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17 Sep 2018 · 1 min read

राही तुम रुकना नहीं

राही तुम रुकना नहीं, कैसी भी हो राह।
बिना परिश्रम के न हो, फल पाने की चाह।।
फल पाने की चाह, न हो तेरे मन माही।
जग में हो बस वाह, कभी हो निंदा ना ही।।
मन में हो विश्वास, मिले राहें मन चाही।
चलना है दिन रात, रुको मत क्षणभर राही।।

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