Mahender Singh Tag: कविता 283 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahender Singh 23 Apr 2022 · 1 min read वो पिता देव तुल्य है पिता है तो घोसला है वरन् एक ढकोसला है जिंदगी है गर एक मेला मेले का हर सामान मेरा है गर , जीवन एक खेला शेष रहता नहीं, कोई झमेला.... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 14 13 383 Share Mahender Singh 3 Nov 2018 · 1 min read माँ की अलंकार महिमा माँ लफ्ज़ जब भी बोला जाता है ! जननी तेरा ही चेहरा नजर आता है ! माँ एक अलंकार संपूर्ण समर्पण ! प्राकृतिक चरित्र तेरा ही नज़र आता है! अस्तित्व... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 13 2 760 Share Mahender Singh 22 Dec 2020 · 1 min read कोरोना और स्वस्थवृत्त विचलितता कैसी कौन भ्रम संशय कैसा लडना क्यों भागना क्यों हो तेजस् जैसा विवेक जगा ज्ञान विज्ञान उग्र भय कैसा पंच-तत्व ये पिण्डारा पवन से भय कैसा जानकर अंजान हो... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 10 26 616 Share Mahender Singh 1 Feb 2021 · 1 min read कुछ खत मोहब्बत के नाम कुछ खत मोहब्बत के,जस् उड़ते पंछी, उन्मुक्त गगन में, जुडे हुए डोर जीवन से. कबूतर को माध्यम बना, खत उसे डाला. जीवन को उसके, रंग में अपने ढहाला. रंग भरे... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 54 735 Share Mahender Singh 18 Jul 2021 · 1 min read विचार और बुद्धि किसी को पहचानने में दिक्कत न हो, . आँख मिली है, कान है, स्पर्श है, इन सबका तारतम्य विचार और बुद्धि. . जिसे जानना ही नहीं, भक्ति करनी है, असहाय... Hindi · कविता 7 7 508 Share Mahender Singh 30 Jul 2021 · 2 min read निचोड कुछ ही पंक्तियों में निचोड, नाम श्लोगन, नीति, योजना. आगे दौड पीछे छोड. भागे जैसे बैरक तोड़. नोटबंदी कालेधन पर रोक. भले भरे स्विस बैंक भंडार. अब आयेगा धन,जेब से... Hindi · कविता 7 5 500 Share Mahender Singh 29 Nov 2018 · 1 min read जय माँ भवानी :- एक आदर्श. करते हैं वंदन आज भी भले कलियुग हो माँ, हो आदि शक्ति कलियुग में भी हो सहारा माँ, जगत जननी हो जगदम्बा तेरो नाम है माँ, जय भवानी तू ज्वाला... Hindi · कविता 6 6 356 Share Mahender Singh 30 Jul 2021 · 1 min read वजह वजह में वजह अज्ञात से ज्ञान काम से काम नहीं कोई धाम बहुमूल्य चाम. नक्श और नयन. प्राकृतिक देन. हंस गये लेन. नहीं अल्लाह देन देखो और खोजे येनकेन प्राकरेण.... Hindi · कविता 6 3 346 Share Mahender Singh 22 Jan 2019 · 1 min read गणतंत्रता दिवस पर एक संदेश कुछ अल्फ़ाज़ों से चिढने लगा हूँ अखंड भारत को टुकड़ों में बँटते देख रहा हूँ.. हो रही हैं मजहबी बातें.. जबकि तुमने किये है असाम्प्रदायिक वादे. सहन कर रहा हूँ... Hindi · कविता 5 1 476 Share Mahender Singh 28 Feb 2019 · 1 min read हमारी तो आदत है पुरानी (तुम न फँसना) ये भी एक कला है. रामकला कहे. या कहे चन्द्रकला.. . कुछ ऐसा करना. एकदम लगे नया. हो बहुत पुराना.. ठगों की भांति.. मुद्दों से भटकाना. चर्चा छेड़ दूर होना.... Hindi · कविता 5 2 230 Share Mahender Singh 30 Jun 2019 · 1 min read बज़्म इन पत्थरों में अल्लाह ईश्वर. खोजने वालों.. थोडा संभलों जरा.. इन बस्तियों में कौन बसता है. . ??ये भी कोई राज है. बहुमत नाराज है.? बेटा भूखा आज है. घर... Hindi · कविता 5 1 743 Share Mahender Singh 22 Jul 2019 · 1 min read जीवन परमात्मा है कुछ बोझ मेरे अपने हैं, एक ओर जमाना दूसरी तरफ़ मेरे चाहने वाले हैं. चाहत सबको है. कुछ देकर चुकाते है, कोई लेकर छुपाते है. कोई रोब दिखाकर लूट लेता... Hindi · कविता 5 1 232 Share Mahender Singh 30 Nov 2019 · 1 min read एक बूंद का सफर एक बूँद थी जो उठी धरा के आगोश से , चढ़ गई बादलों संग आकाश में, प्रवाह नहीं वजूद की, सुरक्षित बादलों की गोद थी उड गये होड चमक जो... Hindi · कविता 5 1 575 Share Mahender Singh 4 Jan 2020 · 2 min read आदत बदली है ये तो बदलेगी, न बदली तो, तुम्हें बदलेगी, दावाग्नि है ये, नहीं बुझी तो, हम सबको, बदलेगी, बदली है ये तो, बदलेगी. कद ऊँचे नहीं ये करती हैं... Hindi · कविता 5 3 351 Share Mahender Singh 19 Jun 2020 · 1 min read तलाश दो रोटी की आश में सुकून की तलाश में दर दर भटकता रहा दो रोटी की आश में स्वाभिमान लिए मन में हुनर था हाथ में जमीर लिये साथ में... Hindi · कविता 5 2 559 Share Mahender Singh 27 Feb 2021 · 1 min read जीवन दर्शन गुरु रैदास जी समझ तो अपनी ही *काम आयेगी, धरातल पर जब वो *बाहर आयेगी. बात सियासती कब समझ आयेगी. आग जब घर के चूल्हे तक आयेगी. मत बैठ पलडो में, तोल(मात्रक) है... Hindi · कविता 5 5 491 Share Mahender Singh 19 Jul 2021 · 1 min read कुछ ही समय पहले कुछ ही समय पहले की बात है, आपदा प्राकृतिक हो, समझ आती है. मामले प्रबंधन के हों, गैर जमानती है. बात रोटी की हो, भूख पहली बात है. मजदूरी देने... Hindi · कविता 5 3 352 Share Mahender Singh 30 Jul 2021 · 1 min read बदरा घूमड घूमड बदरा आई, हरियाली छाई फूट गई सूखी कंदरा.. खिल आई बंद डोडी. टर्र टर्र टर्राते मेंढक. शीत निद्रा तोड़ आये कछुए हरियाली छाई घूमड घूमड बदरा आई, .... Hindi · कविता 5 4 523 Share Mahender Singh 3 Aug 2021 · 1 min read हास्य, तुम लिखते रहो तुम लिखते रहो यहाँ थूकना मना है. मौके की तलाश में लोग वहीं थूकते, देखे गये. . लिखे गया यहां पेशाब करना मना है. साथ में लिखा, देखो गधा मूत... Hindi · कविता 5 5 421 Share Mahender Singh 8 Aug 2021 · 1 min read ताज्जुब व्यंग्य भी हास्य भी. कविता. ताज्जुब. . माना कि तुम समझदार हो, सामने वाले को भी तो.. बेवकूफ मत समझो... सरकारी कुछ नहीं रहेगा. न शिक्षा, न ही चिकित्सा. हकीकत... Hindi · कविता 5 4 378 Share Mahender Singh 8 Aug 2021 · 1 min read देशहित राष्ट्रवाद मैं ये सोचकर चुप रहा शायद ! वाकिफ हो तुम, देशहित राष्ट्रवाद की मुहिम से, और सबकुछ बदलते गया. Hindi · कविता 5 4 280 Share Mahender Singh 10 Aug 2021 · 1 min read फैसले *व्यंग्य मेरे फैसले थोडे जज्बाती हैं, अपनी भावनाओं के थैले मुझे बाँधकर दे दे. मुझे पैसे वालों के बहुत काम करने हैं. Hindi · कविता 5 3 308 Share Mahender Singh 28 Aug 2021 · 1 min read किसान और मजदूर छुपाकर दर्द अपने, भूलाकर वेदना अपनी, दो रूखी सूखी रोटी एक प्याज एक पानी की तिरपाल से बनी बोटल खेत की और पैदल चला. मालिक नहीं मजदूर बन पहले खुद... Hindi · कविता 5 6 476 Share Mahender Singh 7 Oct 2021 · 1 min read विपक्ष का दमन (लोकतंत्र खत्म) एक नेता जनता की सेवा के बहाने प्रवेश करता है, देश के नागरिकों को कूटनीति से दो धड़ो में बांटता. एक का पक्ष लेकर होशियारी से चहेता बन जाता. दूसरे... Hindi · कविता 5 4 568 Share Mahender Singh 8 Oct 2021 · 1 min read तब भी थी,आज भी है. इसलिये कम बोलता हूँ कि कोई अर्थ न निकाल ले, कोई समझ न लें, देश में वाचाल निखट्टू लोगों को प्रोत्साहन मिल रहा है. विरोध को लगाम, लगाने के सब... Hindi · कविता 5 4 393 Share Mahender Singh 20 Oct 2021 · 2 min read हास्य व्यंग्य (सह संबंध बिठा लो) सह संबंध बिठा लो आज रेलगाड़ी पर हवाई जहाज के पहिये चढा दो आज.. चुनाव है विचारधारा के मध्य तुम किसी के नहीं हो. नेताओं दांव लगा लो आज. तुम... Hindi · कविता 5 4 348 Share Mahender Singh 3 Jan 2022 · 1 min read कौन है ये राष्ट्रवादी दुनिया को बदलने वाले प्रचारकों, विज्ञापनों से बाहर आओ. और देखों, कमाकर पेट भरना, कितने मुश्किल हो गया हैं. कब तलक करें, तिलक और चोटी पर, गर्व. आपसी तालमेल को... Hindi · कविता 5 5 376 Share Mahender Singh 26 Feb 2022 · 1 min read बंद लिफाफा बंद लिफाफा भला इजाफा लिहाफ अच्छा घर में पोछा काम नहीं ओछे खुल कर पूछे हमेशा रखे मूंछें हाथ भले. भले हट गई पूंछे, फिर भी इंसान पशुओं से नहीं... Hindi · कविता 5 6 407 Share Mahender Singh 1 Nov 2018 · 1 min read मुशायरे का जुनून हजार मिटाओ यादें हमारी हम भी दाग हैं .. जुगनू बन रात पर भारी हैं. . दामन पर है दाग दूसरों को भारी हैं. . जीवन एक अभिनय. होना चाहिये... Hindi · कविता 4 3 221 Share Mahender Singh 19 Dec 2018 · 1 min read परिवर्तन समय पर है भारी. समय बदलता है बदलाव नियति है पकडता है मन उसी को छोड़ देता है ऊभ गया जिससे, . रोना भी हंसा देता हंसना भी रुलाता गालियाँ भी चौंका देती, लौरिया... Hindi · कविता 4 2 449 Share Mahender Singh 2 Feb 2019 · 1 min read चुनें दिशा सुधरेगी दशा चाहते किसे नहीं होती. ख़्वाहिश कौन नहीं रखता. पर पूरी उनकी कैसे होती. जो सिर्फ़ उस पर निर्भर है. कहकर छोड़ देता. न खुद को परखा . न खुदी को... Hindi · कविता 4 1 211 Share Mahender Singh 26 Feb 2019 · 1 min read आतंकवादी चेहरे और समाधान. आतंकवाद तेरा अंत निश्चित ही होगा. कैसे पनपा क्यों बढ़ रहा. खरपतवार सम आतंकवाद. इसे उखाड़ फेंकना ही होगा. . हमें इसका आकलन करना होगा. कुछ चेहरे जेहादी है कुछ... Hindi · कविता 4 5 502 Share Mahender Singh 22 Mar 2019 · 1 min read जीवन की शवयात्रा कुछ कदम ओर, कुछ दूर ओर, हार नहीं मानी, थका नहीं, हररोज़ बीच भंवर जाना नहीं स्तर. पहले से बेहतर, चाह में अक्सर, भोर में उठकर, तपती दुपहरी, संध्या न... Hindi · कविता 4 1 473 Share Mahender Singh 24 Mar 2019 · 1 min read आज फिर धुंधले हुऐ आईने समाज के. आज फिर धुंधले हुऐ, आईने समाज के.... प्रेम प्यार सहयोग सहजता हैं गहने मानवीय मूल्यों में ... झलकते थे दिखते थे अंधकार में. एकजुटता, धर्म-निरपेक्षता, संप्रभुता. आज फिर अखंडता का... Hindi · कविता 4 3 285 Share Mahender Singh 26 Jul 2019 · 1 min read कारवाँ रुकता नहीं कारवाँ चले सिलसिलेवार चले कभी पतवार संग कभी लहर चले होंगे विरोध बडे कोई बीच मझदार कुछ किनारे खडे फिर भी कारवाँ चले सिलसिलेवार चले तुम डरना मत हक छोडना... Hindi · कविता 4 1 237 Share Mahender Singh 29 Jul 2019 · 1 min read गुरुपद एक रुपये की माचिस दस रुपये की धूपबत्ती दूजे स्थापित हो अराध्य देव की मूर्ति ! हों न भले कोई संस्कार चलेगा जरूर व्यापार. अनपढ़ भी चलेगा. मंत्र पढ़ने वाला... Hindi · कविता 4 1 394 Share Mahender Singh 21 Sep 2019 · 1 min read जीवन एक गाथा(धार्मिक व्यथा) जिंदगी एक गाथा है धर्म ही व्यथा है. याद नहीं व्यवस्था. ढलती अवस्था . बढ़ता अस्थमा. सांँसों में अस्त-व्यस्तता. समय में बदलाव. सुबह रही न साँझ. आदमी व्यस्त इतना. लगती... Hindi · कविता 4 1 250 Share Mahender Singh 14 Oct 2019 · 1 min read आपका मत विशेषाधिकार भीड़ बढ़ी है. बड़ी है ! EVM का जमाना. बालू रेत सा टिल्ला, संभलकर चलना, याददाश्त नहीं हैं, इतिहास साक्षी मोम सा पिंघलना, अवशेष नहीं छोड़ता, पहले भी लाक्षागृह. सजे... Hindi · कविता 4 1 305 Share Mahender Singh 8 Dec 2019 · 1 min read जिंदगी और पहल नृत्य प्रकृति करती है अस्तित्व मेरा द्रष्टा हर संयोग उससे जुड़े हुआ, कोई रोता है कोई हँसता, तरंगों का खेल है, सर्प नहीं देखता, चाँदनी रात में ज्वार भाठा बनता... Hindi · कविता 4 3 301 Share Mahender Singh 11 Dec 2019 · 1 min read जिसने कष्ट सहे केवल वे जन्मे जग बदला हाँ बदला नीर क्षीर बदला हाँ हो चुका गदला पहले हिचकी याद थी अब एक बीमारी ढ़कोसलों की सूची में एक कमला एक गमला क्या चित्रकारी है. कोई... Hindi · कविता 4 3 252 Share Mahender Singh 14 Dec 2019 · 1 min read भारतीय लोकतंत्र प्रथम कुछ तो है मेरे देश समाज में, जो इतने हैं खफ़ा खफ़ा, सबकुछ एक है जैसा, फिर भी सबकुछ जुदा जुदा. गर अतीत में है जहर , क्या मिटाना असंभव... Hindi · कविता 4 4 514 Share Mahender Singh 16 Dec 2019 · 1 min read नजरिये नजरअंदाज नहीं होते वो शासक ही क्या ? जिससे प्रजा नाराज न हो ? उठे विरोध और भी ज्यादा ? जो लगे काम हुये ! और भी ज्यादा ! जो माँगे रोटी दिखाकर... Hindi · कविता 4 2 257 Share Mahender Singh 21 Dec 2019 · 1 min read कवाब पर हड्डी माना की बहरे हो पर अन्धे भी हो ये तुमने सिद्ध कर दिया, अब दिमाग कोई मायने नहीं रखता, जो मन आये वो करो ऐसा भी हरगिज़ नहीं होगा. आज... Hindi · कविता 4 1 437 Share Mahender Singh 2 Jan 2020 · 1 min read बिन जीव सब कंकाल ये आस्था/विश्वास/ये ट्रेंडिंग जिस इंसान को खुद ईश्वर ने पैदा किया, उसी इंसान ने मतलबी भगवान. जो देख नहीं सकता उसे आँखें, जो देख सकता है उसे मस्तिष्क, नहीं दिया.... Hindi · कविता 4 232 Share Mahender Singh 24 Jan 2020 · 1 min read स्वतंत्र है फितरती सफ़र धार्मिकता एक तर्ज, भूल गये सब *फर्ज, खुद पर ही चढे कर्ज, खोजते रहे अब मर्ज, पैदा करने होंगे *तर्क. बहुत होगा इनसे फर्क, झड जायेगा बहुत गर्द, तब जाकर... Hindi · कविता 4 1 462 Share Mahender Singh 12 Feb 2020 · 1 min read एकमात्र सत्य असत्य और सत्य अज्ञान और ज्ञान नफरत और प्रेम कमजोर वा प्रबल . द्वंद्व वा द्वैत. ये ही तो वो दो छोर है. इस और हैं या उस उस ओर... Hindi · कविता 4 1 231 Share Mahender Singh 14 Feb 2020 · 1 min read सत्ताविहीन कुछ रचनाएं हो बहुत कुछ घटे तभी तो होगी. मिला है सभी को संभाल पाओगे तभी तो अपनी होगी. गुजार दिया हर मंजर देखते देखते कोई विरोध विद्रोह हो तभी... Hindi · कविता 4 3 337 Share Mahender Singh 21 Dec 2020 · 1 min read डरा सो मरा डर डरकर जो जीवन जिआ करते है डरकर ही **डर से वो *मरा करते है. सीना तान कर जो *सामना करते है वे ही आखिर *इतिहास *रचा करते है. प्रधानमंत्री... Hindi · कविता 4 9 215 Share Mahender Singh 8 Jan 2021 · 1 min read किस ओर किस ओर जाये हम, सूरजमुखी सम संदेश देते हम, या खुद को छुईमुई समझे हम, एक तर्जनी से मुरझाए हम. चट्टान पर्वतों की उठे ज्वार मखमल सी सौगात हम, उठे... Hindi · कविता 4 5 332 Share Mahender Singh 30 Jun 2021 · 1 min read हादसा हादसों से डरों मत, कवायद जारी रख, पर परखने से पहले, हंस खुद को परख जन्म हुआ जिस तरहा, वो भी एक हादसा था, चले जाना है इक दिन. वो... Hindi · कविता 4 3 248 Share Page 1 Next