रक्खें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 333 Share Niki pushkar 19 May 2023 · 1 min read "विपत्ति" विपत्ति!तेरा आभार! तूने वे सारे आवरण हटा दिये जिनके पीछे का सच नहीं देख पा रही थी मैं। हाँ... पीड़ा होती है, दुखता है हृदय सत्य के साक्षात्कार से किन्तु,... Poetry Writing Challenge 2 2 198 Share Niki pushkar 19 May 2023 · 4 min read मरीचिका अभी मैने गुसलखाने मे प्रवेश ही किया था कि मोबाइल फोन बज उठा,..."उफ्फफ... ये फोन को भी तभी बजना होता है जब मुझे नहाना होता है"।मै बड़बड़ाई।फिर सोचा पहले स्नान... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता 2 148 Share Niki pushkar 31 May 2023 · 4 min read "कष्ट" दोस्ती शब्द सुनते ही मैं अपने तमाम उन दोस्तों के बारे में सोचने लगती हूँ,जो कभी न कभी मेरे दोस्त थे।सोचते-सोचते मैं बचपन मे पहुँच जाती हूँ।कहते हैं न बचपन... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता 2 5 179 Share Niki pushkar 31 May 2023 · 1 min read "गति" हृदयवाहिनी पर जगह-जगह अपमान के बाँधों ने मन-तरंग रुद्ध किये। विषाक्त हो रहा था अन्तस - सरोवर। इस दूषण से आहत हुए उर -शैवाल मरने लगीं भावनाओं की मीन। हिय... Poetry Writing Challenge 2 6 93 Share Niki pushkar 1 Jun 2023 · 1 min read "सत्य - नश्वर" हाँ, सत्य हो तुम बस सत्य... न तुम मे प्रेम है न हर्ष न ही तुम्हारा उत्सव होता है। होती है तो पीड़ा,शोक,चीत्कार। मैं, मिथ्या ही सही किन्तु, मुझमें हर्ष... Poetry Writing Challenge 2 167 Share Niki pushkar 29 May 2023 · 1 min read "पिता" अब पिता नहीं है फिर भी दिख जाते हैं वह, उनके रोपे गुलमोहर के झक्क लाल फूलों मे। हवा से सरसराते बोगनवेलिया के झाड़ मे वह फिर भी दिख जाते... Poetry Writing Challenge 1 48 Share Niki pushkar 28 May 2023 · 1 min read "आँसू" मेरे आँसू, मेरे सच्चे साथी, मेरे सच्चे हमसफर। जब कभी व्यथित होता है हृदय, तब यह बहते हैं अविरल, मेरी विवशता पर। जब मिलती है, कोई लघु-प्रसन्नता तब भी चूकते... Poetry Writing Challenge 1 156 Share Niki pushkar 24 May 2023 · 1 min read यादों के लिए, यादों के लिए, मन का संकट यह रहा कि, जो घटनाएँ विस्मृत करनी चाही वही स्मृतियों पर क़ाबिज़ होती गई चिंतन के लिए, मन की दुविधा यह रही कि, प्रार्थना... Poetry Writing Challenge 1 185 Share Niki pushkar 2 Jun 2023 · 1 min read "अपमान" 'मौन' अपमान है उन संवादों का, जिनके स्थान पर उसने जबरन क़ब्ज़ा किया है। ©निकीपुष्कर Poetry Writing Challenge 1 172 Share Niki pushkar 22 May 2023 · 1 min read "इस काल मे" जीवन अब ऐसे काल मे है जब मृत्यु के बाद भी, गुणगान नहीं। कच्चे खोजियों के अधकचरे अन्वेषण से जन्म ले रहीं दिवंगत की अनेक छिछली प्रेम कहानियाँ निरी अनर्गल... Poetry Writing Challenge 1 2 180 Share Niki pushkar 22 May 2023 · 1 min read इस बार भी इस बार भी नहीं प्रकट हर बार की तरह, कि, पुनः आरम्भ हुए संवाद की अवधि कितनी होगी....? कहीँ एक बार फिर यह अन्तहीन चुप्पी का सूत्रपात तो नहीं ?... Poetry Writing Challenge 1 112 Share Niki pushkar 3 Jun 2023 · 1 min read "रंगत" गहरे साँवले रंग की लड़की वयस्क होने तक डूब चुकी होती है, रंग के गहरेपन मे। बचपन से रंगभेदी टिप्पणियों को, सहते-झेलते वह खूब जान चुकी होती है कि, सारे... Poetry Writing Challenge 1 2 224 Share Niki pushkar 19 Sep 2021 · 1 min read Ghazal लफ़्ज़ जो भी ज़ुबाँ नहीं पाते, वो कलम से हैं फिर कहे जात दिल ज़माने के ज़ख़्म सह भी ले, तीर तेरे नहीं सहे जाते। इक समंदर सा इश्क़ हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 302 Share Niki pushkar 5 Jun 2023 · 1 min read "याचक" मन के भीतर उग आईं अपेक्षाएँ खरपतवार सी होती हैं दूसरों के लिए वस्तुतः आपका महत्व उतना ही है, जितनी उनकी आवश्यकता वे स्वयँ याचक हैं दाता नहीं उनकी झोली... Poetry Writing Challenge 1 167 Share Niki pushkar 26 May 2023 · 1 min read ध्यान-शिविर मे ध्यान-शिविर मे नहीं लगेगा चित्त रह-रह कर किसी बुझे मन की आह एकाग्र नहीं होने देगा उसे प्रवचन नहीं भुला पायेंगे दुखाये हृदय की खरोंचे कोई योगासन नहीं देंगे देह-मन... Poetry Writing Challenge 128 Share Niki pushkar 14 May 2023 · 1 min read अक्टूबर की बारिश अक्टूबर की बारिश किसी को हरसाती है क्या..? जानते हो... इसी बारिश की सावन महीने मे कितनी प्रतीक्षा थी... किन्तु, अब यह परेशानी का सबब है। अब सुनो तुम.... तुम्हारे... Poetry Writing Challenge 47 Share Niki pushkar 27 May 2023 · 1 min read "प्राथमिक - विकल्प" तुम्हारी "प्राथमिकता" मे नही मेरा अस्तित्व तो, "विकल्प"मे मुझे भी स्वीकार्य नहीं कभी तोला तो कभी माशा जैसी स्थिति, मुझे खुश नहीं कर सकती। हाँ...मैं लालची हूँ,स्वार्थी भी या मैं... Poetry Writing Challenge 59 Share Niki pushkar 15 May 2023 · 1 min read नश्वर जीवन नश्वर जीवन! कितनी तेरी सजधज, कितनी तेरी तैयारी है....| पर वह शाश्वत, औचक ही जब आयेगा एक दिन बिन तैयारी ही, जाना होगा तत्क्षण...! Poetry Writing Challenge 155 Share Niki pushkar 14 May 2023 · 1 min read उपदेश जहाँ, सारे उत्तरदायित्वों का निर्वहन शान्त भाव से होता गया वहाँ से, कभी उपदेश नहीं बाँचे गये। जहाँ, मन पर रहा कर्तव्य-विमुखता का बोझ अक्सर वहीं से समय-समय पर दूसरों... Poetry Writing Challenge 70 Share Niki pushkar 23 May 2023 · 1 min read "सच" सच को जितना दबाओ उसकी जड़ उतनी ही मज़बूत होती है और फिर वह उभरता है पहले से अधिक शक्तिशाली रूप मे..। सच दूब की तरह अपनी कब्र से जीवित... Poetry Writing Challenge 168 Share Niki pushkar 21 May 2023 · 1 min read "चलन" विकलता शान्त बैठी है प्रतीक्षाएँ सो गयीं मीठी नींद हृदय ने भर लिया असीम सुख.... शरद ने जाते -जाते, जो क्षोभ दिया था पतझर का, उबार लिया गाछ ने स्वयं... Poetry Writing Challenge 204 Share Niki pushkar 20 May 2023 · 1 min read "लुप्त उत्सर्ग" तुम्हारे "तुम"बनने मे हमारा योगदान कुछ यूँ रहा कि, जब हम काली चाय स्वाद से सुड़के तब कहीं तुम्हें दूध गिलास मिल पाये कि, जब हम भात संग गुदड़ी(तोरी) साग... Poetry Writing Challenge 214 Share Niki pushkar 18 May 2023 · 1 min read "प्रतीक्षा" प्रेम,परवाह, प्रतीक्षा यही मेरी पूँजी है मैं वही, तुम पर खर्च कर देती हूँ। फिर न प्रेम बचता है,न परवाह बचती है, तो सिर्फ़ 'प्रतीक्षा' Poetry Writing Challenge 50 Share Niki pushkar 18 May 2023 · 1 min read रियायत अबोले दिनों ने उसकी परीक्षा ली उसने बड़े गैरज़िम्मेदाराना तरीके से, परचे दिये और फेल हो गया और इस फेल होने का कोई रंज भी उसे न हुआ। फिर, एक... Poetry Writing Challenge 136 Share Niki pushkar 17 May 2023 · 1 min read धन एक पेड़ मरता है और, रूठ जाते हैं बादल, शोकाकुल/ सूख जाती है नदी, पीड़ित/ दरकते हैं पहाड़ रुष्ट होकर सहम जाती है हवा, अलमस्त/ और उखड़ने लगती है हमारी... Poetry Writing Challenge 87 Share Niki pushkar 17 May 2023 · 1 min read दीवार और गलियाँ अभी वो दोनों मिले ही थे कि उनके घरों की दीवारें ऊँची होने लगीं और शहर की गलियाँ तंग, दीवारों के पार एक-दूसरे को देखना तक मुश्किल था। तंग गलियों... Poetry Writing Challenge 164 Share