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उम्मीद की सहर लगता हूं पर यक़ीं जानो ,
अजाब -ए – शामे तमन्ना हूँ ,
सराब -ए-आप में खोया हुआ ,
अपने आप का साया हूं मैं ,
श़ुक्रिया !

5 Oct 2021 08:57 PM

शुक्रिया

बहुत खूब

5 Oct 2021 08:58 PM

शुक्रिया

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