Pakhi Jain Tag: मुक्तक 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pakhi Jain 26 May 2022 · 1 min read देख रहा हूँ 221 1221 1221 122 काफि़या --नया रदीफ:--देख रहा हूँ। दिया गया मिसर'अ:-- तहज़ीब का ये रूप नया देख रहा हूँ। बदले इस जमाने की हवा देख रहा हूँ। गैरों में... Hindi · मुक्तक 1 357 Share Pakhi Jain 30 Jan 2022 · 1 min read मुक्तक उम्मीद का दीप जलाती रही वेदना ध्रूम संग उड़ाती रही। हर बार टूटता रहा वो आइना जोड़ टुकड़े खुद,बहलाती रही । पाखी Hindi · मुक्तक 3 2 491 Share Pakhi Jain 2 Jan 2022 · 1 min read काव्यिके नववर्ष पर क्या उपहार दूँ काव्यिके ? लेखनी अवरुद्ध है अब क्यूं साध्यके? मनमंथन कर नवनीत पा लिया हमने , भूल जाना उचित है विगत बुरा क्षाम्यिके । पाखी_मिहिरा Hindi · मुक्तक 2 324 Share Pakhi Jain 12 Nov 2021 · 1 min read साँझ मुक्तक फिर साँझ और ,पश्चिम फिर लाल गुलाबी हुआ सर्द सी शाम हुई, पाखी मन फिर फानी हुआ डूबी तन्हाई उदासियों में कोई गमख्वार न था छोड़ के चल दिया... Hindi · मुक्तक 1 1 203 Share Pakhi Jain 9 Oct 2021 · 1 min read आये क्यों थे जाना था यूँ रुठ कर ,पास इतने आये क्यों थे? सुला दिये थे अहसास सभी,जगाए क्यों थे? बेशक न थी जिंदा,पर जी तो रहे थे यारा, रंगहीन चित्र में रंग... Hindi · मुक्तक 1 164 Share Pakhi Jain 9 Oct 2021 · 1 min read मन ललक रहा मुक्तक अश्क पूरित नैन हैं,दर्द ये क्यूँ छलक रहा। हो कौन मेरे,रिश्ता क्या,मन क्यूँ तड़प रहा। घेरे उदासियाँ तुझे क्यों इस तरह ,हक क्या, जानने को आकुल यह मेरा मन... Hindi · मुक्तक 1 221 Share