Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Sep 2018 · 1 min read

मैं क्यों लिखता हूं

बहुत सुनने के बाद ताजमहल देखा।

4 पंक्तियों का जन्म हुआ।
आप तक पहुंचाता हूं।
मिस्टर शाहजहां एक बार फिर इस दुनिया में आओ।
अरे इस बार आगरा में नहीं ,भोपाल में अपनी महफिल जमाओ ।बनवाया होगा जमाने में तुमने ताजमहल ।
आज के जमाने में भोपाल MP नगर में दो रुम किचन बना कर दिखाओ।
आज भी मिल जाती है
स्वयं सैकड़ों मुमताज लहू में कतरा भी मोहब्बत का नहीं संगमरमर पर टिकी है सबकी नजर
ऐसे में ताज कौन मेरा बाप बनवाएं ।
जिसको जरूरत हो वह कमबख्त खुद बनवाएं।
कालूराम जी अहिरवार
ग्राम जगमेरी जिला भोपाल ब्लॉक बैरसिया।
M. 8120650431

Language: Hindi
1 Like · 325 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम नहीं बदले___
तुम नहीं बदले___
Rajesh vyas
नए साल की मुबारक
नए साल की मुबारक
भरत कुमार सोलंकी
महाप्रलय
महाप्रलय
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ऐसा क्या लिख दू मैं.....
ऐसा क्या लिख दू मैं.....
Taj Mohammad
अनकही बातों का सिलसिला शुरू करें
अनकही बातों का सिलसिला शुरू करें
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
माँ
माँ
meena singh
धार में सम्माहित हूं
धार में सम्माहित हूं
AMRESH KUMAR VERMA
पशुओं के दूध का मनुष्य द्वारा उपयोग अत्याचार है
पशुओं के दूध का मनुष्य द्वारा उपयोग अत्याचार है
Dr MusafiR BaithA
टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
टमाटर का जलवा ( हास्य -रचना )
Dr. Harvinder Singh Bakshi
वर्ल्ड रिकॉर्ड
वर्ल्ड रिकॉर्ड
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"आँगन की तुलसी"
Ekta chitrangini
■ कविता
■ कविता
*Author प्रणय प्रभात*
3347.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3347.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
"उदास सांझ"
Dr. Kishan tandon kranti
आजादी की कहानी
आजादी की कहानी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
💐प्रेम कौतुक-477💐
💐प्रेम कौतुक-477💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
न जाने ज़िंदगी को क्या गिला है
न जाने ज़िंदगी को क्या गिला है
Shweta Soni
मोहब्बत मुकम्मल हो ये ज़रूरी तो नहीं...!!!!
मोहब्बत मुकम्मल हो ये ज़रूरी तो नहीं...!!!!
Jyoti Khari
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
Shiva Awasthi
गाँव का दृश्य (गीत)
गाँव का दृश्य (गीत)
प्रीतम श्रावस्तवी
-- फ़ितरत --
-- फ़ितरत --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्रो. दलजीत कुमार बने पर्यावरण के प्रहरी
प्रो. दलजीत कुमार बने पर्यावरण के प्रहरी
Nasib Sabharwal
*मदमस्त है मौसम हवा में, फागुनी उत्कर्ष है (मुक्तक)*
*मदमस्त है मौसम हवा में, फागुनी उत्कर्ष है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
Shyam Sundar Subramanian
जगत का हिस्सा
जगत का हिस्सा
Harish Chandra Pande
दुनिया एक दुष्चक्र है । आप जहाँ से शुरू कर रहे हैं आप आखिर म
दुनिया एक दुष्चक्र है । आप जहाँ से शुरू कर रहे हैं आप आखिर म
पूर्वार्थ
संन्यास के दो पक्ष हैं
संन्यास के दो पक्ष हैं
हिमांशु Kulshrestha
रात बदरिया...
रात बदरिया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
हादसें पूंछ कर न आएंगे
हादसें पूंछ कर न आएंगे
Dr fauzia Naseem shad
Loading...