मनोज कुमार "मंजू" 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मनोज कुमार "मंजू" 30 Dec 2018 · 1 min read तुम होतीं तो शीर्षक: तुम होतीं तो तुम होतीं तो राहें आसान होतीं तुम होतीं तो मंजिलें और आसान होतीं दुःख में होतीं न होतीं कोई बात न थी काश मेरी खुशियों में... Hindi · कविता 577 Share मनोज कुमार "मंजू" 11 Nov 2018 · 1 min read माँ तो माँ है माँ तो माँ है माँ सा कौन हर दुख सहती रहकर मौन जिसकी आशाओं का दीपक मुझमें ही अब जलता है जिसकी आंखों का हर सपना मेरी आंख में पलता... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 23 766 Share मनोज कुमार "मंजू" 27 Sep 2018 · 1 min read इंसानियत किस कदर इंसानियत बहसी दरिंदा बन गई। आदमी की आज देखो आदमी से ठन गई।। मौत का ये खेल अब तो एक तमाशा हो गया। आज रिश्तों की ये चादर... Hindi · मुक्तक 1 470 Share मनोज कुमार "मंजू" 25 Sep 2018 · 1 min read आ भी जाओ तुम सफ़र तन्हा नहीं कटता कहां हो आ भी जाओ तुम। पकड़ लो हाथ ये मेरा न इतना अब लजाओ तुम।। चलेंगे हम नई राहों पे मंजिल भी नई होगी। सफ़र... Hindi · मुक्तक 429 Share मनोज कुमार "मंजू" 24 Sep 2018 · 1 min read शहीदों को नमन यौवन के सुख छोड़ तिरंगे में जो लिपटे आते हैं। ऐसे वीर जवानों को हम नित-नित शीश झुकाते हैं।। लेकिन सीमा पर कब तक ये क्रम दोहराया जायेगा। सिंहासन पर... Hindi · मुक्तक 330 Share मनोज कुमार "मंजू" 23 Sep 2018 · 1 min read उलझन कैसी उलझन में फंसी है ज़िन्दगी कैसे कहूं। वक्त के ताने अरे देखो भला कब तक सहूं।। कब तलक देखूं बता खामोश तेरा रास्ता। उम्र ढलती जा रही है अब... Hindi · मुक्तक 535 Share मनोज कुमार "मंजू" 18 Sep 2018 · 1 min read रास्ते में जो मिला जिसको भी हम इस जहां में एक ख़ुदा समझा किए। उसने ही हमको हजारों जख्म कैसे हैं दिए।। हमने लुटकर भी किसी के घर सजाये हैं सदा। और जमाना लूटकर... Hindi · कविता 345 Share मनोज कुमार "मंजू" 18 Sep 2018 · 1 min read बस एक मौका आपसी सद्भाव की हर बात गुजरी हो गई। बैर इतना बढ़ गया कि आत्मा भी रो गई।। फासले ऐसे बढ़े बढ़ने लगी हैं दूरियां। खून के रिश्तों में भी दिखने... Hindi · कविता 1 1 355 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read मेरे मुक्तक, अटल के नाम आज तुम सा नहीं इस धरा पर अटल बन गये तुम दिलों में समाकर अटल रो पड़ा आज संसार में हर कोई जब जुदा हो चला आज हमसे अटल देकर... Hindi · मुक्तक 276 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read मिलन के गीत मैं मिलन के गीत लिखना चाहता हूं दिल मैं मूरत एक रखना चाहता हूं मुझको भा जाए कोई बस एक सीरत बस यही आशा जगाना चाहता हूं जोड़ियां तो रब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 452 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read चीर के बनाए राह चीर के बनाये राह, पत्थरों के सीने पे जो। दिल में सदा उनकी, याद पलती रहे।। एक साथ चल पड़े, कारवां के कारवां तो। कितनी भी मुश्किलें हों, ख़ाक मिलती... Hindi · घनाक्षरी 2 1 538 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read भूल ये तुम्हारी कुण्ठा में गुजार दिया, तुमने सफ़र कहीं। भूल ये तुम्हारी कहीं, तुम्हें सालती रहे।। मन की निराशा तेरे, मन में रहे जो कहीं। रासते में बाधा कहीं, ये न डालती... Hindi · घनाक्षरी 1 1 267 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read खोटा सिक्का खोटा सिक्का सम नहीं, होता सबका भाल। कैसे जाने आदमी, कैसी गृह की चाल।। कैसी गृह की चाल, आदमी बेबश होता। समझ न पाए हाल, रात दिन केवल रोता।। तन... Hindi · कुण्डलिया 337 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read खोना साहस तुम नहीं खोना साहस तुम नहीं, कैसी भी हो राह। पाना ही है मंजिलें, ऐसी हो मन चाह।। ऐसी हो मन चाह, बीज हिम्मत के बोना। बीतेगी जब रात, सबेरा ही है... Hindi · कुण्डलिया 235 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read रोना जो रोते रहे रोना जो रोते रहे, बाधाओं को देख। कुछ भी बदलेगा नहीं, रेखाओं को देख।। रेखाओं को देख, हौसले को मत खोना। कर्म रहे बस नेक, ध्यान बस इतना देना।। जीवन... Hindi · कुण्डलिया 442 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read जैसी करनी जो करे जैसी करनी जो करे, फल वैसो ही पाय। पाथर मारे वृक्ष जो, सो मीठे फल खाय।। सो फल मीठे खाय, कर्म की गति है ऐसी। पल पल बीता जाय, किन्तु... Hindi · कुण्डलिया 403 Share मनोज कुमार "मंजू" 17 Sep 2018 · 1 min read राही तुम रुकना नहीं राही तुम रुकना नहीं, कैसी भी हो राह। बिना परिश्रम के न हो, फल पाने की चाह।। फल पाने की चाह, न हो तेरे मन माही। जग में हो बस... Hindi · कुण्डलिया 304 Share मनोज कुमार "मंजू" 16 Sep 2018 · 1 min read सरस्वती वंदना वीणा वादिनी ओ माता, हंस वाहिनी ओ माता। चार वेद धारिणी मां, ज्ञान का प्रकाश दे।। है घना अंधेरा घेरे, दूर हो गये सबेरे। मुझको उजालों वाली, राह पे तू... Hindi · घनाक्षरी 1 1 583 Share मनोज कुमार "मंजू" 16 Sep 2018 · 1 min read सरस्वती वंदना मात शारदे सुनो जी, दृग खोल देख लो जी। द्वार पे खड़ा हूं मात, तनिक तो ध्यान दे।। ज्ञान चक्षु खोल माता, तम सारे हर माता। मेरी मुश्किलों का कोई,... Hindi · घनाक्षरी 1 612 Share