मनोज शर्मा Tag: कविता 39 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मनोज शर्मा 23 May 2022 · 1 min read बुलबुला तुम..आओ फिर एक बार यौंही डूब कर खिल जाओ पानी के बुलबुले-सी गहरी चमक मिल जाती है तुम में धरती की काया सज गयी फिर पहले सी जैसे तुम वर्षों... Hindi · कविता 1 868 Share मनोज शर्मा 23 Mar 2022 · 1 min read अंतर्मन अंतर्मन.. तुम अंतर्मन की जिज्ञासा से करीब ही नहीं ओत प्रोत हो जाते हो अंबर पर तारों के मध्य मृगतृष्णा एक परिहास सा होता है नित्य तुम आते हो लौट... Hindi · कविता 454 Share मनोज शर्मा 3 Aug 2021 · 1 min read संबंध कोई मुस्कुराया था कभी ऐसे अज़ीम जहां में कुछ याद ही नहीं अर्सा बीत चला खुलकर बतियाते देखें उन्हें माझी सा यहां वा-बस्ता कहां शायद ही मिलता हो कभी गुमनाम... Hindi · कविता 558 Share मनोज शर्मा 3 Aug 2021 · 1 min read मैली कमीज मेरा सफेद कमीज फिर गर्द से भर गया अभी सुबह सुबह ही तो बदला था इसे बिल्कुल नया सा लग रहा था पहले से भी साफ और उजला पर ये... Hindi · कविता 1 566 Share मनोज शर्मा 3 Aug 2021 · 1 min read पराजय पराजय नहीं जय है तेरी हर तरफ हर गात नहीं सानी तेरी बात का कथ्य हिंडोला सा हर नज़र यूं बढ़ा शनैः शनैः चकाचौंध करता हृदय में उतर चला वो... Hindi · कविता 653 Share मनोज शर्मा 1 Aug 2021 · 1 min read ऊपर आज मैं ऊपर हूं मेरे पंख लौटा दो मुझे कहते थे तुम उड चलो कहीं बढ़ो तुम भी विचरण करो मेरे संग तुम्हें पंख मिलेगा आज मैं ऊपर हूं मेरे... Hindi · कविता 2 527 Share मनोज शर्मा 31 Jul 2021 · 1 min read छल छद्म मैं नेत्रहीन नहीं आंखे मूंदे बैठा हूं मैं भी अवगत था सत्य से पर विवश रहा सदा अन्तर्मन मेरा क्या मिलेगा व्यर्थ में लड़ने से समस्त भारत के लिए कुछ... Hindi · कविता 1 508 Share मनोज शर्मा 23 Jul 2021 · 1 min read छोटी-सी दुनिया कितनी छोटी है तुम्हारी दुनिया रोज़ सुबह देखता हूं तुम्हें चहकते हुए आसमां की ओर बढ़ते हुए रोज़ तुम्हें सोचता हूं कि छूं लूं एक बार वैसे ही जब तुम... Hindi · कविता 1 543 Share मनोज शर्मा 23 Jul 2021 · 1 min read फिर आओ फिर एक बार यौंही डूब कर खिल जाओ पानी के बुलबुले-सी गहरी चमक मिल जाती है तुम में धरती की काया सज गयी फिर पहले सी जैसे तुम थे... Hindi · कविता 1 628 Share मनोज शर्मा 29 May 2021 · 1 min read अभिलाषा मेरी आंखों में उमड़ा गहरा प्यार उमड़ते मेघ-सी मेरी अभिलाषा कि तुम्हे देख लूं बस एक पल और फिर बरस लूं देर तक जैसे मेघ बरसते हैं -:मनोज शर्मा:- Hindi · कविता 392 Share मनोज शर्मा 25 May 2021 · 1 min read मेघ नभ में तुम पथ में तुम आंखे तुम्हें पुकारे ठहरों बस एक पल सालते हृदय को तृप्त कर जाओ मनोज शर्मा “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 3 455 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 2 min read "बादल" सुबह से ही मौसम बेहतर है वो इसलिए क्योंकि पिछले कितने दिनों से तेज़ धूप और दहकती गर्म उमस थी मौसम अलसाया सा प्रतीत होता था अंदर से और बाहर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 434 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read बूंद आज यूंही तुम दिखे विच्छन्न ओस की बूंद से कोहरे में सिमट कर कहीं थम गये तुम बहती हवा से सतत् अनवरत बढ़ते गये सत्य से नव कर्म बने तुम... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 1 329 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read "बारिश का वो दिन" बरसात के पश्चात बादल अभी भी घिरे हुए थे ।करीब दो घंटे पहले लग रहा था कि एक डेढ घंटे में बारिश थम जाएगी पर इतनी देर तक बरसने के... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 2 733 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 2 min read "बरसात का वो दिन" बारिश के बाद मोसम बेहद उमस भरा था घर मे हर तरफ सीलन आ चुकी थी जगह जगह सड़क पर भी पानी भर गया था।पार्क में घुसने से पहले ही... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 2 413 Share मनोज शर्मा 20 May 2021 · 1 min read सड़क सड़क पर घूमते अजनबी-से कुछ उदास चेहरे सिगरटों के धुएं में ज़िन्दगी टटोलते हैं खोखली दीवारों पर रोज़ वो आते हैं टिप्-टिप् बारिश की बूंदों से दो पल झांक कर... Hindi · कविता 435 Share मनोज शर्मा 18 May 2021 · 1 min read पथ तुम आते कितनी बार रोज़ बस यौंही लौट जाते हो मेरा परिचय इतिहास नहीं आज भी तुम संग है पूर्ववत मेरे शून्य मंदिर में आज भी तुम गूंजते हो तुम्ही... Hindi · कविता 1 1 437 Share मनोज शर्मा 18 May 2021 · 1 min read नये शब्द नये शब्दों में नयी बातो से रोज़ नया सृजन आता है जो पुराने से भिन्न है आधुनिक ही नही अत्याधुनिक होते हैं ये शब्द ये बात नही कहते वरन् गूंजते... Hindi · कविता 580 Share मनोज शर्मा 16 May 2021 · 1 min read सांझ रोज़ सांझ आती है नये बदन में कभी मुस्कुराकर कभी ग़मग़ीन एक लम्बी जम्हाई लिये लौट जाती है अनायास कोई नहीं आता असभ्य सांझ तुम्हे ओट चाहिए सुराही सी सांझ... Hindi · कविता 1 643 Share मनोज शर्मा 16 May 2021 · 1 min read मृत्यु मृत्युशया पर बैठ कर एक मोती मिला ज्योति मे अनगिनत आशाएं लौट गयी क्षितिज पर कुम्हलाती जीवन नैया थम गयी अंधकार कोंधता जमीन से आसमां में उतर गया मृत्यु पैर... Hindi · कविता 1 411 Share मनोज शर्मा 13 May 2021 · 1 min read मौजा आज मेरे दायें पैर का मौजा कहीं गुम हो गया शायद .... किसी कोने में अलमारी के नीचे या किसी खूंटी पर टंगा होगा पर नहीं मिला कहीं भी अगर... Hindi · कविता 1 412 Share मनोज शर्मा 9 May 2021 · 1 min read मातृत्व मैंने कई मर्तबा देखा था तुम्हें आर्द्र नयनों से भीगते सिसकते कसकते चहकते महकते स्वयं को मिटते सिमटते बरबस चहकते हुए मर्म समेटे मुस्कुराहट बिखेरते गहन अंधकार को तराशते पुनः... Hindi · कविता 1 2 494 Share मनोज शर्मा 1 May 2021 · 1 min read वीकैंड आ गया फिर वीकैंड लिए नयी ख्वाइशे आज 'रात'फिर नहीं सो सकेगी छलकते प्यालों में लहराते धुएं में कहकशों वाद-विवादों मीठी तकरारों में कल दोपहर ही पुनः सुबह होगी आज... Hindi · कविता 329 Share मनोज शर्मा 1 May 2021 · 1 min read बदले दिन बंद दरवाज़ों से होता है रोज सामना अब यौं बार बार पलकें झपकना खुद को निहारना आइने में कभी लगता था कि वक्त थम जाये उस देहरी तले पर पीली... Hindi · कविता 1 515 Share मनोज शर्मा 28 Mar 2021 · 1 min read एक पल आओ क्षण भर बैठो देखो तो सही वक्त नहीं बदला हां पर तुम बदल गये हो अब न कोई प्रणय और न ही कोई विस्तार प्रेम का दुःख का स्नेह... Hindi · कविता 1 3 582 Share मनोज शर्मा 28 Mar 2021 · 1 min read चौराहा आज गली के चौराहे पर भीड़ थी कोई जा रहा था कहीं कोई कहीं से आ रहा था आते जाते लोगों के मध्य कहीं भटक गया चौराहा पीठ के बल... Hindi · कविता 515 Share मनोज शर्मा 28 Mar 2021 · 1 min read मैं मैं नहीं तुम तुम नहीं हम साथ साथ हम तुम आज तुम नहीं मैं सिर्फ मैं मनोज शर्मा Hindi · कविता 453 Share मनोज शर्मा 7 Jan 2021 · 4 min read कोरोना एक कटु सत्य कोविड-19 एक वैश्विक आपदा है जिसने संपूर्ण विश्व के लोगों को घरों में बंद कर दिया है।सारा मीडिया जगत ही नहीं बल्कि हर ज़ुबां पर एक ही नाम है कोरोना।कोरोना... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 25 834 Share मनोज शर्मा 28 Oct 2020 · 1 min read अक्टूबर की सुबह अक्टूबर की सूबह! सुबह सात बज गये पर धूप कहीं नहीं यही आलम जून-जुलाई में हो तो बात ही कुछ और हो।नीले आकाश में ठहरे सफेद पुष्ट बादल मानो बड़ी... Hindi · कविता 1 332 Share मनोज शर्मा 9 Oct 2020 · 1 min read काला कऊआ उस रोज़ हम दो मैं और वो काला कऊआ उस टीले पर बैठे थे निरस्त से कहीं खोये खोये से अजनबी बन उसने मुझे देखा मैंने उसे वो गुमसुम था... Hindi · कविता 2 506 Share Page 1 Next