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एक अमाल मुसीबत टाल भी सकता हैं एक गुनाह मुसिबत में डाल भी सकता हैं
M Furkan Ahmad
घुमा फ़िरा कर नहीं सीधे मिश्रे में बात करता हैं हर उर्दू जुबा वाला बड़े सलिके में बात करता हैं
M Furkan Ahmad
खुद को अब तड़पाना नहीं आँखो में लहु लाना नहीं
M Furkan Ahmad
ज़हर-ऐ-गम पी कर जिने का दम रख्खा हैं मगर तेरी यादो ने आँखों को नम रख्खा हैं
M Furkan Ahmad
किसी होगी गलतफ़हमी तो कोई रुठ जाएगा सात जन्मो का वादा एक पल में टूट जाएगा
M Furkan Ahmad
नाजुक होती है मोहब्बत की डोर
M Furkan Ahmad
शब ओ रोज़ ओ माह ओ साल 'अहमद'
M Furkan Ahmad
आंधियो हवाओ का रुख
M Furkan Ahmad
हम तेरे लबो रुख्सर में
M Furkan Ahmad
हिन्दुस्तान लेकर निकला हूँ
M Furkan Ahmad