कवि विपिन शर्मा Language: Hindi 71 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 कवि विपिन शर्मा 18 Jan 2018 · 1 min read कविता मन की बातें बहुत हुईं इक काम करो अब मोदी जी, छप्पन इंची सीने का सम्मान करो अब मोदी जी। भारत का हर एक नौजवां केवल इतना चाह रहा, देश... Hindi · कविता 389 Share कवि विपिन शर्मा 18 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक अमरीका से हुई दोस्ती, और अहं में फूल गए, शेरों जैसी चाल बची ना, सत्तामद में झूल गए। भारत का हर एक नौजवां यही कह रहा मोदी जी, छप्पन इंची... Hindi · मुक्तक 397 Share कवि विपिन शर्मा 18 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक छप्पन इंची छाती वाले ख़ून के आँसू रोए होते, अब तक बदला ले लेते, ना सत्तामद में खोए होते। होता ये एहसास तुम्हें भी, दर्द मौत का क्या होता है,... Hindi · मुक्तक 383 Share कवि विपिन शर्मा 18 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक मिले जो जख्म अपनों से, नहीं आसान था सीना, जहां में है बड़ा मुश्किल, लहू के घूंट को पीना। कभी गिरकर उठे, उठकर गिरे, गिरकर उठे फिर से, गुजरते वक्त... Hindi · मुक्तक 712 Share कवि विपिन शर्मा 18 Jan 2018 · 1 min read कविता सत्ताधीशों आप सभी का, इतना सोना ठीक नहीं, ज़्यादा दिन तक गांधीवादी, सोच को ढोना ठीक नहीं। खुली छूट सेना को दे दो, आर-पार हो जाने दो, बाँध हाथ पर... Hindi · कविता 595 Share कवि विपिन शर्मा 18 Jan 2018 · 1 min read व्यंग्य दाएँ को बायाँ ही बताया करते हैं। दर्पण भी सच कहाँ दिखाया करते हैं।। -विपिन शर्मा Hindi · तेवरी 253 Share कवि विपिन शर्मा 18 Jan 2018 · 1 min read अपना तो यही मिज़ाज है___ ग़लत बात बर्दाश्त नहीं है, ग़लत नहीं सुनकर दूँगा। जिस भाषा में बोलोगे, उस भाषा में उत्तर दूँगा।। -विपिन शर्मा Hindi · तेवरी 275 Share कवि विपिन शर्मा 18 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक वफ़ा को वेवफा, और वेवफा को वावफ़ा लिक्खें, सुलगती दोपहरी को भी, ये सावन की घटा लिक्खें। बदलते वक्त से मजबूर हैं, नारद के वंशज भी, ये सच को झूठ... Hindi · मुक्तक 282 Share कवि विपिन शर्मा 17 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक दिल में हो गर दर्द भरा, तो होंठ भला मुस्काएं कैसे, कोहराम चहुंओर मचा हो, तो मल्हार सुनाएं कैसे। हरियाली तब ही आएगी, भू औ वातावरण सही हो, हो जमीन... Hindi · मुक्तक 361 Share कवि विपिन शर्मा 17 Jan 2018 · 1 min read टूटने का महज मंजर दिखाई देता है टूटने का महज मंजर दिखाई देता है! नहीं महफूज अब ये घर दिखाई देता है!! मैं कब तलक तुम्हें सीने से लगाऊंगा भला, तुम्हारे हाथ में खंजर दिखाई देता है!!... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 182 Share कवि विपिन शर्मा 17 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक अब मिमियाना बन्द करो, आंखों के डोरे लाल करो, दुश्मन के खूं से अभिसिंचित कर ये धरा निहाल करो। छप्पन इंची सीने वालो, इतना कह दो सेना से, खुली छूट... Hindi · मुक्तक 378 Share कवि विपिन शर्मा 17 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक मवाली और गुंडों की हिफाजत हो गई है, धर्म के नाम पर गंदी सियासत हो गई है। अमन के साथ हम सब चाहते रहना हैं लेकिन, सियासत को लहू पीने... Hindi · मुक्तक 553 Share कवि विपिन शर्मा 17 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक दो पैसे क्या मिले अहं में, हम सब कितना फूल गए, अपनी छोड़ सभ्यता, पश्चिम की संस्कृति में झूल गए। हवा चली बदलाव की ऐसी, जिसने इतना बदल दिया, हनी... Hindi · मुक्तक 446 Share कवि विपिन शर्मा 16 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक मद्धम हवा का बदला, आवेश हो गया है, जो कर रहा कलंकित, परिवेश हो गया है। केसर की क्यारियों में, हैं बीज नफ़रतों के, कश्मीर मानो दूजा, कोई देश हो... Hindi · मुक्तक 485 Share कवि विपिन शर्मा 16 Jan 2018 · 1 min read टूटने का महज मंजर दिखाई देता है टूटने का महज मंजर दिखाई देता है! नहीं महफूज अब ये घर दिखाई देता है!! मैं कब तलक तुम्हें सीने से लगाऊंगा भला, तुम्हारे हाथ में खंजर दिखाई देता है!!... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 218 Share कवि विपिन शर्मा 16 Jan 2018 · 1 min read दिल से दिल को मिलाकर कभी देखिये खामियों को भुलाकर कभी देखिये, शक का पर्दा हटाकर कभी देखिये! प्रीत खुद जाग जायेगी करिये यकीं, दिल से दिल को मिलाकर कभी देखिये!! रोते चेहरे हंसाकर कभी देखिये, दर्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 279 Share कवि विपिन शर्मा 15 Jan 2018 · 5 min read तेजी से पनपता अंधविश्वास का कारोबार इक्कीसवीं सदी,जिसमें हमने अमूमन हर क्षेत्र में ही विकास के नए आयामों को छुआ है। इसके बावजूद आज भी धर्म, आस्था और विश्वास के नाम पर सालोंसाल से होते चले... Hindi · लेख 524 Share कवि विपिन शर्मा 15 Jan 2018 · 1 min read हमने कभी कलम न बेंची.... हमने कभी कलम न बेची हर दिन इक इतिहास लिखा! हो बेखौफ सदा ही हमने औरों से कुछ खास लिखा!! कमजोरों का दर्द और चेहरा गमगीन उदास लिखा! लिखा भूख... Hindi · कविता 320 Share कवि विपिन शर्मा 15 Jan 2018 · 1 min read हर पल आगे बढ़ना सीखो... हर पल आगे बढ़ना सीखो। हर पल आगे बढ़ना सीखो।। सच्चाई के बल पर जग में। सदा बुलंदी चढ़ना सीखो।। राह नहीं आसान है कोई। हर मुश्किल से लड़ना सीखो।।... Hindi · कविता 702 Share कवि विपिन शर्मा 15 Jan 2018 · 1 min read कहते हैं फौलाद जिसे.... कहते हैं फौलाद जिसे, अब उस ताकत को पहचानो! सहनशीलता को भारत की अब कमजोरी मत मानों!! लहरें समुंद्र की मचलती हैं तब लांघ सीमाओं को वे तूफान बन जाती... Hindi · गीत 292 Share कवि विपिन शर्मा 15 Jan 2018 · 1 min read सिर्फ पछतावा रहे, मौक़ा निकल जाने के बाद सिर्फ पछतावा रहे, मौक़ा निकल जाने के बाद। याद आएगी जवानी, उम्र ढल जाने के बाद।। दिन का उजाला, निशा की चांदनी भाती बहुत। लोग सो जाते हैं पर, शमां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 271 Share Previous Page 2