मारूफ आलम 43 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मारूफ आलम 7 Aug 2022 · 1 min read तेरा ये रोना और रो रो कर फलक पे नजर करना जिल्लतों से राब्ता करके इज्जतों का सफर करना क्या इसे ही कहते हैं मेरे दोस्त जिंदगी बसर करना ये क्या कम है बस्तियाँ फूंक दीं घर बार जला दिए इससे... Hindi 222 Share मारूफ आलम 10 Jun 2022 · 1 min read तूफान फिर लौटकर आयेगा हजारों महानगर बसाये हैं हमने समुद्र की जमीनों पर कब्जा करके खेती के नाम पर पाट दिये खर्रे कब्जा लीं नदियाँ,रेत को सब्जा करके पानी तो पानी है कहीं तो... Hindi · कविता 3 1 164 Share मारूफ आलम 29 May 2022 · 1 min read दलाली का स्तर कितना ऊंचा है तुम देते हो गाली तुर्कों को लेकिन जिक्र तक नही करते अंग्रेजों का,अपनी किताबों मे और तो और तुम्हारी वाट्सएप युनिवर्सिटी मे मुगलों की बुराई तो मिल जायेगी मगर अंग्रेजो... Hindi · कविता 1 306 Share मारूफ आलम 19 May 2022 · 1 min read सवाल मर नही जायेगा मस्जिदों को ढहाने से सवाल नही मर जायेगा मंदिरों को बनाने से सवाल नही मर जायेगा सवाल फिर भी जिंदा रहेगा रहती दुनियाँ तक सवाल,बेरोजगारी का,सवाल भुखमरी का सवाल शिक्षा... Hindi · कविता 1 243 Share मारूफ आलम 13 Apr 2022 · 1 min read जमीं को थामे रखता हूँ तो हाथों से सितारे जाते हैं गली गली हथकड़ियों मे बांध कर गुजारे जाते हैं सलीबों पे मसीहा आज भी टांग कर मारे जाते हैं खुद्दारों की लाशों पे पहले भरपूर नुमाइश होती है एक अरसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 176 Share मारूफ आलम 31 Mar 2022 · 1 min read दबी हुई हैं कई तहरीरें हमारी बस्तर के थानों मे दबी हुई हैं कई तहरीरें हमारी बस्तर के थानों मे लाशें मांग रही हैं इंसाफ गली सड़ी बयाबानों मे आदिवासी हैं हम सदियों से बाशिंदे हैं जंगल के फुर्सत मिले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 275 Share मारूफ आलम 25 Mar 2022 · 1 min read फिर इंसानियत का चेहरा कुचल दिया तुमने मुहब्बतों को नफरतों मे बदल दिया तुमने फिर इंसानियत का चेहरा कुचल दिया तुमने हिंदू को मुसलमान से जब जब लड़ाना चाहा होशियारी से दांव धर्म का चल दिया तुमने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 370 Share मारूफ आलम 21 Mar 2022 · 1 min read अंडे दिए हैं शायद दड़बों मे बटेरों ने दायरा समेट लिया चुपके से सवेरों ने कदम रख दिया हैं लगता है अंधेरों ने हमारे जाल मे हलचल काहे को होगी दरिया खंगाल लिया कब का मछेरों ने सांप... Hindi · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 1 210 Share मारूफ आलम 20 Mar 2022 · 1 min read जब नफरत बांटनी हो पूरी पूरी बांट दोगे मुहब्बत के इस आंगन मे दूरी बांट दोगे क्या जंगल लूटकर हमे बेनूरी बांट दोगे मुहब्बत बांटने मे बड़े कंजूस हो तुम लोग जब नफरत बांटनी हो पूरी पूरी बांट... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 194 Share मारूफ आलम 4 Jan 2022 · 1 min read लोग कहते हैं सैकड़ों मुल्क हैं तुम्हारे लोग कहते हैं कि सैकड़ों मुल्क हैं तुम्हारे लेकिन फिर भी फिरते हो दर दर मारे कभी बर्मा कभी काबुल कभी फिलीस्तीन कभी यमन से भगाए जाते हो बड़ी बेकदरी... Hindi · कविता 225 Share मारूफ आलम 3 Jan 2022 · 1 min read क्योंकि वो अनमोल होते हैं मैं नही चाहता कि मुझे भीख मे दी जाऐ चंद बीघा जमीन और बदले मे छीन लिये जायें मुझसे मेरे जंगल मैं नही चाहता तितर बितर कर दिया जाये मेरा... Hindi · कविता 1 317 Share मारूफ आलम 21 Dec 2021 · 1 min read रूपया क्यों सस्ता है अब भी दिनार से हल्की फुल्की पतली सी एक दरार से ताकता रहता हूँ दुनियाँ को इस पार से दरिया बहाकर ले जाता है अपने साथ कट कर गिरती है जो मिट्टी किनार से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 207 Share मारूफ आलम 8 Dec 2021 · 1 min read और बाकी हिरन तमाशा देखते हैं जब मुझ पर जुल्म हुआ तुम खामोश रहे जब तुम पर जुल्म हुआ मैं खामोश रहा इस खामोशी का ना तुम्हे कुछ फायदा हुआ ना मुझे कुछ फायदा हुआ अगर... Hindi · कविता 1 289 Share मारूफ आलम 29 Nov 2021 · 1 min read तुम्हारे जुल्म की हमपर कोई हद नही है तुम्हारे आंकड़ों मे हमारी कहीं गिनती नही है तुम्हारे वास्ते हम इंसान नही हैं तुम्हारी वास्ते हमारा कोई मान नही है तुम्हारी नजरों मे हमारा कोई कद नही है तुम्हारे... Hindi · कविता 2 2 406 Share मारूफ आलम 20 Nov 2021 · 1 min read चमड़े तक उधेड़ दिये जंगल पर राज करने वाले लोग जंगल से खदेड़ दिये तुमने सिर्फ इज्जतें ही नही लूटीं चमड़े तक उधेड़ दिये और इतने पर भी जुल्म तुम्हारे खत्म नही हुए तुम... Hindi · कविता 1 232 Share मारूफ आलम 17 Nov 2021 · 1 min read ना नक्सली हैं ना माओवादी हैं ना नक्सली हैं ना माओवादी हैं वतन के चराग़ हैं हम वतन की बाती हैं हम आदिवासी हैं हम आदिवासी हैं मत कुचलो पहरेदार हमे हम लूटो पहरेदार हमे मत... Hindi · कविता 3 2 331 Share मारूफ आलम 14 Nov 2021 · 1 min read ये टीस हमे चुभती है ये बात हमे काटती है लफ्ज़ चुभते हैं,जुबान काटती है क्या कहें,किससे कहें,और क्यों कहें ये हुकूमत भी अमीरों के तलवे चाटती है जनजाति का एक तगमा देकर बड़ी चालाकी से चकमा देकर हुकूमत आदिवासियों... Hindi · कविता 288 Share मारूफ आलम 13 Nov 2021 · 1 min read बहुत खलता है जब छोड़ना पड़ता है बहुत खलता है जब छोडना पड़ता है अपना घर अपना आंगन भले ही हो वो शहर मे,या गांव मे धूप मे या घने जंगल की छांव मे पक्का पलस्तर चढ़ा... Hindi · कविता 2 2 216 Share मारूफ आलम 12 Nov 2021 · 1 min read ये जंगल हमारा है जीतेंगे हर कीमत पे हम अब ये दंगल हमारा है आदिवासी हैं हम,ये जंगल हमारा है तुम ही तुम क्यों रहोगे ये पृथ्वी,ये सूरज,ये चाँद जितना तुम्हारा है उतना हमारा... Hindi · कविता 1 191 Share मारूफ आलम 10 Nov 2021 · 1 min read उजाले लापता हैं और कोई गवाह नही है बियाबान है जंगल यहाँ कोई सदा नही है दम सा घुटता है अब कहीं भी हवा नही है खमोशी से आकर छा गए सब और अंधेरे उजाले लापता हैं और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 340 Share मारूफ आलम 8 Nov 2021 · 1 min read इस तरह ऐ जिंदगी तेरे रकीब होते रहे इस तरह ऐ जिंदगी तेरे रकीब होते रहे वक़्त गुजरता रहा मौत के करीब होते रहे कुछ यूँ खुदती रही खाई दरमियाँ इंसानो के के गरीब ओर गरीब अमीर ओर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 325 Share मारूफ आलम 6 Nov 2021 · 1 min read मरते बस इंसान हैं बम नही मरते,तोपें नही मरतीं गोलियां नही मरतीं,बंदूकें नही मरतीं मरते बस इंसान हैं जंग के बाद का नुकसान कोई फरिश्ता नही भरता भरते बस इंसान हैं गोलियां नही मरतीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 335 Share मारूफ आलम 4 Nov 2021 · 1 min read जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई वो तुम्हें धितकारते हैं ऐसे जैसे कि तुम काफिर हो कोई जैसे ये वतन तुम्हारा ना हो जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई उन्हें नफरत है तुम्हारे रंग रूप से... Hindi · कविता 1 388 Share मारूफ आलम 4 Nov 2021 · 1 min read मुद्दा कोई भी उछालो मगर एहतराम के साथ मुद्दा कोई भी उछालो मगर एहतराम के साथ आसमां सर पे उठालो मगर एहतराम के साथ चलते भी रहो और सांस भी ना फूले ऐ दोस्त दौड़ने का हुनर पालो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 455 Share मारूफ आलम 1 Nov 2021 · 1 min read किस्मत का लिखा झोल झाल बदल देंगे किस्मत का लिखा झोल झाल बदल देंगे ये लोग क्या मेरे ग्रहों की चाल बदल देगें अरे ये तो वो ठग हैं ठगों की बस्तियों के इनका बस चले तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 234 Share मारूफ आलम 31 Oct 2021 · 1 min read आदिवासी तुम रहते हो सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी यहीं इन्ही जंगलों मे मगर तुम पर ये इल्जाम लगाते हैं सरकारी अमले कि तुमने काट कर जंगल विरान कर दिये और... Hindi · कविता 1 352 Share मारूफ आलम 30 Oct 2021 · 1 min read हम आदिवासी जंगल को खूब समझते हैं तेरे पैंतरे को तेरे दंगल को खूब समझते हैं हम आदिवासी जंगल को खूब समझते हैं हाकिम हमें ग्रहों की चाल मे मत उलझा हम,सूरज,चांद,मंगल को खूब समझते हैं उससे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 637 Share मारूफ आलम 17 Oct 2021 · 1 min read सरे आईना जुदा रहा कोई सरे आईना जुदा रहा कोई पसे आईना छुपा रहा कोई अपने अकल ऐ तसब्बुर मे सारी उमर खुदा रहा कोई जहन से मिट गया मेरे मगर दिल पे कही गुदा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 278 Share मारूफ आलम 15 Oct 2021 · 1 min read अपनी सदाकत के अरकान नही मरने दिए अपनी सदाकत के अरकान नही मरने दिए जमीन मे मिल गये अरमान नही मरने दिए अपने अंदर के जलजलों को रवां दवां रखा अपने ख्यालातों के तूफान नही मरने दिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 410 Share मारूफ आलम 15 Oct 2021 · 1 min read किस काम का ये मारा हुआ जिस्म किस काम का ये मारा हुआ जिस्म हारी हुई रूह और हारा हुआ जिस्म फितरतन इंसान ने ख़ुद मैला किया आसमां से पाक उतारा हुआ जिस्म मौत की आगोश मे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 199 Share मारूफ आलम 14 Oct 2021 · 1 min read नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको कुचला है किसी ने पांव तले हमको नदी के किनारे कपड़े धोने आती थी मिलती थी रोज वो गाँव तले हमको मुहब्बतों का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 272 Share मारूफ आलम 12 Oct 2021 · 1 min read कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की न दिन हमारे मन का न रात हमारे मन की कुछ नही था ऐसा,सोच रखा था जैसा,ना मेघ हमारे मन के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 239 Share मारूफ आलम 12 Oct 2021 · 1 min read कुरान दुनिया की हर एक जुबान तक पहुंचे यमन,कुवैत,कतर ना सिर्फ ईरान तक पहुंचे खुदा का पैगाम हर देश हर इंसान तक पहुंचे भाषा का कहीं कोई अवरोध ना रहे ऐ दोस्त कुरान दुनियाँ की हर एक जुबान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 503 Share मारूफ आलम 11 Oct 2021 · 1 min read उसे देखकर आखिर क्यों मचल जाता उसे देखकर आखिर क्यों मचल जाता जब वो नही बदला मैं क्यों बदल जाता वो चराग होकर भी जल न सका कभी मैं दियासलाई होकर क्यों जल जाता तेरी बेमुरव्वती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 250 Share मारूफ आलम 11 Oct 2021 · 1 min read पंसद नही हैं अगर तो भुला दे हमको पंसद नही हैं अगर तो भुला दे हमको या मौत की गहरी नींद सुला दे हमको माजूर हैं,भूखे भी,हमें तरकीबें न सुझा खाना खिला या जहर पिला दे हमको ऐ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 238 Share मारूफ आलम 10 Oct 2021 · 1 min read हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर तू इबादत कर तो फरिश्तों की तरह कर एकमुश्त ना चुका ये कर्ज मुहब्बतों का थोड़ा थोड़ा अदा,किश्तों की तरह कर ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 264 Share मारूफ आलम 9 Oct 2021 · 1 min read तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक दिन के उजालों के पांव तले रात दबी है अबतक अछूतों से मतलब की वो बात तो हंसकर करते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 291 Share मारूफ आलम 7 Oct 2021 · 1 min read उस नन्हे मुन्ने परिंदे मे भी जान थी ऐ दोस्त उसकी भी जिंदगी थी पहचान थी ऐ दोस्त उसका भी अपना जहाँ था शान थी ऐ दोस्त जिसको खाया है तुमने बढ़े चाव से तलकर उस नन्हे मुन्ने परिंदे मे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 267 Share मारूफ आलम 6 Oct 2021 · 1 min read रोने के दिन वापस आ गए क्या रोने के दिन वापस आ गए क्या खुशियों पे अंधकार छा गए क्या जंगल जंगल किसको ढूंढ रहे हो ये जंगल तुमको भी भा गए क्या उत्पात मचाने वाले बेदर्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 267 Share मारूफ आलम 6 Oct 2021 · 1 min read उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग फितरत के मुताबिक ढल गए लोग सुलगते शोलों के मानिंद थे कमजर्फ थोड़ी हवा लगी और जल गए लोग मैदाने जंग मे बड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 224 Share मारूफ आलम 5 Oct 2021 · 1 min read कौन हमेशा के लिये कागज की स्याही बनेगा सच्चाई की कलम,हक की रौशनाई बनेगा है कोई जो दावत देगा,खुदा का दाई बनेगा इबादत करने वाले लोग फिरदौस मे जाऐंगे बेनमाजी मौत के बाद कब्र की खाई बनेगा वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 266 Share मारूफ आलम 4 Oct 2021 · 1 min read तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं शाम है तू,उजालों की दुनियाँ हूँ मैं जबाब मयस्सर हों तो आना कभी अनगिनत सवालों की दुनियाँ हूँ मैं मेरी महफ़िल मे सच... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 4 230 Share मारूफ आलम 3 Oct 2021 · 1 min read मां प्यार से मेरा चेहरा जो पुचकारकर बैठ गई ये जुस्तजू थककर उम्मीद हार कर बैठ गई वो खामोश ही रहा जुबां पुकार कर बैठ गई बहुत कोशिशें कीं मनाने की पर वो न मानी अब हर ख्वाहिश मेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 377 Share