Mahendra Narayan 123 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahendra Narayan 29 Aug 2025 · 1 min read ताली विटप बजाते- पत्थर पानी मिलकर गाते झरने बीन सुनाते नाच रही नागिन सी बूँदें ताली विटप बजाते दर्शक बनी लताएँ पौधें हर्षित मुख से झूमें। पवन झकोरों से हिलमिल कर इक दूजे... Hindi 1 94 Share Mahendra Narayan 21 Aug 2025 · 1 min read ग़ज़ल चलता गया मैं पाँव का छाला नही गया , काँटा चुभा था मुझसे निकाला नही गया। कातिल सजा सुनाता बेगुनाह को यहाँ, मुद्दे को सलीके से उछाला नही गया ।... Hindi 1 87 Share Mahendra Narayan 4 May 2025 · 1 min read मुहब्बत ख़ामोशी इक रात मुहब्बत तेरी हर इक बात मुहब्बत तेरा मिलना और बिछड़ना दोनों के हालात मुहब्बत हँसना, रोना , खाना , पीना होता जो इक साथ मुहब्बत हँसना मुझको... Hindi 1 90 Share Mahendra Narayan 17 Feb 2025 · 1 min read चला गया दुःख की वह प्रस्तावना लिखकर चला गया शैली निगमन भावना लिखकर चला गया क्या लिखूँ क्षणों को जिसमें मैं स्वयं नही मैं इक अबूझ कामना लिखकर चला गया टकरा के... Hindi 1 126 Share Mahendra Narayan 28 Dec 2024 · 1 min read कहीं फूलों की साजिश में कोई पत्थर न हो जाये कहीं फूलों की साजिश में कोई पत्थर न हो जाये बहुत ज्यादा उगाने में ज़मी बंजर न हो जाये जिसे नफ़रत के तमगे ने सताया ही सताया हो कोई क़ातिल... Quote Writer 1 383 Share Mahendra Narayan 27 Nov 2024 · 1 min read कविता अकाल - टूटे पंखों से उड़ान भरते रहते उन शब्दों को श्रद्धांजलि दे दो वर्ना अर्थ की चाटुकारिता तुम्हें चाट जाएगी दीमक के समान तुम ढूँढते रह जाओगे खुशियों का... Hindi 1 153 Share Mahendra Narayan 23 Nov 2024 · 1 min read कविता - हादसे यूँ ही अब नही होते आपके जैसे सब नही होते ख़ुद से टकराके बिखर जाता हूँ. सामने आप जब नही होते आप और हम कही नही होते कुछ न... Hindi 2 257 Share Mahendra Narayan 4 Nov 2024 · 1 min read कविता ---- बहते जा कहीं न फूल कहीं न काँटें एक तरल पवन सा बहते जा आद्यन्त निरन्तर पथराही गिरकर भी स्वयं सँभलते जा मधुमय मधु विष रस भी होगा असीमाकृत प्रकृति है स्वप्न... Hindi 1 223 Share Mahendra Narayan 17 Sep 2024 · 1 min read ग़ज़ल ना फूल महकता है ना ख़ार महकता है इस दुनिया में सबका किरदार महकता है I माली बनकर सींचे परिवार की बगिया को उसके रिश्ते से ही घर द्वार महकता... Hindi 1 216 Share Mahendra Narayan 29 Aug 2024 · 1 min read गीत पत्थर पानी मिलकर गाते झरने बीन सुनाते नाच रही नागिन सी बूँदें ताली विटप बजाते दर्शक बनी लताएँ पौधें हर्षित मुख से झूमें। पवन झकोरों से हिलमिल कर इक दूजे... Hindi 1 304 Share Mahendra Narayan 20 Aug 2024 · 1 min read कविता - शैतान है वो जिस इंसा से डरते इंसां शख्स नहीं इंसान है वो इंसानों के भेष में आया जालिम एक शैतान है वो हिंसा कभी प्रेम नहीं होगी कभी कुशल क्षेम नहीं होगी... Hindi 1 243 Share Mahendra Narayan 30 Jul 2024 · 1 min read ग़ज़ल दर्द के किस्से सुनाता आदमी जा रहा है मुस्कुराता आदमी आँख से आँसू छलकते है भले होठ से पर गुनगुनाता आदमी साँस भी मजबूरियों की ले रहा ज़िन्दगी का ज़हर... Hindi 1 218 Share Mahendra Narayan 21 Jul 2024 · 1 min read ग़ज़ल अपना कहीं पराया लगता है कोई सामने होके साया लगता है कोई अपने चेहरे रोज़ बदलता है कोई गिरगिट जैसी काया लगता है कोई पैसों में बातें करता है जीवन... Hindi 1 243 Share Mahendra Narayan 6 Jul 2024 · 1 min read दोहा ग़ज़ल एक नई विधा में आज - पत्थर बने शरीर में, आशाओं के पाँव । चलते चलते थक गये, शहरों में अब गाँव ।। छूट गयी पीछे बहुत,अब महुआ की गन्ध... Hindi 2 210 Share Mahendra Narayan 3 Jul 2024 · 1 min read कविता छाँव पर धूप अगर भारी है समझ लो आ रही बीमारी है कोढ़ में ख़ाज की तरह वारिश हो गयी ग़र तो कहर जारी है तमीज़ देखते रहे जिसकी उसी... Hindi 1 266 Share Mahendra Narayan 22 Jun 2024 · 1 min read ग़ज़ल ग़म गीत ग़ज़ल और क़ायनात लिख रहा हूँ इस तरह नज़रों को सारी रात लिख रहा हूँ कोई पूछता कि कशमकश को क्यों चबा रहे कह देता हूँ कि दर्दे... Hindi 3 214 Share Mahendra Narayan 26 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल ये कौन छेड़ा तितलियों को खिल न पाये गुल छिप गये हैं पत्तों में नहीं हाथ आये गुल हैं अजीब उसकी क्यों मंज़र निगाहों में देखे मुझे जब भी लगे... Hindi 2 234 Share Mahendra Narayan 12 May 2024 · 1 min read जा रहा है दिन का चेहरा लाल हुए जा रहा है सूर्य क्या कमाल हुए जा रहा है पशु पक्षी तरू लता नर हैं विकल सकल जन बेहाल हुए जा रहा है तप... Hindi 2 228 Share Mahendra Narayan 1 May 2024 · 1 min read नवगीत - बुधनी नागफनी सी पाँव में उसके फटी बिवाई। नंगे पैरों से ही सिर पर , बोझा लेकर चलती। माथे पर है टिकुली लटकी, रही पसीना मलती। पेट की रोगी, कर नही... Hindi 1 250 Share Mahendra Narayan 29 Apr 2024 · 1 min read गीत - जीवन मेरा भार लगे - मात्रा भार -16x14 ऊहापोह लिए मन मेरा शेयर का बाजार लगे उठापटक करती रहती हैं, . इच्छाएँ पलकों जैसी। आशंकाएँ घेरे रहती , सिर मेरा अलकों जैसी। कुछ ज्यादा करना चाहूँ तो, मंदी... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 3 252 Share Mahendra Narayan 28 Apr 2024 · 1 min read ग़ज़ल अब दे नही सकेगा कोई भी दगा मुझे सबने बनाके रख दिया है आईना मुझे नज़रों को लग गयी है नज़र उनकी अदा से नज़रों ने किया उन पे इस... Hindi 1 220 Share Mahendra Narayan 1 Apr 2024 · 1 min read ग़ज़ल रस्ता, मंजिल बातें हुईं पुरानी अब, नये शब्द में लिक्खें नई कहानी अब । बीमारी से आज की पीढ़ी लड़ती है, खाद केमिकल खाकर पले जवानी अब । प्यास तिज़ारत... Hindi 2 223 Share Mahendra Narayan 4 Mar 2024 · 1 min read ग़ज़ल टीस मन से हमारे निकल जायेगी रंग मसले का फिर ये बदल जायेगी पेड़ पर जैसे पत्ते नये आतें हैं होके पतझड़ बहारों में ढ़ल जायेगी लोग कहतें हैं मुझमें... Hindi 1 292 Share Mahendra Narayan 17 Feb 2024 · 1 min read चला गया दुःख की वह प्रस्तावना लिखकर चला गया शैली निगमन भावना लिखकर चला गया क्या लिखूँ क्षणों को जिसमें मैं स्वयं नही मैं इक अबूझ कामना लिखकर चला गया टकरा के... Hindi 1 285 Share Mahendra Narayan 13 Feb 2024 · 1 min read पत्थर - पत्थर सींचते , पत्थर - पत्थर सींचते , उगते प्रेम -प्रसून। सौरभ का विश्वास बन, लगे हृदय का खून ॥ Quote Writer 1 418 Share Mahendra Narayan 13 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल प्यार का हर इक पन्ना प्यारा होता है लिखा हुआ दिल का गलियारा होता है आँखों ने जो लिखा अश्क की पानी से पढ़ने वाला आँख का तारा होता है... Hindi 2 2 306 Share Mahendra Narayan 4 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल चाहत सी हो गयी है तेरे यूँ ख़ुमार की । पैमाना बन गया हूँ तेरे ऐतबार की। लगने लगा है घर तेरा मैख़ाने की तरह I रहती है तलब अब... Hindi 2 1 352 Share Mahendra Narayan 19 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल गुलों में खुशबू हूँ भरने दे मुझे टूटकर अब तो विखरने दे मुझे फिज़ां में सख़्त सियासत है अभी सुकूँन में हवा से गुज़रने दे मुझे दूर बैठा मज़लूम बहुत... Hindi 2 321 Share Mahendra Narayan 16 Jan 2024 · 1 min read ग़ज़ल बात निकली है खिड़कियों से कहीं खुला पर्दा है आँधियों से कहीं रोशनी छिप गयी है बादल में चाँद को देख कनखियों से कहीं वो ख़फा होके हँस रहा होगा... Hindi 1 296 Share Mahendra Narayan 12 Jan 2024 · 1 min read सज़ल शीत में वातावरण यूँ गल रहा है। लुकाछिपी करके सूरज छल रहा है। हो गयी है रात लम्बी इस तरह कि । शाम में ढ़लने को दिन मचल रहा है।... Hindi 1 297 Share Page 1 Next