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27 Sep 2018 · 1 min read

इंसानियत

किस कदर इंसानियत बहसी दरिंदा बन गई।
आदमी की आज देखो आदमी से ठन गई।।
मौत का ये खेल अब तो एक तमाशा हो गया।
आज रिश्तों की ये चादर फिर लहू में सन गई।।

Language: Hindi
1 Like · 418 Views
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