सिद्धार्थ गोरखपुरी Tag: ग़ज़ल 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Nov 2024 · 1 min read हुआ मेरा मुझमें तनिक ना गुजारा हुआ जितना मैं था मेरा वो तुम्हारा हुआ जीत तुमको मुक़म्मल मुबारक रहे मैं सिकंदर हूँ खुद से ही हारा हुआ दूरियां बढ़ चलीं तो... Hindi · ग़ज़ल 27 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Jan 2024 · 1 min read असल......सच यही है असल.... सच यही है के हम बेहद तबाह हैं ख्वाब में अतः अमीर हैं और बादशाह हैं ख्वाब में दौलत बड़ी ही बेशुमार है मुफलिसी के मोहब्बत की हम पहली... Hindi · ग़ज़ल 2 69 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Jan 2024 · 1 min read काम है शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है आशिकों का इश्क़ में मर जाना काम है मय पर अख्तियार हो के कम ही जरा चढ़े संभल के हर हाल में... Hindi · ग़ज़ल 129 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 Dec 2023 · 1 min read रूबरू न कर ऐ वक़्त -ए -नादान मुझे हूबहू न कर फिर से मुझे आईने के रूबरू न कर किस्सा है पुराना के अनजान था खुद से मुझसे आँखें मिलवा के मुझे फिर... Hindi · ग़ज़ल 176 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Sep 2023 · 1 min read आदमी याद की झंझट से थोड़ा दूर होता आदमी फिर इसकदर तन्हा और न मजबूर होता आदमी आधा अच्छा, आधा बच्चा, आधा सच्चा है अभी याद की झंझट न होती तो... Hindi · ग़ज़ल 1 430 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Jul 2023 · 1 min read जरा - जरा न कहो जरा सी बात को.... जरा -जरा न कहो कहो जरा अगर...उसको फिर खरा न कहो जिंदगी पूर्णता तक भला कब पहुँची कहता हूँ तो कहते हो अधूरा न कहो मूक... Hindi · ग़ज़ल 227 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Mar 2023 · 1 min read हो गए अरसा लगा... उमर गयी... बेहाल हो गए भरोसे खर्च डाले सब और कंगाल हो गए मुझे जानते थे बस मेरी आहट से जितने लोग मेरी पहचान पर उनके ही कई... Hindi · ग़ज़ल 3 130 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Nov 2022 · 1 min read आती है जुबां! बेज़ुबाँ होकर, कागदी आती है एक अरसे के बाद सादगी आती है सीने में महज दिल का धड़कना तो जिंदादिली नहीं, दुनिया देखकर भी जिन्दगी आती है मैं जिंदा... Hindi · ग़ज़ल 2 2 113 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Oct 2022 · 1 min read हो गए तुम मेरे हुए और सारे मशले हमारे हो गए मेरे यार! हम तो खुद के बदले तुम्हारे हो गए दरकार अरसे से थी के मुझे भी सुकून मिले नींद, चैन,... Hindi · ग़ज़ल 2 251 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Aug 2022 · 1 min read नजीर मेहनत की कलम चमचमाती तक़दीर लिखती है। आसमान की ऊँचाई पर सुंदर तस्वीर लिखती है। जब आदमी ठान लेता है खुद को कामयाब करने को, सफलता मेहनत की कलम से... Hindi · ग़ज़ल 1 244 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Jul 2022 · 1 min read जानकर जब आप अलहदा हो गए थे मुझे कंगाल जानकर तो फिर आज क्या करिएगा मेरा हाल जानकर मुझे बखूबी इल्म है के जवाब है न आपके पास फिर क्या करिएगा... Hindi · ग़ज़ल 2 1 199 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Jul 2022 · 1 min read आईनों के शहर में आईनों के शहर में है घर आपका ये छुपा जो रहें हैं छुपेगा नहीं ख्याल रखिए दरो -दीवार टूटे नहीं ये न सोचें के टूटने पर चुभेगा नहीं मुट्ठी भले... Hindi · ग़ज़ल 194 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Jun 2022 · 1 min read देखें कशिश है निगाह में उसके जी करता है के मुसलसल देखें गफलत ये भी है मेरी निगाहों में के उसे आज देखें या कल देखें मुझे उसकी आँखें आज भी... Hindi · ग़ज़ल 1 337 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Jun 2022 · 1 min read जा बैठे ढूंढते रहे खुद को हार - थक के जा बैठे फिर इस तरह से हम खुद को गंवा बैठे सफ़र वैसे जिन्दगी का रहा है आसान कब कभी जिन्दगी बैठे... Hindi · ग़ज़ल 1 269 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Jun 2022 · 1 min read जद है मेरी अपनी जद है तुम्हारी अपनी जद है तेरे मेरे दरमयाँ वैसे एक बनी सरहद है ये सरहद अक्सर खिंच जाती है जिम्मेदार हालात हैं और गलफमियां भी वैसे होती... Hindi · ग़ज़ल 144 Share