Tag: गीत
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बरस रही हो बरखा रानी पर अंदाज़ अलग है।
Kumar Kalhans
रेलगाड़ी रेलगाड़ी
Kumar Kalhans
भू से मिलकर नवजीवन की गाथाएं रचती हैं।
Kumar Kalhans
विश्वासों ने पार उतारा।
Kumar Kalhans
मृत्यु के साये में राह जीवन चले।
Kumar Kalhans
इक दूजे की बोटी हम नुचवाते हैं।
Kumar Kalhans
ऐसे बरसो तरस गए नयनो से पानी बरसे।
Kumar Kalhans
भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत।
Kumar Kalhans
सूरज रोज नहीं आएगा।
Kumar Kalhans
पानी की तरह बनना सीखो।
Kumar Kalhans
जो मुझे तुमसे मिला है मैं वही लौटा रहा हूं।
Kumar Kalhans
इक जीवन दो रूप हमारे।
Kumar Kalhans
हम अपनी छोटी सी दुनियां के भगवान बने फिरते हैं।
Kumar Kalhans
मुझको मुस्काने का हक है।
Kumar Kalhans
ढल गया सूर्य फिर आएगा।
Kumar Kalhans
पीले पत्ते दूर हो गए।
Kumar Kalhans
खुद को समझ सको तो बस है।
Kumar Kalhans
आज अकेले ही चलने दो।
Kumar Kalhans
संभवतः अनुमानहीन हो।
Kumar Kalhans
परछाई उजली लगती है।
Kumar Kalhans
हो न हो हम में कहीं अमरत्व तो है।
Kumar Kalhans
उन्हें पुकारो।
Kumar Kalhans
जीवन का त्योहार निराला।
Kumar Kalhans
यूं ही रंग दिखाते रहिए।
Kumar Kalhans
धोने से पाप नहीं धुलते।
Kumar Kalhans
दुनिया चतुर सयानी बाला।
Kumar Kalhans
कर्ज जिसका है वही ढोए उठाए।
Kumar Kalhans
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
गीत नया गाता हूं।
Kumar Kalhans
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
गीत नया गाता हूं।
Kumar Kalhans