Mahender Singh Tag: कविता 283 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Mahender Singh 18 Sep 2021 · 1 min read गिरते गया गिरते गया और गिरते ही गया, डर लगने लगा,सबने दिया भगा, कोई काम न हुआ सिवाय प्रचार, सब गिरते गया और गिरते ही गया. . संदेश मेरे तुम तक पहुंचे,... Hindi · कविता 2 2 533 Share Mahender Singh 17 Sep 2021 · 1 min read जिंदगी पल पल जिंदगी मुस्करा रही है. मेरे खौफ की वजह जान कर. थोडे सुगबुगाहट फैल जाती है. भविष्य के उल्लेख करती है.. . सब कुछ बनाया, पेड पौधे बिन खेत... Hindi · कविता 4 4 317 Share Mahender Singh 11 Sep 2021 · 1 min read अनंत संभावनाओं वाला संविधान प्रस्तावना है जिसकी,भूमिका उसी की होगी. मान बढा, सम्मान बढा जय जयकार बढेगी. कर्तव्य पालना कर,जनता कर्तव्यनिष्ठ बनेगी. मौलिक अधिकारों से जागरूकता पनपेगी.. व्यवाहारिक समझ से न्याय मजबूती मिलेगी. गुप्त... Hindi · कविता 2 2 427 Share Mahender Singh 10 Sep 2021 · 1 min read बाधा दौड़ दो पैर वाला जानवर चार पैरों वाले जानवर से तेज दौड लेता है. कभी दो तो कभी चार पैर वाले जानवर इन दोनों से ज्यादा. अपनी पादांगुलियों के सहारे ज्यादा... Hindi · कविता 2 1 477 Share Mahender Singh 9 Sep 2021 · 1 min read राष्ट्रवाद या विवाद ऋतु पतझड़ सा मौसम जड़ें कमजोर पड़ गई है सरकारी संपत्ति छड़ रही लोग कहते इसे राष्ट्रवाद कलियुग कहते मान लेते. लोग संज्ञा शून्य बहुत है. क्या जाने वेदना अभाव.... Hindi · कविता 2 1 433 Share Mahender Singh 8 Sep 2021 · 1 min read माँ और दर्द का परिचय लिख देते दर्द को, कहीं दर्ज नहीं होते, सहती सहलाती पीडा, मर्ज देखे जाते. किलकारियां गूँजती, घर आँगन हर कोना, खुशियों से भर जाता. हर दर्द लिख देता, गर मर्ज... Hindi · कविता 3 3 414 Share Mahender Singh 5 Sep 2021 · 1 min read तबाही की आहट मातम सा पसरा हुआ है, चौतरफ़ा सन्नाटा घेर रहा, हुंकार भरे हंस कोई कैसे देखों श्मशान भरे पडा है. . बहती लाशें कुछ कह रही, निचोड कर फेंक दिया है.... Hindi · कविता 3 4 438 Share Mahender Singh 5 Sep 2021 · 1 min read गुरु शब्द द्वंद्वात्मक चाहत सिखलाया करती है, यही खोज कर लाती है, मानव को मुमुक्षु बनाती है, यही है शिक्षा में आधार. . परिचायक है यही, चाहत. यही है कर्मो के पीछे, निसर्ग... Hindi · कविता 4 4 313 Share Mahender Singh 3 Sep 2021 · 1 min read मेरा भारत महान ये भारत है, अनंत संभावनाएं जहां, भौगोलिक स्थिति प्रबल जहां तहां. छ: ऋतुओं का स्पष्ट समागम जहां. कण मण अति ऊर्जावान देख यहां. दुनियाभर के आठ धर्म,एकधाम जहां. सबसे बड़ा... Hindi · कविता 1 1 255 Share Mahender Singh 29 Aug 2021 · 1 min read कूटनीति *व्यंग्य रचना* कूटनीति जब, परास्त करने का मार्ग नहीं, कूट+नीति *लाठीचार्ज* बल प्रयोग बन जाता है, वहाँ नाम का *लोकतंत्र वा *संविधान महज एक पुस्तक रह जाते है । Mahender... Hindi · कविता 3 2 621 Share Mahender Singh 28 Aug 2021 · 1 min read किसान और मजदूर छुपाकर दर्द अपने, भूलाकर वेदना अपनी, दो रूखी सूखी रोटी एक प्याज एक पानी की तिरपाल से बनी बोटल खेत की और पैदल चला. मालिक नहीं मजदूर बन पहले खुद... Hindi · कविता 5 6 510 Share Mahender Singh 28 Aug 2021 · 1 min read सियासत सही को सही गलत को गलत गफलत पर संज्ञान लेने वाले भले थोडे हैं, हुकूमत के सुन बयान कोरे है छीन लेते है जो निवाले भूखे से वे किसान मजदूर... Hindi · कविता 4 4 281 Share Mahender Singh 26 Aug 2021 · 1 min read मानसिक प्रवृति किसलिए आवेशित होना, वो हवा में, हम जलमग्न, असुरक्षित दोनों वो हम, धरा जिसे मिले वो मग्न. . इख्तियार करनी पड़ती है, जमीं घर हो,समाज या देश. कुछ पल चले... Hindi · कविता 2 2 281 Share Mahender Singh 24 Aug 2021 · 1 min read वर्तमान में देशहित पटकथा हार में भी,जीत का जश्न, कैसा चल पड़ा ये फैशन. खत्म हुई जब पुरानी पेंशन, मुलाजिम की उड़ गई नींद.. और बढ़ गई जब टेंशन.. मना रहे थे .. हार... Hindi · कविता 3 2 173 Share Mahender Singh 20 Aug 2021 · 1 min read निबंध व्यंग्य कविता अधिकारी कहो या ऑफिसर या कहो अफ़सर या कहे निबंध. इनके औहदे पर कोई फर्क नहीं पडता, मालूम नहीं कैसा, है व्यवहार इनके, कोई नहीं समझता. सुना है ये सरकारी... Hindi · कविता 3 2 621 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read पाप पुण्य *व्यंग्य कविता* थोडे अतीत में लोगों का कहना था, सोये हुए को मत जगाओ, पाप लगेगा. आजकल पुण्य ही. सोये हुए को जगाने से बनता है. डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस Hindi · कविता 3 2 452 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read बेचारे विधायक *व्यंग्य कविता* इन बेचारों के वश की बात नहीं, न ही इतना जज्बा की विद्रोह कर सके, घोषणाएं तो होती है. मगर कागजात पर, हाथ कुछ नहीं. सही कहे तो... Hindi · कविता 2 2 453 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read खौफ का मंजर भक्ति आपको अपने कृत्यों में या तो विश्वास होगा या नहीं होगा, विचारों का मंथन होगा. या तो शक पैदा होगा. या तो धारा मिल जायेगी. जैसा आप जैसा कोई रहा... Hindi · कविता 3 2 197 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read आँख वाले अंधे सबकुछ है जहान् में कबूलनामे.. भक्त के भक्तों के कहिन है. सबकुछ है जहान् में. पर वो नहीं है..... मतलब खास है वह अलग थलक है. क्योंकि वह ऐसा सोचता... Hindi · कविता 3 2 214 Share Mahender Singh 18 Aug 2021 · 1 min read तिल का ताड़ वर्चस्व स्थापित करना ही भगवता है, निसर्ग के दुश्मन और धार्मिक कभी हो पाया है. भक्त पर झलक और उसके कृत्य ये साबित करते आये है. वह हक को ध्यान... Hindi · कविता 3 2 567 Share Mahender Singh 17 Aug 2021 · 1 min read हित पर व्यंग्य कविता अपना हित चाहोगे गलत ही होगा. जिसे कोई अजनबी खोजता है, वह सार्वजनिक स्थल पर बसता है, और जो ऐसे स्थलों को अपनी बपौती समझता है, समझो, वह अधर्मी है,... Hindi · कविता 2 3 546 Share Mahender Singh 16 Aug 2021 · 1 min read याद आते रहा हूँ आते रहूंगा याद यूं ही मुझे अठखेलियों में खोजते रहना. भूल पडे जो बचपन मे देखना बुढापे में खोजना रह जाये गर कमी महकते फूलों में गुलिस्तां... Hindi · कविता 4 5 357 Share Mahender Singh 16 Aug 2021 · 1 min read प्रबल कुछ भी मिल जाये, मुकद्दर फिर भी नहीं, किस्मत बांझ है, है तुम्हारे अपने, किये धरे, बस तुम भूल गये ! . प्रबल फिर भी विचार, निर्णय फिर. समझ ले... Hindi · कविता 3 3 236 Share Mahender Singh 15 Aug 2021 · 1 min read डर *डर की भी,अपनी अभिव्यक्ति है, वह शोर कर करके हिम्मत जुटाता है, चुनिन्दा लोगों पर निशाने बनाकर *खौफ़ फैलाता है, बिन पूछे हवा हवाई बातें करता है. वह विरोध से... Hindi · कविता 3 3 380 Share Mahender Singh 15 Aug 2021 · 1 min read व्यंग्य कविता, प्रथम योग्यता प्रथम योग्यता जाति, कभी भुलाई नहीं जाती कर्म सिद्धांत को ठिकाने लगाती व्यर्थ के छल धरती, किसी को हीन. श्रेष्ठ सम्मान बढाती. अनपढ़ को भी द्विवेदी त्रिवेदी, चतुर्वेदी नहीं तो... Hindi · कविता 2 4 569 Share Mahender Singh 15 Aug 2021 · 1 min read व्यंग्य कविता आज देश तमाशे वा तमाचों के दौर से गुजर रहा है जो झेल रहे है उन्हें सांत्वना, जो झोल मे है, उन्हें सद् मार्ग मिले, ऐसी कामना के साथ, वो... Hindi · कविता 2 2 462 Share Mahender Singh 14 Aug 2021 · 1 min read तुम कर सकते हो तुम कर सकते हो मुकाबले, भले हो खानाबदोश कबीले, रक्षा करनी तुम्हें आती है ले, उत्पाद हो पास, बेच धन ले. भले हो खानाबदोश कबीले. तुम कर सकते हो मुकाबले.... Hindi · कविता 2 2 533 Share Mahender Singh 14 Aug 2021 · 1 min read सुई धागा और कैंची सुई कहने से चुभ नहीं जाती, कैंची कहने से कोई कट नहीं जाता, चलते संभलकर कोई. कोई कंटक पैर में चुभ न पाता, चुभ भी गर, जाता, सुई से ही.... Hindi · कविता 3 3 850 Share Mahender Singh 11 Aug 2021 · 1 min read ये बस्तियां ये बस्तियां नाविक और किस्ती, होती है इनमें,देखो अजीब मस्ती एक से बढकर एक रहती हस्ती ठेकेदार मिस्त्री बेलदार समस्ती शराब पहुंचती यहां बहुत सस्ती बालक बूढ़े और जवान अवस्थी... Hindi · कविता 2 2 351 Share Mahender Singh 10 Aug 2021 · 1 min read राजनेता कोई नई बात नहीं, कहकर भूल जाना, झूठ के पुलिंदे छापे जहां भी वे है जाते वहीं के बाँध लें साफे, जमात कर ले इकट्ठे सभी एक जैसे बैठे समान... Hindi · कविता 3 3 371 Share Mahender Singh 10 Aug 2021 · 1 min read कभी कभी कभी कभी, हमेशा नहीं दे जाते है ,दस्तक अवसर लोग मशगुल है अक्सर. शौकीन मनोरंजन पर. खलता है अकेलापन, लगाकर लीड कानों में. खो देता है निज जीवन सो जाते... Hindi · कविता 3 3 545 Share Mahender Singh 10 Aug 2021 · 1 min read शौक *व्यंग्य कविता आपके शौक छीन लेते है. उनके हक, . फर्क नहीं पडता फिर कोई बसे या उजड़े . आपके शौक श्मशान की राख पर, आपकी शाख बनी रहनी चाहिए.. Hindi · कविता 3 2 329 Share Mahender Singh 10 Aug 2021 · 1 min read फैसले *व्यंग्य मेरे फैसले थोडे जज्बाती हैं, अपनी भावनाओं के थैले मुझे बाँधकर दे दे. मुझे पैसे वालों के बहुत काम करने हैं. Hindi · कविता 5 3 334 Share Mahender Singh 10 Aug 2021 · 1 min read जय जयकार *व्यंग्य जय जयकार के नारों में, शामिल कुछ लोग, घर वापिस लौटे, घर के भीतर, नजारे, कुछ ऐसे थे, भीतर चाम, माँस के लोथड़े, बाहर थे .. अहित कर आये... Hindi · कविता 3 3 326 Share Mahender Singh 9 Aug 2021 · 1 min read मन की पुष्टि एक दृश्य जो देखते बनता है, सप्तरंगी इंद्रधनुष एक घोडे पर सवार एक बोझिल तुरंग चित्रित करते कैनवास है कौन सा दृश्य. जिसे कहे हम. एक दृश्य जो देखते बनता... Hindi · कविता 3 2 674 Share Mahender Singh 8 Aug 2021 · 1 min read देशहित राष्ट्रवाद मैं ये सोचकर चुप रहा शायद ! वाकिफ हो तुम, देशहित राष्ट्रवाद की मुहिम से, और सबकुछ बदलते गया. Hindi · कविता 5 4 306 Share Mahender Singh 8 Aug 2021 · 1 min read ताज्जुब व्यंग्य भी हास्य भी. कविता. ताज्जुब. . माना कि तुम समझदार हो, सामने वाले को भी तो.. बेवकूफ मत समझो... सरकारी कुछ नहीं रहेगा. न शिक्षा, न ही चिकित्सा. हकीकत... Hindi · कविता 5 4 406 Share Mahender Singh 3 Aug 2021 · 1 min read हास्य, तुम लिखते रहो तुम लिखते रहो यहाँ थूकना मना है. मौके की तलाश में लोग वहीं थूकते, देखे गये. . लिखे गया यहां पेशाब करना मना है. साथ में लिखा, देखो गधा मूत... Hindi · कविता 5 5 450 Share Mahender Singh 2 Aug 2021 · 1 min read भूख भूखे की शिनाख्त हो, फिर लंगर में इलाज, मान लेना, जान लेना, फिर ब्राह्मण वैश्य या शूद्र. . मन की पहले पहचान. फिर धार्मिक अहसान. कौन बडे, छोटे कौन.. देखे... Hindi · कविता 4 3 608 Share Mahender Singh 30 Jul 2021 · 2 min read निचोड कुछ ही पंक्तियों में निचोड, नाम श्लोगन, नीति, योजना. आगे दौड पीछे छोड. भागे जैसे बैरक तोड़. नोटबंदी कालेधन पर रोक. भले भरे स्विस बैंक भंडार. अब आयेगा धन,जेब से... Hindi · कविता 7 5 544 Share Mahender Singh 30 Jul 2021 · 1 min read वजह वजह में वजह अज्ञात से ज्ञान काम से काम नहीं कोई धाम बहुमूल्य चाम. नक्श और नयन. प्राकृतिक देन. हंस गये लेन. नहीं अल्लाह देन देखो और खोजे येनकेन प्राकरेण.... Hindi · कविता 6 3 377 Share Mahender Singh 30 Jul 2021 · 1 min read बदरा घूमड घूमड बदरा आई, हरियाली छाई फूट गई सूखी कंदरा.. खिल आई बंद डोडी. टर्र टर्र टर्राते मेंढक. शीत निद्रा तोड़ आये कछुए हरियाली छाई घूमड घूमड बदरा आई, .... Hindi · कविता 5 4 599 Share Mahender Singh 29 Jul 2021 · 1 min read उसूल जब एक उसूल दूसरे से मिला, कहने लगा हमें बनाकर लोग वसूली केंद्र लेते है बना. व्यर्थता रोक लेते है जगहां, समझ कर सिगरेट, लेते है जला, शरीर अपना, दुभर... Hindi · कविता 3 3 527 Share Mahender Singh 22 Jul 2021 · 1 min read व्यवाहरिक त्रुटि जैसा की सभी को ज्ञात है. व्यवाहरिक कला साथ है. हंसी ठहाके निकलने लगे. सहनशक्ति कमतर होती गई, मनुष्य जाति विक्षिप्त हो गई. व्यवाहरिक प्रभाव घूमिल हुआ, चमन का चैन... Hindi · कविता 3 2 483 Share Mahender Singh 19 Jul 2021 · 1 min read कुछ ही समय पहले कुछ ही समय पहले की बात है, आपदा प्राकृतिक हो, समझ आती है. मामले प्रबंधन के हों, गैर जमानती है. बात रोटी की हो, भूख पहली बात है. मजदूरी देने... Hindi · कविता 5 3 370 Share Mahender Singh 18 Jul 2021 · 1 min read फैसले चंद लोग ही लेते है फैसले सक्षम भी वे ही, कुछ विभिषण हैं, कुछ जयचंदी. असफल फैसले में, लोग हर नंदी, . फँसे रहते मुख मायावी, जीव मुख एक ईश्वर-वादी,... Hindi · कविता 4 3 476 Share Mahender Singh 18 Jul 2021 · 1 min read विचार और बुद्धि किसी को पहचानने में दिक्कत न हो, . आँख मिली है, कान है, स्पर्श है, इन सबका तारतम्य विचार और बुद्धि. . जिसे जानना ही नहीं, भक्ति करनी है, असहाय... Hindi · कविता 7 7 532 Share Mahender Singh 15 Jul 2021 · 1 min read पतंग झूमते उसे आते देखते, चढते उसे आकाश में देखते, . कटी है जुडी है जरा डोर को संभाल पाते अटक गई सांस गर्दन से लिपट कर . उतर गई एक... Hindi · कविता 4 4 1k Share Mahender Singh 15 Jul 2021 · 1 min read लेखनी लेखक कुछ लिखते हैं क्या लिखते हैं क्यों लिखते है किसलिए लिखते है चातक ही जाने एक बूंद पानी की कीमत किल्लत समझ आती है, जरूरतें पूरी न हो, व्याकुलता... Hindi · कविता 3 3 551 Share Mahender Singh 14 Jul 2021 · 1 min read खोल दें मुठ्ठी लेकर आये जो कहानी झूठी, खुली नहीं कभी देने को मुठ्ठी, दोनो हाथ बढा कर खाए मठ्ठी पकौड़े तले नाले पर लगा भट्ठी, नाले की गैस के सूत्रधार कट्टी. मजाक... Hindi · कविता 4 3 428 Share Previous Page 2 Next