अनिल "आदर्श" 47 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read यह जीवन .... यह जीवन .... इतनी भी आसान नहीं है.... यहां तो भगवान को भी हर दुख दर्द से गुजरना पड़ता हैं ! चाहे राम कहो या श्याम शिव कहो या शंकर........ Poetry Writing Challenge-3 2 89 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read गर्मियों की छुट्टियां गर्मियों की छुट्टियां इसका इंतजार साल भर रहता था नाना के घर जाने को जो मिलता था और फिर छतों पर सोना,तारे गिनना बारिश होने पर चादर लपेटना सूरज का... Poetry Writing Challenge-3 1 49 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read We have returned from every door of life, We have returned from every door of life, But we could not get your company, Life is an unsolved puzzle, Life is like a lonely life without my beloved, It... Poetry Writing Challenge-3 63 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read कभी-कभी खामोशी की, कभी-कभी खामोशी की, चादर ओढ़ लेता हूं । उसे अपना हमसफर बना, अपने अंतर्द्वंद को मिटा लेता हूं। ऐसा नहीं खामोशी मेरी पसंद है, परंतु किसी की भावनाओं, को ठेस... Poetry Writing Challenge-3 56 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read स्त्री की कहानी स्त्री की कहानी सलाह माँगती है आज मेरी आत्मा तेरी आत्मा से...... एक सलाह मांगती है। कि, खुद को जिंदा रखने की खातिर, तेरे हीं साँसों में...... पनाह चाहती है।... Poetry Writing Challenge-3 51 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read बदली गम की छंटती, चली गई धीरे धीरे बदली गम की छंटती, चली गई धीरे धीरे राह जीने की बनती, चली गई धीरे धीरे। लगता तो था ना ज़ी पाऊँगा बिन उसके आदत जीने की पड़ती, चली गई... Poetry Writing Challenge-3 56 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 2 min read कभी पत्नी, कभी बहू कभी पत्नी, कभी बहू कभी भाभी, कभी मामी। और अक्सर देवरानी या जेठानी। या फिर चाची, ताई। सारे रिश्ते निभाते निभाते और ज़िम्मेदारियाँ उठाते उठाते, जब थक सी ज़ाती हैं... Poetry Writing Challenge-3 49 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read अब ऐसी कोई लालसा नहीं अब ऐसी कोई लालसा नहीं की बच्चों सी मैं दिखती रहुं। बच्चों को दोस्त,बहन बताती फिरुं मुझे अपनी उमर का ही दिखना हैं मैच्योर हो सफेदी के रंग भरना हैं... Poetry Writing Challenge-3 47 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read क्या मंद मंद मुस्कराते हो क्या मंद मंद मुस्कराते हो अंदर ही अंदर मरते जाते हो अब खुल के तुम भी हँस लिया करो ऐसे क्यूँ भला शर्माते हो तुम किस बात का डर भला... Poetry Writing Challenge-3 47 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read समय का इंतज़ार किसी ने मुझसे कहा हममें क्या अच्छा लगा, हमने हंसकर कहा तू इंसान अच्छा लगा । यूं तो सब में होती है कोई न कोई बात मगर जो तुझमें है... Poetry Writing Challenge-3 65 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read बीते पल जो छूट गया उसका क्यूं मलाल करें, जो हासिल है चलो उनसे ही सवाल करें,, बहुत दूर तक जाते हैं यादों के काफिला फिर क्यों बीती यादों में सुबह से... Poetry Writing Challenge-3 50 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read औरत तेरी कहानी औरत तेरी यही कहानी... होंठो पर मुस्कान आखो में पानी.. न ससुराल है न मायका... ना पति है ना बेटा... दोनों से है रिश्ता तेरा... पर तू न किसी के... Poetry Writing Challenge-3 46 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read अभिमान माना वो धनवान बहुत है, पर उनको अभिमान बहुत है। गया आसमा पर है जब से , रिश्तों से अनजान बहुत है । अश्क़ छुपाये है आँखों में होठों पर... Poetry Writing Challenge-3 30 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read दिल की धड़कनों को मुझपर वार दे, दिल की धड़कनों को मुझपर वार दे, आ मुझे जी भर के तू अपना प्यार दे। महक जाऊँ मैं तेरे इश्क़ की खुश्बू से, तू मुझे मिलकर कोई ऐसी बहार... Poetry Writing Challenge-3 41 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read प्यार का पैगाम कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! मगर दिल की बेचैनी को बस बादल समझता है !! मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है !... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 35 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read गुब्बारा रंग बिरंगी गुब्बारा वाला, बेचने आया शहर में । कैसे कहूं डर लगता था मम्मी से घर में । मन ही मन सोचा था मैने गुब्बारा लाऊ घर में। तब... Poetry Writing Challenge-3 1 31 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read गांव का दर्द जल्दी जल्दी जात रहली, पैदल अपने गांव। गर्मी के मौसम रहल, छाला पडल पाँव। कहि नाही मिलल हमरा, अपना निमिया के छाँव। पानी बिना सुखल मिलल, सब पोखरा आपन गांव... Poetry Writing Challenge-3 1 59 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read मै हारा नही हूं माना कि सूरज की तरह तेज उजियारा नहीं हूँ... अंधेरों से मगर मै कभी हारा नही हूँ... झरना ही सही छोटा सा मगर... मैं समुंदर की तरह खारा नहीं हूँ.... Poetry Writing Challenge-3 1 59 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read मौत का डर जिंदगी एक पतंग की डोर है, जो बिन पूछे चली जाती है। तलवार की धार पर खड़े है लोग, पता नही चलता कब कट जाती है। एक पल की जिंदगी... Poetry Writing Challenge-3 74 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read स्वार्थी आदमी अजीब है लोग सुख में साथ देते है, तनिक भी दुःख हुआ तो छोड़ देते है। स्वार्थी बन गये सब अपने लोग, बस अपने काम का मोह देते है। मरने... Poetry Writing Challenge-3 1 1 68 Share अनिल "आदर्श" 14 May 2024 · 1 min read हाय रे गर्मी हाय रे गर्मी क्यूं इतना इतराती हो, बच्चे, बूढ़े सबको रुलाती हो। बेचैन है लोग आपके सितम से, इसीसे इतना तडपाती हो। कभी तो दया करो इन मासूम पर, बारिश... Poetry Writing Challenge-3 69 Share अनिल "आदर्श" 12 May 2024 · 2 min read अपना गांव केतना बदल गइल बा गांव” घर घर संस्कृति शहर वाली लागल पसारे पाँव एसी/कूलर के हवा में दब गइल बरगद के छाँव समय के संगे केतना बदल गइल बा गांव... Poetry Writing Challenge-3 1 99 Share अनिल "आदर्श" 12 May 2024 · 2 min read नारी अक्ल बाँटने लगे विधाता, लम्बी लगी कतारी । सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी ।। सभी नारियाँ कहाँ रह गयीं, था ये अचरज भारी । पता चला... Poetry Writing Challenge-3 76 Share अनिल "आदर्श" 12 May 2024 · 1 min read मलाल मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है, ये आंख रोने की शिद्दत से लाल थोड़ी है!! बस अपने वास्ते ही फ़िक़्रमंद हैं सब लोग, यहां किसी को किसी का ख़याल... Poetry Writing Challenge-3 50 Share अनिल "आदर्श" 12 May 2024 · 1 min read बेटा सोचता हूं कि अब कुछ बेटों पर भी लिखा जाये------- घर की रौनक है बेटियां, तो बेटे हो-हल्ला है, गिल्ली है, डंडा है, कंचे है, गेंद और बल्ला है, बेटियां... Poetry Writing Challenge-3 93 Share अनिल "आदर्श" 11 May 2024 · 2 min read आपन गांव "केतना बदल गइल बा गांव" घर घर संस्कृति शहर वाली लागल पसारे पाँव एसी/कूलर के हवा में दब गइल बरगद के छाँव समय के संगे केतना बदल गइल बा गांव... Hindi 184 Share अनिल "आदर्श" 11 Jan 2024 · 1 min read ऐ जिंदगी मुहब्बत से दुनिया किसी की सजाले, चुराना है ग़र तो ग़मों को चुराले। नहीं साथ जाएगी धन और दौलत, कमाना है ग़र कुछ, दुआएं कमाले। नहीं अब रुकेगा सफ़र मंज़िलों... Hindi 547 Share अनिल "आदर्श" 27 Dec 2023 · 1 min read एक फूल जब मैं गया फूल तोड़ने पेड़ मुझसे बातें करने लगी पुछने लगी क्यों तोड़ रहे तुम मेरे डाल से फूल? क्या अच्छी नहीं लगती मेरे लाल पीले सफेद फूल! मैं... Hindi 562 Share अनिल "आदर्श" 23 Dec 2023 · 1 min read क्या लिखूं? थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज्बात लिखूं या हालात लिखूं.. तेरे इश्क़ को अपने साथ लिखूं, या मेरे हाथों में तेरा हाथ लिखूं.. तुझे देखूं फिर तेरी बात लिखूं,... Hindi 1 428 Share अनिल "आदर्श" 11 Dec 2023 · 1 min read ऐ जिंदगी हर ख्वाहिश कहां किसी की पूरी है, ज़रा ही सही जिंदगी सबकी अधूरी है। महफिल तेरी है तो किस्से भी तेरे होंगे, मुझे दिल का दर्द सुनाने की मंजूरी है।... Hindi 588 Share अनिल "आदर्श" 6 Dec 2023 · 1 min read सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती, सदा मन की ही की तुमने मेरी मर्ज़ी पढ़ी होती, मेरी पलकों से वो भीगी हुयी अर्ज़ी पढ़ी होती, तेरी नज़रों में ही महफ़ूज़ रह जाती वफ़ा मेरी, जो अपने... Quote Writer 256 Share अनिल "आदर्श" 6 Dec 2023 · 1 min read ख़्वाब सजाना नहीं है। ख़्वाब सजाना नहीं है। हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है। बहुत की हैं गलतियां पहले,अब उन्हें दोहराना नहीं है। दोस्त बने चाहें दुश्मन ,अब... Quote Writer 2 245 Share अनिल "आदर्श" 6 Dec 2023 · 1 min read हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है। हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है। बहुत की हैं गलतियां पहले,अब उन्हें दोहराना नहीं है। दोस्त बन चाहें दुश्मन ,अब किसी से घबराना नहीं... Hindi · Quote Writer 567 Share अनिल "आदर्श" 12 Nov 2023 · 1 min read शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा। शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा। शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोऽस्तुते।। दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं। Quote Writer 693 Share अनिल "आदर्श" 12 Nov 2023 · 1 min read दीपावली एक दिया ऐसा भी हो, जो भीतर तलक प्रकाश करे। एक दिया मुर्दा जीवन में, फिर आकर क़ुछ श्वास भरे। एक दिया सादा हो इतना, जैसे सरल साधु का जीवन।... Hindi 2 1 638 Share अनिल "आदर्श" 9 Nov 2023 · 1 min read तन्हाइयां मिल जाये कभी अगर आँखे दिलनशी से, कौन रोक पाए फिर दिल - ए -नादान को। गिर गई हो जिसकी दीवारों समेत छत भी, फिर कौन समझे आशियाँ उस मकान... Hindi 2 1 621 Share अनिल "आदर्श" 20 Aug 2023 · 1 min read मेरा गांव तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है । ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तू बच्ची को भी हुस्न - ए... Hindi 1 928 Share अनिल "आदर्श" 8 Aug 2023 · 2 min read सुहागन का शव 💔 सुहागन का शव 💔 ******************** एक लेखक नदी के पास खड़ा था ! तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था। तो तभी... Hindi 1 1k Share अनिल "आदर्श" 3 Aug 2023 · 1 min read सामाजिक रिवाज नमस्कार को टाटा खाया, नूडल को खाया आटा। अंग्रेजी के चक्कर में, हुआ बहुत ही घाटा। माता को मैम खा गया, पिता को खाया डैड । दादाजी को ग्रैंडफादर खा... Hindi 2 1 1k Share अनिल "आदर्श" 2 Aug 2023 · 1 min read रिमझिम बारिश रिमझिम बारिश रिमझिम रिमझिम आई बारिश, मन को खूब भाया। फुदक फुदक कर नहलाए हम, तन में ठंडक आया। गरज गरज कर बादल छाए, बिजली कड़की चमक चमक कर। सब... Hindi 1k Share अनिल "आदर्श" 26 Jul 2023 · 1 min read अनिल "आदर्श " अनिल "आदर्श " परास्नातक हिंदी, बीएड कोचस, रोहतास, बिहार स्थायी पता - वाराणसी ऊ. प्र. Hindi · Quote Writer 252 Share अनिल "आदर्श" 26 Jul 2023 · 1 min read आग हूं... आग ही रहने दो। धधकती आग की एक चिंगारी हूं, लहकती ज्वाला सी एक चिंगारी हूं। राख कर दूंगी जब आगोश में आओगे, ऐसी हरकत की एक चिंगारी हूं। फितरत है मेरी छूने पर... Hindi 2 836 Share अनिल "आदर्श" 25 Jul 2023 · 1 min read एक बेटी हूं मैं एक बेटी हूॅं मैं......... सही हो कर भी गलत हूॅं मैं, ज़रूरत के वक्त अपनों के बीच अकेली खड़ी रह जाती हूॅं मैं, शायद इसलिए क्योंकि... एक बेटी हूॅं.....मैं..! अपने... Hindi 2 1 1k Share अनिल "आदर्श" 25 Jul 2023 · 1 min read चुलबुली मौसम बारिश का मौसम आया, मन को मेरे भाया। गर्मी से निजात मिलेगी, अब बादल भी छाया। रिमझिम रिमझिम फुहारों में, तेज हवा चलने लगी। ठंडक ने भी दस्तक दे दी,... Hindi 1 1k Share अनिल "आदर्श" 20 Jul 2023 · 1 min read देखो भालू आया देखो देखो भालू आया, मदारी ने नाच नचाया। भालू ने ऐसा नाच दिखाया, मेरे मन को खूब भाया। मन करता कि इसके साथ, हम भी भालू बन जाऊं। मटक मटक... Hindi · कविता 1 822 Share अनिल "आदर्श" 20 Jul 2023 · 1 min read नादान प्रेम बेटी! तू जल जायेगी, आग के गलियारों में। प्यार नहीं बस कामुकता है, यह झूठे बाजारों में।। जिसके पीछे पागल हो, वह प्यासा है तेरे तन का। किया न्यौछावर क्यों... Hindi 1k Share अनिल "आदर्श" 20 Jul 2023 · 1 min read बचपन बचपन में हम अजीब हरकत करते हैं, ना खयाल घर का, ना परवाह डर का कब हो जाती शाम खेलते खेलते। मार पड़ती जब मम्मी पापा की, सो जाते बिलखते... Hindi 784 Share