अर्जुन सिहँ kaluram ji Language: Hindi 22 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अर्जुन सिहँ kaluram ji 6 Aug 2019 · 1 min read हे युवा तू जाग जा हे युवा तू जाग जा । नशे की दुनिया से बाहर आ । छोड़ दे गुटखा खैनी पान सुपारी शराब। है युवा तू जाग जा। नशे ने तेरा घर परिवार... Hindi · कविता 610 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 31 Jul 2019 · 1 min read मेरे सपनों की उड़ान मेरे सपनों की उड़ान कुछ इस कदर है। हर पद को पाना चाहता हूं । मैं जीवन में हर ऊंचाई को छूना चाहता हूं । दुनिया में अपनी अलग पहचान... Hindi · कविता 413 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 4 Jun 2019 · 1 min read उन्हें समर्पित हवा की तरह बो आए फूल बनकर चमन के रंग मेरी जिंदगी में भर गए देखें सुगंध अपने बालों की मुझे घायल कर गए दोस्ती का हाथ बढ़ा कर दोस्ताना... Hindi · कविता 278 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 11 May 2019 · 1 min read मेरा नादान बचपन मेरा बचपन । मां की गोद पिता का हाथ भाई का प्यार परिवार का साथ मौज मस्ती से भरा मेरा बचपन मेरा नादान बचपन गांव की गलियों में बीत गया... Hindi · कविता 600 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 10 May 2019 · 1 min read लोकतंत्र को समर्पित चुनाव का समय है राजनीति में तनाव है प्रत्येक दल को वोट की आवश्यकता है आइए लोकतंत्र को त्योहार बनाएं वोट करें और कराएं सही लीडर का चुनाव करें जो... Hindi · कविता 2 438 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 19 Apr 2019 · 1 min read उन्हें समर्पित जब तेरी याद में तन्हा लिखने बैठ जाता हूं । तेरी कसम शायर बन जाता हूं !! दिल को दीवाना तूने बनाया इस कदर !! चांद में तेरी सूरत देखता... Hindi · कविता 321 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 21 Mar 2019 · 1 min read होली के रंग अपनों के संग होली है मेरे देश का त्यौहार ! लोग लगाते रंग और गुलाल ! इस दिन होली के रंग में सब रंग जाते ! यार दोस्त सब मिलने आते , रंग... Hindi · कविता 267 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 29 Jan 2019 · 1 min read फौजी भाई के लिए कविता काश मैं कवि होता, तो हिंदुस्तान पे,कविताऐ लुटा देता ! कभी मैं सोचता हूं ,अगर मैं फौजी होता , वतन के लिए जान लुटा देता ! काश मैं गुलाब होता,... Hindi · कविता 1k Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 7 Jan 2019 · 1 min read उनसे बात करने को दिल करता है उनसे बात करने को दिल करता है l बात करने को दिल करता है । आते हैं जब वह मेरे सामने बात कर नहीं पता हूं l ऐसा क्या है... Hindi · कविता 1 421 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 5 Jan 2019 · 1 min read मेरे मेहबूब मैंने तुझे कहा ना ढूंढा मेरे मेहबूब मैंने तुझे कहा ना ढूंढा। मैंने तुझे ख्वाबों में देखा फिर मुझे मैंने तुझे हकीकत में ढूंढना चाहा । मैंने तुझे दिन के उजाले में ढूंढा। मैंने तुझे... Hindi · कविता 2 418 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 5 Jan 2019 · 1 min read मेरे आंगन की ज्योति बिटिया। बिटिया तू आंगन की चिड़िया है। बिटिया तू दीपक की ज्योति है । बिटिया बिना संसार अधूरा है बिटिया बिना होत ना जगत उजियारा बिटिया तू हर घर की लक्ष्मी... Hindi · कविता 1 602 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 2 Nov 2018 · 1 min read "माँँ" की ममता, विषय "माँ" विद्या गीत >>मेरी "माँ" मेरा आदर्श है, "मा" ईश्वर द्वारा दिया गया इंसान को एक बहुत बड़ा वरदान है, जिसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है, हे माँ"... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 27 614 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 15 Oct 2018 · 1 min read तुम्हें समर्पण शीर्षक?? तुम्हें समर्पित ??लेखक कालूराम जी अहिरवार?? >> तेरे नाम के बाद ही मेरी याद आती है । किसी और को हासिल हो तुम फिर भी तुम्हारी बात होती है... Hindi · कविता 1 717 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 11 Oct 2018 · 1 min read हंसते गाते मुस्कुराते जिंदगी एक सफर है चलते चलो जिंदगी एक सफर है । कदम बढ़ाते चलो हंसते गाते मुस्कुराते बढ़ाते चलो, ऐ चलने वाले मुसाफिर सफर लंबा है । कदम बढ़ाते चलो राह में रुकना नहीं है ।... Hindi · कविता 1 649 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 7 Oct 2018 · 3 min read एक पिता का प्यार अपने पुत्र के लिए नन्ही सी आंखें और मुड़ी हुई उंगलियां थी। यह बात तब है जब दुनिया मेरे लिए सोई हुई थी। नंगे से शरीर पर नया कपड़ा पहनता था मुझे होली दिवाली... Hindi · कविता 1 526 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 7 Oct 2018 · 2 min read मेरी पहली यात्रा ट्रेन से भोपाल टू इंदौर जिन्दगी एक सफ़र की तरह है । जिसकी आखिरी मंजिल मौत है। लेकिन कई लोग इस सफ़र को शानदार तरीके से जीते हैं । और कई लोग एक बोझ समझ... Hindi · कविता 2 573 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 28 Sep 2018 · 1 min read इस दुनिया का सच इस दुनिया में हर व्यक्ति परेशान है । अपने पास सब कुछ होने के बावजूद भी वह परेशान है। गरीब भी परेशान है ,और अमीर भी परेशान है। गरीब दो... Hindi · कविता 1 519 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 21 Sep 2018 · 1 min read एक लेखक के अंतर्मन की आवाज : जमाने में आए हो तो जीने का हुनर भी सीख लो दोस्तों क्योंकि दुश्मनों से कोई खतरा नहीं बस अपनो पे नजर रखना छोड़ तो सकता हूँ,मगर..छोड़ नहीं पाता... Hindi · कविता 1 537 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 19 Sep 2018 · 1 min read यम के द्वार की कुछ झलकियां हास्य एवं श्रृंगार रस की कविताएं यम के द्वार की कुछ झलकियां एक समय की बात है। तीन औरतों का देहांत हो जाता है। यम के दूत उन्हें पृथ्वी से... Hindi · कविता 1 637 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 18 Sep 2018 · 1 min read मैं क्यों लिखता हूं जब एक लेखक लिखता है । तो उसकी जुबान नहीं उसकी कलम बोलती है । लेखक जो आंख से देखता है। कानों से सुनता है। और जो अपने आसपास के... Hindi · कविता 1 574 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 16 Sep 2018 · 1 min read मैं क्यों लिखता हूं बहुत सुनने के बाद ताजमहल देखा। 4 पंक्तियों का जन्म हुआ। आप तक पहुंचाता हूं। मिस्टर शाहजहां एक बार फिर इस दुनिया में आओ। अरे इस बार आगरा में नहीं... Hindi · कविता 1 359 Share अर्जुन सिहँ kaluram ji 16 Sep 2018 · 1 min read मैं क्यों लिखता हूं बहुत 4 पंक्तियों का जन्म हुआ आप तक पहुंचाता हूं कि मिस्टर शाहजहां एक बार फिर इस दुनिया में आओ अरे इस बार आगरा में नहीं भोपाल में अपनी महफिल... Hindi · कविता 1 258 Share