मनोज शर्मा Language: Hindi 107 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मनोज शर्मा 10 Nov 2022 · 1 min read पार्क ..रात के अंधेरे में उदास पार्क सूखा-सा, डरा हुआ निस्तब्ध। अब सुबह कितना उन्मुक्त है चारों ओर हरियाली जैसे वृक्ष हिल रहे हो और पौधे नाच रहे हो, घास पर... Hindi 2 198 Share मनोज शर्मा 22 Oct 2022 · 1 min read विचार ..विचार सतत् प्रक्रिया है और हर बात महत्वपूर्ण होती है पर यह हमारी रूचि पर निर्भर है कि हमें क्या अच्छा लगता है पर बिना अच्छी लगे यदि कोई बात... Hindi · Ms 1 231 Share मनोज शर्मा 13 Jul 2022 · 1 min read JNU CAMPUS घनी और गहरी हरियाली के ऊपर काले बादल उमड़े हुए है। यौं लगा जैसे बादल अभी बरसकर थमे हों। गीली साफ सड़के दूर तक चमक रही है। जे एन यू... Hindi 1 429 Share मनोज शर्मा 23 May 2022 · 1 min read बुलबुला तुम..आओ फिर एक बार यौंही डूब कर खिल जाओ पानी के बुलबुले-सी गहरी चमक मिल जाती है तुम में धरती की काया सज गयी फिर पहले सी जैसे तुम वर्षों... Hindi · कविता 1 732 Share मनोज शर्मा 23 Mar 2022 · 1 min read अंतर्मन अंतर्मन.. तुम अंतर्मन की जिज्ञासा से करीब ही नहीं ओत प्रोत हो जाते हो अंबर पर तारों के मध्य मृगतृष्णा एक परिहास सा होता है नित्य तुम आते हो लौट... Hindi · कविता 312 Share मनोज शर्मा 4 Jan 2022 · 2 min read वो शख़्स सूबह की भागती दौडती सड़कों पर से होते हुए वो मैट्रो के डिब्बे के बीच वाली सीट पर बैठ गया।पल पल में सामने आते चेहरे अब स्थिर होने लगे थे... Hindi · लघु कथा 321 Share मनोज शर्मा 9 Dec 2021 · 1 min read सबेरे सबेरे ..बर्फ की-सी उजली भूरी रोशनी में वो सुबह एक वृक्ष के साये में अपने पेट में पैर समेटे दुबका पड़ा था मुझे देखते ही वो फुदकता हुआ मेरे पीछे हो... Hindi · लघु कथा 1 366 Share मनोज शर्मा 27 Nov 2021 · 1 min read दिन दिन रेत की तरह बिना कोई ढेर छोड़े बीत गया।दिन भर अनावश्यक चुप्पी होठों पर स्थिर रही।लंबी जिज्ञासा और बीच-बीच में क्षणिक निराशा जैसे काॅरीडोर से फिल्म देखी जा रही... Hindi · लेख 446 Share मनोज शर्मा 29 Oct 2021 · 1 min read प्रेम! ..कुछ चेहरे भीतर से इतने खूबसूरत होते हैं कि उनपर से नज़रे नहीं हटती वो हर क्षण हमारी पुतलियों में सिमटे रहते हैं।यद्यपि हम उनसे कभी नहीं मिले और ना... Hindi · लेख 247 Share मनोज शर्मा 13 Oct 2021 · 4 min read कोहरा कोहरा सुबह की नर्म धूप में हल्का गंधला कोहरा है जिसमें अक्सर चलते-चलते तुम्हें देखता हूं।हल्की स्निग्ध ठंडी हवा में तुम्हारी आंखों के कोर भीग जाते हैं तुम्हारे दोनों हाथ... Hindi · लेख 336 Share मनोज शर्मा 5 Oct 2021 · 1 min read मुस्कुराहट ..तुम नहीं जानती तुम्हारी मदिर मुस्कुराहट में दिनभर सब हरा भरा दिखता है जैसे सुबह की सैर में वो वासंती नर्म हवा का स्पर्श।अनायास मन होता है कि शाम को... Hindi · लेख 253 Share मनोज शर्मा 19 Sep 2021 · 2 min read शिमला में उस रोज़ शिमला स्यामलेह से बना है जिसका अर्थ बर्फ से ढका होना है शिमला के रास्ते पर उस रोज़ मैने सुबह पांच बजे आंखे खोली पहाड़ी रास्तों के मध्य कहीं ढलान... Hindi · लघु कथा 2 467 Share मनोज शर्मा 19 Sep 2021 · 1 min read मुक्कमल कुछ भी मुकम्मिल नहीं पर क्यों लगता है जो है वो काफी है क्या कुछ होना कुछ ना होने से ज़्यादा बेहतर नहीं है पर किसपर इतना अख़्तियार कि सब... Hindi · लेख 1 308 Share मनोज शर्मा 18 Aug 2021 · 2 min read स्टोरी(स्टेटस) व्हट्सअप्प,एफबी के स्टेटस की भी अब अपनी महत्ता होने लगी है हालांकि मैं बहुतख़ास या कुछेक लोगों के स्टेट्स देखता हूं इसका प्रमुख कारण मेरा यहां बहुत अल्प समय बीताना... Hindi · लेख 225 Share मनोज शर्मा 12 Aug 2021 · 1 min read किताब का वो पन्ना ...वो उस पार थी और मैं इस ओर से उसे देख रहा था। मैंने जैसे ही उत्सुक्तावश उसे अपने हाथों में लेना चाहा वो एक ओर लुढ़क गयी।उसे गिरता देख... Hindi · लेख 1 473 Share मनोज शर्मा 10 Aug 2021 · 2 min read उमस सुबह से ही मौसम बेहतर है वो इसलिए क्योंकि पिछले कितने दिनों से तेज़ धूप और दहकती गर्म उमस थी मौसम अलसाया सा प्रतीत होता था अंदर से और बाहर... Hindi · लेख 1 585 Share मनोज शर्मा 10 Aug 2021 · 1 min read आकृष्ट कोई भी क्षण मानस पटल पर सहज ही नहीं छा जाता है उसके लिए असहज पृष्ठभूमि हो सकती है जो उसे दूसरों से भिन्न करती है।सौन्दर्य कण कण में विराजमान... Hindi · लेख 1 388 Share मनोज शर्मा 10 Aug 2021 · 1 min read फ़िक्र फ़िक्र कम न सही,बेफ़िक्र तो हुआ हूं अब चंद घड़ी बेफ़िक्र हुआ फ़िक्र ने फिर घेर लिया। मनोज शर्मा Hindi · शेर 1 305 Share मनोज शर्मा 10 Aug 2021 · 1 min read चेहरे कितनी भीड़ कितने चेहरे और हर चेहरे में एक आदमी जो उस चेहरे से बिल्कुल भिन्न है ऐसा क्यों प्रतीत होता है कि चेहरा स्वयं से ही इतर है जो... Hindi · लघु कथा 502 Share मनोज शर्मा 10 Aug 2021 · 1 min read अक्स कितने ही रोज़ हो गये तुम्हें करीब से देखे हुए।रोज़ आंखे अलमारी के शीशो को लांघती है पर तुम्हें दूर से ही देखकर वापिस लौट आती है शायद मेरी व्यस्तता... Hindi · लेख 480 Share मनोज शर्मा 3 Aug 2021 · 1 min read संबंध कोई मुस्कुराया था कभी ऐसे अज़ीम जहां में कुछ याद ही नहीं अर्सा बीत चला खुलकर बतियाते देखें उन्हें माझी सा यहां वा-बस्ता कहां शायद ही मिलता हो कभी गुमनाम... Hindi · कविता 453 Share मनोज शर्मा 3 Aug 2021 · 1 min read मैली कमीज मेरा सफेद कमीज फिर गर्द से भर गया अभी सुबह सुबह ही तो बदला था इसे बिल्कुल नया सा लग रहा था पहले से भी साफ और उजला पर ये... Hindi · कविता 1 408 Share मनोज शर्मा 3 Aug 2021 · 1 min read पराजय पराजय नहीं जय है तेरी हर तरफ हर गात नहीं सानी तेरी बात का कथ्य हिंडोला सा हर नज़र यूं बढ़ा शनैः शनैः चकाचौंध करता हृदय में उतर चला वो... Hindi · कविता 550 Share मनोज शर्मा 1 Aug 2021 · 1 min read ऊपर आज मैं ऊपर हूं मेरे पंख लौटा दो मुझे कहते थे तुम उड चलो कहीं बढ़ो तुम भी विचरण करो मेरे संग तुम्हें पंख मिलेगा आज मैं ऊपर हूं मेरे... Hindi · कविता 2 445 Share मनोज शर्मा 31 Jul 2021 · 1 min read छल छद्म मैं नेत्रहीन नहीं आंखे मूंदे बैठा हूं मैं भी अवगत था सत्य से पर विवश रहा सदा अन्तर्मन मेरा क्या मिलेगा व्यर्थ में लड़ने से समस्त भारत के लिए कुछ... Hindi · कविता 1 420 Share मनोज शर्मा 23 Jul 2021 · 1 min read छोटी-सी दुनिया कितनी छोटी है तुम्हारी दुनिया रोज़ सुबह देखता हूं तुम्हें चहकते हुए आसमां की ओर बढ़ते हुए रोज़ तुम्हें सोचता हूं कि छूं लूं एक बार वैसे ही जब तुम... Hindi · कविता 1 415 Share मनोज शर्मा 23 Jul 2021 · 1 min read फिर आओ फिर एक बार यौंही डूब कर खिल जाओ पानी के बुलबुले-सी गहरी चमक मिल जाती है तुम में धरती की काया सज गयी फिर पहले सी जैसे तुम थे... Hindi · कविता 1 507 Share मनोज शर्मा 14 Jun 2021 · 2 min read मौसम मौसम के तेवर बिल्कुल बदल चुके हैं कभी चालीस तो कभी इससे अधिक लगता है सभी तनाव में जी रहे हैं मौसम के कारण या कुछ ओर कुछ स्पष्ट नहीं।कहीं... Hindi · लेख 2 1 304 Share मनोज शर्मा 6 Jun 2021 · 2 min read स्टेटस व्हट्सअप्प के स्टेटस की भी अब अपनी महत्ता होने लगी है हालांकि मैं बहुतख़ास या कुछेक लोगों के स्टेट्स देखता हूं इसका प्रमुख कारण मेरा यहां बहुत अल्प समय बीताना... Hindi · लघु कथा 283 Share मनोज शर्मा 3 Jun 2021 · 1 min read हिन्दी साहित्य का इतिहास-एक नज़र हिंदी साहित्य का इतिहास-संक्षिप्त परिचय आदिकाल (वीरगाथाकाल)1050 से 1375 मध्यकाल -पूर्वमध्यकाल (भक्तिकाल)1375 से 1700 उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल)1700 से 1900 आधुनिक काल 1900 से अब तक आदिकाल -सिद्ध,नाथ,जैन लौकिक साहित्य -रासो... Hindi · लेख 2 324 Share मनोज शर्मा 1 Jun 2021 · 2 min read दिनभर दिन भर बस यही चलता रहा है जहांगीर पुरी बाईपास सिरसपुर कादीपुर या फिर कादीपुर सिरसपुर बाईपास जहांगीर पुरी कितने ही लोग शायर कुछ रोज़ वाले भी यहीं कहीं आते... Hindi · लघु कथा 1 301 Share मनोज शर्मा 1 Jun 2021 · 2 min read अक्स कुछ समय पहले उसकी तस्वीर देखी थी चेहरा साफ था बाल घुंघराले थे बड़ी बड़ी आंखे मानो बोल उठेगी सहज मुस्कान लिये थी समय बीतता गया एक दिन दफ्तर से... Hindi · लघु कथा 621 Share मनोज शर्मा 1 Jun 2021 · 1 min read ऑक्सफोर्ड शाॅप दफ्तर से थोड़ी दूरी पर क्नाॅट प्लेस में ऑक्सफोर्ड बुक्स स्टोर है जहां पुस्तक प्रेमियों के लिए मनपसंद पुस्तकों का विशाल संग्रह है मैं अक्सर वहां चला जाता हूं आज... Hindi · लेख 293 Share मनोज शर्मा 29 May 2021 · 1 min read अभिलाषा मेरी आंखों में उमड़ा गहरा प्यार उमड़ते मेघ-सी मेरी अभिलाषा कि तुम्हे देख लूं बस एक पल और फिर बरस लूं देर तक जैसे मेघ बरसते हैं -:मनोज शर्मा:- Hindi · कविता 300 Share मनोज शर्मा 25 May 2021 · 1 min read कश मैं नहीं जानता मुझे क्या चाहिए और शायद क्यों चाहिए असल में वो मुझे बेहद पसंद है पर उसे मैं साथ नहीं रखता और न रख सकता क्योंकि मुझे उसके... Hindi · लेख 1 545 Share मनोज शर्मा 25 May 2021 · 1 min read मेघ नभ में तुम पथ में तुम आंखे तुम्हें पुकारे ठहरों बस एक पल सालते हृदय को तृप्त कर जाओ मनोज शर्मा “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 3 310 Share मनोज शर्मा 23 May 2021 · 2 min read चेहरे जीवन में कुछ ही चेहरे होते हैं जो अपना अक्ष अपनी यादें छोड़ जाते है इसके पीछे उनके अच्छे सकारात्मक कर्म उनकी सोच ही उनको दूसरों से इतर कर देते... Hindi · लेख 2 425 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 2 min read "बादल" सुबह से ही मौसम बेहतर है वो इसलिए क्योंकि पिछले कितने दिनों से तेज़ धूप और दहकती गर्म उमस थी मौसम अलसाया सा प्रतीत होता था अंदर से और बाहर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 349 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read बूंद आज यूंही तुम दिखे विच्छन्न ओस की बूंद से कोहरे में सिमट कर कहीं थम गये तुम बहती हवा से सतत् अनवरत बढ़ते गये सत्य से नव कर्म बने तुम... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 1 246 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read "बारिश का वो दिन" बरसात के पश्चात बादल अभी भी घिरे हुए थे ।करीब दो घंटे पहले लग रहा था कि एक डेढ घंटे में बारिश थम जाएगी पर इतनी देर तक बरसने के... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 2 596 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 2 min read "बरसात का वो दिन" बारिश के बाद मोसम बेहद उमस भरा था घर मे हर तरफ सीलन आ चुकी थी जगह जगह सड़क पर भी पानी भर गया था।पार्क में घुसने से पहले ही... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 2 296 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read सड़क सड़क पर घूमते अजनबी-से कुछ उदास चेहरे सिगरटों के धुएं में ज़िन्दगी टटोलते हैं खोखली दीवारों पर रोज़ वो आते हैं टिप्-टिप् बारिश की बूंदों से दो पल झांक कर... Hindi · कविता 339 Share मनोज शर्मा 18 May 2021 · 1 min read पथ तुम आते कितनी बार रोज़ बस यौंही लौट जाते हो मेरा परिचय इतिहास नहीं आज भी तुम संग है पूर्ववत मेरे शून्य मंदिर में आज भी तुम गूंजते हो तुम्ही... Hindi · कविता 1 1 331 Share मनोज शर्मा 18 May 2021 · 1 min read नये शब्द नये शब्दों में नयी बातो से रोज़ नया सृजन आता है जो पुराने से भिन्न है आधुनिक ही नही अत्याधुनिक होते हैं ये शब्द ये बात नही कहते वरन् गूंजते... Hindi · कविता 475 Share मनोज शर्मा 16 May 2021 · 1 min read सांझ रोज़ सांझ आती है नये बदन में कभी मुस्कुराकर कभी ग़मग़ीन एक लम्बी जम्हाई लिये लौट जाती है अनायास कोई नहीं आता असभ्य सांझ तुम्हे ओट चाहिए सुराही सी सांझ... Hindi · कविता 1 531 Share मनोज शर्मा 16 May 2021 · 1 min read मृत्यु मृत्युशया पर बैठ कर एक मोती मिला ज्योति मे अनगिनत आशाएं लौट गयी क्षितिज पर कुम्हलाती जीवन नैया थम गयी अंधकार कोंधता जमीन से आसमां में उतर गया मृत्यु पैर... Hindi · कविता 1 273 Share मनोज शर्मा 13 May 2021 · 1 min read मौजा आज मेरे दायें पैर का मौजा कहीं गुम हो गया शायद .... किसी कोने में अलमारी के नीचे या किसी खूंटी पर टंगा होगा पर नहीं मिला कहीं भी अगर... Hindi · कविता 1 316 Share मनोज शर्मा 9 May 2021 · 1 min read मातृत्व मैंने कई मर्तबा देखा था तुम्हें आर्द्र नयनों से भीगते सिसकते कसकते चहकते महकते स्वयं को मिटते सिमटते बरबस चहकते हुए मर्म समेटे मुस्कुराहट बिखेरते गहन अंधकार को तराशते पुनः... Hindi · कविता 1 2 394 Share मनोज शर्मा 1 May 2021 · 1 min read वीकैंड आ गया फिर वीकैंड लिए नयी ख्वाइशे आज 'रात'फिर नहीं सो सकेगी छलकते प्यालों में लहराते धुएं में कहकशों वाद-विवादों मीठी तकरारों में कल दोपहर ही पुनः सुबह होगी आज... Hindi · कविता 251 Share मनोज शर्मा 1 May 2021 · 1 min read बदले दिन बंद दरवाज़ों से होता है रोज सामना अब यौं बार बार पलकें झपकना खुद को निहारना आइने में कभी लगता था कि वक्त थम जाये उस देहरी तले पर पीली... Hindi · कविता 1 433 Share Page 1 Next